भारत ही नहीं दुनिया के अनेक देशों में होली का त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है लेकिन होली क्यों मनाई जाती है यह जानकारी बहुत कम लोगो को होती है इसलिए इस पेज पर हमने होली के त्यौहार से संबंधित समस्त जानकारी शेयर की है।
पिछले पेज पर हम महा शिवरात्रि त्यौहार की जानकारी शेयर कर चुके है उसे जरूर पढ़ें।
चलिए अब होली क्यों मनाई जाती है की जानकारी को पढ़कर समझते है।
होली क्या हैं
होली वसंत ऋतु में बनाया जाने वाला त्यौहार हैं। भारत के लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली के त्यौहार को मनाते है।
वही किसान की फसल की अच्छी पैदावार होने की खुशी में इस त्यौहार को मनाया जाता हैं। जिसे सभी धर्म के लोग मिलकर हर्ष और उल्लास के साथ मानते है।
होली का उत्सव फागुन मास के अंतिम रात्रि में होलिका दहन से शुरू हो जाता हैं अगले दिन सभी लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं एवं होली की शुभकामनाएं देते हैं।
दोस्त रिश्तेदार एवं परिजन प्यार से एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं।
होली के दिन प्रकृति का वातावरण रंगीन हो जाता हैं और चारों तरफ सिर्फ खुशियां ही खुशियां दिखाई पढ़ती हैं।
2024 में होली कब हैं
वर्ष 2024 में होली दहन 25 मार्च, दिन सोमवार को होगा एवं रंगो की होली 26 मार्च, दिन मंगलवार को मनायी जाएगी।
होली क्यों मनाई जाती है
होली के त्यौहार को मनाने के पीछे अनेक कारण और कहानियाँ जुड़ी हैं इनमें से सबसे प्रसिद्ध प्रह्लाद और हिरण्य कश्यप की कहानी हैं।
होली की यह कथा भक्त प्रह्लाद से संबंधित हैं जिसे पढ़कर आप समझ जाएंगे कि होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं भक्त प्रह्लाद की यह कथा बहुत ही प्रसिद्ध हैं क्योंकि इसमें बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा मिलती हैं तो चलिए भक्त प्रह्लाद की कहानी को पढ़ते हैं।
भगवान विष्णु भक्त प्रह्लाद की कथा
माना जाता हैं कि प्राचीन काल में हिरण्य कश्यप नाम का अत्यंत बलशाली असुर था। हिरण्य कश्यप इतना अहंकारी था कि वह खुद को ईश्वर मानने लगा। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर पाबन्दी लगा दी थी।
हिरण्य कश्यप के राज्य में जो व्यक्ति ईश्वर का नाम लेता उसे मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई जाती थी।
हिरण्य कश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का परम भक्त था। हिरण्य कश्यप ने भक्त प्रह्लाद को बुला कर भगवान के नाम को जपने से मना किया और कहाँ की इस संसार का भगवान मैं हूँ इसलिए तुम्हें मेरी पूजा करनी चाहिए।
भक्त प्रह्लाद ने स्पष्ट रूप से अपने पिताजी से कहा कि पिताजी! परमात्मा ही समर्थ है। प्रत्येक कष्ट से परमात्मा ही बचा सकता है। मानव समर्थ नहीं है।
यदि कोई भक्त भगवान की आराधना करके एवं तपस्या करके ईश्वर से कुछ शक्ति प्राप्त कर भी लेता है तो वह सामान्य व्यक्तियों में तो उत्तम हो जाता है, परन्तु परमात्मा से कभी बड़ा नहीं हो सकता।
प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्य कश्यप क्रोध से लाल पीला हो गया और उसने सैनिकों को आदेश दिया कि इसको ले जाओ मेरी आँखों के सामने से और जंगल में सर्पों बीच डाल आओ।
सर्प के डसने से यह मर जाएगा। ऐसा ही किया गया। परंतु प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ क्योंकि सर्पों ने प्रह्लाद को नहीं डसा और प्रह्लाद सुरक्षित महल वापिस आ गया।
हिरण्य कश्यप ने मंत्री और सैनिकों को आदेश दिया कि प्रह्लाद को ले जाओ और ऊँची पहाड़ी से फेंक दो जैसे ही सैनिकों ने प्रह्लाद को पहाड़ी से नीचे फेंका भगवान विष्णु ने अपनी गोद में प्रह्लाद को ले लिया और प्रह्लाद बच गया।
तब क्रोध में आकर हिरण्य कश्यप ने प्रह्लाद को उबलते हुए तेल में डालने की योजना बनायी लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के जाप में मग्न था सैनिकों ने प्रह्लाद को उबलते तेल में डाला लेकिन प्रभु के आशीर्वाद से प्रह्लाद को कुछ ना हुआ।
हिरण्य कश्यप प्रह्लाद से परेशान हो गया क्योंकि वो प्रह्लाद को मारने में असफल था तब हिरण्य कश्यप की बहिन होलिका हिरण्य कश्यप के पास आयी और बोली भैया मुझे ब्रम्हाज़ी का वरदान हैं यदि में इस ओढ़नी को ओढ़ कर आग मैं बैठू तो आग मुझे भस्म नहीं कर सकती।
तब हिरण्य कश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि तुम इसी ओढ़नी को ओढ़ कर प्रह्लाद को खोद में लेकर बैठो जिससे प्रह्लाद जल कर भस्म हो जाएगा और तुम सुरक्षित बाहर आ जाओगी।
होलिका प्रह्लाद को खोद में लेकर जल्दी हुई आग में बैठ गयी भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु का जाप कर रहे थे तभी तेज हवा आयी और होलिका की ओढ़नी उड़ गई और होलिका आग में भस्म हो गई।
भक्त प्रह्लाद सकुशल आग ने नीचे आ गए तब से आज तक ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।
प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है।
होली का इतिहास
होली भारत का सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं वाला पर्व है जो प्राचीन समय से मनाया जाता हैं इस त्यौहार को होली, होलिका या होलका जैसे नामों से जाना जाता हैं।
वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव भी कहा गया है।
इस त्यौहार का उल्लेख भारत की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों जैसे – पुराण, दशकुमार चरित्र, संस्कृत नाटक, रत्नावली में किया गया हैं।
इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों में भी इस त्यौहार का प्रचलन हुआ करता था लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था।
होली का त्यौहार अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है। इनमें प्रमुख हैं, जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र।
नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी इस त्यौहार का उल्लेख मिलता है।
विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर स्थित ईसा से 300 वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इसका उल्लेख किया गया है।
संस्कृत साहित्य में वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव अनेक कवियों के प्रिय विषय रहे हैं। सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है।
भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में कहाँ हैं कि होलिकात्सव केवल हिंदू ही बल्कि मुस्लिम लोग भी मनाते हैं। इतिहास में मुगल काल से इसका उल्लेख मिलता हैं।
अकबर का जोधाबाई के साथ तथा जहाँगीर का नूरजहाँ के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है।
शाहजहाँ के समय तक होली खेलने का मुग़लिया अंदाज़ ही बदल गया था। इतिहास में वर्णन है कि शाहजहाँ के ज़माने में होली को ईद-ए-गुलाबी कहा जाता था।
अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के बारे में प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाया करते थे।
मध्ययुगीन हिन्दी साहित्य में दर्शित कृष्ण की लीलाओं में भी इसका का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर इस उत्सव के चित्र मिलते हैं।
होली कैसे मनाई जाती हैं
होली मौज-मस्ती और रंगों का त्यौहार इसलिए भारतवासी इस दिन को धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं और हर गली मोहल्ले में होलिका दहन होता हैं।
गली-मोहल्ले चौराहे में गुलरी, कण्डों और लड़कियों से बड़ी से बड़ी होली सजाई जाती हैं।
इसके बाद भक्त प्रह्लाद का पुतला और होलिका का पुतला मनाया जाता हैं और उसे होलिका में रख कर जलाया जाता हैं और भक्त प्रह्लाद के पुतले को रस्सी द्वारा खींच लिया जाता हैं।
होलिका की अग्नि से हर घर में होलिका दहन होता हैं एवं होली की उसी अग्नि से बाटी चूरमा बनता हैं और सभी घर वाले प्रेम से भोजन ग्रहण करते हैं।
अगले दिन दोस्तों रिस्तेदारों एवं परिजनों और मुहल्ले वालों के साथ होली का त्यौहार सेलिब्रेट किया जाता हैं।
सभी एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते और डांस करते हैं एवं परिजनों को मिठाइयां खिलाते हैं और रंग-गुलाल उड़ाकर खुशियां मानते हैं।
वृन्दावन की लठ मार होली तो सभी जानते हैं क्योंकि वृन्दावन में सबसे ज्यादा धूमधाम से इस त्यौहार को मनाया जाता हैं इसलिए दूर-दूर से वृंदावन की लठमार होली देखने लोग आते हैं।
इस दिन घरों में खीर, पूरी पकवान बनाए जाते हैं और उन्हीं पकवान का भोग लगाया जाता हैं। बच्चे-बूढे सभी खुशी से इस त्यौहार को सेलिब्रेट करते हैं और होली के गीत गाते हैं।
होली के लाभ
- होली के दिन परिवार के सभी सदस्य एवं दोस्त एक साथ होली खेलते हैं एवं एकजुट रहते हैं।
- भारतीय विदेशों में रहने वाले अपनी मातृभूमि के रंगों को लगाकर होली खेलते हैं।
- होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना चाहिए।
- होली के दिन दोस्तों के साथ ढोल की ताल पर नृत्य करते हैं और होली के उत्साह का आनंद उठाते हैं।
- होली के दिन लोग अपने सारे गिले, शिकवे भूल कर एक दूसरे को गले लगाते हैं। और हर्ष उल्लास के साथ होली का त्यौहार मानते हैं।
होली के दुष्प्रभाव
- प्राचीन काल में लोग चन्दन और गुलाल से होली खेलते थे। लेकिन आज के समय में गुलाल, प्राकृतिक रंगों के साथ रासायनिक रंगों का प्रचलन बढ़ गया है l
- आज जिन रंगों से आप होली खेलते हैं वो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं जो त्वचा के साथ आँखों पर भी बुरा असर डालते हैं।
- प्राचीन समय में लोग खुद के हाथों से भाग पीस कर ठण्डाई बनाते थे लेकिन आजकल भांग और ठंडाई की जगह नशे की दवाई मिला देते हैं जो सेहद के लिए हानिकारक हैं।
- संगीत की जगह फ़िल्मी गानों का प्रचलन आधुनिक समय में अत्यधिक बढ़ गया हैं। जगह जगह शराब के नशे में लोग मित्रों से मिलने के लिए निकलते हैं और दुर्घटनाओ का शिकार हो जाते हैं।
इस पेज पर आपने होली क्यों मनाई जाती हैं पोस्ट को पड़ा, उम्मीद हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।
यदि आपको होली क्यों मनाई जाती है वाला आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया पर दोस्तों के साथ शेयर करना मत भूले।
ha vo to hai bhai
Thank u bhai but apke articles bhot ache hai mai apki tara kabhi nhi likh skta
Hello,
Article Writing ek Skill hai jo practice se achha hota hai.
Main aur meri team roj nya pdti aur likhti hai jisse improvement aate hai.
Aap v regular articles likhe aap v jaldi achha kar payege.
Keep Visiting and Sharing Feedback Like This.
Apki post hmesha he achi hoti hai mai soch raha hu ki apko mai apka teacher bana lu bhai itna acha likhte kaise ho maine apna ek new blog start kiya hai please usko bhi check kro ki kaisa likha hua hai.
Hello Gurkirat,
Apka blog design bahut achha hai.
Regular articles share karte rhiye apko jaldi saflta prapt hogi.
Keep Visiting.