खनिज संसाधन आधुनिक युग का आधार है। भारत में लगभग 100 से अधिक खनिज मिलते हैं तथा कुछ खनिजों के उत्पादन एवं भंडार में भारत की गिनती विश्व के खनिज संसाधन संपन्न देशों में की जाती है क्योंकि भारत में लगभग सभी प्रकार के खनिजों की प्राप्ति होती हैं।
आज इस आर्टिकल में हम खनिज के बारे में बताएंगे कि खनिज क्या है यह कहां से प्राप्त होते हैं और भारत तथा अन्य देशों में खनिज की क्या भूमिका हैं।
खनिज तत्व क्या हैं
पृथ्वी से खोदकर निकाली गई कोई भी वस्तु खनिज कहलाती है। जैसे लोहा, मैग्नीज, अभ्रक, हीरा, नमक, जिप्सम, यूरेनियम, ग्रेफाइट इत्यादि।
खनिज निश्चित अनुपात में रासायनिक और भौतिक विशेषताओं के साथ बना हुआ एक प्राकृतिक पदार्थ है। हमारा स्थलमंडल चट्टानों से बना है तथा चट्टान खनिजों के संयोग से बनी है।
अभी तक लगभग 2000 से अधिक खनिजों की पहचान की जा चुकी है। लेकिन 30 खनिज ही आर्थिक दृष्टि से विशेष महत्व रखते हैं।
भारत में स्वतंत्रता के बाद खनिजों के सर्वेक्षण और विकास की ओर काफी ध्यान दिया गया है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया तेल और प्राकृतिक गैस और निजी क्षेत्र की कंपनियां इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।
अयस्क क्या है
अयस्क वह पदार्थ होते हैं जिनमें खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है तथा जिसमें से कम खर्च में ही धातु या खनिज प्राप्त की जा सकती है। सभी अयस्क खनिज होते हैं लेकिन सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं।
उदाहरण के लिए एलुमिनियम का अयस्क बॉक्साइट है और जिंक का अयस्क कैलेमाइन या जिंक ब्लेड होता है।
खनिजों के प्रकार
खनिज मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
- धात्विक खनिज
- अधात्विक खनिज
1. धात्विक खनिज
ऐसे खनिज जिनमें धातु होता है उसे धात्विक खनिज कहते हैं।
जैसे :- लौह अयस्क, तांबा, मैंगनीज इत्यादि।
धात्विक खनिज को दो भागों में बांटा गया हैं।
(a). लौह युक्त खनिज :- जिन धात्विक खनिजों में लोहे के अंश अधिक पाए जाते हैं वह खनिज लौहयुक्त खनिज कहलाते हैं।
जैसे :- लौह अयस्क, मैंगनीज, निकेल, टंगस्टन इत्यादि।
(b). अलौहयुक्त खनिज :- जिन धात्विक खनिजों में लोहे के अंश बहुत कम पाए जाते हैं वह अलौह युक्त खनिज कहलाते हैं।
जैसे :- सोना, चांदी, शीशा, बॉक्साइट, टिन, तांबा इत्यादि।
धात्विक खनिजों को कई उप वर्गों में भी बांटा गया है जो निम्नलिखित हैं।
- बहुमूल्य धातुएं :- सोना, चांदी, प्लैटिनम, वैनेडियम, इरीडियम, रूबेनियम इत्यादि।
- हल्की धातुएं :- एलुमिनियम, टाइटेनियम इत्यादि।
- साधारण धातुएं :- तांबा, जस्ता, टिन, शीशा, लोहा इत्यादि।
- लौहांश खनिज :- हेमेटाइट, मैग्नेटाइट, लिमोनाइट, सिडेराइट, पाइराइट इत्यादि।
- लोह मिश्रित धातुएं :- क्रोमियम, कोबाल्ट, मैग्नीज, निकेल, टंगस्टन, टाइटेनियम, जीरकोनियम इत्यादि।
- अलौह धातुएं :- कैडमियम तथा पारा।
- विरल धातुएं या आणविक खनिज :- इसमें अणुशक्ति से संबंधित धातुएं आते हैं जो पृथ्वी पर बहुत विरल रूप में मिलते हैं। यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम, ग्रेफाइट, इलमेनाइट, लिथियम तथा बेरिलियम ऐसी धातु है।
2. अधात्विक खनिज
ऐसे खनिज जिनमें धातु नहीं होते हैं वह अधात्विक खनिज कहलाते हैं।
जैसे :- चूना पत्थर, डोलोमाइट, अभ्रक, जिप्सम इत्यादि।
अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं।
(a). कार्बनिक खनिज :- वैसे खनिज जिसमें जीवाश्म होते हैं जो पृथ्वी में दबे जीव जंतु और पेड़ पौधों के परिवर्तित होने से बनते हैं वह कार्बनिक खनिज कहलाते हैं।
जैसे :- कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि।
(b). अकार्बनिक खनिज :- वैसे खनिज जिसमें जीवाश्म नहीं होते हैं वह अकार्बनिक खनिज कहलाते हैं।
जैसे :- अभ्रक, ग्रेफाइट इत्यादि।
अधात्विक खनिजों को भी कई उप वर्गों में रखा गया है जो निम्नलिखित हैं।
- शक्ति के साधन या खनिज ईंधन :- इन खनिजों के बनने में कार्बनिक तत्व का महत्व होता है। इनका उपयोग इंधन के रूप में होता है। जैसे कोयला, खनिज तेल, पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस।
- खनिज उर्वरक :- नाइट्रेट, फास्फेट, पोटाश, गंधक, सल्फ्यूरिक एसिड इत्यादि।
- रत्न :- हीरा, पन्ना, नीलम, बेरुज इत्यादि।
- भू द्रव खनिज :- जिप्सम, नमक, गंधक, अभ्रक, टाल्क, मृतिका, कंकर, बालू और अन्य पत्थर।
धात्विक और अधात्विक खनिज में अंतर
धात्विक खनिज | अधात्विक खनिज |
---|---|
धात्विक खनिज को गलाने पर धातु मिलता है। | अधात्विक खनिज को गलाने पर धातु नहीं मिलता है। |
धात्विक खनिज कठोर और चमकीले होते हैं। | अधात्विक खनिज की अपनी चमक होती है। |
धात्विक खनिज ज्यादातर आग्नेय चट्टानों में मिलते हैं। | अधात्विक खनिज परतदार चट्टानों में मिलते हैं। |
धात्विक खनिज को पीटकर तार बनाया जा सकता है यह पीटने पर टूटते नहीं हैं। | अधात्विक खनिज को पीटने पर यह चूर-चूर हो जाते हैं। |
लौह युक्त खनिज और अलौह युक्त खनिज में अंतर
लौह युक्त खनिज | अलौह युक्त खनिज |
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लौह खनिज स्लेटी, धूसर, मटमैला आदि रंग के होते हैं। | अलौह खनिज अनेक रंग के हो सकते हैं। |
लौह खनिज रवेदार चट्टानों में पाए जाते हैं। | अलौह खनिज सभी प्रकारों के चट्टानों में मिल सकते हैं। |
खनिज तत्व की विशेषताएं
खनिजों के निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं।
1. क्रिस्टलीय संरचना
खनिज क्रिस्टल विभिन्न आकृतियों और आकारों में पाए जाते हैं। इनका विशेष आकार परमाणुओं, अणुओं या आयनों की व्यवस्था से निर्धारित होता हैं।
यदि कोई क्रिस्टलीय संरचना नहीं है, तो इसे अनाकार कहा जाता है। हालाँकि, बहुत कम अनाकार क्रिस्टल होते हैं।
2. पारदर्शिता या डायफेनिटी
डायफेनिटी एक खनिज की पारदर्शिता की डिग्री या प्रकाश को इसके माध्यम से गुजरने की अनुमति देने की क्षमता है। पारदर्शिता की डिग्री खनिज की मोटाई पर भी निर्भर हो सकती हैं।
3. चमक
चमक खनिजों का महत्त्वपूर्ण गुण होती है। धात्विक खनिज अपारदर्शी होते है और यह धातु की तरह प्रकाश को परावर्तित करता है। उपधातु खनिज अपरदर्शी होते हैं।
4. गंध
अधिकांश खनिजों में तब तक कोई गंध नहीं होती है जब तक कि उन पर निम्न में से किसी एक तरीके से कार्रवाई नहीं की जाती है। सिक्त, गर्म करना या रगड़ा जाना।
5. विशेष गुरुत्व
किसी खनिज का गुरुत्व पानी की समान मात्रा के भार के साथ खनिज के वजन की तुलना या अनुपात है। हवा में खनिज के वजन और पानी में खनिज के वजन के बीच का अंतर ज्ञात करके पानी की समान मात्रा का वजन पाया जाता हैं।
6. रंग
कुछ खनिजों के विशेष रंग होते हैं जिनसे उनकी पहचान करने में मदद मिलती है। खनिज में उपस्थित अशुद्धियां खनिज को अलग-अलग रंग देती हैं।
7. कठोरता
कठोरता किसी खनिज का वह गुण होता है जिससे हमें पता चलता है कि एक खनिज की सतह किस अंश तक खुरचे जाने का प्रतिरोध कर सकता है। सबसे कठोर खनिज हीरा होता हैं।
8. धारियां
जब खनिज को सफेद पर्सलिन की प्लेट पर घिसा जाता है तब वह प्लेट पर एक विशेष रंग का चूर्ण छोड़ती हैं। खनिज चूर्ण का रंग कई बार खनिज के रंग से अलग होता हैं।
मेलाकाईट का रंग हरा होता है और उस पर धारियां भी हरी होती है जबकि फ्लोराइट का रंग बैगनी होता है इस पर सफेद धारियां होती हैं।
भारत में खनिजों का वितरण
भारत में खनिजों का वितरण एक जैसा नहीं है। अधिक गुणवत्ता वाले खनिज कम तथा कम गुणवत्ता वाले खनिज ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं।
भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग खनिज पाए जाते हैं। ज्यादातर खनिज पुराने चट्टानों के समूह में पाए जाते हैं। भारत के उत्तरी मैदान चट्टानों को जलोढ़ मिट्टी के द्वारा ढक लिया गया है इसलिए यहां खनिजों की कमी हैं।
भारत के ज्यादातर खनिज निम्नलिखित तीन जगहों में पाए जाते हैं।
1. उत्तरी पूर्वी पठार
यह देश का सबसे ज्यादा खनिज प्राप्ति वाला स्थान है। जिसमें छोटा नागपुर का पठार, उड़ीसा का पठार, छत्तीसगढ़ का पठार तथा पूर्वी आंध्र प्रदेश का पठार है।
उत्तरी पूर्वी पठार में लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट, चूना पत्थर, डोलोमाइट, तांबा, थोरियम, यूरेनियम, क्रोमियम, सिलीमेंनाइट तथा फास्फेट ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं।
2. दक्षिणी पश्चिमी पठार
यह पठार कर्नाटक के पठार और तमिलनाडु के पठार पर फैली हुई है। दक्षिणी पश्चिमी पठार में लौह अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट इत्यादि भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
3. उत्तर पश्चिम प्रदेश
इस प्रदेश का विस्तार खंभात की खाड़ी से लेकर अरावली की श्रेणियों तक है। यहां अनेक प्रकार के अलौह धातु है। जैसे चांदी, सीसा, जस्ता, तांबा आदि मिलते हैं।
बालू, पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, जिप्सम, मुल्तानी मिट्टी, डोलोमाइट, चुना पत्थर, नमक आदि भी यहां पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।
हिमालय में भी तांबा, सीसा, जस्ता और कोबाल्ट जैसे खनिज पाए जाते हैं।
कुछ मुख्य खनिज
खनिज के कुछ मुख्य खनिज निम्नलिखित होते हैं।
1. लौह अयस्क
लोहा एक धात्विक खनिज है। यह प्रकृति में शुद्ध रूप में नहीं पाया जाता है बल्कि यौगिक या अयस्क के रूप में मिलता है। लौह अयस्क चार प्रकार के होते हैं :
(a). मैग्नेटाइट :- यह काले रंग का सबसे अच्छा किस्म का चुंबकीय लौह अयस्क है। जिसमें धातु का अंश 72% पाया जाता है। इस धातु में वैनेडियम, टाइटेनियम तथा क्रोमियम के भी अंश पाए जाते हैं।
(b). हेमेटाइट :- इसमें धातु का अयस्क 60 से 70% तक होता है। यह अक्सीजन और लोहे का मिश्रण होता है। लोहे का यह दूसरा सबसे अच्छा किस्म है।
(c). लिमोनाइट :- यह जलयोजित लोहा ऑक्साइड प्रदान कराता है। जिसमें 40 से 50% लोहे का अंश होता है। यह भी अवसादी शैल चट्टानों से ही प्राप्त किया जाता है।
लौह अयस्क के प्रमुख उत्पादक देश चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, कनाडा, मलेशिया, स्वीडन, स्पेन, जापान है।
2. मैग्नीज
मैगनीज लोहे के साथ में लाने वाला प्रमुख खनिज है जो अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। इसका उपयोग Dry Cells के निर्माण, चमड़ा तथा माचिस उद्योगों में, चीनी के बर्तन, पॉटरी और कीटाणु नाशक दवा में होता है।
साइलोमिलेन तथा ब्राॅनाइट 90% मैंगनीज अयस्क का निर्माण करती हैं। इससे मैग्नेटाइट, रोडॉक्रोसाइट जैसे अयस्क से भी प्राप्त किया जाता है।
सबसे ज्यादा मैग्नीज उत्पादन करने वाले देश चीन, दक्षिण अफ्रीका, कजाकिस्तान, भारत, ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कांगो, मोरक्को, घाना है।
3. बॉक्साइट
यह एलुमिनियम धातु का अयस्क है। बॉक्साइट में एलुमिना की मात्रा 55 से 65% तक होती है। एलुमिनियम का उपयोग एयरोनॉटिक्स स्वचालित वाहनों रसायन विद्युत तथा बर्तन बनाने में किया जाता है।
बॉक्साइट उत्पादन करने वाले प्रमुख उत्पादक देश ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, गिनी, दक्षिण अफ्रीका, भारत है।
4. तांबा
तांबा का उपयोग बहुत पहले से होता आ रहा है इसका प्रयोग विद्युतीय उद्योगो, बल्ब, मोटर, बर्तन, ताले, घड़िया तथा रंगाई में होता है। तांबे में टिन को मिलाने से कांस्य (Brass) तथा जस्ते को मिलाने से पीतल बनता है।
तांबा उत्पादन करने वाले प्रमुख देश चिल्ली, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कांगो, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, क्यूबा, मेक्सिको, जांबिया, जापान है।
5. टिन
टिन को कैसीटेराइट से प्राप्त किया जाता है। इसका उपयोग मिश्र धातुओं के निर्माण, दवाइयों, रंग व चमकाने वाले पदार्थ, कनस्तर, डिब्बा, ट्यूब, मोटर, वायु यान तथा सोल्डरिंग और विद्युत उद्योग में होता है।
टिन उत्पादन करने वाले प्रमुख देश चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया, दक्षिण अमेरिका है।
6. शीशा
शीशा को गैलना खनिज अयस्क से प्राप्त किया जाता है जिसमें जस्ता और चांदी मिले हुए रहते हैं।
शीशा का उपयोग लोहे की चादरों में कोटिंग, अम्लीय टैंकों की लाइनिंग, स्टोरेज बैटरी, प्लंबिंग का सामान, वायुयान, विद्युत तारों तथा कैलकुलेटिंग मशीनों को बनाने में किया जाता है।
शीशा के प्रमुख उत्पादक देश ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और पेरू है।
7. जस्ता
जस्ता को स्फेलेराइट खनिज अयस्क से प्राप्त किया जाता है। इसका सबसे ज्यादा उपयोग लोहे को जंग से बचाने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा मिश्र धातु, Dry Cells, इलेक्ट्रोड, पेंट, स्याही, माचिस इत्यादि बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। जस्ते को तांबे के साथ मिलाने पर पीतल तैयार होता है जबकि जस्ता, तांबा, निकेल को मिलाने पर जर्मन सिल्वर तैयार होता है।
विश्व में जस्ता के मुख्य उत्पादक देश ऑस्ट्रेलिया पेरू संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत है।
8. अभ्रक
अभ्रक एक हल्का खनिज है जो परतदार और लचीला होता है। इसका उपयोग इंसुलिन के रूप में, मोटरों में, रेडियो उद्योग तथा रडार में होता है।
प्राकृतिक अभ्रक के उत्पादन में चीन का विश्व में पहला स्थान है जबकि दूसरा स्थान संयुक्त राज्य अमेरिका का और तीसरा स्थान दक्षिण कोरिया का है। अभ्रक सीट के उत्पादन तथा भंडारण में भारत का विश्व में पहला स्थान है।
9. सोना
सोना का उपयोग गहने, इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि बनाने और दातों इत्यादि में होता है। दुनिया में सोना का सबसे ज्यादा खपत भारत में होता है।
विश्व में सोना के सबसे ज्यादा उत्पादक देश चीन, ऑस्ट्रेलिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा है।
10. चांदी
चांदी का उपयोग गहनों, सिक्कों, फोटोग्राफी और दवाइयों में होता है चांदी का मुख्य अयस्क पायजाराइट और अर्जेंटाइट है।
विश्व में चांदी का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले देश मेक्सिको, पेरू, चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया है।
11. हीरा
हीरा तीन प्रकार के भौगोलिक स्थितियों में पाया जाता है किम्बरलाइट पाइप, कंग्लोमेरेट बेड्स और एल्युविअल ग्रेवाल।
दुनिया में हीरे के सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला देश रूस, कांगो और ऑस्ट्रेलिया है।
खनिजों की आवश्यकता क्यों है
खनिज हमारे दैनिक जीवन में बुनियादी और आवश्यक कच्चे माल हैं और आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। नीचे दिए गए उदाहरण दैनिक जीवन में उनके उपयोग को बताते हैं
1. बर्तन :- आपके बर्तन मिट्टी से बन सकते हैं लेकिन वह ज्यादा आरामदायक नही होते हैं। आमतौर पर बर्तन एल्यूमीनियम या स्टील के बनते है जिससे खाने या बर्तन धोने में कोई कठिनाई नहीं होती है।
2. पैकेजिंग :- खाने-पीने की चीजों को एल्युमिनियम या स्टील के डिब्बे में पैक किया जा सकता है। धातु से बने Container प्लास्टिक की तुलना में कम हानिकारक होते है।
3. भोजन :- खाना बनाते समय नमक को भोजन में मिलाया जाता है जो की एक प्रकार का खनिज है। इसके अलावा भोजन में कई प्रकार के खनिज पाए जाते हैं।
4. कृषि :- फॉस्फेट रॉक, पोटाश और चूने का उपयोग खेती में उर्वरकों में किया जाता है और अन्य खनिज उत्पादों का उपयोग मिट्टी को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। आप जो पानी पीते हैं, उसे साफ करने के लिए मिनरल्स का इस्तेमाल होता है।
5. निर्माण :- खनिजो का उपयोग Building बनाने में भी किया जाता है। खनिजों का उपयोग घरों, स्कूलों, पुस्तकालयों, अस्पतालों, कार्यालयों और दुकानों के निर्माण में किया जाता है।
लोहे (स्टील के रूप में) बड़ी इमारत के ढांचे में, ईंटों और छत की टाइलों में मिट्टी, छत टाइलों के लिए स्लेट, चूना पत्थर, चिकनी मिट्टी, सीमेंट में शेल और जिप्सम, प्लास्टर में जिप्सम, तारों के लिए तांबा, बाथरूम फिक्स्चर और फिटिंग और टाइल्स के लिए मिट्टी इत्यादि ख़निजो उपयोग Building बनाने में किया जाता है।
6. ऊर्जा :- खनिज जैसे कोयला, तेल, गैस, यूरेनियम का उपयोग आपको गर्मी, गर्म पानी और बिजली देने के लिए किया जाता है। कार, बस और ट्रेन सभी ईंधन का उपयोग करते हैं जो मुख्य रूप से तेल से आता है।
7. प्रौद्योगिकी और संचार :- सूचना टेक्नोलॉजी हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। हम में से कई लोगों के पास कंप्यूटर और मोबाइल फोन है। इन टेक्नोलॉजी में तांबा, सोना, प्लेटिनम, टैंटलम, टिन, जस्ता और निकल के साथ ही खनिजों और धातुओं की आवश्यकता होती है।
8. परिवहन या ट्रांसपोर्ट :- आपके द्वारा की जाने वाली प्रत्येक यात्रा खनिजों पर निर्भर करती है, चाहे वह कार, ट्रेन, हवाई जहाज, नाव या पैदल हो।
सड़कों और फुटपाथों के लिए (चट्टान और रेत ) का उपयोग किया जाता है, जबकि स्टील से बने रेलवे ट्रैक (जिन्हें गिट्टी के रूप में जाना जाता है) पर बिछाया जाता है।
हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन और शिपिंग बंदरगाह सभी निर्माण खनिजों के निर्माण के लिए बड़ी मात्रा में उपयोग करते हैं।
कार, ट्रेन, नाव और साइकिल सभी स्टील और एल्युमिनियम जैसी धातुओं का उपयोग करके बनाए जाते हैं।
Aeroplane के इंजन मिश्र धातु नामक धातुओं के मिश्रण पर निर्भर करते हैं जो निकल, कोबाल्ट, क्रोमियम, एल्यूमीनियम और टाइटेनियम धातुओं से बने होते हैं। प्रत्येक कार में खनिजों से बने 15,000 से अधिक Components होते हैं।
खनिजों का संरक्षण
खनिजो को खर्च करने की मात्रा इतनी अधिक है कि कुछ खनिज संसाधन जो गैर-नवीकरणीय हैं, बहुत जल्द समाप्त हो जाएंगे और उन्हें पुनः प्राप्त नही कर सकते हैं।
इसीलिए हमें खनिजो का संरक्षण करना चाहिए। उनका उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए।
खनिजों के संरक्षण के उपाय
- खनिजों का उपयोग योजना के साथ और टिकाऊ तरीके से किया जाना चाहिए।
- धातुओं का पुनर्चक्रण मतलब Recycle या Reuse करना चाहिए।
- निचले स्तर के अयस्कों का अच्छे से उपयोग करने के लिए टेक्नलॉजी को और ज्यादा Develop किया जाना चाहिए
भोजन में खनिज
खनिज मानव शरीर द्वारा सही ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक अकार्बनिक पदार्थ हैं। मजबूत हड्डियों और मांसपेशियों के निर्माण के लिए मानव शरीर को प्रतिदिन अलग-अलग मात्रा में खनिजों की आवश्यकता होती है।
यह विभिन्न शारीरिक कार्यों को बनाए रखने में भी मदद करता है। इसलिए, हम इन पोषक तत्वों को खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से प्राप्त करते हैं।
जब शरीर को पर्याप्त खनिज नहीं मिलते हैं, तो कुछ पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोग उत्पन्न हो सकते हैं। घेंघा, ऑस्टियोपोरोसिस, एनीमिया, हाइपोमैग्नेसीमिया, डायरिया खनिज की कमी से होने वाले रोगों के कुछ उदाहरण हैं।
चट्टान और खनिज के बीच अंतर क्या हैं
चट्टानों और खनिजों के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर निम्नलिखित हैं।
चट्टान | खनिज |
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चट्टानों को ठोस द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो भौगोलिक सामग्रियों से बना होता है। | दूसरी ओर खनिजों को अकार्बनिक रासायनिक यौगिकों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो प्राकृतिक रूप से बनते हैं। |
चट्टानें खनिजों से बनी होती हैं। | खनिज चट्टानों से नहीं बनते। |
चट्टानों की बनावट एक समान नहीं होती है। | खनिजों की बनावट एक समान होती है। |
चट्टानें छोटी होती हैं। | खनिज छोटे नहीं होते हैं और इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। |
चट्टानें पृथ्वी पर ठोस रूप में मौजूद हैं। | खनिज पृथ्वी पर खनिज अयस्क के रूप में मौजूद हैं। |
चट्टानों की एक परमाणु संरचना होती है। | खनिजों में एक क्रिस्टलीय और रासायनिक संरचना होती है। |
चट्टानों का उपयोग निर्माण कार्यों जैसे सड़कों, भवनों आदि के निर्माण के लिए किया जाता है। | खनिजों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों जैसे प्रौद्योगिकी, फैशन, निर्माण आदि के लिए किया जाता है। |
चट्टानों के गुण हैं: आकार, रंग, चमक, बनावट। | खनिजों के गुण हैं: रंग, क्रिस्टल, कठोरता, गुरुत्वाकर्षण। |
चट्टानों का कोई निश्चित आकार या रंग नहीं होता है। | खनिजों का एक निश्चित रंग और आकार होता है। |
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