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ड्रोन क्या है इसके प्रकार, उपयोग, लाभ और नुकसान

ड्रोन

बीते सालों अनेक नए अविष्कार हुए हैं जिसकी वजह से हर दिन नए-नए डिवाइस सामने आते हैं जिनमें एक Drone भी है और आज भारत में भी ड्रोन का इस्तेमाल कई जगह होने लगा है इसलिए इस पेज पर हमने ड्रोन की समस्त जानकारी शेयर की है। 

ड्रोन क्या है

ड्रोन अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब नर मधुमक्खी होता है।

ड्रोन को असल में UAV (Unmanned Aerial Vehicle) कहा जाता है। 

UAV मतलब मानव रहित विमान।

आसान भाषा में कहे तो यह एक प्रकार का उड़ने वाला रोबोट है जो किसी पायलट या इंसान के बिना उड़ता हो, वह ड्रोन कहलाता हैं। 

ड्रोन का आविष्कार

कुछ लोगो के अनुसार ड्रोन का उपयोग सबसे पहले 1849 में इटली में हुआ था जब वेनिस ऑस्ट्रिया से अपने स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा था। तब ऑस्ट्रिया सैनिकों ने वेनिस पर बमों से लैस गर्म हवा हाइड्रोजन और हीलियम से भरे गुब्बारों से हमला किया था।

प्रथम विश्वयुद्ध में पहले पायलट रहित रेडियो नियंत्रित विमान का उपयोग किया गया था।

1998 में अमेरिकी सेना ने एक मानवरहित उड़ने वाला विमान विकसित किया, जिसका कभी भी युद्ध में उपयोग नहीं किया गया।

ड्रोन के प्रकार

ड्रोन को अलग-अलग आधारों पर अलग-अलग भागों में बांटा गया है।

आकार और वजन के आधार पर

अलग-अलग आकारों के अनुसार ड्रोन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।

  1. Nano Drone : यह सबसे छोटे आकार के ड्रोन होते हैं जिनका वजन लगभग 250 ग्राम तक होता है। इनका उपयोग अक्सर जासूसों द्वारा लोगों और खुफिया चीजों पर नजर रखने के लिए किया जाता है क्योंकि यह आसानी से नहीं दिखते हैं।
  2. Micro Drone : यह भी छोटे आकार के ड्रोन होते हैं लेकिन यह नैनो ड्रोन से बड़े होते हैं। इनका वजन 250 ग्राम से अधिक लेकिन 2 किलोग्राम से कम होता है।
  3. Small Drone : यह ड्रोन माइक्रो ड्रोन से बड़े होते हैं और इनका वजन 2 किलोग्राम से अधिक लेकिन 25 किलोग्राम से कम होता है। इन्हें आसानी से अपने हाथों से उठाया जा सकता है। इनकी कीमत $100 तक होती है। 
  4. Medium Drone : यह सामान्य आकार के ड्रोन होते हैं। इनका वजन 25 किलोग्राम से अधिक लेकिन 150 किलोग्राम से कम होता है। इसे चलाने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है ताकि इन्हें हवा में उतारा जा सके।
  5. Large Drone : इनका आकार सबसे बड़ा होता है। इनका वजन 150 किलोग्राम से भी अधिक होता है। इनका उपयोग सेना में मुख्य रूप से युद्ध के क्षेत्र में निगरानी रखने के लिए किया जाता हैं क्योंकि यह आकाश में बहुत ऊंचाई से तस्वीरें ले सकते हैं।

सीमा के आधार पर

ड्रोन के उड़ने की सीमा के आधार पर निम्नलिखित प्रकार होते हैं:

  1. Close Range : ज्यादातर Close Range के ड्रोन आमतौर पर 3 मील की दूरी तय कर सकते हैं और यह लगभग 20 से 30 मिनट तक हवा में रह सकते हैं।
  2. Short-range : Short-range ड्रोन को 30 मील दूरी तक नियंत्रित किया जा सकता है और यह लगभग 1 घंटे से 6 घंटे तक हवा में रह सकते हैं।
  3. Midrange : Midrange ड्रोन को 90 मील दूरी तक नियंत्रित किया जा सकता है और यह 12 घंटे तक हवा में रह सकते हैं।

कुछ ड्रोन होते हैं जिसे 400 मील की दूरी तक नियंत्रित किया जा सकता है और यह लगातार तीन दिनों तक हवा में रह सकते हैं। इनका उपयोग आमतौर पर वैज्ञानिक डेटा की निगरानी और संग्रह के लिए किया जाता है।

उद्देश्य के आधार पर

अलग-अलग ड्रोन को अलग-अलग कामों के लिए उपयोग किया जाता है। ड्रोन को उपयोग करने के उद्देश्य के आधार पर इसे निम्नलिखित भागों में बांटा गया है :

  1. Race Drone : Race Drone को तेज गति के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। यह High Performance Electronic Speed Controller का उपयोग करते हैं जिस कारण यह तेजी से गति कर पाते हैं। इनकी गति 120 मील प्रति घंटा होती है और इनका मूल्य लगभग $200 से $1000 तक होता है।
  2. Delivery drone : Delivery Drone को किसी भी सामान की डिलीवरी करने के उद्देश्य के लिए डिजाइन किया गया है। यह ड्रोन आमतौर पर 4 से 8 Propeller और Rechargeable Battery का उपयोग करते हैं। दुनिया में कई जगह पर इन ड्रोन का उपयोग किया जाता है। आने वाले समय में Ecommerce Company Amazon यह दावा कर रही है कि वह ड्रोन के द्वारा डिलीवरी करेगी।
  3. Photography drone : फोटोग्राफी ड्रोन को फोटो लेने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। 4K कैमरा ड्रोन से High Resolution तस्वीरें ली जा सकती है। इनका उपयोग फोटोग्राफर बड़े जगहों जैसे पहाड़ों आदि पर तस्वीरें लेने के लिए किया जाता है। फोटोग्राफर के अलावा सेना में भी इस तरह के ड्रोन का उपयोग किया जाता है।
  4. GPS drone : इस प्रकार के ड्रोन को विशेष रूप से GPS को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह ड्रोन GPS Hook-up के जरिए Satellite से जुड़कर काम करते हैं। इसमें बहुत अधिक बैटरी पावर लगती है। 
  5. Combat Drone : इस प्रकार के ड्रोन का उपयोग हमलो के लिए किया जाता है। अमेरिका द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले Predator और Riper जैसे ड्रोन लगभग 36 फीट लंबे हैं और यह हवा से जमीन पर मिसाइल और लेजर बम के साथ हमला कर सकते हैं। यह 1000 मील की दूरी पर लगातार 14 घंटे तक काम कर सकते हैं। 
  6. Track Drone : Track Drone को विशेष रूप से Tracking के लिए डिजाइन किया गया है। यह ड्रोन अपने Vision System, Detection Centre, GNSS System, Flight Controller, Central Processing और विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके ट्रैक करते हैं। 

Rotor के आधार पर

  1. Single Rotor Drone : Single Rotor Drone बिल्कुल छोटे हेलीकॉप्टरों की तरह दिखते हैं और यह गैस या बिजली से चलने वाले हो सकते हैं। गैस पर चलने के कारण यह लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है।  यह मजबूत और टिकाऊ होते हैं। इसलिए इनका उपयोग आमतौर पर LIDAR System सहित भारी वस्तु के डिलीवरी के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इनका उपयोग तूफानों और Global Warming के कारण होने वाले मानचित्र में परिवर्तन का सर्वेक्षण करने के लिए किया जा सकता है। यह महंगे दामों में आते हैं और इन्हें उड़ाना कठिन होता है।
  2. Multi Rotor Drone : Multi Rotor Drone आमतौर पर बाजार के सबसे छोटे और सबसे हल्के ड्रोन होते हैं। यह सीमित दूरी तक ही उड़ सकते हैं और इनकी गति और ऊंचाई भी सीमित होती है। यह ड्रोन हल्के चीजों के साथ हवा में 20 से 30 मिनट तक रह सकते हैं। इनका उपयोग हवाई फोटोग्राफी, फिल्म निर्माण, कृषि और निगरानी रखने के लिए किया जाता है। यह सबसे आसान और सबसे सस्ता ड्रोन होता है। 
  3. Fixed Wing Drone : Fixed Wing Drone सामान्य हवाई जहाज की तरह दिखते हैं। यह बिजली के बजाय ईंधन का उपयोग करते हैं जिससे यह 16 घंटे से भी अधिक समय तक हवा में उड़ सकते हैं। चुकी यह ड्रोन आमतौर पर बहुत बड़े होते हैं और इनकी डिजाइन के कारण इन्हें हवाई जहाज की तरह ही Runway पर उतारने की जरूरत होती है।  इनका उपयोग सेना द्वारा हमले के लिए किया जाता है और वैज्ञानिक द्वारा बड़ी मात्रा में डिवाइस ले जाने के लिए और मुश्किल समय में लोगों तक भोजन और अन्य सामान पहुंचाने के लिए किया जाता है। यह अधिक ऊंचाई पर उड़ सकते हैं लेकिन यह महंगे दामों में आते हैं। इन्हें उड़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। यह ड्रोन केवल आगे बढ़ सकते हैं हवा में मंडरा नहीं सकते।

ड्रोन के भाग

ड्रोन के मुख्य भाग निम्नलिखित है : 

1. Quadcopter frame : यह ड्रोन का बाहरी भाग होता है जिसमें इसके अन्य Components फिट होते हैं। इसमें सभी कंपोनेंट्स को इस तरह से रखा जाता है कि वह ड्रोन के गुरुत्वाकर्षण केंद्र को समान रूप से Distribute करते हैं। यह अलग-अलग आकारों में मिलते हैं और इनकी गुणवत्ता के आधार पर इनकी कीमत $10 से $500 तक होती है।

2. Motors : Propeller के घूमने के लिए मोटर की आवश्यकता होती है। यह ड्रोन को आगे बढ़ने के लिए Force करता है। मोटर को इस तरह से फिट किया जाता है कि वह कंट्रोलर द्वारा आसानी से घुमाया जा सके। ड्रोन के लिए सही मोटर चुनना जरूरी है।

3. Electronic speed controller : यह एक Electronic Controller Board होता है जो मोटर की गति को बदलता और ब्रेक के रूप में भी कार्य करता है। यह ग्राउंड पायलट को उस उचाई का अनुमान लगाने में मदद करता है जिस ऊंचाई पर ड्रोन चल रहा है। 

4. Flight Control / Board : जब ड्रोन को बिना Instruction के Takeoff की आवश्यकता होती है। तब Control Board Takeoff स्थान का एक Log बनाता है। इसे ‘ Return to Home ‘ Feature के नाम से भी जाना जाता है। 

5. Propeller : Propeller एक तरह के ब्लेड होते हैं जिन्हें हवा के दबाव में अंतर पैदा करने के लिए बनाया जाता है। इनकी कीमत $1 से शुरू होती है। 

6. Radio transmitter : यह एक चैनल वाला ट्रांसमीटर होता है जो ड्रोन को एक निश्चित गति में चलाने में सक्षम होती है। ड्रोन को अच्छे से चलने के लिए कम से कम चार चैनलों की आवश्यकता होती है।

7. Battery : बैटरी ड्रोन के लिए पावर के रूप में कार्य करती है। यह केबल के माध्यम से ड्रोन तक ऊर्जा पहुंचाती है। एक सामान्य बैटरी की रेटिंग 3000mAh और 4V है। इसकी कीमत लगभग $10 होती है।

8. Camera : वीडियो फुटेज के लिए ड्रोन में कैमरे लगे होते हैं। वीडियो शूट करने और स्टोर करने या भेजने की क्षमता वाले कैमरे होते हैं। 

9. Landing gear : यह ड्रोन को सुरक्षित रूप से उतारने के लिए बनाया गया है। Landing Gear के दो मुख्य प्रकार हैं एक Fixed Landing Gear और Retractable Landing Gear है।

10. First person video FPV : यह सामान्य Control Device Interface की तुलना में महंगा होता है। FPV के दो प्रमुख कंपोनेंट्स हैं पहला Ground Component और दूसरा Airborne Component.

ड्रोन कैसे काम करता है

ड्रोन को उड़ाने के लिए सॉफ्टवेयर, GPS और रिमोट सबसे जरूरी होता है। रिमोट के जरिए ही ड्रोन Operate होते हैं और इन को कंट्रोल किया जाता है।

ड्रोन पर लगे Rotors की गति को रिमोट की Joystick के जरिए कंट्रोल किया जाता है। वही GPS एक प्रकार से ड्रोन का सुरक्षा कवच होता है जो दुर्घटना होने से पहले ही ऑपरेटर को चेतावनी भेज देता है।

GPS की मदद से ही ड्रोन उड़ता है और इसे उड़ने के लिए खुली जगह की जरूरत पड़ती है।

ड्रोन के उपयोग

ड्रोन का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है :

1. सेना : सेना में ड्रोन का उपयोग बहुत पहले से किया जाता है। 1940 के दशक की शुरुआत में कई राष्ट्रों की जासूसी करने के लिए ब्रिटिश और अमेरिकी सेनाओं ने ड्रोन का उपयोग करना शुरू कर दिया था। आज के ड्रोन पहले की ड्रोन की तुलना में बहुत अच्छे हैं। आज उपयोग में आने वाला सबसे प्रमुख सैन्य ड्रोन mq-9 Reaper है। यह 36 फिट लंबा है और हवा में 50000 फीट तक उड़ सकता है। 

2. दवा और भोजन : मुश्किल क्षेत्रों में जैसे बाढ़ आने पर लोगों तक दवाइयां और भोजन पहुंचाने के लिए भी ड्रोन का उपयोग किया जाता है। रोगियों के इलाज के लिए दान किए गए अंगों को कम समय में पहुंचाने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है।

3. डिलीवरी ‌: डिलीवरी ड्रोन का उपयोग दरवाजे पर भोजन पहुंचाने के लिए होता है। इन ड्रोन को Last Mile डिलीवरी ड्रोन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इनका उपयोग स्टोर या गोदामों से डिलीवरी करने के लिए किया जाता है। 

यह ड्रोन लगभग 55 पाउंड तक के सामान ले जा सकते हैं। Amazon, Walmart, Google, FedEx, UPS और कई अन्य बड़े ब्रांड वर्तमान में डिलीवरी ड्रोन का Examination कर रहे हैं ताकि वह इन्हीं ड्रोन के मदद से डिलीवरी कर सकें।

3. आपातकालीन बचाव : कभी-कभी आपदा में लोगों को बचाने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाता है। जैसे किसी व्यक्ति के डूबने की स्थिति में, बर्फ में फंसे लोगों की तलाश में ड्रोन का उपयोग किया जाता है। 

4. वन्य जीव संरक्षण : वनों या वन्य जीव संरक्षण के लिए भी ड्रोन का उपयोग किया जाता है। ड्रोन हवा में उड़ते हुए जंगलों पर नजर रख पाता है। जिससे जंगलों में होने वाले गैर कानूनी काम जैसे वनों की कटाई और जानवरों के शिकार पर रोक लगा पाते हैं। पूरी दुनिया में ड्रोन का इस्तेमाल वनों की कटाई को रोकने के लिए किया जा रहा है। 

5. अंतरिक्ष : ड्रोन का उपयोग अंतरिक्ष में भी किया जाता है। यह अंतरिक्ष में होने वाले घटनाओं पर नजर रखता है।  X-37B UAV वायु सेना का अति गुप्त ड्रोन है जो एक छोटे अंतरिक्ष यान की तरह दिखता है। यह पिछले 2 वर्षों से पृथ्वी के चक्कर काट रहा है और यह ड्रोन से सबसे लंबी उड़ान का रिकॉर्ड बना रहा है जो 719 दिनों से अधिक है। 

6. फोटोग्राफी : फोटोग्राफी में ड्रोन का उपयोग करके हवाई तस्वीरें लेने के लिए किया जाता है। आपने कभी सोचा है कि किसी बड़े शहर, समुंद्र या इमारत का इतना बड़ा और ऊंचाई से फोटो कैसे लिया जाता है। तो ऐसे फोटोग्राफी के लिए विशेष रूप से बनाए गए ड्रोन का उपयोग किया जाता है।

7. कृषि : ड्रोन का उपयोग आजकल कृषि के लिए किया जा रहा है। बहुत से विकसित देश कृषि के लिए ड्रोन का उपयोग खेतों में खाद छिड़कने के लिए करते हैं। 1990 के दशक की शुरुआत से लगभग 300 मिलीयन एकड़ वनों की कटाई की गई है। इसकी भरपाई करने के लिए लगभग 300 वर्षों का समय लगेगा और ड्रोन तकनीक के माध्यम से इसे जल्दी पूरा किया जा सकता है।

ड्रोन के फायदे

ड्रोन के नुकसान

क्या भारत में ड्रोन उड़ाना Legal है

भारत में बिना Government के Permission के ड्रोन नहीं उड़ा सकते हैं यह Illegal है। 7 अक्टूबर 2014 को Director General Of Civil Aviation के द्वारा एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें भारत में बिना सरकार की अनुमति के ड्रोन उड़ाना कानूनन अपराध बताया गया है।

भारत में ड्रोन को उड़ाने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन सभी को करना होगा। ड्रोन के वजन और आकार के मुताबिक इन नियमों को कई Category में बांटा गया है : 

1. Nano drones : इस को उड़ाने के लिए आपको License की जरूरत नहीं पड़ती है। इसे आप बिना License के उड़ा सकते हैं।

2. Microdrones : इसको उड़ाने के लिए आपको UAS Operator Permit-I से Permission लेनी होती है और ड्रोन पायलट को SOP को फॉलो करना होता है।

इससे बड़े ड्रोन उड़ाने के लिए आप को DGCA से Permit लेने की जरूरत पड़ती है। बिना Permission के ड्रोन उड़ाना गैरकानूनी है और इसके लिए ड्रोन ऑपरेटर पर भारी जुर्माना का भी नियम है।

ड्रोन उड़ाने के लिए दो तरह के License दिए जाते हैं। पहला Student Remote Pilot License और दूसरा Remote Pilot License। इन दोनों लाइसेंस को पाने के लिए ड्रोन ऑपरेटर की उम्र कम से कम 18 साल और अधिक से अधिक 65 साल होनी चाहिए। इसके अलावा ड्रोन ऑपरेटर कम से कम 10 वीं पास होना चाहिए। इसके अलावा आपको DGCA Specified Medical Examination भी पास करना होता है और आपका बैकग्राउंड भी चेक होता है।

बिना लाइसेंस कि ड्रोन उड़ाने पर कितने जुर्माना का नियम है ?

बिना लाइसेंस के ड्रोन उड़ाने पर ₹25000 का जुर्माना है। No Operation Zone में उड़ान भरने पर ₹50000 का जुर्माना है। ड्रोन का Third Party बीमा ना होने पर ₹10000 का जुर्माना लग सकता है।

नो फ्लाई जोन क्या होता है

No fly Zone वह क्षेत्र होता है जहां किसी भी प्रकार के विमान को उड़ाने की अनुमति नहीं होती है। नो फ्लाई जोन के निम्नलिखित क्षेत्र तय किए गए हैं :

Anti Drone क्या है

Anti Drone को खासतौर पर आने ड्रोन की पहचान करने और उन्हें Detect करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह भी अन्य ड्रोन की तरह बिना पायलट के उड़ता है। ऐसे ड्रोन में रडार इनबिल्ट होता है और इसकी अधिकतम स्पीड 440 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है।

इनमें इनबिल्ट बैटरी होती है जिसकी मदद से एक बार चार्ज करने के बाद यह ड्रोन 4 से 5 दिनों तक उड़ान भर सकते हैं। यह 55000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं। ऐसे ड्रोन की कैमरे की Quality भी बेहतरीन होती है। ऐसे ड्रोन में खुद ही नष्ट होने की क्षमता होती है यानी पकड़े जाने पर यह खुद ही नष्ट हो जाएगा जिससे दुश्मन को देश का डाटा नहीं मिलेगा।

ड्रोन का भविष्य

2016 की एक बिजनेस इंसाइडर BI Intelligence रिपोर्ट ने 2021 में Dron Revenue के $12 बिलियन तक के पहुंचने का अनुमान लगाया है। Pricewaterhousecoopers ने ड्रोन आधारित व्यवसाय सेवा बाजार का मूल्य $127 बिलियन से भी अधिक है। जिसमें $45.2 बिलियन का बुनियादी ढांचा, $32.5 बिलियन  का कृषि और $13.0 बिलियन का Transport है।

आर्थिक प्रभाव के बारे में AUVSI के लिए Association यह कहता है कि ड्रोन उद्योग 100,000 से अधिक अमेरिकी रोजगार पैदा करेगा और 2025 तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में $82 बिलियन जोड़ देगा।

इससे पता चलता है कि आने वाले समय में ड्रोन का महत्व कितना अधिक होगा।

आशा है ड्रोन की जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आप इसको पढ़कर ड्रोन की समस्त जानकारी समझ पाएंगे।

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