ब्रह्माण्ड क्या हैं, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, इतिहास, ब्रह्माण्ड का चित्र और सिद्धांत

इस पेज पर आप ब्रह्माण्ड की जानकारी को पढ़कर समझेंगे जैसे ब्रह्माण्ड की परिभाषा, उत्पत्ति, इतिहास, चित्र और सिद्धांत आदि।

पिछले पेज पर हमने ग्रह की जानकारी शेयर की हैं यदि आप ग्रह की जानकारी पढ़ना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को भी पढ़े। चलिए आज हम ब्रह्माण्ड की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

ब्रह्माण्ड क्या हैं

सूक्ष्मतम मतलब छोटे अणुओं से लेकर बड़े-बड़े आकाशगंगा तक के सम्मिलित रूप को ब्रह्मांड कहते हैं। ब्रह्मांड के अंदर आकाशगंगा, तारे, सूर्य, चंद्र, ग्रह और उपग्रह इत्यादि पाए जाते हैं।

ब्रह्मांड इतना बड़ा है कि इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इसके व्यास का कोई भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। बस एक अनुमान यह है कि यह अनंत हो सकता हैं।

ब्रह्माण्ड का चित्र

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ब्रह्माण्ड

ब्रह्माण्ड का इतिहास

मिस्त्र यूनानी खगोल शास्त्री क्लॉडियस टॉलमी ने सबसे पहले ब्रह्मांड का अध्ययन किया और 140 ईसवी में अपनी भू-केंद्रीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत में पृथ्वी को ब्रह्मांड का केंद्र माना गया।

इसके बाद पोलैंड के खगोल शास्त्री निकोलस कॉपरनिकस ने यह बताया कि सूर्य ब्रह्मांड का केंद्र है जिसकी ग्रह परिक्रमा करते हैं। इसे सूर्य केंद्रीय सिद्धांत कहा गया हैं।

इसी कारण से कोपरनिकस को आधुनिक खगोल शास्त्र का जनक माना जाता हैं।

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति

ब्रह्मांड की उत्पत्ति में मुख्य चार सिद्धांत निम्नलिखित हैं।

  • महाविस्फोट सिद्धांत
  • सतत सृष्टि सिद्धांत
  • दोलन सिद्धांत
  • स्थिति सिद्धांत

1. महाविस्फोट सिद्धांत

अभी के समय में यह सिद्धांत सबसे ज्यादा माना जाता है। इस सिद्धांत का प्रतिपादन जॉर्ज लैमेंतेयर ने किया लेकिन आगे चलकर सन 1967 ईस्वी में रॉबर्ट बेगोनर ने इस सिद्धांत की व्याख्या की।

इस सिद्धांत के अनुसार शुरुआत में वह सभी पदार्थ जिनसे ब्रह्मांड बना है एक ही स्थान पर थे, जिनसे उनका तापमान और घनत्व बहुत अधिक था।

अत्यधिक तापमान और घनत्व के कारण उनमें अचानक विस्फोट हुआ जिसे ब्रह्मांड विस्फोट या बिग बैंग कहा जाता हैं।

वैज्ञानिकों का विश्वास है कि महा विस्फोट की घटना आज से 13.7 अरब वर्ष पहले हुई थी।

महा विस्फोट के लगभग 10.5 अरब वर्ष बाद सौरमंडल का विकास हुआ जिसमें ग्रह और उपग्रह का निर्माण हुआ।

2. स्फिति सिद्धांत

इस सिद्धांत का प्रतिपादन अलेन गुथ ने किया था। इस सिद्धांत के अनुसार बिग बैंग विस्फोट के बाद एक सेकेंड के लिए ब्रह्मांड का विस्तार बहुत तेजी से हुआ लेकिन उसके बाद ब्रह्मांड के विस्तार की गति धीमी पड़ गई और आज तक ब्रह्मांड का विस्तार धीरे-धीरे हो रहा है।

3. सतत सृष्टि सिद्धांत

इस सिद्धांत का प्रतिपादन थॉमस गोल्ड और हर्मन बांडी ने किया था। इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड का ना ही कोई शुरुआत है और ना ही कोई अंत। यह हमेशा से अपरिवर्तित रहा है।

हमारे ब्रह्मांड में नए-नए आकाशगंगा बनते रहते हैं लेकिन फिर भी हमारे ब्रह्माण्ड का घनत्व एक समान रहता है।

4. दोलन सिद्धांत

इस सिद्धांत का प्रतिपादन डॉ एलन संडेजा ने किया था। यह सिद्धांत महा विस्फोट सिद्धांत का ही एक रूप है।

इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार आखिर में रुक जाएगा और एक आकाशगंगा सिमटकर दूसरा महा विस्फोट करेगा। इसी तरह ब्रह्माण्ड के विस्तार होने की प्रक्रिया चलती रहेगी।

ब्रह्माण्ड में उपलब्ध अनेक रचनाएं

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1. आकाशगंगा

एक आकाशगंगा अनगिनत तारों का समूह होता है। आकाशगंगा का विस्तार इतना अधिक होता है कि उनकी दूरी हजारों प्रकाश वर्षों में मापी जाती है। एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80,000 से 1,50,000 प्रकाशवर्ष के बीच हो सकता हैं।

एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने बादल सी होती है जिसे निहारिका कहा जाता है। पूरे ब्रह्मांड में लगभग 100 मिलियन से अधिक आकाशगंगा है। इनमें से 10 बिलियन अकाशगंगा को दूरबीन से देखा जा सकता हैं।

प्रत्येक आकाशगंगा में लगभग 100 अरब तारे होते हैं। ओरियन नेबुला हमारी आकाशगंगा के सबसे ठंडे और चमकीले तारों का समूह हैं।

2. तारामंडल

आकाशगंगा में पाए जाने वाले तारे विशेष आकृति में व्यवस्थित होते हैं जिसे तारामंडल कहते हैं। इनमें सबसे बड़ा तारामंडल सेंटॉरस है जिसमे 94 तारे हैं। हाइड्रा तारामंडल में 68 तारे हैं।

अनेक तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। ब्रह्माण्ड में पृथ्वी के 27 नक्षत्र हैं। जिनमें से मेधा, स्वाति, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, रोहिणी, कृतिका, रेवती, अश्लेषा इत्यादि मुख्य है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा के दौरान 12 तारे समूह से होकर गुजरती हैं।

3. ग्रह

Planets

ग्रह वह खगोलीय पिंड है जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, जिनमें गुरुत्वाकर्षण बल होता है और जिनके आसपास के क्षेत्र साफ होते हैं। हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह है।

निहारिका को सौरमंडल का जनक माना जाता है। इसके क्रोड के बनने की शुरुआत लगभग 5 अरब वर्ष पहले हुई और ग्रह लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले बने।

आठ ग्रहों में बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल भीतरी ग्रह कहलाते हैं क्योंकि यह सूर्य और क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच स्थित है। अन्य चार ग्रह बाहरी ग्रह कहलाते हैं।

अभी तक प्लूटो को भी एक ग्रह माना जाता था लेकिन अगस्त 2006 में प्लूटो को बौने ग्रह में गिना जाने लगा।

4. सूर्य

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सूर्य हमारे सौरमंडल का केंद्र है। यह हमारी आकाशगंगा के केंद्र से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है।

यह आकाशगंगा के केंद्र की ओर 250 किलोमीटर/सेकंड की गति से परिक्रमा कर रहा है। इसे परिक्रमा करने में 25 करोड़ वर्ष लगते हैं जिसे ब्रह्मांड वर्ष कहते हैं।

सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार किलोमीटर है जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है। यह हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है। सूर्य प्रतिवर्ष 12 तारामंडल से होकर गुजरता है।

प्रत्येक माह सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में ट्रांसिट करता है इसे संक्रांति कहते हैं। सूर्य की वर्तमान आयु 4.78 वर्ष है जबकि इसकी कुल आयु लगभग 10 अरब वर्ष है।

5. बौने ग्रह

IAU ने ओस्लो बैठक के बाद कहा कि नेपच्यून के बाद या उससे दूर कोई भी गोल आकार वस्तु जिसमें गुरुत्वाकर्षण बल होगी उसे बौने ग्रह की श्रेणी में रखा जाएगा।

24 अगस्त 2006 को प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से अलग कर बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया। प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से निकाले जाने का मुख्य कारण आकार में चंद्रमा से छोटा होना, इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना और वरुण की कक्षा को काटना था।

सेरस भी एक बौना ग्रह है। जिस की खोज 1801 ई० में इटली के गुसेपी पियाजी ने किया था। इसका व्यास 1025 किलोमीटर है जो बुध के व्यास का ⅕ भाग हैं।

6. क्षुद्र ग्रह

मंगल और बृहस्पति ग्रह के ऑरबिट के बीच कुछ छोटे-छोटे पिंड होते है जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं उसे छुद्र ग्रह कहते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के कारण टूटे टुकड़ों से छुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है।

क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराते हैं तो पृथ्वी के तल पर एक विशाल गर्त बनता है। महाराष्ट्र में लोनार झील ऐसा ही एक गर्त है। फोर वेस्टा एकमात्र ऐसा छुद्र ग्रह है जिसे नंगी आंखों से देखा जा सकता हैं।

एक किलो मीटर व्यास के एक क्षुद्र ग्रह का वजन लगभग 2 बिलियन टन होता है और हमारे सौरमंडल में इस तरह के लगभग 10 लाख छुद्र ग्रह है।

पृथ्वी के आसपास हजारों छुद्र ग्रह है जिनके पृथ्वी से टकराने की संभावना है। ऐसा ही एक क्षुद्र ग्रह एक एपोफिस है जो 2036 ईस्वी में पृथ्वी के पास से गुजरेगा।

7. धूमकेतु या पुच्छल तारा

धूमकेतु या पुच्छल तारा वह आकाशीय पिंड है जो धूल, बर्फ, जलकणों और हिमानी गैसों के चट्टानी तथा धातुई पिंडे से बने होते हैं।

यह सूर्य के चारों ओर की कक्षा में घूमते हैं। धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से उलटी दिशा में होती दिखाई देती हैं।

सबसे पहले धूमकेतु की खोज टायको ब्राहे ने किया था। हेली नामक धूमकेतु का परिभ्रमण काल 76 वर्ष है। यह अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था।

अगली बार यह 2062 में दिखाई देगा। धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता हैं।

8. उल्का या केतु

यह अंतरिक्ष में तेज गति से घूमते हुए बहुत ही छोटे कण होते हैं। धूल और गैस से बने यह पिंड जब वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण तेजी से पृथ्वी की ओर आते हैं इसे टूटता तारा भी कहा जाता हैं।

सामान्य रूप से उल्का परमाणु 95 किलोमीटर की ऊंचाई पर उल्का बन जाते हैं। पृथ्वी के धरातल से 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचते-पहुंचते सभी उल्का नष्ट हो जाते हैं।

जब उल्का जलकर नष्ट हो जाते हैं तो एक पिंड के रूप में पृथ्वी पर आकर गिरते हैं तब उसे उल्कापिंड कहते हैं। पृथ्वी पर मिलने वाला सबसे बड़ा उल्कापिंड होबा वेस्ट हैं।

9. उपग्रह

उपग्रह वह आकाशीय पिंड हैं जो अपने से बड़े ग्रहों की परिक्रमा करते हैं। ग्रहों के जैसे इनका अपना कोई प्रकाश नहीं होता है। यह सूर्य के प्रकाश से चमकते हैं।

बुध और शुक्र ग्रह के पास अपना कोई सेटेलाइट नहीं है। पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है। सबसे ज्यादा उपग्रह बृहस्पति के पास हैं।

उपग्रह दो प्रकार के होते हैं एक प्राकृतिक जो सौरमंडल में पहले से मौजूद होते हैं और दूसरे मानव निर्मित जिन्हें मनुष्य द्वारा बनाकर सौरमंडल में भेजा जाता हैं।

ब्लैक होल क्या है

अगर हम आसान भाषा में कहें तो ब्लैक वह एक ऐसी जगह है जिसका गुरुत्वाकर्षण बल बहुत अधिक होता है। यह किसी भी चीज को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है।

इस दुनिया में मौजूद हर चीज ब्लैक होल बन सकती है अगर उसका घनत्व और गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक हो।

ब्लैक होल ऐसा ही एक जगह है जिसका घनत्व और गुरुत्वाकर्षण बल बहुत अधिक होता है जिस कारण यह प्रकाश को भी अपनी तरफ खींच लेती है। ब्लैक होल बड़े या छोटे हो सकते हैं।

वैज्ञानिकों को लगता है कि सबसे छोटे ब्लैक होल सिर्फ एक परमाणु जितने छोटे होते हैं। ब्लैक होल भले ही बहुत छोटे होते हैं लेकिन इनका घनत्व एक बड़े पर्वत के बराबर होता है।

एक अन्य प्रकार के ब्लैक होल को “तारकीय” कहा जाता है। इसका घनत्व सूर्य के घनत्व से 20 गुना अधिक हो सकता है।

सबसे बड़े ब्लैक होल को “सुपरमैसिव” कहा जाता है। वैज्ञानिकों को इस बात का सबूत मिला है कि हर बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल होता है।

ब्रह्मांड के बारे में रोचक तथ्य

1. डार्क मैटर

हमेशा से हम यह सोचते हैं कि ब्रह्मांड में वही चीजें मौजूद हैं जिन्हें हम देख पाते हैं जैसे ग्रह सूर्य तारे इत्यादि। लेकिन टेक्नोलॉजी जैसे-जैसे विकसित हुई हमें यह पता चला है कि ब्रह्मांड सिर्फ इन्हीं चीजों से नहीं बनी है।

जिन चीजों को आप ब्रह्मांड में देखते या जानते हैं जैसे सूर्य चंद्रमा ग्रह तारे छुद्र ग्रह उल्कापिंड इत्यादि। वह इस पूरे ब्रह्मांड का केवल 5% है। बाकी 95% ब्रह्मांड तो डार्क मैटर और डार्क एनर्जी से बनी है।

डार्क मैटर को हम लोग डायरेक्टली नहीं देख सकते हैं। किसी भी वैज्ञानिक ने अभी तक इसे पूरी तरह नहीं समझा पाया है। और यह अभी तक यह एक रहस्य बना हुआ है।

2. ब्रह्मांड का विस्तार

वैज्ञानिकों ने हमेशा से यह पता करने की कोशिश की है कि हमारा ब्रह्मांड कितना बड़ा है और बाद में हमें यह पता चलता है कि ब्रह्मांड का कोई अंत नहीं है यह अनंत है।

आधुनिक तकनीक से हमें यह पता चला है कि इसका आकार 93 बिलियन प्रकाश वर्ष है लेकिन 1929 में एक वैज्ञानिक ने यह पता किया कि ब्रह्मांड दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जैसा कि ऊपर हमने महा विस्फोट सिद्धांत के बारे में बताया उस विस्फोट से अभी भी हमारे ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है।

3. अजीब संकेत

15 अगस्त 1977 को एक रेडियोस्कोप ने एक सिग्नल को कैच किया जो ब्रह्मांड से आ रही थी। एक कंप्यूटर ने उन सिग्नल से आने वाले सभी तरंगों को नोट किया।

फिर उस सिग्नल को एक वैज्ञानिक ने देखा और उन्होंने बताया कि सिग्नल का मतलब WOW है।

उसके बाद सालों तक वैज्ञानिक दूसरे सिग्नल की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन उस दिन से लेकर आज तक उन्हें कोई भी सिग्नल वापस नहीं मिला।

4. धातुओं का जुड़ना

अगर आप ब्रह्मांड में एक ही धातु के दो टुकड़े को एक बार के लिए जोड़ देंगे तो वह हमेशा के लिए जुड़ जाएगी। इसे हम ओल्ड वेल्डिंग कहते हैं। यह घटना धरती पर हवा होने के कारण नहीं होती है।

5. हाइड्रोजन और हीलियम को छोड़कर पृथ्वी पर पाए जाने वाली प्रत्येक वस्तु स्टारडस्ट मतलब तारों की धूल से बनी हुई है।

6. हमारी आकाशगंगा में 200 अरब तारे हैं। फिर भी यह सबसे बड़ी आकाशगंगा नहीं है। अब तक की खोजी गई आकाशगंगा में से सबसे बड़ी आकाशगंगा आईसी 1101 है जिसमें 100 ट्रिलियन तारे हैं।

7. अगर हम प्रकाश की गति से अपने सबसे नजदीकी आकाशगंगा में जाना चाहे तो हमें 20 साल लगेंगे।

8. अगर आप 1 मिनट में 100 तारे गिने तो आप 2000 साल में एक पूरी आकाश गंगा गिन देंगे।

9. बाहरी अंतरिक्ष से, कॉस्मिक किरणें हमारे सौर मंडल में आती हैं, जो अत्यधिक ऊर्जावान कण होते हैं। लेकिन अभी तक हम यह नहीं पता है की इनकी उत्पति कहा से होती है।

10. अंतरिक्ष यात्री कहते हैं कि, अंतरिक्ष गर्म धातु, वेल्डिंग धुएं और सीर स्टेक की तरह महकता है।

11. अंतरिक्ष में जाने के लिए अलग तरह के कपड़े पहनने पड़ते हैं, जिसे आसान भाषा में अंतरिक्ष सूट कहते हैं। इस सूट की कीमत लगभग 12 मिलियन डॉलर होती है यानी हमारे 75,24,05,400 रुपये के बराबर। 

12. नासा ने एक “waterworld” नामक ग्रह की खोज की है जो पृथ्वी से लगभग 40 प्रकाश वर्ष दूर है परन्तु इस पर खतरनाक पदार्थ हो सकते हैं।

जैसे :- Hot Ice और Superfluid Water

13. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री रोजाना 15 सूर्योदय और 15 सूर्यास्त देखते हैं।

14. वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर हीरे का बना हुआ ग्रह है जिसका नाम 55 Cancri-e हैं।

15. अनेक सिद्धांतों के अनुसार हमारे ब्रह्माण्ड की तरह ही कई और भी ब्रह्माण्ड हैं जिसे हम समांतर ब्रह्मांड या Parallel Universe कहते हैं।

16. लगभग 10,000 प्रकाश-वर्ष दूर, 463,000,000,000 किमी० से भी ज्यादा क्षेत्र में अल्कोहल से बना बादल फैला हुआ है। यह इतना बड़ा है कि हम लोग इससे बीयर की 400 trillion बोतलें भर सकते हैं।

17. हमारी आकाशगंगा का नाम मिल्की-वे आकाशगंगा (Milky Way Galaxy) है, सूर्य को मिल्की-वे आकाशगंगा का एक चक्कर लगाने में लगभग 225 मिलियन (22.2 करोड़) साल लगते हैं। आख़िरी बार जब सूर्य आज की स्थिति में था तो पृथ्वी पर डायनासोर घूम रहे थे।

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