इस पेज पर आप प्रकाश की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं यदि आप प्रकाश की जानकारी पढ़ना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।
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चलिए इस पेज पर आज हम प्रकाश (Light) किसे कहते हैं प्रकाश के प्रकार, गुण, चाल और वर्ण विक्षेपण की समस्त जानकारी पढ़िए।
प्रकाश किसे कहते हैं
प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में संचारित होती है। इसी के कारण हम अपनी आंखों से किसी भी वस्तु को देख पाते हैं।
जब किसी वस्तु पर प्रकाश पड़ता है तब उस वस्तु से प्रकाश टकराकर देखने वाले की आंख पर पड़ता है जिससे व्यक्ति उस वस्तु को देख पाता है।
विभिन्न वैज्ञानिकों का योगदान
- प्रकाश के वेग की गणना सर्वप्रथम रोमर नामक वैज्ञानिक ने बृहस्पति ग्रह के उपग्रहों की गति को देखकर ज्ञात की थी।
- डच भौतिक शास्त्री हाइजीन ने प्रकाश का तरंग सिद्धांत दिया। इसने बताया कि प्रकाश तरंगों से बना होता है।
- सन् 1800 में अंग्रेज भौतिकीवेता थॉमस यंग ने प्रकाश के व्यतिकरण सिद्धांत दिया। उन्होंने दिखाया कि दो प्रकाश किरण पुंज कुछ निश्चित परिस्थिति में एक दूसरे को समाप्त कर देते हैं।
- सन् 1905 में जर्मन भौतिकशास्त्री आइंस्टीन ने बताया कि प्रकाश भी क्वानटाइज्ड होता है। प्रकाश छोटे-छोटे ऊर्जा समूहों में आता है जिसे क्वांटा कहते हैं। प्रकाश के इन कणों को फोटाॅन कहा गया है।
प्रकाश के गुण
प्रकाश के कुछ महत्वपूर्ण गुण निम्नलिखित हैं।
- प्रकाश सीधी रेखा में गमन करती है।
- प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज होती है। प्रकाश 3 x 10⁸ m/s की चाल से चलता है ।
विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल
- निर्वात में प्रकाश की चाल 3×10⁸ m/s होती हैं।
- पानी में प्रकाश की चाल 2.25×10⁸ m/s होती हैं।
- कांच में प्रकाश की चाल 2×10⁸ m/s होती हैं।
- नाइलोन में प्रकाश की चाल 1.96×10⁸ m/s होती हैं।
प्रकाश का परावर्तन
प्रकाश के किसी चिकने तल से टकराकर वापस लौटने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
उदाहरण :-
- तारों का टिमटिमाना
- दर्पण द्वारा परावर्तित प्रकाश।
परावर्तन के नियम
- आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर डाला गया अभिलंब सभी एक ही तल में होते हैं।
- आपतन कोण और परावर्तन कोण के बराबर होता है।
प्रकाश का अपवर्तन
जब प्रकाश की किरणें एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अपने मूल दिशा से विचलित हो जाती है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
अपवर्तन के नियम
- आपतित किरण, अपवर्तित किरण और आपतन बिंदु पर डाला गया अभिलंब सभी एक ही तल में होते हैं।
- किन्ही दो माध्यमों के लिए अपवर्तन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है। इस नियम को स्नेल का नियम भी कहते हैं।
प्रकाश का वर्ण विक्षेपण
जब सूर्य का प्रकाश प्रिज्म से होकर गुजरता है, तो वह अपवर्तन के पश्चात प्रिज्म के आधार की ओर झुकने के साथ-साथ विभिन्न रंगों के प्रकाश में बंट जाता है। अतः श्वेत प्रकाश को अपने अवयवी रंगों में विभक्त होने की क्रिया को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं।
उदाहरण के लिए, वर्षा के समय सूर्य की किरणों का वर्षा की बूंदों द्वारा प्रकाश का वर्ण विक्षेपण होता है जिससे इंद्रधनुष बनता है।
प्रकाश का विवर्तन
प्रकाश को अवरोध के किनारों पर थोड़ा मुड़कर उसकी छाया में प्रवेश करने की घटना को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं। प्रकाश का विवरण अवरोध के आकार पर निर्भर करता हैं।
प्रकाश का व्यतिकरण
जब सामान आवृत्ति की दो प्रकाश तरंगें किसी माध्यम में एक ही दिशा में गमन करती है तो उनके टकराने के फलस्वरुप प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है, इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते हैं।
प्रकाश के व्यतिकरण के उदाहरण :-
- जल की सतह पर फैली हुई किरासन तेल की परत का सूर्य के प्रकाश में रंगीन दिखाई देना।
- साबुन के बुलबुले का रंगीन दिखाई देना, आदि।
प्रकाश का प्रकीर्णन
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमें धूल तथा अन्य पदार्थ के अत्यंत छोटे-छोटे कण होते हैं, तो इनके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में फैला दिया जाता है, इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
उदाहरण के लिए, सूर्य का प्रकाश जो वायुमंडल से होकर गुजरता है तो वायु में उपस्थित धूल करो द्वारा उसका प्रकीर्णन होता है, जिसके कारण आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।
छाया
जब प्रकाश की किरणों के रास्ते में कोई अपारदर्शी वस्तु आ जाती है तो प्रकाश की किरणें आगे नहीं जा पाती है। वस्तु के आगे पर्दा रहने पर पर्दे की प्रकाशित भाग के बीच कुछ भाग ऐसा होता है जो काला दिखता है, क्योंकि वहां अंधकार होता है। इस भाग को छाया कहते हैं।
छाया की लंबाई तथा आकार निम्नलिखित बातों पर निर्भर करते हैं।
- प्रकाश का उद्गम
- अपारदर्शी वस्तु का आकार
- प्रकाश के उद्गम तथा वस्तु के बीच की दूरी
प्रकाश का परावर्तन और प्रकाश का अपवर्तन के बीच अन्तर
परावर्तन | अपवर्तन |
---|---|
जब प्रकाश किसी चिकनी सतह से टकराता है तो वह परावर्तन कहलाता हैं। | अपवर्तन प्रकाश किरणों का झुकना है जब यह एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं। |
परावर्तन आम तौर पर चमकदार सतहों पर होता है जो केवल प्रकाश को इसके माध्यम से प्रवेश की अनुमति के बिना ही पुन: उत्पन्न करने की अनुमति देता हैं। | अपवर्तन पारदर्शी सतहों में होता है जो किरण को एक अलग माध्यम में झुकने की अनुमति देता हैं। |
परावर्तन के दो रूप होते हैं। नियमित परावर्तन (स्पेक्युलर रिफ्लेक्शन) और डिफ्यूज्ड रिफ्लेक्शन। | अपवर्तन का एक ही रूप होता हैं। |
परावर्तन की घटना दर्पण में होती हैं। | अपवर्तन की घटना लेंस में होती हैं। |
परावर्तन की प्रक्रिया में प्रकाश वापस लौटता है और उसी दिशा में वापस लौटता हैं। | अपवर्तन की प्रक्रिया में प्रकाश पथ बदलता है अर्थात एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाता हैं। |
जब कोई प्रकाश किरण किसी चमकदार सतह की सीमा से टकराती है तो प्रकाश किरण की गति में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं। | प्रकाश की गति उस माध्यम के साथ बदलती है जिसमें किरण झुकती हैं। |
परावर्तन में जिस माध्यम में प्रकाश फैलता है वह वही रहता हैं। | अपवर्तन में प्रसार का माध्यम बदल जाता हैं। |
परावर्तन कोण और आपतन कोण परावर्तन के मामले में समान होते हैं। | अपवर्तन में, परावर्तन कोण और आपतन कोण समान नहीं होते हैं। |
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