आज की इस पोस्ट में हम पृथ्वी की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िएगा।
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चलिए इस पेज पर पृथ्वी क्या हैं, पृथ्वी की उत्पत्ति, विकास एवं संरचना की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
पृथ्वी का परिचय
हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह है। इन आठ ग्रहों में केवल पृथ्वी ही अकेला ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है। पृथ्वी सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा तथा आकार में पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है। यह शुक्र और मंगल के बीच में स्थित है।
इसका भूमध्य रेखीय व्यास 12755.6 किलोमीटर, ध्रुवीय व्यास 12714 किलोमीटर तथा ध्रुवीय परिधि 40008 किलोमीटर और भूमध्य रेखीय परिधि 40076 किलोमीटर है।
सूर्य से इसकी औसत दूरी 15.00 करोड़ किलोमीटर है।
पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 ½ झुकी हुई है। यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड में एक पूरा चक्कर लगाती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति के कारण ही दिन और रात होते हैं।
पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकंड का समय लगता है। पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है।
पृथ्वी की उत्पत्ति एवं इतिहास
पृथ्वी की उत्पत्ति ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़ी हुई है। हिंदू शास्त्रों में पृथ्वी को एक सुनहरे अर्ध-अंडाकार पिंड के रूप में बताया गया है, जो चार हाथियों की सहायता से एक कछुए की पीठ पर टिका हुआ है।
18वीं सदी के आसपास गणित एवं भौतिकी के क्षेत्र में हुए वैज्ञानिक विकास के फलस्वरुप पृथ्वी की उत्पत्ति से जुड़े कुछ वैज्ञानिक सिद्धांत सामने आए जो निम्नलिखित हैं।
- जॉर्जस-डि-बफन का सिद्धांत (1749)
- इमैनुएल कांट का गैसीय पिंड सिद्धांत (1755)
- लाप्लास का निहारिका परिकल्पना (1796)
- चैंबर्लिन तथा मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना (1900)
- जींस और जेफ्रीज की ज्वारीय परिकल्पना
- ऑटो शिमट की अंतरतारक धूल परिकल्पना
आधुनिक सिद्धांत
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी या अन्य ग्रहों की ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित समस्याओं को समझाने का प्रयास किया।
विश्व के विख्यात भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग ने अपनी पुस्तक A Brief History Of Time में बताया है कि आज से लगभग 15 अरब साल पहले ब्रह्मांड का अस्तित्व एक मटर के दाने के रूप में था।
इसके बाद बिग बैंग सिद्धांत का समर्थन करते हुए वह बताते हैं कि महा विस्फोट के बाद ब्रह्मांड का स्वरूप विस्तृत हुआ। आज वही मटर के दाने के आकार का ब्रह्मांड अनंत है।
हमारी पृथ्वी जैसी आज है हमेशा से ऐसी नहीं थी। प्रारंभ में पृथ्वी गैस का एक गोला थी। इसके बाद गैसीय पदार्थ तरल पदार्थ में बदले। तरल अवस्था में हल्के पदार्थ ऊपर आकर ठंडे और कठोर हो गए।
चंद्रमा की उत्पत्ति के दौरान भीषण टक्कर के कारण पृथ्वी का तापमान फिर से बढ़ा और ऊर्जा उत्पन्न हुई। समय के साथ पृथ्वी की ऊपरी सतह ठोस चट्टानों की बन गई।
प्रारंभ में पृथ्वी चट्टानी और गर्म थी, जिसका वायुमंडल खाली था, जो हाइड्रोजन व हीलियम से बना था। गर्म पृथ्वी से अनेक गैसें निकलकर इसके ऊपर चारों ओर इकट्ठी हो गई, इन्हीं से पृथ्वी के वायुमंडल का निर्माण हुआ।
पृथ्वी जब थोड़ी ठंडी हुई तो जल वाष्प संघनित होकर बादल बन गए। बादल संगठित होकर बरसने लगे। लाखों वर्षों तक निरंतर वर्षा के कारण पृथ्वी के गड्ढों में जल भर गया और वह महासागर बन गए।
इस तरह से पृथ्वी पर उपस्थित महासागर 400 करोड़ साल पुराने हैं। उत्पत्ति के करोड़ों वर्ष बाद भी पृथ्वी निर्जीव बनी रही। आज से लगभग 380 करोड साल पहले जीवन का विकास आरंभ हुआ।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना
अंतरराष्ट्रीय भूमिति और भू-भौतिक संघ ने भूकंपीय लहरों की गति में भिन्नता के आधार पर पृथ्वी के आंतरिक भाग को तीन भागों में बांटा है, जो निम्नलिखित हैं।
- भू-पर्पटी (Crust)
- मैंटल (Mantle)
- क्रोड (Core)
1. भूपर्पटी (Crust)
अंतरराष्ट्रीय भूमिति और भू-भौतिक संघ ने भूपर्पटी की औसत मोटाई 30 किलोमीटर मानी है। भूपर्पटी का निर्माण मुख्यतः सिलिका और एलुमिनियम से हुआ है। अतः इसे SiAL परत भी कहा जाता है।
क्रस्ट की मोटाई समुद्री और महाद्वीपीय क्षेत्रों में अलग-अलग होती है। महाद्वीपीय क्रस्ट की औसत मोटाई लगभग 32 किमी होती है जबकि समुद्री क्रस्ट की 5 किमी होती है। क्रस्ट का घनत्व 2.7g/cm³ से कम होता है।
2. मैंटल (Mantle)
भू-पर्पटी के नीचे की परत को मैंटल कहते हैं। इसका आयतन पृथ्वी के कुल आयतन का 83% एवं द्रव्यमान लगभग 68% है। मैंटल का निर्माण मुख्यतः सिलिका और मैग्नीशियम से हुआ है। अतः इसे SiMa परत भी कहा जाता है।
यह लगभग 2900 किमी की गहराई तक फैला हुआ है। इसका घनत्व 3.9g/cm³ है। इसकी मोटाई 10 से 200 किमी तक होती है।
3. क्रोड (Core)
मैंटल के नीचे वाले परत को क्रोड कहा जाता है। क्रोड का आयतन पूरी पृथ्वी का मात्र 16% है परंतु इसका द्रव्यमान पृथ्वी के कुल द्रव्यमान का लगभग 32% है। क्रोड का निर्माण मुख्यता निकेल और लोहा से हुआ है। अतः इसे NiFe परत भी कहा जाता है।
इसका घनत्व 13g/cm³ है। कोर का तापमान 5500 ℃ – 6000 ℃ के बीच होता है। कोर पृथ्वी की सतह से 2900 किमी से 6378 किमी तक फैली हुई है।
पृथ्वी की गतियां
दूसरे ग्रहों के सामान पृथ्वी की भी दो गतियां है। यह अपने अक्ष पर निरंतर घूमती रहती है और लगभग 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है, इसे घूर्णन कहते हैं। इसे पृथ्वी की दैनिक गति भी कहते हैं। इसके कारण पृथ्वी पर दिन रात होते हैं।
पृथ्वी का अक्ष उसके कक्षा तल पर बने लंब से 23 ½ डिग्री झुका हुआ है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी का अक्ष पृथ्वी के कक्षा तल से 66 ½ डिग्री का कोण बनाता है, इसे पृथ्वी के अक्ष का झुकाव कहते हैं। इस अक्ष के ऊपरी सिरे पर उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी सिरे पर दक्षिणी ध्रुव है।
पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई लगभग 1,00,000 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से सूर्य की परिक्रमा करती है। इसे एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 365 दिन और 6 घंटे लगते हैं। पृथ्वी के इस वार्षिक गति को परिक्रमण कहते हैं।
उपसौर तथा अपसौर
1. उपसौर :- पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा दीर्घ वृत्तीय कक्षा में करती है। जब पृथ्वी सूर्य के अत्याधिक पास होती है तो उसे उपसौर कहते हैं। ऐसी स्थिति 3 जनवरी को होती है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 14.70 करोड़ किलोमीटर होती है।
2. अपसौर :- पृथ्वी जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है तो उसे अपसौर कहते हैं। ऐसी स्थिति 4 जुलाई को होती है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 15.21 करोड़ किलोमीटर होती है।
एपसाइड रेखा :- उपसौरिक एवं अपसौरिक को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा सूर्य के केंद्र से गुजरती है इसे एपसाइड रेखा कहते हैं।
अक्षांश एवं देशांतर रेखाएं
1. अक्षांश रेखाएं :- पृथ्वी पर पश्चिम से पूरब दिशा में खींची गई काल्पनिक रेखाएं, जो सामान अक्षांशीय कोण वाले स्थानों को मिलाती है, अक्षांश रेखाएं कहलाती है।
2. देशांतर रेखाएं :- पृथ्वी पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाने वाली काल्पनिक रेखा देशांतर रेखा कहलाती है। यह रेखाएं अर्धवृत्त आकार की होती है। ध्रुव पर इनके बीच की दूरी शून्य हो जाती है क्योंकि ध्रुव पर यह एक बिंदु पर मिल जाती है।
चंद्रमा (उपग्रह)
चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह सौरमंडल का पांचवा सबसे बड़ा उपग्रह है। इसे जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है।
पृथ्वी की तरह चंद्रमा की उत्पत्ति से संबंधित मत भी प्रस्तुत किए गए हैं। 1938 में सर जॉर्ज डार्विन ने बताया कि प्रारंभ में पृथ्वी और चंद्रमा तेजी से घूमते एक ही पिंड थे।
यह पूरा पिंड डंबल की आकृति में परिवर्तित हुआ और टूट गया। उनके अनुसार चंद्रमा का निर्माण उसी पदार्थ से हुआ है जहां आज प्रशांत महासागर एक गर्त के रूप में मौजूद है।
ऐसा विश्वास किया जाता है कि पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चंद्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव का नतीजा है। ऐसा मानना है कि पृथ्वी बनने के कुछ समय बाद ही मंगल ग्रह की 1 से 3 गुना बड़े आकार का पिंड पृथ्वी से टकराया।
इस टकराव से पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गया और घूमने लगा, जिससे चंद्रमा बना। यह घटना लगभग 4.44 अरब वर्ष पहले हुई।
चंद्रमा की पृथ्वी से औसत दूरी 3,84,403 किलोमीटर है। चंद्रमा की पृथ्वी से निम्नतम दूरी 3,63,104 किलोमीटर तथा पृथ्वी से अधिकतम दूरी 4,06,696 किलोमीटर है।
चंद्रमा का द्रव्यमान तथा घनत्व पृथ्वी की तुलना में कम है। इसका द्रव्यमान 8.10×10¹⁹ टन तथा घनत्व 3.34 ग्राम/घन सेंटीमीटर है। इसका व्यास 3,476 किलोमीटर है।
पृथ्वी के मंडल
पृथ्वी पर तीन मंडल पाए जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं।
- स्थल मंडल
- जलमंडल
- वायुमंडल
1. स्थल मंडल
पृथ्वी की बाहरी परत जिस पर महाद्वीप एवं महासागर स्थलमंडल कहलाती है। पृथ्वी के कुल 29% भाग पर स्थल तथा 71% भाग पर जल है।
पृथ्वी पर अधिकतम ऊंचाई माउंट एवरेस्ट की 8,850 मीटर तथा अधिकतम गहराई मेरियाना गर्त की एक 11,022 मीटर की है। इस प्रकार पृथ्वी के अधिकतम ऊंचाई एवं अधिकतम गहराई में लगभग 20 किलोमीटर का अंतर है।
पृथ्वी पर भूभाग की सबसे बड़ी इकाई को महाद्वीप कहते हैं। पूरी पृथ्वी का स्तर क्षेत्र सात महाद्वीपों में बंटा है।
- एशिया
- यूरोप
- उत्तरी अमेरिका
- दक्षिणी अमेरिका
- अफ्रीका
- आस्ट्रेलिया तथा
- अंटार्कटिका
2. जलमंडल
पूरी पृथ्वी का तीन चौथाई भाग अर्थात 71% भाग पर जल का विस्तार है। पृथ्वी पर उपस्थित जल की कुल मात्रा का 97.5% जल महासागर में है तथा 2.5 भाग ही मीठा जल है।
जलमंडल का वह बड़ा भाग जिसकी कोई निश्चित सीमा ना हो महासागर कहलाता है। पृथ्वी पर कुल पांच महासागर है।
- प्रशांत महासागर
- अटलांटिक महासागर
- हिंद महासागर
- आर्कटिक महासागर
- अंटार्कटिक महासागर
3. वायुमंडल
पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत फैलाव को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, ओजोन परत तथा जलवाष्प इत्यादि पाए जाते हैं।
पृथ्वी के वायुमंडल को निम्नलिखित परतों में बांटा गया है।
- क्षोभ मंडल
- समताप मंडल
- ओजोन मंडल
- आयन मंडल
- बाह्य मंडल
पृथ्वी से सम्बंधित सामान्य ज्ञान के प्रश्न उत्तर
Ans :- पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी 14 करोड़ 95 लाख 98 हजार 5 सौ किलोमीटर है। सूर्य से इसकी निकटतम दूरी 14.73 करोड़ किलोमीटर तथा अधिकतम दूरी 15.2 करोड़ किलोमीटर है।
Ans :- सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुंचने में 8 मिनट 18 सेकंड का समय लगता है।
Ans :- पृथ्वी के घूर्णन के कारण पृथ्वी पर दिन-रात होता हैं।
Ans :- पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन पृथ्वी के परिक्रमण के कारण होता हैं।
Ans :- पृथ्वी एक घंटे में 15° देशांतर घूमती हैं।
Ans :- 1° देशांतर पार करने में पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता हैं।
Ans :- पाइथागोरस ने
Ans :- अंटार्कटिका
Ans :- 21 जून (उत्तरी गोलार्द्ध) तथा 22 दिसंबर (दक्षिणी गोलार्द्ध)
Ans :- 21 जून (दक्षिणी गोलार्द्ध) तथा 22 दिसंबर (उत्तरी गोलार्द्ध)
Ans :- 23 सितंबर और 21 मार्च
Ans :- 180
Ans :- 360
Ans :- 4.6 बिलियन वर्ष
Ans :- शुक्र
Ans :- शुक्र
Ans :- नीला ग्रह
Ans :- मंगल
Ans :- 5°
Ans :- 57%
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