धूमकेतु किसे कहते हैं धूमकेतु की खोज, भाग और कक्षाएँ

इस पेज पर आपको धूमकेतु की समस्त जानकारी मिल जाएगी यदि आप धूमकेतु की जानकारी जानना चाहते हैं तो आपको इस आर्टिकल को पूरा पढ़ना होगा।

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चलिए आज हम धूमकेतु की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

धूम केतु किसे कहते हैं

धूमकेतु शब्द ग्रीक शब्द कोमेट्स से लिया गया है, जिसका अर्थ है लंबे बालों वाला। धूम केतु वैसे आकाशीय पिंड है जो धूल, बर्फ़, जलकणों और हिमानी गैसों का चट्टानी तथा धातुई पिण्ड के बने होते हैं। इन्हें पुच्छल तारे भी कहते हैं।

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यह सूर्य के चारों ओर लंबी किंतु अनियमित या असमकेंद्रित कक्षा में घूमते हैं। धूम केतु आकार में क्षुद्र ग्रह से छोटे होते है। इसके केंद्र में एक बर्फीला नाभिक होता है जो गैस और धूल के वातावरण से घिरा होता है। 

यह सूर्य से बहुत दूर बनते हैं इसलिए उनकी बर्फ़ नहीं पिघलती। हालाँकि, जब कोई धूमकेतु सूर्य के करीब आता है, तो बर्फ़ पिघल जाती है।

धूमकेतु को कब देख सकते हैं

यह पृथ्वी से कुछ दिन से कुछ महीनों तक नंगी आंखों से चमकीले रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। धूम केतु केवल तभी दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है, क्योंकि सूर्य किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती है।

धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से विपरीत दिशा में होती दिखाई देती है।

सर्वप्रथम धूम केतु की खोज किसने की

सर्वप्रथम किसी धूमकेतु की खोज टायको ब्राहे ने किया था। हेली नामक धूम केतु का परिभ्रमण काल 76 वर्ष है। यह अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार यह 76 साल बाद 2062 में दिखाई देगा।

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स्वासमैन-वैचमैन पुच्छल तारा 16 वर्ष तथा ओटेरमा धूम केतु 8 वर्ष की अवधि पर पृथ्वी से दिखाई पड़ता है। धूम केतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूम केतु के लौटने का समय निश्चित होता है।

हमारे सौर मंडल में अरबों धूम केतु हैं और वर्तमान में, खगोलविदों ने 3000 से अधिक धूमकेतुओं की पहचान की है।

धूमकेतु के भाग

सौर मंडल में धूमकेतु मुख्य रूप से चार दृश्य भागों से बने होते हैं। धूम केतु के यह भाग धूम केतु की संरचना का वर्णन करते हैं।

  1. नाभिक
  2. कोमा
  3. धूल पूंछ
  4. आयन पूंछ

1. नाभिक :- धूमकेतुओं का केंद्रक एक ठोस पिंड होता है जो कुछ किलोमीटर व्यास में स्थित होता है। यह मुख्य रूप से वाष्पशील बर्फ़ (मुख्य रूप से पानी की बर्फ़) और सिलिकेट और कार्बनिक धूल कणों के मिश्रण से बने होते हैं।

2. कोमा :- धूम केतु में कोमा नाभिक के चारों ओर पाया जाता है। 

3. धूल पूंछ :- धूम केतु में धूल की पूंछ धूल के कणों द्वारा बनी होती है जो सफेद या पीले रंग की दिखाई देती है।

4. आयन पूंछ :- धूमकेतु में आयन पूंछ कोमा में वाष्पशील गैसों द्वारा बनाई जाती है। यह सूर्य से पराबैंगनी फोटोन द्वारा आयनित हो जाते हैं। धूम केतु CO + आयनों से बने होते हैं। 

धूमकेतु की कक्षाएँ

आमतौर पर धूमकेतु सौरमंडल के अन्य पिंडों से भिन्न होते हैं। धूम केतु भी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।

कभी-कभी धूम केतु लगभग 50,000 AU की दूरी तक आ जाते हैं। धूम केतु की कक्षीय अवधि कक्षा की लंबाई के आधार पर कुछ वर्षों से लेकर लाखों वर्षों तक होती हैं।

नियोवाइज धूम केतु

नियोवाइज धूमकेतु लंबी अवधि के धूमकेतुओं में से एक है। वाइड-फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर (WISE) स्पेस टेलीस्कोप के नियोवाइज मिशन के दौरान 27 मार्च 2020 को इस नियोवाइज धूम केतु की खोज की गई थी।

यह धूमकेतु सूर्य से लगभग 2 AU दूर और पृथ्वी से 1.7 खगोलीय इकाई दूर स्थित था। नियोवाइज धूमकेतु सौरमंडल का सबसे चमकीला धूमकेतु है।

टारीनो स्केल

क्षुद्र ग्रह तथा धूमकेतु की पृथ्वी से संभावित टक्कर को ध्यान में रखते हुए टारीनो स्केल की स्थापना की गई है। इसकी स्थापना अमेरिकी प्रोफेसर रिचर्ड बिंजेल के द्वारा किया गया है।

इन्होंने 1995 ई० में इटली के टारीनो (ट्यूरिन) नगर में एक वैज्ञानिक सम्मेलन में इसे प्रदर्शित किया गया था। इसी कारण इस तालिका का नाम टारीनो तालिका पड़ा।

इस तालिका की तुलना भूकम्प की तीव्रता मापने वाले रिएक्टर तालिका से की जा सकती है।

टारीनो गहनतारंगसंभावित खतरा
0श्वेतनहीं के बराबर
1हरासंभावना
2/3/4पीलाखतरा
5/6/7नारंगीहमेशा निगरानी की आवश्यकता
8/9/10लालनिश्चित रूप से टक्कर की संभावना

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