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ग्लोबल वार्मिंग क्या है इसके कारण, प्रभाव और बचाव के उपाय

ग्लोबल वार्मिंग

पृथ्वी की जलवायु बदल रही है जिसका परिणाम यह हो रहा है कि कभी सूखा पड़ रहा है तो कभी बाढ़ आ रही है। जलवायु के बदलने का मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी है इसलिए इस पेज पर हमने ग्लोबल वार्मिंग की जानकारी शेयर की है।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है

ग्रीन हाउस गैसों के कारण पृथ्वी के औसत तापमान का बढ़ना ही ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है।

पृथ्वी असामान्य रूप से तेजी से गर्म हो रही है और यह आधुनिक सभ्यता के इतिहास में सबसे गर्म समय है।

1800 के दशक के बाद पृथ्वी के तापमान में 1.8°F या 1.0°C की वृद्धि हुई है। 1981 के बाद से ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने की दर दोगुनी हो गई है। पिछले 40 वर्षों से पृथ्वी का तापमान 0.18°C या 0.32°F बढ़ गया है।

1880 से 2020 के रिकॉर्ड में 6 सबसे गर्म साल 2014 के बाद हुए हैं जबकि 2001 के बाद से 20 में से 19 सबसे गर्म साल हुए हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि 2100 तक पृथ्वी का तापमान 10.4°F तक बढ़ सकता है।

1870 के बाद से समुद्र का स्तर लगभग 8 इंच बढ़ गया है।

पिछले 20 सालों से समुद्र के स्तर में दोगुनी वृद्धि हुई है जबकि पिछले 10 सालों में अंटार्कटिका के बर्फ में 3 गुना कमी आई है।

ग्रीन हाउस क्या है

ग्लोबल वार्मिंग को समझने के लिए सबसे पहले आपको ग्रीन हाउस को समझना होगा। 

ग्रीन हाउस कांच का बनाया गया एक घर जैसा Structure होता है जिसको पौधों को बढ़ाने के लिए बनाया जाता है क्योंकि कुछ ऐसे पौधे होते हैं जिनको बढ़ने के लिए गर्म जलवायु चाहिए तो ऐसी स्थिति में ग्रीनहाउस बनाया जाता है। 

जब सूर्य की किरणें पौधे पर पड़ती है तो पौधे उसमें से कुछ गैसों को Absorb कर लेते हैं और कुछ को परावर्तित कर देते हैं। ग्रीन हाउस में लगे कांच के कारण परावर्तित की गई किरण वापस नहीं जा पाती है और वह अंदर ही रह जाती है।

जिस कारण पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है लेकिन इसके कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि भी होती है। वायुमंडल में जितनी अधिक ग्रीनहाउस गैस इकट्ठा होती है पृथ्वी के तापमान में उतनी ही वृद्धि होती है।

विशेष रुप से कार्बनडाइऑक्साइड, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और सिंथेटिक फ्लोरिनेटेड (Synthetic Florina Ted) गैसों को ही ग्रीनहाउस गैस के रूप में जाना जाता है और इनके प्रभाव को ही ग्रीन हाउस प्रभाव (Greenhouse Effect) कहा जाता है।

हालांकि पिछले 800,000 वर्षों में पृथ्वी की जलवायु में कई बार बदलाव आया है लेकिन वैज्ञानिकों ने ग्रीन हाउस प्रभाव के बारे में 1824 से जाना है जब Joseph Fourier ने यह बताया था कि अगर पृथ्वी पर वायुमंडल नहीं होता तो पृथ्वी बहुत अधिक ठंडी होती। 

ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ही पृथ्वी गर्म रहती है। अगर यह नहीं रहता तो पृथ्वी की सतह लगभग 7°F यानी 33°C तक ठंडी होती।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

पृथ्वी के इतिहास में ग्रीन हाउस गैसों का Level बहुत बार ऊपर और नीचे गया है लेकिन कुछ सालों से यह इतना बढ़ गया है कि इससे हमारी पृथ्वी को नुकसान हो रहा है।

वायुमंडल में पाई जाने वाली गैस एक निश्चित मात्रा और अनुपात में होते हैं। मानव गतिविधियां जैसे बिजली, वाहन, कारखानों और घरों में उपयोग होने वाले जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) जैसे कोयला, प्राकृतिक गैस और तेल के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन (Chlorofluorocarbon) और अन्य ग्रीन हाउस गैस निकलती है।

इनमें से कार्बन डाइऑक्साइड वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। आज मनुष्य जीवाश्म ईंधन को जलाकर हर साल लगभग 9.5 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन वातावरण में फैलाता हैं। जिस कारण ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ जाती है और इनकी वजह से पृथ्वी का तापमान भी बढ़ जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव

वैज्ञानिक हर साल ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के बारे में बताते हैं। उनका मानना है कि यदि हम इसे कम नहीं कर सके तो ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में हर साल 250,000 से अधिक लोगों की मौत हो सकती है और 2030 तक 100 मिलियन लोग गरीब हो जाएंगे। 

पर्यावरण पर प्रभाव

आर्थिक प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय

हम ग्लोबल वार्मिंग को रातों-रात या अगले 10 सालों में नहीं रोक सकते हैं लेकिन इसकी वृद्धि को रोक सकते हैं।

ऊपर दिए गए सभी उपायों से हम ग्लोबल वार्मिंग को सामान्य कर सकते हैं लेकिन कोई एक आदमी इसे कम नहीं कर सकता। Global Warming को कम करने के लिए देश भर के लोगों का सपोर्ट होना चाहिए तभी जाकर यह कम हो सकेगा।

ग्लोबल वार्मिंग से लाभ

ग्लोबल वार्मिंग के फायदे होने के बावजूद अधिकांश लोगों की नजर में यह पृथ्वी के लिए सिर्फ नुकसानदायक है और इसे कम करने के लिए अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

FAQ

बाढ़ से ग्लोबल वार्मिंग का क्या संबंध है?

गर्म जलवायु में वातावरण में अधिक मात्रा में पानी इकट्ठा होगा जिससे इसका वाष्पीकरण होगा और अधिक मात्रा में बारिश होगी। अधिक बारिश के कारण कृषि, जानवर और इंसान सबको नुकसान होगा और बाढ़ की समस्या भी होगी।

क्या तापमान में बदलाव प्राकृतिक है?

तापमान में बदलाव का कारण सिर्फ इंसान नहीं है। ज्वालामुखी विस्फोट और सूर्य के धब्बों से सौर विकिरण (Solar Radiation) भी तापमान में बदलाव के कारण हो सकते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार ज्वालामुखी विस्फोट और सौर विकिरण से ग्लोबल वार्मिंग में केवल 2% का ही प्रभाव है बाकी ग्रीन हाउस गैसों और मनुष्य के कामों का प्रभाव है।

समुंद्र स्तर के बढ़ने में ग्लोबल वार्मिंग का क्या योगदान है?

ग्लोबल वार्मिंग दो तरीकों से समुद्र स्तर के बढ़ने में योगदान देती है। सबसे पहले गर्म तापमान के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है जो पानी को जमीन से समुद्र की ओर ले जाती है जिससे समुद्र का स्तर बढ़ जाता है। दूसरा वह प्रक्रिया जिसके द्वारा गर्म पानी अधिक स्थान घेरता है जिससे समुद्र का आयतन बढ़ता है और समुद्र स्तर भी बढ़ रहा है।

उम्मीद हैं आपको ग्लोबल वार्मिंग की जानकारी पसंद आयी होगीं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आयी हो तो इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें धन्यवाद।

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