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चलिए आज हम ग्रह की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
ग्रह किसे कहते हैं
ग्रह शब्द का अर्थ – ‘भटकने वाला’ होता हैं। ऐसा इसलिए कहाँ जाता हैं क्योंकि ग्रह आकाश में बिना रुके घूमते रहते हैं। तारे भी आकाश में पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं लेकिन एक दूसरे के सापेक्ष वह स्थिर दिखाई देते हैं।
अतः हम ग्रह को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं।
एक तारे अर्थात् सूर्य की परिक्रमा करने वाला एक खगोलीय पिंड जो अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण गोल होता है।
जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता है उसके आसपास के क्षेत्र साफ हो यानी आसपास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़-भाड़ ना हो वह ग्रह कहलाता है। ग्रह स्वयं की गर्मी या प्रकाश का उत्सर्जन नहीं करते हैं।
ग्रह एक विशाल खगोलीय पिंड है जो निश्चित कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करता है। ग्रहों का अपना कोई प्रकाश नहीं होता लेकिन वह सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं। पृथ्वी भी एक ग्रह है और ब्रह्मांड में एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है।
सूर्य से दूरी के क्रम में ग्रहों के नाम
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण
बढ़ते आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम
बुध, मंगल, शुक्र, पृथ्वी, वरूण, अरुण, शनि और बृहस्पति अर्थात सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति और सबसे छोटा ग्रह बुध है।
घनत्व के अनुसार बढ़ते क्रम में ग्रहों के नाम
शनि, अरुण, बृहस्पति, वरुण, मंगल, शुक्र, बुध और पृथ्वी अर्थात शनि का घनत्व सबसे कम और पृथ्वी का घनत्व सबसे अधिक है।
घटते क्रम में द्रव्यमान के अनुसार ग्रहों के नाम
बृहस्पति, शनि, वरुण, अरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल और बुध अर्थात सबसे अधिक द्रव्यमान वाला ग्रह बृहस्पति और सबसे कम द्रव्यमान वाला ग्रह बुध है।
परिक्रमण वेग के अनुसार बढ़ते क्रम में ग्रहों के नाम
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण अर्थात बुध का परिक्रमण वेग सबसे कम और वरुण का सबसे अधिक है। यहां हमें यह समझ में आता है कि जो ग्रह सूर्य से जितना दूर है उसका परिक्रमण वेग उतना ही अधिक है।
परिभ्रमण वेग के अनुसार बढ़ते क्रम में ग्रहों के नाम
बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, मंगल, बुध एवं शुक्र अर्थात बृहस्पति का परिभ्रमण वेग सबसे कम और शुक्र का सबसे अधिक है।
अपने अक्ष पर झुकाव के आधार पर बढ़ते क्रम में ग्रहों के नाम
शुक्र, बृहस्पति, बुध, पृथ्वी, मंगल, शनि, वरुण और अरुण अर्थात शुक्र का अपने अक्ष पर झुकाव सबसे कम और अरुण का सबसे अधिक है।
ग्रहों के प्रकार
ग्रहों को दो भागों में बांटा गया है।
1. पार्थिव या आंतरिक ग्रह :- बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह को पार्थिव ग्रह कहा जाता है क्योंकि यह पृथ्वी के ही समान है। दूसरे शब्दों में घनत्व अधिक होने के कारण इन्हें पार्थिव ग्रह कहा जाता है।
2. वृहस्पति या बाह्य ग्रह :- बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण को बृहस्पति या बाह्य ग्रह कहा जाता है।
ग्रहों के नाम और उनकी व्याख्या
हमारे सौरमंडल में कुल 8 ग्रह है जिनके नाम और उनकी संक्षिप्त व्याख्या नीचे दी गई है।
1. बुध
बुध सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है। जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है। यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है। सूर्य से इसकी दूरी 5.83 किलोमीटर है।
शुक्र के अलावा बुध को भी भोर और शाम का तारा कहा जाता है। बुध सौरमंडल का सर्वाधिक कक्षीय गति वाला ग्रह है। जो 48 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय 88 दिन में पूरा कर लेता है।
2. शुक्र
यह पृथ्वी का सबसे नजदीकी ग्रह है जिसकी दूरी पृथ्वी से लगभग चार करोड़ किलोमीटर है।
यह सूर्य का दूसरा निकटवर्ती ग्रह है और सूर्य की परिक्रमा 225 दिनों में पूरी करता है। शुक्र अपने अक्ष पर पूरब से पश्चिम की ओर घूर्णन करता है। यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।
3. पृथ्वी
पृथ्वी सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा और आकार में पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है। यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड में सूर्य का एक चक्कर पूरा करती है।
4. मंगल
मंगल सौरमंडल में सूर्य से दूरी के क्रम में चौथे और आकार में सातवें स्थान पर आता है।
यह अपने अक्ष पर 24 घंटे 37 मिनट और 23 सेकेंड में एक घूर्णन पूरा करता है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते हैं।
5. वृहस्पति
बृहस्पति सौरमंडल में आकार में सबसे बड़ा ग्रह है। यह अपने अक्ष पर सौरमंडल का सर्वाधिक तेज गति से घूर्णन करने वाला ग्रह है।
यह अपने अक्ष पर 9 घंटे 55 मिनट में एक बार चक्कर लगा लेता है। इसका परिक्रमण काल 11.86 वर्ष है।
6. शनि
शनि आकार में सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा तथा सूर्य से दूरी के क्रम में छोटा ग्रह है। यह आकाश में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है।
यह अपने अक्ष पर 10 घंटा 40 मिनट में एक बार घूर्णन कर लेता है और यह सूर्य की एक परिक्रमा 29.5 वर्षों में पूरा करता है।
7. अरुण
अरुण आकार में सौर मंडल का तीसरा तथा दूरी में सातवें स्थान पर है। यह अपने अक्ष पर लगभग 10 घंटे 48 मिनट में एक चक्कर लगा लेता है। जबकि इसका परिक्रमा समय 84 साल है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी से 14.54 गुना अधिक है।
8. वरुण
वरुण ग्रह सूर्य से दूरी के क्रम में आठवां ग्रह है। यह अपने अक्ष पर 17.1 घंटे में एक चक्कर लगा लेता है। जबकि सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में इसे 164.8 वर्ष का समय लगता है।
उपग्रह क्या हैं
ग्रहों के पास अन्य पिंड होते हैं जो उनकी परिक्रमा करते हैं। इन्हें उपग्रह कहते हैं। चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है।
ग्रहों की भांति इनके पास भी अपना प्रकाश नहीं होता है और यह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते है। बुध और शुक्र ही ऐसे दो ग्रह हैं जिनका कोई उपग्रह नहीं है।
क्षुद्रग्रह किसे कहते हैं
मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे-छोटे आकाशीय पिंड होते हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं उन्हें छुद्र ग्रह कहते हैं। क्षुद्रग्रहों को लघु ग्रह के रूप में भी जाना जाता है।
सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह सेरेस है जिसका व्यास लगभग 952 किमी (592 मील) है।
उल्का पिंड किसे कहते हैं
कभी-कभी एक क्षुद्रग्रह दूसरे से टकरा सकता है। इससे क्षुद्रग्रह के छोटे-छोटे टुकड़े टूटते हैं। उन टुकड़ों को उल्कापिंड कहा जाता है।
यदि कोई उल्कापिंड पृथ्वी के काफी करीब आता है और पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो यह वाष्पीकृत होकर उल्का में बदल जाता है।
धूल और गैस से बने यह पिंड जब वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण तेजी से पृथ्वी की ओर आते हैं और वायुमंडल के साथ घर्षण के द्वारा गर्म हो जाने पर प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में दिखाई पड़ते हैं। इसलिए इन्हें शूटिंग स्टार मतलब टूटता तारा भी कहा जाता है।
बौने ग्रह किसे कहते हैं
बौने ग्रह वैसे खगोलीय पिंड होते हैं जो एक ग्रह माने जाने के लिए अपर्याप्त होते हैं। वर्तमान में, पांच बौने ग्रह सेरेस, प्लूटो, एरिस, हौमिया और माकेमेक है।
क्या प्लूटो एक ग्रह हैं
2006 तक, प्लूटो को एक ग्रह माना जाता था क्योंकि यह एक ग्रह की कई विशेषताओं को दर्शाता था।
लेकिन इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने ग्रह की एक नई परिभाषा दी जिसके अनुसार ग्रह एक ऐसी वस्तु है जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाता है।
लगभग यह एक गोलाकार आकृति का होता है। उनके पास पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल होता है।
प्लूटो अंतिम शर्त को पूरा नहीं करता है क्योंकि इसकी कक्षा धूमकेतु जैसी वस्तु से घिरी हुई है। इसलिए, इसे अब बौना ग्रह कहा जाता है।
सभी ग्रहों के उपग्रहों के नाम
नीचे सभी ग्रहों और उनके उपग्रहों के नामों को बताया गया है।
बुध : बुध का कोई उपग्रह नहीं है।
शुक्र : शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है।
पृथ्वी : पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चाँद है।
मंगल : मंगल के पास फोबोस और डीमोस नामक दो उपग्रह हैं।
बृहस्पति : बृहस्पति के उपग्रह की संख्या 63 है। जिसमें गैनीमिड सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है। आयो यूरोपा, कैलिस्टो, मेटिस, हिमालिया, पारसीफाई, अलमथिया आदि इसके अन्य उपग्रह है।
शनि : शनि के उपग्रहों की संख्या 62 है। जिसमें सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है। इसके अलावा लापेटस, डायोन, टेपिस, इनसेलाइट, मिमास, फोबे, पंडोरा इत्यादि प्रमुख हैं।
अरुण : अरुण के उपग्रहों की संख्या 27 है। जिसमें टिटेनिया सबसे बड़ा उपग्रह है। इसके अलावा ओवेरॉन, मिरांडा, पोर्टिया इसके अन्य उपग्रह है। पोर्टिया अरुण का सबसे छोटा उपग्रह है।
वरुण : वरुण के उपग्रहों की संख्या 13 है। जिसमें टिट्रान प्रमुख है।
ग्रहों और तारों के बीच अंतर
तारों और ग्रहों के बीच निम्नलिखित अंतर पाए जाते हैं।
ग्रह | तारे |
---|---|
ग्रहों का तापमान तारों की अपेक्षा कम होता है। | तारे बहुत अधिक गर्म होते हैं जिनका तापमान उच्च होता है। |
ग्रह अपना प्रकाश स्वयं उत्पन्न करने में असमर्थ होते हैं। | तारे ऐसे खगोलीय पिंड हैं जो अपना स्वयं का प्रकाश उत्पन्न करती हैं और प्रकाश के उत्पादन के लिए किसी बाहरी स्रोत पर निर्भर नहीं होती। |
ग्रह अपनी-अपनी धुरी पर कक्षाओं में लगातार अपनी स्थिति बदलते रहते हैं। | तारे अपनी स्थिति बदलते हैं। |
ग्रहों में ठोस, तरल पदार्थ, गैस या उनका संयोजन होता है। | तारों में हाइड्रोजन, हीलियम और अन्य प्रकाश तत्व जैसे पदार्थ होते हैं। |
एक्सोप्लैनेट क्या हैं
एक्सोप्लैनेट वह ग्रह हैं जो हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं। एक्सोप्लैनेट को एक्स्ट्रासोलर ग्रह भी कहा जाता है।
अब तक खोजे गए अधिकांश एक्सोप्लैनेट आकाशगंगा में स्थित हैं।
एक एक्सोप्लैनेट का पहला सबूत 1917 में नोट किया गया था लेकिन इसे मान्यता नहीं दी गई थी।
इसके बाद एक अलग ग्रह की पुष्टि हुई, जिसका मूल रूप से 1988 में पता चला था। 22 जून 2021 तक, 3,527 ग्रह प्रणालियों में 4,768 पुष्ट एक्सोप्लैनेट हैं।
कृत्रिम उपग्रह क्या हैं
जब किसी पिंड को पृथ्वी के तल से कुछ 100 किलोमीटर ऊपर आकाश में भेजकर उसे लगभग 8 किलोमीटर प्रति सेकंड का क्षैतिज वेग दे तो यह पिंड पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में परिक्रमण करने लगता है। ऐसे पिंड को कृत्रिम उपग्रह कहते हैं।
आसान भाषा में मानव के द्वारा बनाया गया उपग्रह जिसे मानव द्वारा आकाश में छोड़ा जाता है। उसे कृत्रिम उपग्रह अर्थात सेटेलाइट कहते हैं।
ग्रहों के उपनाम
ग्रह | उपनाम |
---|---|
सूर्य के निकट ग्रह | बुध |
सर्वाधिक ताप वाला ग्रह | बुध |
सर्वाधिक तीव्र परिक्रमा करने वाला ग्रह | बुध |
सबसे छोटा ग्रह | बुध |
शाम का तारा | बुध और शुक्र |
भोर का तारा | बुध और शुक्र |
आंतरिक ग्रह | बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल |
पृथ्वी के निकट ग्रह | शुक्र |
प्रेशर कुकर दशा वाला ग्रह | शुक्र |
सर्वाधिक गर्म ग्रह | शुक्र |
पृथ्वी की जुड़वा बहन | शुक्र |
सबसे कम घूर्णन गति वाला ग्रह | शुक्र |
वह ग्रह जिसका एक दिन उसके एक साल से बड़ा होता है। | शुक्र |
सौंदर्य का देवता | शुक्र |
नीला ग्रह | पृथ्वी |
लाल ग्रह | मंगल |
सर्वाधिक तीव्र गति से घूर्णन करने वाला ग्रह | बृहस्पति |
गैसों का गोला | शनि |
सर्वाधिक चपटा ग्रह | शनि |
हरा रंग का दिखने वाला ग्रह | अरुण और वरुण |
पश्चिम में सूर्य उदय और पूर्व में सूर्यास्त होने वाला ग्रह | शुक्र और अरुण |
सबसे ठंडा ग्रह | अरुण |
लेटा हुआ ग्रह | अरुण |
सूर्य से सबसे दूर ग्रह | वरुण |
आकाशगंगा के जैसा ग्रह | शनि |
FAQs About Planets
Ans : प्रदूषण के कारण हवा में कई कण होते हैं, जो दूर के तारों और ग्रहों से आने वाली रोशनी को सोख लेते हैं। और इसीलिए, शहरों में तारों की रोशनी बहुत कम होती है और उन्हें देखना लगभग असंभव होता है।
Ans : ग्रह गोल होते हैं क्योंकि ग्रहों के पास अपना गुरुत्वाकर्षण होता है। लेकिन सभी ग्रह पूरी तरह गोल नहीं होते हैं। उनके आकार और सतहों में खामियां होती हैं, लेकिन वह मोटे तौर पर गोल होते हैं।
Ans : तारे टिमटिमाते हैं, ग्रह नहीं। ग्रहों के बीच की दूरी के कारण ग्रह चमकते दिखाई देते हैं। तारे पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरते समय अपवर्तन के कारण टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं। दूसरी ओर, ग्रह पृथ्वी के बहुत करीब होते हैं।
ग्रहों के मामले में भी अपवर्तन देखा जाता है जब उनसे प्रकाश पृथ्वी की सतह में प्रवेश करता है। लेकिन ग्रह के दोनों टर्मिनलों से यह प्रकाश विपरीत दिशा में एक-दूसरे से दूर हो जाता है और अपवर्तन के प्रभाव को समाप्त कर देता है। इसलिए, ग्रह स्थिर दिखाई देते हैं।
Ans : नहीं, क्षुद्रग्रह बौने ग्रह नहीं हैं। मुख्य रूप से बृहस्पति और मंगल के बीच में सूर्य की परिक्रमा करने वाले चट्टानी पिंडों को क्षुद्रग्रह के रूप में जाना जाता है। अधिकांश क्षुद्रग्रह गोलाकार नहीं होते हैं, इसलिए वह बौने ग्रह नही कहे जा सकते हैं।
Ans : ग्रह एक तारे के चारों ओर निश्चित पथ में परिक्रमा करते हैं जिन्हें कक्षाएँ कहा जाता है।
Ans : ग्रहों द्वारा सूर्य के एक बार चक्कर लगाने में लगने वाले समय को इसकी परिक्रमण अवधि के रूप में जाना जाता है।
Ans : एक ग्रह अपनी धुरी पर घूमता है जिसे घूर्णन कहा जाता है।
Ans : सबसे निकटतम एक्सोप्लैनेट का नाम प्रॉक्सिमा सेंटॉरी बी है। यह एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के सबसे निकट के तारे की परिक्रमा करता है, जिसका नाम प्रॉक्सिमा सेंटॉरी है।
Ans : लगभग 4,000 एक्सोप्लैनेट की पुष्टि की गई है। यह एक्सोप्लैनेट 3,096 सोलर सिस्टम में पाए गए थे। इन सिस्टम में से, 678 सिस्टम में एक से अधिक ग्रह हैं।
Ans : सबसे छोटे एक्सोप्लैनेट को ड्रगर नाम दिया गया है। इसके आकार को समझने के लिए यह एक्सोप्लैनेट चंद्रमा के द्रव्यमान का दोगुना है।
Ans : इसे स्वीप-11/स्वीप-04 नाम दिया गया है। यह 27,710 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
Ans : हां, जब ग्रह सूर्य के करीब होते हैं तो वह तेजी से आगे बढ़ते हैं क्योंकि कक्षा की लंबाई कम होती है।
Ans : सौर मंडल में आठ ग्रह, उपग्रह, धूमकेतु और बौने ग्रह शामिल हैं। क्षुद्रग्रह और उल्कापिंड ग्रहों के अलावा अन्य सौर मंडल के सदस्य हैं।
Ans : पृथ्वी से केवल पहले पांच ग्रह नग्न आंखों से दिखाई देते हैं: बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि।
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