ज्वालामुखी की परिभाषा, प्रकार और ज्वालामुखी के प्रभाव

ज्वालामुखी पृथ्वी पर दशकों से मौजूद हैं ऐसा माना जाता है कि ज्वालामुखी लगभग 250 मिलियन वर्ष पहले पर्मियन सामूहिक विलुप्त होने की आपदा का कारण बना।

ज्वालामुखी न केवल पृथ्वी पर मौजूद हैं बल्कि उनका अस्तित्व अन्य ग्रह और उपग्रह पर भी देखा जाता है इनकी घटना बृहस्पति पर अत्यधिक देखी जाती हैं।

यहां तक कि यह भी माना जाता है कि चंद्रमा और मंगल में ज्वालामुखी थे जो लंबे समय से निष्क्रिय हैं।

सामान्य तौर पर हम जानते हैं कि ज्वालामुखी कुछ विशेष प्रकार के पहाड़ हैं जिनसे बहुत गर्म लावा निकलता हैं। लेकिन ज्वालामुखी विभिन्न प्रकार के हैं और वैज्ञानिक लगातार उनके बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं।

इस लेख में आप विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखियों और उनकी बुनियादी विशेषताओं के बारे में जानेंगे।

ज्वालामुखी की परिभाषा

परिभाषा के अनुसार, ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर घटने वाली एक आपदा है जिसमे पृथ्वी से पिघली हुई चट्टानें सतह के नीचे उत्पन्न होती हैं। पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों का एक संयोजन है जो अलग-अलग फैलती और सिकुड़ती है।

Volcano

ज्वालामुखी के माध्यम से पृथ्वी के आंतरिक भाग से लावा, धूल, चट्टानों और गैस जैसे पदार्थ बाहर निकलते है ज्वालामुखी विस्फोटों का पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है। ज्वालामुखी वाले क्षेत्र में पौधे और जानवर इसके कारण नष्ट हो जाते है।

ज्वालामुखियों के आमतौर पर अलग-अलग आकार, ऊँचाई और ढलान होती है। कुछ ज्वालामुखी लम्बे शंकु के आकार के पर्वत से उत्पन्न होते हैं जबकि कुछ केवल जमीन पर दरार पड़ने से उत्पन्न होते हैं।

ज्वालामुखी कैसे बनते हैं

पृथ्वी के नीचे गहराई में पाया जाने वाला एक कठोर चट्टान जिसे मेंटल के रूप में जाना जाता है। यह कठोर चट्टान आमतौर पर पिघले हुए लोहे के कोर और सतह पर एक पतली परत के बीच स्थित होती है।

अत्यधिक उच्च तापमान और अधिक मात्रा में दबाव इन ठोस चट्टानों पर पिघलने और तरल चट्टान में परिवर्तित होने के लिए बल लगाते हैं, जिसे मैग्मा कहा जाता है। जब गर्म परिस्थितियों के कारण मेंटल की चट्टानें पिघलती हैं, तो मेग्मा क्रस्ट के माध्यम से पृथ्वी की सतह की ओर ऊपर की ओर बढ़ता है। जो ज्वालामुखी का कारण बनता है।

ज्वालामुखी

ज्वालामुखियों से निकलने वाला मैग्मा आमतौर पर चट्टान की परतों के माध्यम से पृथ्वी की सतह तक पहुंचता है। एक बार जब मैग्मा सतह पर पहुंच जाता है, तो इसे लावा कहा जाता है।

नोट:- पृथ्वी पर सबसे बड़े ज्वालामुखी का नाम मौना लोआ है, जिसमें लगभग 75,000 घन किलोमीटर लावा और अन्य पदार्थ शामिल है। इसके अलावा पृथ्वी पर सबसे ऊंचा ज्वालामुखी मौना केआ है, जो समुद्र तल से लगभग 4,205 मीटर और समुद्र तल से लगभग 9,000 मीटर की दूरी पर है।

ज्वालामुखी विस्फोट के प्रकार

ज्वालामुखी विस्फोट के तीन प्रकार होते हैं।

1. विस्फोट या केन्द्रीय विस्फोट

ज्वालामुखी भारी धड़ाके के साथ जब केंद्र से विस्फोट होते हैं तो उसे केंद्रीय विस्फोट कहते हैं इस प्रकार के विस्फोट से भयानक भूकंप आते हैं। इंडोनेशिया में 1883 में आए केंद्रीय भूकंप से क्राकाटोआ द्वीप पूरी तरह से उड़ गया।

2. शांत विस्फोट

भूमि के केंद्र में होने वाली विभिन्न कारणों से भूमि में दरारें पड़ जाती है। इन्ही दरारों से जब लावा बाहर निकलता है तो उस विस्फोट को शांत विस्फोट कहते है। दक्षिण भारत का लावा प्रदेश और संयुक्त राज्य अमेरिका का स्नेक नदी का प्रदेश ऐसे ही विस्फोट से बने हैं।

3. दरारी विस्फोट

जब पृथ्वी की सतह इतनी मोटी हो जाती है की मैग्मा किसी स्थान से सतह कोंटोडकर बाहर नही निकल पता है तो वह मैग्मा कमजोर पृथ्वी के सतह से बाहर निकलता है, इसे ही दरारी विष्फोट कहते है। यह विस्फोट ज्यादा खतरनाक नहीं होते अतः इन्हें शांत विस्फोट भी कहा जाता है।

ज्वालामुखी के प्रकार

ज्वालामुखी मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।

1. सक्रिय ज्वालामुखी

सक्रिय ज्वालामुखी उन ज्वालामुखियों को कहते हैं जिसका मुंह खुला रहता है इसमें हमेशा लावा विभिन्न प्रकार के गैस से जलवाष्प धूल राख और धुंआ निकलते रहते हैं।

वर्तमान में इसकी संख्या 500 से भी अधिक है भारत में एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अंडमान निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप में है।

2. निष्क्रिय ज्वालामुखी

निष्क्रिय ज्वालामुखी उन ज्वालामुखी उन ज्वालामुखी ओ को कहते हैं जो लंबे समय तक शांत रहने के बाद अचानक सक्रिय हो जाते हैं इनके अचानक सक्रिय हो जाने पर जन धन की छाती होती है भारत में अंडमान निकोबार द्वीप समूह के नारकोंडम द्वीप में निष्क्रिय ज्वालामुखी है।

3. शांत ज्वालामुखी

शांत ज्वालामुखी उन ज्वालामुखियों को कहते हैं जिनका मुंह बंद हो जाता है और मुंह में जल भर जाने से झील का निर्माण हो जाता है जिसे क्रेटर झील कहते हैं म्यांमार का पोपा तथा ईरान का कोह सुल्तान शांत ज्वालामुखी है।

ज्वालामुखीय‌ पदार्थ

ज्वालामुखी विस्फोट से गैस जलवाष्प पायरोक्लास्टिक पदार्थ ज्वालामुखी बम धूल और राख आदि निकलते हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया है।

1. गैसे

किसी भी ज्वालामुखी विस्फोट के समय हाइड्रोजन और सल्फर के साथ-साथ कार्बन डाइऑक्साइड जैसे गैस भी निकलते हैं जिसमें से ज्यादातर गैस सीधे वायुमंडल में फैल जाते हैं इन गैसों का ताप बहुत ज्यादा होता है।

2. लावा

ज्वालामुखी की बनावट लावा की प्रकृति पर निर्भर करती है सिलिका की मात्रा के आधार पर लावा के दो प्रकार हैं।

एसिड लावा किस लावा में सिलिका की अधिक मात्रा होती है जिससे यह काफी गाढ़ा और चिपचिपा होता है इसे धरती पर अधिक खेलने का मौका नहीं मिलता है।

बेसिक लावा इसमें सिलिका की मात्रा कम होती है यह एसिड लावा के अपेक्षा अधिक पतला होता है जिससे यह धरातल पर दूर तक फैलता है।

3. ठोस पदार्थ

जब भी कोई ज्वालामुखी विस्फोट होता है तो उससे बहुत सारे ठोस पदार्थ जैसे चट्टान के टुकड़े ज्वालामुखी बम धूल और राख निकलते हैं।

ज्वालामुखी के प्रभाव

ज्वालामुखी विस्फोट एक विनाशकारी घटना है जिसमें लाखों लोग एक साथ घायल हो जाते हैं। अप्रैल 1815 में इंडोनेशिया में विश्व का सबसे विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था जिसमें 92000 लोग मारे गए थे।

इसी प्रकार आइसलैंड, जापान, फिलीपींस आदि देशों के ज्वालामुखी विस्फोट से बहुत सारी जान चली गई है। ज्वालामुखी विस्फोट से बहुत सारा नुकसान होता हैं।

जहां भी ज्वालामुखी विस्फोट होता है वहां के जंगल इत्यादि जल जाते हैं। जानवरों को भी अनेक प्रकार के नुकसान होते है।

ज्वालामुखी से इंसान को कुछ लाभ भी है। इससे भू-तापीय ऊर्जा, उपजाऊ मिट्टी, खनिज पदार्थ इत्यादि प्राप्त होते हैं। लेकिन लाभ की तुलना में ज्वालामुखी के नुकसान बहुत ज्यादा है।

भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट में अंतर

भूकंपज्वालामुखी विस्फोट
भूकंप पृथ्वी की सतह का हिलना है। ज्वालामुखी पृथ्वी के अंदर से निकलने वाले गैस तरल लावा, जल और चट्टान के निकलने की घटना है।
भूकंप पृथ्वी में मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण होता है। ज्वालमुखी तब होता है जब गर्म मैग्मा का दबाव पृथ्वी की सतह के नीचे बढ़ जाता है।
भूकंप दुनिया के किसी भी हिस्से में हो सकता है। ज्वालामुखी केवल पृथ्वी के निश्चित स्थानों पर होता है।
भूकंप से बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हो सकता है और मानव मृत्यु हो सकती है। मनुष्य ज्वालामुखियों के पास रहना पसंद नहीं करते हैं इसलिए इससे उतना नुकसान नहीं होता जितना भूकंप से होता है।

आशा है ज्वालामुखी की जानकारी आपको पसंद आयी होगी।

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