इस पेज पर हम वैश्विक पर्यावरण के प्रमुख मुद्दे की जानकारी शेयर की है जो SSC, UPSC, Railway, PSC, Banking Exams,, Samvidha Sikshak, आदि जैसी सभी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पिछले पेज पर हमने सामान्य ज्ञान के अध्याय भारत की वनस्पति और जीव की जानकारी शेयर की है उसे जरूर पढ़े।
तो चलिए वैश्विक पर्यावरण के प्रमुख मुद्दे के बारे में जानकारी पढ़कर समझते हैं।
वैश्विक पर्यावरण के प्रमुख मुद्दे
100 वर्ष में मनुष्य की जनसंख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। इसके कारण अन्न, जल, घर, बिजली, सड़क, वाहन और अन्य वस्तुओं की माँग में भी वृद्धि हुई है।
परिणामस्वरूप हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर काफी दबाव पड़ रहा है और वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
हमारी आज भी आवश्यकता है कि विकास की प्रक्रिया को बिना रोके अपने महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों को खराब होने और इनको अवक्षय को रोकें और इसे प्रदूषित होने से बचाएँ।
प्रदूषण वह है जो हमारी प्रकृति तथा पर्यावरण में मौजूद तत्वों को दूषित करने का कार्य करता है। अवांछनीय परिवर्तन उत्पन्न करने वाले कारकों को प्रदूषक (प्लूटैंट) कहते हैं।
पर्यावरण के प्रदूषण को नियंत्रित तथा इसकी संरक्षा करने एवं हमारे पर्यावरण की गुणवत्ता सुधारने के लिये भारत सरकार द्वारा पर्यावरण (संरक्षा) अधिनियम, 1986 पारित किया गया है।
मुख्यतः प्रदूषण चार प्रकार के होते है।
1. जल प्रदूषण (Water Pollution)
जल के दूषित होने से जल प्रदूषण फैलता है। आजकल हम देखते है नदियों एव तालाब व पोखरो में फैक्टियो व कारखानो से निकलने वाला विषैला पानी छोड़ दिया जाता है।
तथा कुछ लोग अपने पशुओं को तालाब, पोखरो में निहलाकर पानी को प्रदूषित कर देते हैं। जिससे वह जल किसी कार्य में नही आ पाता है। वैसे भी हमारे परिवेश में पीने के जल को लेकर काफी सम्स्या है।
क्योंकि प्रकृति मे 97 प्रतिशत समुद्रो, 2 प्रतिशत हिमखण्डो के रुप में ग्लेशियरो में, तथा 1 प्रतिशत जल भूमिपर नदियों, तालाबो, व झीलों तथा भूमिगत जल के रुप में उपस्थित है।
तथा कहीं-कही लोगों के पास पीने को पानी तक नहीं है। इसलिये यह भी कहावत कही जाती रही है की तीसरा विश्व युध्द जल के लिये लड़ा जा सकता है।
स्थिति वहुत विकट बनी हुई है। भारत में दो ऐसी मुख्य वेल्ट हैं जहाँ भूमिगत जल अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
- गंगा बेसिन : गंगा-यमुना का मैदानी क्षेत्र
- बह्मपुत्र बेसिन : बह्मपुत्र नदी के आस- पास का क्षेत्र
तथा अब भूमिगत जल भी बहुत तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। अब मानव सभ्यता को इससे सबक लेना चाहिये तथा जल का संरक्षण करना चाहिये।
जिसमें सरकार द्वारा आम जनता को यह समझने का प्रयास किया जा रहा है। कि वह वर्षा के जल का किस प्रकार सरक्षण करे तथा जल बचाये ।
2. वायु प्रदूषण (Air Pollution)
हवा में प्रदूषित करने को वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु प्रदूषण का मुख्य कारण कारखानो व फैक्टरियों की चिमनी से उठने वाला धुँआ के साथ-साथ आटोमोबाइल के उद्योगिक क्षेत्र में सीसा के इस्तेमाल से भी वायु प्रदुषण में अधिकाधिक बढोत्तरी हुई है।
जिसमें आजकल बढ रहे टैफ्रिक जाम ने गागर में सागर भरने का कार्य किया है। दिल्ली विश्व भर में सबसे प्रदूषित शहर के रुप में सामने आया है।
वायु गुणवत्ता सूंचकाक (AQI) से वायु प्रदूषण को मापा जा सकता है। हाल ही में दिल्ली तथा इसके आस-पास के इलाके का एयर क्वालिटी इंडेस 1200 से 1600 के बीच रिकार्ड किया गया। जो कि विश्व भर में सर्वाधिक है। तथा इसके पैमाने में पहली वार दर्ज हुआ है।
वायु प्रदूषण की वजह से मनुष्य में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ जन्म ले रही हैं। वायु प्रदुषण इस समय सबसे घातक व क्षति पहुँचाने वाला प्रदुषण है।
वायु प्रदुषण से हवा में घुलने वाले हानिकारक गैसों के कणों से साँस लेने में प्राबलम होती है। तथा लोगों के फेकड़े काम करना बन्द कर देते है व दम खूटने से मृत्यु तक हो जाती है।
3. मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)
मृदा के प्रदूषित होने को मृदा प्रदूषण कहते हैं। मृदा प्रदूषण में ऊपजाऊ मृदा मिट्टी के अपरदन के कारण होता है।
मृदा का अपदन कई प्रकार से होता है जिसमें मिट्टी का कटाव सबसे प्रमुख जिसके रोकथाम के लिये वृक्ष लगाकर मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।
मृदा को पवन द्वारा उड़ा ले जाना मरुस्थलीय इलाको में मृदा को पवने अपने साथ उड़ा ले जाती है जिसके बाद वहाँ की मिट्टी ऊपजाऊ नहीं रह पाती है।
4. ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution)
तेज ध्वनि के कारण होने वाले प्रदूषण को ध्वनि प्रदूषण एक आम बात है। आजकल शहरो में ट्रैफिक जाम के कारण काफी शोर गुल का माहौल रहता है। साथ ही शहरो में चल रहे कल कारखाने तथा माइक आदि के कारण ध्वनि प्रदूषण व्यापक रुप ले लेता है।
अगर 45 मिनट तक ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता को आप झेलते रहे तो आप कानो से भैंरे (कम सुनना) भी हो सकते हैं। ध्वनि प्रदूषण भी चिन्तनीय विषय है। जनसख्याँ वृध्दि के कारण इसमें इजाफा होता जा रहा है।
5. ग्लोवल वार्मिंग
इस समय मौजूदा विश्व के सामने ग्लोवल वार्मिंग सबसे बड़ा खतरा है। इसका शाब्दिक अर्थ है।
धरती पर गर्मी का बढना क्योंकि ओजोन परत के कमजोर होने पर पराबैंगनी किरणें तथा हमारे पर्यावरण में कार्बन डाई –आक्साइड, कार्बन- मोनो आक्साइड व क्लोरो- फ्लोरो कार्बन की वृध्दि होने से हमारी पृथ्वी के तापमान में लगातार वृध्दि हो रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में पृथ्वी औसतन तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृध्दि दर्ज की गई है। जो घाताक है तथा यह खतरनाक संकेत हैं।
जिसके कारण पृथ्वी के बड़े-बडे ग्लेशियर पिघते जा रहे हैं जिसके कारण महासागर के जल स्तर में लगातार बढोत्तरी हो रही है। जिससे महासागरों के किनारे बसे विश्व के कुछ प्रमुख नगर खतरे में है।
समुद्र में बढ रहे जल स्तर के कारण कुछ समय बाद विश्व के प्रमुख नगर जो समुद्र के किनारे पर अवस्थित हैं जैसे – मुम्बई, केपटाउन, सिडनी, लंदन आदि पानी में डुब जायेगें तथा नष्ट हो जायेंगे।
साथ ही अब ग्लेशियरों के अस्तिव के साथ कई नदीयों का अस्तिव भी खतरे में पड़ गया है। अगर हम बात करे भारत की तो यहाँ हिमालय पर कई ग्लेशियर मौजूद हैं जो पिछले दशक में अपने के करीब 40-50 प्रतिशत तक खत्म हो चुके हैं।
तथा हिमालय से उध्दभव होने वाली नदियाँ जैसे – गंगा, यमुना, सतुलज, ब्रह्मपुत्र आदि का अस्तिव भी खतरे में है क्योंकि इनमें बहने वाले पानी स्तर में भी कमी आयी है तथा एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा नदी सन् 2050 ई0 में पूरी तरह से खत्म हो जायेगी। जोकि बहुत चिंन्तनीय विषय है।
6. ओजोन संकट
हमारी पृथ्वी के वायुमण्डल को चार वर्गो में विभाजित किया गया है। जसमें क्षोभमण्डल, समताल मण्डल, मध्य मण्डल, एव बाह्यमण्डल है जिसमें पृथ्वी के सबसे पास क्षोममण्डल, उसके बाद समताप मण्डल, फिर मध्य मण्डल व बाह्य मण्डल अवस्थित है। जिसमें समताप मण्डल जो कि पृथ्वीतल से करीब 15 कि0 मी0 की दूरी पर आरम्भ होता है।
इस मण्डल में बहुत ही महत्वपूर्ण ओजोन परत अवस्थित है। ओजोन परत की मोटाई करीब 55 कि0 मी0 है। तथा यह परत सूर्य से निकले वाली घातक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती तथा इसे पृथ्वी पर आने से रोकती है।
जिससे हमारी पृथ्वी पर इन ये घातक किरणें हमे हानि नहीं पँहुचापाती। लेकिन कुछ वर्षो में हमारी धरती पर काफी प्रदूषण फैल रहा है। जिसमें वायु प्रदुषण खास है।
जिसमें फैक्टीयों से निकलने वाले धुंये तथा प्रमुतय मोटर व्हीकल निर्माण फैक्टियों से निकलने वाली क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, कार्बन डाइ आक्साइड, कार्बन-मोनो आक्साइड आदि हमारे पर्यावरण के लिये घातक सिध्द हो रही हैं।
तथा इनमें क्लोरो-फ्लोरो कार्बन हमारी ओजोन परत को सर्वाधिक नुकसान पँहुचाती है। जिससे कारण आज हमारी ओजोन परत काफी प्रभावित हुई है। तथा हमारी ओजोन परत में कई जगह बडे-बडे होल (छिद्र) हो गये हैं।
जिसके कारण अब यह पराबैंगनी किरणें हमारी पृथ्वी पर खुब आंतक फैला रही है। तथा यहाँ विभिन्न बीमारीयाँ मनुष्यों व पशुयों में फैल रही है। जिसमें मुख्यतः कैंसर, चर्म रोग आदि प्रमुख हैं। तथा इससे पृथ्वी के तापमान में लगातार वृध्दि हो रही है। तथा ग्लोबल वार्मिग का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
7. प्लास्टिक
जैसा कि हम सब जानते हैं की प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए तथा हमारे जीवन के लिए बेहद घातक पदार्थ है लेकिन फिर भी हम मनुष्य इसका उपयोग अपने रोजमर्रा के जीवन में काफी अधिक मात्रा में करते जा रहे हैं।
दुनिया भर में अगर हम प्रति व्यक्ति प्लास्टिक यूज किलोग्राम में निकाले तो इस वक्त दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति 28 किलोग्राम प्लास्टिक औसतन उपयोग करता है।
नीचे तालिका के द्वारा विश्व के प्रमुख देशो की प्लास्टिक खपत को दर्शाया गया है।
क्रमांक संख्या | देश का नाम | प्रति व्यक्ति प्लाटिक की खपत |
---|---|---|
1 | अमेरिका | 109 |
2 | यूरोप | 65 |
3 | चीन | 38 |
4 | ब्राजील | 32 |
5 | भारत | 11 |
प्लाटिक के उपयोग से मनुष्यों में काफी तरह के रोग फैल रहे हैं। क्योकि जब हम खाने-पीने की सामानो में प्लास्टिक का उपयोग करते हैं तो वह हमारी सेहत के लिये हानिकारक होते हैं इसलिये हमें हमेशा स्टील या किसी अन्य धातुओं के बर्तनो का उपयोग करना चाहिये।
साथ ही गर्म चीजें तो प्लास्टिक के बर्तनो में कतई न रखे क्योंकि गर्म चीजे प्लास्टिक को पिघलाकर अपने साथ उसका कुछ तत्व ले आती है तथा फिर वह हमारे शरीर को हानि पँहुचाती है।
अभी कुछ दिन पहले हमारे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक को पूर्णता बैन करने का फैसला 15 सितम्बर को सरकार द्वारा लिया गया है।
प्लास्टिक का इस्तेमाल भारत ही नहीं सभी देशो के लिये बहुत गम्भीर मुददा है क्योंकि यह हमारे पर्यावरण में नष्ट नहीं होता क्योंकि यह बहुलको की न खत्म होने वाली रासायनिक क्रिया से जन्मा जाता है। जिससे इसे किसी प्रकार पूर्णतः नष्ट नहीं किया जा सकता है।
इसे जमीन में गाढ दिया जाये तो यह प्रकति के लिये हानिकारक होता है क्योकि यह सड़ता या गलता नहीं तथा वरसात के पानी को जमीन में अवशोषित होने से रोकता है। साथ ही इसे जला कर नष्ट करने का प्रयास किया जाये तो पूर्णतः जलता भी नहीं है तथा हमारे पर्यावरण में काफी जहरीली गैसे छोड़ देता है।
इसलिये इस खतनाक पदार्थ को हमें जल्द से जल्द त्याग देना चाहिये यह हमारी ग्रह पृथ्वी के लिये बहुत ही हानिकारक पदार्थ है।
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