आचार संहिता क्या हैं आचार संहिता के नियम, इतिहास और वर्तमान स्थिति

इस पेज पर आप आचार संहिता की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो यदि आप आचार संहिता की जानकारी पढ़ना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।

पिछले पेज पर हमने भामाशाह योजना की जानकारी शेयर की हैं तो चलिए इस आर्टिकल को पढ़ना शुरू करते हैं।

आचार संहिता क्या हैं

सामान्यतः आचार संहिता का तात्पर्य उन नियमों से हैं जिसके आधार पर कोई समूह या संगठन कार्य करते हैं। भारत में आचार संहिता का अर्थ वैसे नियमों का समूह है जिसके आधार पर चुनाव के दौरान उम्मीदवार और राजनीतिक दल अपने कार्यों का संचालन करते हैं।

आचार संहिता को भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किया जाता हैं। इन नियमों का संबंध चुनाव के दौरान उम्मीदवार और राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले कार्य जैसे भाषण, जुलूस इत्यादि से संबंधित होते हैं।

आचार संहिता का इतिहास

सर्वप्रथम सन् 1960 में केरल राज्य के विधान सभा चुनाव में राज्य प्रशासन द्वारा पहली बार आचार संहिता लागू किया गया था। उसके बाद 1962 के लोकसभा और राज्य सभा चुनाव के दौरान आचार संहिता को राष्ट्रीय स्तर पर जाना गया।

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के उद्देश्य से आचार संहिता को राष्ट्रीय तौर पर अपनाया गया। 1967 के बाद के चुनावों में कई राज्यों द्वारा आचार संहिता को अपनाया गया।

भाग IV और V :-  चौथे और पांचवें भाग में राजनीतिक दल और उम्मीदवारों के मतदान बूथ को नियंत्रित करने का प्रावधान हैं।

भाग VI :-  छठवें भाग में चुनाव के संचालन से संबंधित शिकायतों के निवारण का प्रावधान हैं।

भाग VII और VIII :-  सातवां और आठवां भाग राजनीतिक दलों और चुनाव घोषणा पत्र से संबंधित है। चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लागू करने के लिए राज्य स्तरीय बैठक भी की गई।

इस बैठक में राजनीतिक दलों से आचार संहिता के अनुसार चुनाव कराने की अपील की गई। उसके बाद 1 जनवरी 1974 को एक संहिता जारी की गई।

आचार संहिता की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में आचार संहिता आठ भागों से मिलकर बना है, जो निम्नलिखित हैं।

भाग I :-  प्रथम भाग में राजनीतिक दल, कार्यकर्ता के आचरण और व्यवहार को नियंत्रित करने का प्रावधान हैं।

भाग II और III :- दूसरे और तीसरे भाग में बैठक का आयोजन करने और जुलूस निकालने जैसे कार्यों को नियंत्रित करने का प्रावधान हैं।

आचार संहिता के नियम

आचार संहिता के अंतर्गत निम्नलिखित विषयों से संबंधित नियम होते हैं।

1. सामान्य आचरण से संबंधित नियम

  • किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के द्वारा ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया जायेगा जिससे जनता में आपसी नफरत बढ़े या विभिन्न जाति, धर्म, समुदाय में किसी प्रकार का मतभेद हो।
  • किसी भी पार्टी या राजनितिक दल द्वारा किसी अन्य दल अथवा विपक्षी दल की नीतियों और कार्यक्रम की आलोचना ही की जा सकती हैं। उनके निजी जीवन से संबंधित कोई भी आलोचना नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा बिना सत्यापन के भी अन्य दल की आलोचना से बचना चाहिए।
  • वोट पाने के लिए किसी की जाति या सांप्रदायिक भावनाओं का उपयोग नहीं किया जायेगा और अपना चुनाव प्रचार मंदिर, मस्जिद जैसे पूजा स्थलों पर नहीं किया जायेगा।
  • उम्मीदवार और राजनीतिक दलों को भ्रष्टाचार से संबंधित कार्यों जैसे मतदाता को रिश्वत देने, डराने और मतदान केंद्र के 100 मीटर के अंदर प्रचार करने इत्यादि से बचना चाहिए।
  • सभी राजनितिक दल और उम्मीदवारों को एक समान समझा जायेगा। सभी राजनितिक दलों द्वारा जनता और व्यक्तियों का सम्मान किया जाएगा।
  • किसी भी राजनितिक दल और उम्मीदवार द्वारा झंडा लगाने, बैनर लगाने, नोटिस लगाने, नारे लिखने के लिए उस भूमि या भवन के मालिक से अनुमति लेनी होगी।
  • राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को यह ध्यान में रखना होगा की उनके लोग अन्य दलों के चुनावी गतिविधियों में किसी प्रकार की अशांति उत्पन्न नहीं करें।
  • एक पार्टी द्वारा लगाए गए पोस्टर, बैनर या नोटिस दूसरे पार्टी द्वारा नहीं हटाए जाएंगे।

2. बैठक से संबंधित नियम

  • किसी भी बैठक की जानकारी स्थानीय पुलिस को दी जाएगी।
  • किसी भी बैठक में लाउडस्पीकर जैसी अन्य सुविधा के लिए उससे सम्बन्धित अधिकारी से अनुमति ली जाएगी।
  • यदि बैठक के समय कोई व्यक्ति उसमें बाधा डालता है तो उसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए। स्वयं कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

3. जुलूस से संबंधित नियम

  • जुलूस के शुरू होने का समय, स्थान और मार्ग पहले से तय होना चाहिए।
  • जुलूस की जानकारी स्थानीय पुलिस को पहले से देनी होगी।
  • जुलूस को जितना संभव हो सके सड़क के दाईं तरफ ही निकला जायेगा और ड्यूटी पर तैनात पुलिस के निर्देशों का पालन किया जायेगा।
  • यदि दो राजनीतिक दल एक ही समय एक ही मार्ग से जुलूस निकलना चाहते हैं तो उसके लिए कोई उपाय ढूंढना होगा जिससे जुलूस में कोई टकराव न हो।
  • जुलूस में एक पार्टी द्वारा दूसरे पार्टी के उम्मीदवार के पुतले जलाने जैसे कार्य नहीं किए जायेंगे।

4.  मतदान के दिन से संबंधित नियम

  • सभी राजनीतिक दल और उम्मीदवार ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों का सहयोग करेंगे।
  • सभी राजनीतिक दल अपने कर्मचारियों को बैज या कोई पहचान पत्र प्रदान करेंगे।
  • राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा मतदान केंद्रों के पास लगाए गए शिविरों के पास अनावश्यक भीड़ नहीं होनी चाहिए। 
  • मतदान के दिन किसी भी प्रकार के प्रचार वाहन नहीं चलाए जायेंगे।

5. पोलिंग बूथ से संबंधित नियम

  • मतदाताओं को छोड़कर चुनाव आयोग से वैध पास के बिना कोई भी मतदान केंद्रों में प्रवेश नहीं करेगा।

6. अधिकारियों से संबंधित नियम

  • चुनाव आयोग द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है। यदि उम्मीदवारों या उनके एजेंट को चुनाव के संचालन से सम्बन्धित कोई शिकायत या समस्या है तो वह इसकी सूचना अधिकारियों को दे सकते हैं। 

7. चुनाव घोषणापत्र से संबंधित नियम

  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा 5 जुलाई 2013 को चुनाव आयोग को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सलाह से चुनाव घोषणापत्र तैयार करने का आदेश दिया गया था।

ऊपर दिए गए आचार संहिता के नियम चुनाव आयोग द्वारा जारी किए जाते हैं और देश में चुनाव इसी आचार संहिता के नियम के आधार पर होते हैं।

आचार संहिता का उल्लंघन : एक घटना

चुनाव में हिंसा, विरोधियों को खुली धमकियां देना, राजनीतिक सभा के आयोजन के लिए लाउडस्पीकरों और सार्वजनिक स्थानों का बड़े पैमाने पर और अवैध उपयोग करने से भारतीय चुनावों में कई बार आचार संहिता का उल्लंघन किया जा चुका हैं।

चुनाव से पहले और बाद की हिंसा को रोकने के लिए चुनाव आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिए जाने के बाद भी मई 2019 के चुनाव में पश्चिम बंगाल में हिंसा देखी गई।

इस घटना के प्रतिक्रिया में चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के 9 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावी प्रचार को कम करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करना पड़ा। ऐसा भारतीय चुनावी इतिहास में पहली बार हुआ था।

चुनाव आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल के प्रधान सचिव (गृह) अत्री भट्टाचार्य को उनकी पोस्टिंग से हटाने का आदेश भी दिया गया था। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि आचार संहिता की कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित रहती हैं जबकि राजनितिक दल खुलेआम नियमों का उल्लंघन करते हैं।

FAQs 

प्रश्न 1. क्या मतदान केंद्र में या उसके आसपास प्रचार करने पर कोई प्रतिबंध है?


उत्तर :- हाँ, मतदान के दिन मतदान केन्द्र से सौ मीटर की दूरी के भीतर मत आदि के लिए प्रचार करना वर्जित है।

प्रश्न 2. क्या मतदान केन्द्र में मोबाइल फोन के प्रयोग की अनुमति है?


उत्तर :- किसी भी व्यक्ति को मतदान केंद्र के 100 मीटर के परिधि में और मतदान केंद्र के भीतर
मोबाइल फोन, कॉर्ड लेस फोन, वायरलेस सेट इत्यादि ले जाने या उपयोग करने की अनुमति नहीं है।

केवल अधिकारी और सुरक्षा कर्मियों को ही मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति है, लेकिन वह अपने मोबाइल फोन को साइलेंट मोड में रखेंगे।

प्रश्न 3. क्या राजनीतिक दल या उम्मीदवार मतदाता को मतदान केंद्र तक लाने और ले जाने की व्यवस्था कर सकते हैं?


उत्तर :- नहीं, किसी भी प्रकार के वाहन द्वारा किसी भी मतदाता को मतदान केंद्र तक या वहां से ले जाने के लिए परिवहन का उपयोग एक अपराध है।

प्रश्न 4. आचार संहिता कब से शुरू होती हैं और कब खत्म होती हैं?


उत्तर :- चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तिथि की घोषणा करने के बाद आचार संहिता शुरू हो जाती हैं और चुनाव के खत्म होने के बाद खत्म हो जाती हैं 

निष्कर्ष

आचार संहिता लागू होने के बाद भी चुनावों में इसका प्रभाव बहुत कम देखने को मिलता हैं। चुनावों में नियमों का उल्लंघन किया जाता हैं। इससे पता चलता है कि चुनाव आयोग को अभी इस क्षेत्र में अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

चुनाव द्वारा लोकतंत्र के कमजोर अथवा मजबूत होने का पता चलता है जबकि भारत के चुनावों में अनेक प्रकार के उदंड व्यवहार किए जाते हैं। यदि भारतीय लोकतंत्र को फलना-फूलना है, तो भारतीय चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाना होगा।

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