प्रकाश का परावर्तन क्या हैं इसके नियम और प्रकार

इस पेज पर हम प्रकाश का परावर्तन की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

पिछले पेज पर हमने न्यूटन के गति के नियम की जानकारी शेयर की हैं तो उस आर्टिकल को भी पढ़े।

चलिए आज हम प्रकाश का परावर्तन क्या हैं इसके नियम, प्रकार एवं प्रकाश का परावर्तन कैसे होता है की समस्त जानकारी पड़ेगें।

प्रकाश किसे कहते हैं

प्रकाश वह कारण है जिसकी सहायता से हम वस्तुओं को देख पाते हैं। प्रकाश जब किसी वस्तु से टकराकर हमारी आंख तक पहुंचता है तब ही हम वस्तुओं को देख पाते हैं।

प्रकाश का परावर्तन क्या हैं

जब प्रकाश की किरण किसी चिकने सतह से टकराकर वापस लौटती हैं तो इसे प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

जो किरण सतह से आकर टकराती हैं वह आपतित किरण कहलाती हैं। और जो किरण सतह से टकराकर वापस लौटती है वह परावर्तित किरण कहलाती है। 

यह घटना ही है जो हमें अपने आस-पास की दुनिया को देखने में सक्षम बनाती है। परावर्तन से पहले, बाद में और परावर्तन के दौरान प्रकाश एक सीधी रेखा में गमन करता है।

उदाहरण :-

  • तारों का टिमटिमाना
  • दर्पण द्वारा परावर्तित प्रकाश।

परावर्तन के नियम

प्रकाश की किरण किसी सतह पर पड़कर जिन नियमों का पालन करते हुए उस सतह से परावर्तित होती है उन नियमों को परावर्तन के नियम कहते हैं। इन नियमों को समझने के लिए प्रकाश के परावर्तन के कुछ टर्म को समझना आवश्यक होता है।

prakash ka pravartan
प्रकाश का परावर्तन

1. आपतित किरण :- किसी सतह पर पड़ने वाली किरण को आपतीत किरण कहते हैं।

2. आपतन बिंदु :- जिस बिंदु पर आपतीत किरण सतह से टकराती है उसे आपतन बिंदु कहते हैं।

3. परावर्तित किरण :- जिस माध्यम में चल कर आपतीत किरन सतह पर आती है। उसी माध्यम में लौटने वाली किरण को परावर्तित किरण कहते हैं।

4. अभिलंब :- किसी समतल सतह के किसी बिंदु पर खींचे हुए लंब को उस बिंदु का अभिलंब कहते हैं।

5. आपतन कोण :- आपतित किरण, आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब से जो कोण बनाती है उसे आपतन कोण कहते हैं।

6. परावर्तन कोण :- परावर्तित किरण, आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब से जो कोण बनाती है, उसे परावर्तन कोण कहते हैं।

प्रकाश के परिवर्तन के निम्नलिखित दो नियम होते हैं।

  • आपतित किरण, परावर्तित किरण और अभिलंब सभी एक ही तल में होते हैं।
  • आपतन कोण और परावर्तन कोण दोनो एक दूसरे के बराबर होते हैं।

प्रकाश के परावर्तन के प्रकार

प्रकाश के परावर्तन के विभिन्न प्रकारों की संक्षेप में नीचे चर्चा की गई है।

1. नियमित / स्पेक्युलर परावर्तन

जब प्रकाश की किरण अच्छी तरह से पॉलिश की गई चिकनी सतह से टकराकर वापस लौटती हैं तो वह अपने पहले माध्यम से एक निश्चित दिशा में वापस लौट आती हैं।

अर्थात् वह जिस रास्ते से आती उसी रास्ते से लौट जाती हैं। इस प्रकार का परावर्तन नियमित परावर्तन कहलाता है।

2. विसरित परावर्तन

वायुमण्डल में स्थित छोटे छोटे अदृश्य कणों से होने वाले परार्वतन को विसरित परावर्तन कहा जाता है।

इसके माध्यम से सूर्य के प्रकाश का कुछ भाग परावर्तित होकर अन्तरिक्ष में चारों ओर बिखर जाता हैं।

विसरित परावर्तन के कारण चन्द्रमा का अंधेरा भाग भी हम आसानी से देख पाते है।

प्रकाश का परावर्तन कैसे होता है

प्रकाश के परावर्तन को संक्षेप में समझाए तो जब भी कोई प्रकाश किरण किसी सतह या माध्यम से परस्पर क्रिया करती है, तो तीन परिणाम होना संभव होते हैं। यह प्रतिबिंब का बनना, अवशोषण या अपवर्तन होते हैं। 

इनमें से कोई भी परिणाम उस सतह या माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करती है जिसके माध्यम से वह परस्पर क्रिया करता है।

प्रकाश के माध्यम तीन प्रकार के होते हैं

1. अपारदर्शी वस्तु या माध्यम

अपारदर्शी वस्तुओं में, प्रकाश का अधिकतम भाग सतह द्वारा अवशोषित किया जाता है।

यह ऐसे माध्यम होते है जिनसे होकर प्रकाश आरपार नही हो पाता है। ऐसे माध्यम अपारदर्शी कहलाते हैं।

लकड़ी, लोहा, पत्थर, अलकतरा, पेंट, मोटा गत्ता, धातु की प्लेट इत्यादि अपारदर्शी माध्यम है।

2. पारदर्शी वस्तु या माध्यम

पारदर्शी वस्तुओं में, अधिकतम प्रकाश माध्यम से होकर परावर्तित हो जाता है। 

यह ऐसे माध्यम होते हैं जिनसे होकर प्रकाश आसानी से आरपार हो जाता हैं।

ऐसे माध्यम पारदर्शी कहलाते हैं। कांच, पानी, हवा इत्यादि पारदर्शी पदार्थ है।

3. पारभाषी वस्तु या माध्यम

पारभासी वस्तुओ में की कुछ भाग सतह द्वारा अवशोषित कर लिया जाता हैं और कुछ भाग माध्यम से होकर परावर्तित हो जाता हैं। ऐसे माध्यम पारभासी कहलाते हैं।

घिसा हुआ कांच, तेल लगा कागज, बैलून का रबर, आंख की पलक, बटर पेपर, चमड़ा, रक्त, दूध, घना धुआं, हलके बादल, कुहासा इत्यादि पारभासी पदार्थ है।

प्रतिबिंब किसे कहते हैं

जब किसी दर्पण के सामने कोई वस्तु रखी जाती है। तब उसका प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है।

वस्तु के विभिन्न बिंदुओं से प्रकाश की किरणे दर्पण पर पड़ती है और परावर्तन के नियमों का पालन करती हुई परावर्तित होती है।

यह किरणे या तो किसी बिंदु पर मिलती है या फिर किसी बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है।

अर्थात प्रतिबिंब की परिभाषा निम्नलिखित होगी

किसी बिंदु स्रोत से आती प्रकाश की किरणे दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है। उसे उस बिंदु स्रोत का प्रतिबिंब कहते हैं।

प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं।

(a). वास्तविक प्रतिबिंब

किसी बिंदु स्रोत से आती प्रकाश की किरने दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती है, उसे उस बिंदु स्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं।

(b). आभासी प्रतिबिंब

किसी बिंदु स्रोत से आती प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद जिस बिंदु से मिलती हुई प्रतीत होती है, उसे उस बिंदु स्रोत का आभासी प्रतिबिंब कहते हैं।

समतल दर्पण 

समतल दर्पण का परावर्तक सतह समतल होता है। इसमें शीशे के एक ओर धातु की पतली परत चढ़ी होती है। शीशे के पीछे धातु की परत परावर्तक सतह का काम करती है।

समतल दर्पण में प्रतिबिंब की स्थिति

समतल दर्पण में किसी वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के आगे रखी होती है। यह प्रतिबिंब काल्पनिक, वस्तु के बराबर और पार्श्विक रूप से उल्टा बनता है।

समतल दर्पण में प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा सीधा बनता है और प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है।

समतल दर्पण के उपयोग 

  • समतल दर्पण का उपयोग बहूरूपदर्शी, परिदर्शी और आईने में किया जाता है।

गोलीय दर्पण

किसी गोलाकार सतह से बनाए गए दर्पण को गोलीय दर्पण कहते हैं। गोलीय दर्पण के एक सतह पर पारे की कलई या रेड ऑक्साइड का लेप किया जाता है तथा दूसरा सतह परावर्तक सतह की तरह काम करता है।

गोलीय दर्पण में प्रतिबिंब की स्थिति समझने के लिए निम्नलिखित टर्म्स को समझना आवश्यक है।

1. ध्रुव :- गोलीय दर्पण के मध्य बिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते हैं। इसे P से सूचित किया जाता हैं।

2. वक्रता केंद्र :- गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है उस गोले के केंद्र को दर्पण का वक्रता केंद्र कहते हैं। इसे C से सूचित किया जाता हैं।

3. वक्रता त्रिज्या :- गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है उसकी त्रिज्या को दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहते हैं। इसे R से सूचित किया जाता हैं।

4. प्रधान या मुख्य अक्ष :- गोलीय दर्पण के ध्रुव से वक्रता केंद्र को मिलाने वाली सरल रेखा को दर्पण का प्रधान या मुख्य अक्ष कहते हैं। 

गोलीय दर्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

1. उत्तल दर्पण

जिस गोलीय दर्पण का परावर्तक सतह उभरा होता है उसे उत्तल दर्पण कहा जाता है। उत्तल दर्पण को अपसारी दर्पण भी कहते हैं।

उत्तल दर्पण से बना प्रतिबिंब

उत्तल दर्पण में किसी वस्तु का प्रतिबिंब हमेशा दर्पण के पीछे, उसके ध्रुव और फोकस के बीच, वस्तु से छोटा, सीधा और आभासी बनता है।

यदि किसी वस्तु की उत्तल दर्पण से दूरी बढ़ाई गई तो दर्पण से बने आभासी और सीधे प्रतिबिंब का आकार छोटा होता जाता है और उसकी स्थिति दर्पण के पीछे ध्रुव से फोकस की ओर खिसकती जाती है।

उत्तल दर्पण के उपयोग

  • उत्तल दर्पण के द्वारा बड़े वस्तु का प्रतिबिंब एक छोटे से क्षेत्र में बन जाता है।
  • इस प्रकार उत्तल दर्पण का दृष्टि क्षेत्र अधिक होता है। इसीलिए इसे गाड़ियों के दर्पण में लगाया जाता है।

2. अवतल दर्पण

जिस गोलीय दर्पण का परावर्तक भाग धसा रहता है उसे अवतल दर्पण कहते हैं। अवतल दर्पण को अभिसारी दर्पण भी कहा जाता है।

अवतल दर्पण में प्रतिबिंब

  • अवतल दर्पण में यदि वस्तु अनंत पर रखा हो तो प्रतिबिंब फोकस पर, बहुत छोटा, उल्टा और वास्तविक बनता है।
  • यदि वस्तु वक्रता केंद्र और अनंत के बीच स्थित हो तो प्रतिबिंब फोकस और वक्रता केंद्र के बीच, छोटा, उल्टा और वास्तविक बनता है।
  • यदि वस्तु वक्रता केंद्र पर स्थित हो तो प्रतिबिंब वक्रता केंद्र पर ही, उसी के आकार का, उल्टा और वास्तविक बनता है।
  • जब वस्तु फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच स्थित हो तो प्रतिबिंब वक्रता केंद्र और अनंत के बीच, वस्तु की तुलना में बड़ा, उल्टा और वास्तविक बनता है।
  • जब वस्तु फोकस पर स्थित हो तो प्रतिबिंब अनंत पर, बहुत बड़ा, उल्टा और वास्तविक बनता है।
  • जब वस्तु फोकस तथा ध्रुव के बीच स्थित हो तो प्रतिबिंब दर्पण के पीछे, बड़ा, सीधा और आभासी बनता है।

अवतल दर्पण के उपयोग

  • अवतल दर्पण का उपयोग दाढ़ी बनाने वाले दर्पण में किया जाता है।
  • आंख, कान और नाक के डॉक्टर के द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला दर्पण अवतल दर्पण ही होता है।
  • गाड़ी के हेड लाइट और सर्च लाइट में अवतल दर्पण का उपयोग होता है।

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