क्या आप जानते हैं कि Christmas क्यों बनाया जाता हैं यदि आप नहीं जानते तो आप सही पेज पर आए हैं इस पेज पर आपको Christmas की समस्त जानकारी मिल जाएंगी।
ईसाई धर्म के लोग 25 दिसम्बर को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में इस दिन को Celebrate करते हैं इस दिन सम्पूर्ण विश्व में जश्न बनाया जाता हैं।
इस आर्टिकल में आप क्रिसमस क्यों बनाया जाता हैं, भगवान यीशु की जन्म गाथा क्या हैं, क्रिसमस के पेड़ की कहानी क्या हैं एवं सांता निकोलस की स्टोरी क्या हैं समस्त जानकारी को पढ़िए।
Christmas क्यों बनाया जाता हैं
क्रिसमस का त्यौहार ईसा मसीह या यीशु के जन्मदिन की खुशी में ईसाई धर्म के लोग बड़े ही धूमधाम से बनाते हैं क्रिसमस का पर्व 25 दिसम्बर को पड़ता हैं।
जो साल का सबसे बड़ा दिन भी होता हैं इस दिन सम्पूर्ण विश्व में अवकाश रहता हैं एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था।
शुरुआत में ईसा मसीह के जन्म दिवस को लेकर ईसाई धर्म के लोगों में मतभेद था क्योंकि ईसा मसीह के जन्मदिन की कोई तारीख ज्ञात नहीं हैं।
अतः 25 दिसम्बर को ईसा मसीह का जन्म नहीं हुआ था लेकिन 360 ईस्वी के आस-पास रोम के एक चर्च में ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में बनाया गया।
ईसाई धर्म के लोगों में बाद तक क्रिसमस मनाने की तारीख को लेकर मतभेद रहा लम्बी बहस और सबके विचार-विमर्श के बाद चौथी शताब्दी में 25 दिसम्बर को ईसा मसीह का जन्मदिन घोषित किया गया लेकिन इसके बाद भी इसे प्रचलन में लाने में समय लगा।
वर्ष 1836 में अमेरिका में क्रिसमस को कानूनी मान्यता मिली और 25 दिसम्बर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया तब से आज तक 25 दिसम्बर सभी ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं।
क्रिसमस के दिन एक-दूसरे को उपहार देते हैं इस दिन चर्च में समारोह रखा जाता हैं क्रिसमस ट्री को खिलौने और लाइट के साथ सजाया जाता हैं।
क्रिसमस से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिकता के आधार पर सांता क्लॉज को यीशु का पिता भी कहा जाता हैं सांता क्लॉज क्रिसमस पर बच्चों के लिए तोहफे लाने के जरिए जाने जाते हैं।
प्रभु यीशु के जन्म की स्टोरी
बहुत समय पहले की बात हैं नाजरेथ नामक एक शहर में मरियम/मैरी (Mary) नाम की एक जवान महिला रहती थी वह बहुत मेहनती थी और दूसरों के बारे में हमेशा अच्छा ही करती थीं वह यूसुफ नामक एक युवक से प्यार करती थी वह भी एक बहुत अच्छा युवक था।
ईश्वर ने गेब्रियल नाम की परी को एक सन्देश के साथ मरियम के पास भेजा मरियम के सपने में गेब्रियल परी आयी और परी ने कहा – मैरी ईश्वर आपसे बहुत ही प्रसन्न हैं ईश्वर ने मुझे संदेश देने के लिए भेजा हैं।
ईश्वर ने कहाँ हैं कि आप जल्दी गर्भवती हो जाएगी और एक सुन्दर बालक को जन्म दोगी ईश्वर लोगों की सहायता के लिए धरती पर एक पवित्र आत्मा भेज रहे हैं जो आपके पुत्र के रूम में धरती पर जन्म लेगीं आपको उसका नाम यीशु प्रधान करना क्योंकि वह ईश्वर का पुत्र होगा।
गेब्रियल परी ने मैरी से कहा कि आप अपने चचेरे भाई एलिजाबेथ और उनकी पत्नी Zachariah के साथ उनके घर रहने के लिए चली जाओ आपके चचेरे भाई-भाभी जिनके यहाँ कोई बच्चे नहीं थे वो भी जल्द ही एक जॉन बैपटिस्ट नामक एक बच्चे को जन्म देंगे जो यीशु के जन्म के लिए रास्ता तैयार करेगा।
सपने में गेब्रियल परी को देखकर मैरी डर गई लेकिन मैरी ईश्वर पर विश्वास करती थी उसे भरोसा था कि ईश्वर उसके साथ सब ठीक करेंगे मैरी ने गेब्रियल परी के बताए अनुसार अपने चचेरे भाई एलिजाबेथ के घर उनसे मिलने गयी वहीं पर ईश्वर के वरदान से गर्भवती हो गयी 3 महीने एलिजाबेथ के साथ रहने के बाद मैरी वापिस अपने शहर नाजरेथ लौट आयी।
मैरी अविवाहित थीं और ईश्वर के वरदान से गर्भवती थी इसलिए यूसुफ मैरी को लेकर चिंतित था लेकिन ईश्वर ने यूसुफ के सपने में एक देवदूत को भेजा उसने यूसुफ को बताया कि मैरी ईश्वर के पुत्र को जन्म देने वाली हैं इसलिए आप मैरी से शादी करके उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कीजिए।
यूसुफ सपने से जगा और दूसरे ही दिन यूसुफ और मैरी ने एक दूसरे से शादी कर ली जब मरियम को यीशु पैदा होने वाला था तभी यूसुफ और मरियम को बेथलेहम जाना पड़ा जो नजरेथ से काफी दूर था मरियम को बच्चा होने वाला था इसलिए उन्होंने धीमी गति से यात्रा की और बेथलेहम पहुँच गए वहां उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी क्योंकि सभी सराय और आवास अन्य लोगों के द्वारा कब्जा कर लिए गए थे।
यूसुफ और मरियम ने गायों, बकरियों और घोड़ों के रहने के स्थान पर जहाँ सिर्फ जानवर रहते थे वहाँ शरण ली उसी रात यीशु का जन्म हुआ यूसुफ ने पहने हुए कपड़े में यीशु को लपेट कर जहाँ जानवरों का बसेरा था उसी मंदिर में रखा गया था।
वहीं पास में चरवाह अपनी भेड़-बकरियां को चढ़ाने आए तो उनको एक परी और देवदूत दिखाई दिया देवदूत ने बताया कि उनका उद्धारकर्ता आज बेथहल मैं पैदा हुआ हैं लेकिन चरवाहों को देवदूत की बात पर यकीन नहीं हुआ लेकिन जब उन्होंने स्वयं जाकर यूसुफ, मरियम और उनके बच्चे यीशु को देखा तो आश्चर्यचकित हो गए और बहुत खुश हुए।
यीशु के जन्म के समय आसमान में एक उज्जवल नया सितारा दिखाई दिया तीन बुद्धिमान पुरुष उज्जवल सितारे का पीछा करते-करते यीशु के जन्म स्थान पर आ गए और यीशु के परिवारों वालो को उपहार दिए और ईश्वर के पुत्र के रूप में पूजा की।
एक देश में तीन बुद्धिमान पुरूष थे जो जानते थे कि यह एक महान राजा का संकेत हैं और वो तीनों बुद्धिमान पुरूष उसकी खोज में निकल पड़े जब राजा हरोदेश को पता चला कि बुद्धिमान लोग महान नए राजा की तलाश में हैं जो मेरे स्थान को ले लेगा तब राजा हरोदेश ने बेथहलम के सभी शिशु बच्चों को मारने की योजना बनाई लेकिन वो यीशु तक पहुँचने में असफल रहा।
यूसुफ को सपने में देवदूत ने चेतावनी दी थी कि राजा हरोदेश यीशु को मारने के लिए उसकी खोज करेगा इसलिए अगर वो मिस्त्र चला जाए तो सुरक्षित रहेगा देवदूत की बात मानकर युसूफ अपने परिवार के साथ मिस्त्र में जाकर रहने लगा मिश्र वही जगह हैं जहाँ वो दुष्ट राजा की मृत्यु तक रहा हरोदेश कि मृत्यु के बाद यीशु और मरियम ने मिस्त्र छोड़ दिया और इजराइल की यात्रा करके अपना बाकि जीवन नाजरेथ में बिताया।
यह रही यीशु के जन्म की कहानी जो आपको जरूर पसंद आयी होंगी।
सांता निकोलस की स्टोरी
सांता निकोलस को प्रत्येक बच्चे-जबान-बुजुर्ग सभी जानते हैं क्रिसमस के दिन खासकर बच्चों को सांता का इंतजार रहता हैं।
ईसा मसीह की मृत्यु के बाद करीब 280 साल बाद तीसरी सदी में सांता निकोलस का जन्म मायरा में हुआ था बचपन में ही माँ-बाप की मृत्यु के बाद सांता निकोलस को सिर्फ भगवान ईसा मसीह पर भरोशा था बड़े होने के बाद सांता निकोलस ने अपना जीवन भगवान यीशु को अर्पण कर दिया।
सांता निकोलस एक पादरी बने फिर बिशप बने उन्हें लोगों की मदद करना काफी पसंद था वह गरीब बच्चों और लोगों को रात के अंधकार में गिफ्ट देते थे।
जिससे उन्हें कोई देख ना पाए इसलिए आज भी बच्चों को सांता निकोलस का इंतजार रहता हैं इसलिए क्रिसमस के दिन बच्चों को गिफ्ट देते हैं।
यह थी सांता निकोलस की कहानी जो आपको जरूर पसंद आयी होंगी।
क्रिसमस के पेड़ की कहानी
एक घने जंगल में एक छोटा सा पेड़ था जो हमेशा एक सुंदर क्रिसमस का पड़े बनने का सपना देखता था और मनुष्य के बीच रहना चाहता था क्योंकि लोग क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री को खूबसूरती से सजाते हैं।
पुराने पेड़ों ने उसे बताया कि मनुष्यों के साथ रहने का विचार अच्छा नहीं हैं तुम्हें यही रहना चाहिए लेकिन वह पेड़ नहीं माना और सपना देखता रहा एक दिन क्रिसमस से ठीक पहले एक परिवार क्रिसमस के उत्सव के लिए पेड़ को सजाने की तलाश में जंगल आए थे।
बच्चों को वहीं छोटा सा पेड़ पसंद आया उन्होंने उस पेड़ को ले लिया और घर जाकर अपने कमरे में रखा और उसे खूबसूरती से सजाया और परिवार के सभी लोगों, रिश्तेदारों और दोस्तों ने उस पेड़ से बहुत प्यार किया।
वह पेड़ जनवरी के महीने तक आकर्षित बना रहा उसके बाद उसकी पत्तियां गिरने लगी जिससे वो सुख गया और परिवार के सदस्य भी उसे देखना पसंद नहीं करते थे ना ही उसका ध्यान रखते थे एक दिन परिवार वालों ने उस पेड़ को उठा कर तहखाने में रख दिया जिससे पेड़ बहुत दुःखी हुआ।
कुछ दिनों बाद परिवार वालों ने उसे फिर से मिट्टी में लगाया जिससे उसने अपनी शाखाओं को फिर से वापिस पा लिया फिर से पेड़ हरा-भरा हो गया बच्चे फिर से उसे अपने कमरे में ले गए और खूबसूरती से सजाया उसमें रोशनी लगा कर उसके शरीर को चमका दिया तब क्रिसमस ट्री ने महसूस किया कि पुराने पेड़ गलत थे इंसान भी अच्छे होते हैं सभी परिवार वालों ने ज़िन्दगी भर उस पेड़ की देखभाल की और क्रिसमस पर उस पेड़ के साथ Celebrate किया।
यह थी क्रिसमस ट्री की कहानी जो आपको जरूर पसंद आई होंगी।
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उम्मीद हैं Christmas क्यों बनाया जाता हैं वाला यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती हैं कि आप जिस विषय के बारे में जानना चाहते हैं वो आपको पूरा समझ आए।
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