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संवेग की परिभाषा, मात्रक, सूत्र और उदाहरण

sanveg

दोस्तों, संवेग शब्द के बारे में तो अवश्य सुना होगा, खेल समाचारों और क्रिकेट कमेंट्री में अक्सर संवेग शब्द का नाम लिया जाता है।

क्या आप जानते हैं कि संवेग होता क्या है, गति और द्रव्यमान दोनों की इकाई में संवेग मौजूद होता है। संवेग विज्ञान का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक कक्षा के विद्यार्थियों को उनके लेवल के हिसाब से पढ़ाया भी जाता है ।

आज हम आपके लिए एक ऐसी पोस्ट लेकर आए हैं जिसे पढ़कर आप संवेग के बारे में सब कुछ जान पाएंगे।आप इस पोस्ट के माध्यम से संवेग क्या है, संवेग की परिभाषा ,उसका मात्रक इन सब के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।

संवेग क्या हैं?

संवेग उस परिस्थिति को कहा जाता है जब सामान द्रव्यमान की वस्तु अथवा पिंड एक ही दिशा में गति कर रहे होते हैं लेकिन उनका वेग अलग अलग होता है।

वस्तु अधिक तेजी से गति कर रही है उसे रोकने के लिए ज्यादा बल की आवश्यकता होगी, बल वस्तु के द्रव्यमान और उसकी गति दोनों पर ही निर्भर करता है यही स्थिति संवेग के रूप में जानी जाती है।

संवेग की परिभाषा क्या हैं?

संवेग का नाम सदिश राशियों की सूची में आता है, सदिश राशि उन्हें कहते हैं जिन राशि के दिशा और परिमाण दोनों होते हैं। संवेग का अर्थ यह हुआ कि संवेग के पास दिशा और परिमाण दोनों ही मौजूद है।

जानकारी के लिए राशियां दो प्रकार की होती हैं सदिश राशि और अदिश राशि।

  1. जिन राशियों के दिशा और परिमाण दोनों ही प्राप्त होते हैं सदिश राशियां कहलाती है।
  2. जिन राशियों के केवल परिमाण ही प्राप्त होते हैं उनकी दिशा प्राप्त नहीं होती है उन्हें अदिश राशि कहते हैं।

शाब्दिक अर्थों में संवेग वस्तु के वेग और उसके द्रव्यमान के गुणन फल का रिजल्ट होता है।

संवेग को अंग्रेजी के अक्षर P से दिखाते हैं।

अर्थात्

संवेग = द्रव्यमान (mass) × वेग (velocity)

P = M ×V

यहां पर P संवेग है, 

M = mass यानी द्रव्यमान हैं

और V = velocity यानी वेग हैं।

संवेग का मात्रक क्या है?

हमने आपको पहले ही बताया है कि संवेग दिशा और परिमाण दोनों की उपस्थिति होती है। विशेष बात यह है कि संवेग की दिशा और वेग की दिशा दोनों ही एक समान होते हैं। इस कारण संवेग का मात्रक को किलोग्राम-मीटर प्रति सेकंड (kg.ms-) में लिखा जाता हैं।

संवेग के संरक्षण नियम क्या हैं?

भौतिक विज्ञान में संवेग के संरक्षण को महत्वपूर्ण नियमों के रूप में देखा जाता हैं। इस नियम के अंदर निहित है कि जब बाहरी बल किसी वस्तु पर कार्य नहीं करते हैं तब निकाय में जो संवेग होता है वह स्थिर हो जाता है। सेम यही बात न्यूटन के प्रथम नियम या जड़त्व नियम में भी कहीं गई है।

संवेग के संरक्षण के नियम की पुष्टि निम्न प्रकार से की जा रही है-

संवेग संरक्षण का फार्मूला निम्न है –

p = p’ या m1v1 + m2v2 = m1v1’ + m2v2′

संवेग के कितने प्रकार होते हैं?

संवेग को दो प्रकार में बांटा गया है जिसमें पहला रेखीय संवेग (Linear momentum) हैं और दूसरा कोणीय संवेग (Angular momentum) हैं।

1. रेखीय संवेग की परिभाषा

जब वस्तु के द्रव्यमान और उसके वेग का गुणन फल किया जाता है तब वहां पर रेखीय संवेग होता है। वस्तु अथवा पिंड का रेखा में गति करना रैखिक संवेग के संवेग को प्रदर्शित करता है।

रेखीय संवेग का फार्मूला होता है p = mv

यहां पर p रेखीय संवेग को दर्शा रहा है जबकि m द्रव्यमान को और v वेग को।संवेग का SI मात्रक Kg.m/s में होता हैं।

2. कोणीय संवेग

वस्तु अथवा पिंड का किसी सीधी रेखा में ना चलकर गोलाई अथवा वृत्त में घूमना कोणीय संवेग को दर्शाता है। वस्तु के घूर्णन जड़त्व की विशेषता उसका गुण होती है।

कोरिअर गति को रैखिक गति और लंबवत दूरी से प्रदर्शित करते हैं। यह भी सादिश राशि की सूची में आता है इसे L से प्रदर्शित करते हैं।

कोणीय संवेग का फार्मूला निम्न है

L = m v r

दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको हमारी यह पोस्ट संवेग की परिभाषा, मात्रक, सूत्र और उदाहरण के बारे में सारी जानकारी मिली होगी आप इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी शेयर कर सकते हैं। आप अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें।

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