रूस और यूक्रेन के युद्ध का मुख्य कारण

बीते 1 हफ्ते से पूरे विश्व में सनसनी मची हुई है, जहां हर कोई चिंतित नजर आ रहा है। लोग टीवी पर नजरें गड़ाए होते हैं कि अब आने वाले समय में क्या होने वाला है?

जी हां हम बात कर रहे हैं रूस और यूक्रेन के युद्ध की, जहां कई लोगों को आर्थिक, शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ा है जिससे कहीं ना कहीं उनका सामाजिक जनजीवन भी अस्तव्यस्त हो रहा है। 

जब भी किसी युद्ध की दस्तक होती है, तो इसके पीछे कई प्रकार की वजह सामने आती है। ऐसे में आज हम आपको रूस और यूक्रेन के युद्ध की होने वाली मुख्य वजह के बारे में बताने वाले हैं जिससे कई सारे लोग अनजान हैं।

रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति कौन है

किसी भी देश की जिम्मेदारी उनके राष्ट्रपति के ऊपर होती है जो सही तरीके से देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं।

ऐसे में दो मुख्य देश जिनके बारे में ज्यादा से ज्यादा आज के समय में बात की जा रही है वह है रूस और यूक्रेन। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ( Vladimir Putin) और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेन्सकी (Volodymyr Zelenskyy) हैं।

रूस और यूक्रेन के युद्ध से संबंधित इतिहास

देखा जाए तो रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह काफी पुरानी नहीं है। यूक्रेन शुरुआत में सोवियत संघ का एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में जाना जाता था लेकिन किन्ही कारणों से यूक्रेन ने 1991 में स्वतंत्र रूप से शासन करने की घोषणा की जहां पर सोवियत संघ का दबाव पूर्ण रूप से खत्म हो चुका था।

जब यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हो गया उसके बाद से ही लगातार रूस को इस बात से शिकायत बनी रही कि इस स्थिति के बाद रूस की शक्ति और दुनिया के सामने प्रदर्शित प्रभाव में काफी बड़ा नुकसान हो सकता है।

और इसीलिए हमेशा ही रूस के सामने यह दिक्कत खड़ी हो रही थी कि यूक्रेन एक समृद्ध और लोकतांत्रिक यूरोपीय देश है, ऐसे में आने वाले समय में सोवियत संघ से अलग होने के बाद निश्चित रूप से ही रूस को एक बड़ा नुकसान हो सकता है।

इसके अलावा यूक्रेन के सोवियत संघ से अलग होने के बाद रूस के प्रति एक अलग ही आलोचनात्मक व्यवहार देखा जा रहा था जिसके मद्देनजर दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो रहे थे।

हालांकि एक समय ऐसा भी था जब रूस के साथ यूक्रेन का काफी घनिष्ठ संबंध माना जाता रहा लेकिन 1991 के बाद सारी स्थिति में बड़ा बदलाव देखा गया था।

रूस यूक्रेन युद्ध में नाटो की भूमिका और वजह

बीते कुछ दिनों से रूस और यूक्रेन युद्ध काफी हद तक बढ़ता चला जा रहा है जहां पर काफी हद तक नुकसान होने की आशंका है। ऐसे में रूस और यूक्रेन युद्ध में नाटो की मुख्य भूमिका माना जा रहा है और कहीं ना कहीं यह ही युद्ध की वजह भी हो सकती है। 

दरअसल नाटो एक ऐसा सैन्य समूह है जिसके अंतर्गत लगभग 30 देश शामिल हैं जिनमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे बड़े देश शामिल हैं। ऐसे में यूक्रेन भी नाटो के सदस्य में शामिल होना चाहता है लेकिन इस बात से रूस को खास ऐतराज है।

रूस यूक्रेन युद्ध में नाटो की भूमिका

दरअसल रूस का ऐसा मानना है कि अगर यूक्रेन भी अन्य देशों की तरह नाटो का सदस्य बन जाता है, तो निश्चित रूप से ही रूस को भारी खतरा उठाना पड़ सकता है और फिर अमेरिका जैसे देश रूस पर काफी हद तक हावी हो जाएंगे।

ऐसे में यह सर्वविदित है कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल होता है तो उसकी सैन्य सहायता काफी हद तक बढ़ जाएगी और फिर रूस चारों तरफ से दुश्मनों से गिर जाएगा। 

ऐसे में इस युद्ध की मुख्य वजह यह भी मानी गई है जब यूक्रेन ने खुद को नाटो में शामिल होना सही बताया तो वहीं रूस ने यूक्रेन को नाटो में शामिल होने के लिए बड़ा विरोध भी दर्ज किया था।

यूक्रेन और रूस युद्ध में होने वाली असमानताएं

जब बात यूक्रेन और रूस युद्ध की हो रही है, तब हम इसमें कई सारी असमानताएं देखते हैं जहां पर उसका पलड़ा कहीं ज्यादा भारी नजर आता है। रूस एक ऐसा देश है जिसके पास एक बड़ी सैन्य शक्ति है जो लगभग 2.9 मिलियन है वही यूक्रेन की अब सैन्य शक्ति काफी कम जो कि 1.1 मिलियन है।

इस युद्ध में यूक्रेन की तरफ से कई सारे लड़ाकू विमान भी हैं जिनमें मुख्य रुप से 98 लड़ाकू विमान शामिल है तो वहीं रूस के पास करीब 1500 लड़ाकू विमान है, जो आसानी के साथ जीत हासिल कर पाने के लिए सक्षम है।

यूक्रेन के पास अपेक्षाकृत कम हेलीकॉप्टर, टैंक और वाहन है जिसके मद्देनजर रूस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।

भारत की रूस और यूक्रेन युद्ध में मुख्य भूमिका

यह युद्ध इस समय पूरे विश्व भर में एक अहम मुद्दा लेकर खड़ा है जहां पर भारत की भी मुख्य भूमिका देखी जा रही है।

सामान्य रूप से देखा जाता है कि रूस के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं, जहां से भारत लगभग 60 फ़ीसदी हथियार खरीदता है तो वही यूक्रेन का साथ अमेरिका दे रहा है और अमेरिका के साथ भी भारत के काफी अच्छे संबंध है। 

ऐसे में भारत, रूस और यूक्रेन में से किसी एक का चुनाव नहीं कर सकता क्योंकि दोनों सहयोगियों के साथ भारत के बहुत अच्छे संबंध स्थापित है, ऐसे में भारत के लिए काफी ज्यादा असमंजस की स्थिति है जहां कोई निर्णय लेना आसान नहीं होगा।

रूस और यूक्रेन के युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल

रूस और यूक्रेन के इस युद्ध में हार और जीत चाहे किसी भी देश की हो लेकिन एक बड़ा आर्थिक, सामाजिक नुकसान निश्चित रूप से दोनों ही देशों का होने वाला है।

जहां अब रूस की सेना लगातार अंदर के इलाकों में घुसी चली जा रही है वहीं इस बात का भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि यूक्रेन के लिए 24 घंटे अहम होने वाले हैं। 

इसके अंतर्गत इस बात पर भी संदेह किया जा रहा है कि इस युद्ध में रूस की ओर से परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसके बाद पूरे विश्व में एक गहरा आघात पहुंच सकता है। 

हालांकि इस बात की पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल रूस के द्वारा कब तक किया जा सकता है या फिर इन इस्तेमाल को करने से रोका जा सकेगा या नहीं?

रूस और यूक्रेन के युद्ध में होने वाले नुकसान

जब भी विश्व में किसी प्रकार के युद्ध की आहट होती है तो इससे कई सारे नुकसान होते हैं। इतिहास गवाह है कि जितने भी युद्ध इतिहास में हो चुके हैं सभी में जान और माल की हानि हुई है। 

ऐसे में रूस और यूक्रेन के युद्ध में कई नुकसान हो रहा है जिसमें लगातार कई लोगों की जान जा रही है साथ ही साथ आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कई लोग छुपकर रहने पर मजबूर हैं और उन्हें लगातार ठंड की वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

रूस और यूक्रेन युद्ध में भारतीय विद्यार्थियों की हालत खराब-

कई सारे विद्यार्थी ऐसे हैं जो भारत से यूक्रेन में जाकर अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाते हैं जिनमें से अधिकांश मेडिकल की पढ़ाई करते हैं।

ऐसे में जब रूस और यूक्रेन युद्ध की बात सामने आई तो वहां लगभग 20000 विद्यार्थियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और इस वजह से भारत सरकार ने उन सभी विद्यार्थियों को सकुशल भारत लाने की योजना बनाई है। 

जिसके तहत सभी भारतीयों को यूक्रेन से बाहर लाने की बात की जा रही है जिनमें से अब तक भारत के प्रतिनिधित्व अलग-अलग देशों में जाकर सुरक्षित विद्यार्थियों को बाहर लाने का प्रयास कर रहे हैं।

रूसी विमानों को रोकते हुए कई देशों ने किया यूक्रेन का समर्थन-

जब से इस युद्ध की घोषणा हुई है तब से ही लगातार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाया जा रहा है और रूसी विमानों को रोकते हुए यूक्रेन का समर्थन कुछ देशों ने किया है।

जिनमें मुख्य रुप से फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इटली, चेक गणराज्य, पोलैंड, लताविया, एस्टोनिया, स्लोवेनिया, रोमानिया आदि शामिल है।

जहां पर अपने अपने क्षेत्र की हवाई सेवा को बंद कर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है हालांकि ऐसा महसूस नहीं होता कि पुतिन को इस बात से जरा भी  फर्क पड़ा है।

रूस और यूक्रेन युद्ध में हो हुई कई लोगों की मौत –

इस युद्ध के बढ़ते कदम के मद्देनजर रूसी हमलों में यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस की वजह से अब तक 352 लोग लोगों की मौत हुई है जिनमें 14 बच्चे भी शामिल है।

इसके अतिरिक्त लगभग 1700 लोग घायल हुए हैं। एक अनुमान के अनुसार इस युद्ध में भारी क्षति होने की आशंका है जिसमें जान माल का खतरा बना हुआ है और घायलों की संख्या बढ़ सकती है।

ऐसे में विभिन्न देशों के माध्यम से युद्ध को खत्म किए जाने के लिए जोर दिया जा रहा है हालांकि इस बात की कोई भी पुष्टि नहीं की गई है कि युद्ध पर विराम कब तक लग पाएगा?

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.