इस पेज पर आप जीवविज्ञान के अध्याय यकृत की जानकारी को पढ़कर समझेंगे।
पिछले पेज हम पाचन तंत्र और मानव कंकाल तंत्र की जानकारी शेयर कर चुके है उसे जरूर पढ़े।
चलिए अब यकृत की परिभाषा, संरचना और कार्य की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
यकृत क्या है
यकृत शरीर की सबसे बड़ी एवं व्यस्त ग्रंथि हैं जो कि हल्के पीले रंग पित्त रस का निर्माण करती हैं।
यकृत को जिगर या कलेजा एवं अंग्रेजी में Liver कहते हैं जो मानव शरीर का एक अंग हैं यकृत केवल कशेरुकी प्राणियों में पाया जाता है।
यह भोजन में ली गई वसा के अपघटन में पाचन क्रिया को उत्प्रेरक एवं तेज करने का कार्य करता हैं।
इसका एकत्रीकरण पित्ताशय में होता हैं यकृत अतिरिक्त वसा को प्रोटीन में परिवर्तित करता हैं एवं अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में परिवर्तित करने का भी कार्य करता हैं। जो कि आवश्यकता पढ़ने पर शरीर को प्रदान किए जाते है।
वसा के पाचन के समय उतपन्न अमोनिया (विषैला तरल पदार्थ) को यकृत यूरिया में परिवर्तित कर देता हैं। यकृत पुरानी एवं क्षति ग्रस्त लाल रक्त कणिकाओं को मार देता हैं।
इसका कार्य विभिन्न चयापचयों को Detoxify करना, प्रोटीन को संश्लेषित करना और पाचन के लिए आवश्यक जैव रासायनिक बनाना है।
यकृत मनुष्य के शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी तथा महत्वपूर्ण पाचक ग्रंथि होती हैं जो पित्त का निर्माण करती हैं।
पाचन के क्षेत्र में यकृत विशेष भूमिका निभाता हैं यह पाचन में अवशोषित आंत्ररस के उपापचय का मुख्य स्थान हैं।
इसके निचले भाग में नाशपाती के आकार की थैली होती हैं जिसे पित्ताशय कहते हैं यकृत द्वारा स्त्रावित पित्त रस पित्ताशय में ही उपस्थित होते हैं।
यकृत का चित्र
इसके पाँच तल होते हैं पहले तलवाले नुकीला भाग वाम की ओर रहता हैं दूसरा तल ऊर्ध्व, तीसरा तल अध:, चौथा तल पूर्व तथा अंतिम एवं पांचवा तल पश्च कहलाता हैं।
इसका तीसरा तल अध: चारों ओर पतले किनारे से घिरा रहता हैं तथा उदर गुहा के अन्य अंग इस तल से संबंद्ध रहते हैं।
यकृत की माप एवं भार
इसकी दक्षिण-बाम की लंबाई – 17.5 सेंमी0, एवं अध: तल की ऊँचाई 16 सेंमी0 तथा पूर्व-पश्च की चौड़ाई 15 सेंमी0 होती है।
इसका भार शरीर के भार का 1/50 भाग के लगभग, प्राय: 1,500 ग्राम से 2,000 ग्राम तक होता हैं।
शरीर के भार से इसके भार का अनुपात स्त्री पुरूषों में एक ही होता है, परंतु वयस्क के अनुसार बदलता रहता है। बालकों में इसका भार शरीर के भार का 1/20 भाग होता है।
यकृत की संरचना
यकृत शरीर की सबसे बड़ी और भारी ग्रंथि हैं इसकी ऊपरी एवं अग्र सतह चिकनी और मुड़ी हुई होती हैं जो डायफ्राम में धँसी हुई होती हैं।
यकृत मुख्य रूप से दो लोब (दायाँ और बायाँ) में विभाजित होता हैं, इसका निर्माण दो मुख्य प्रकार की कोशिकाओं से होता है।
यकृतीय कोशिकाएं (Cellular cells) – ये यकृत की मुख्य उत्सर्जी कोशिकाएं होती है।
2. कुफर कोशिकाएं (Kupffer’s cells) :– ये यकृतीय कोशिकाओं से पूर्ण रूप से भिन्न होती है तथा ये विशिष्ट तंत्र के अंतर्गत आती जिसे रेटिक्युला – एंडोथिलीअल तंत्र कहते है।
यकृत कई छोटे-छोटे खंडो (Lobules) से मिलकर बना होता है, प्रत्येक खंड में यकृत कोशिकाओं की एक श्रंखला होती है।
नाशपाती के आकार के यकृत में पीछे की ओर पित्ताशय संयोजी ऊतक की सहायता से जुड़ा होता हैं, इन यकृतीय कोशिकाओं के बीच में छोटी-छोटी पित्ततिए कोशिकाएं रहती है, जो एक साथ मिलकर बड़ी वाहिकाएं बनाती है।
जिससे एक बड़ी वाहिका बन जाती है जिसे Common Hepatic Duct कहा जाता है, आगे यह वाहिका पिताशय से आने वाली सिस्टिक वाहिका से जुड़कर उभय पित वाहिका (Common Bile Duct) बनाती है। (Bile Duct) ड्यूओडीनम में खुलती है जो पिताशय संचयक का कार्य करता है एवं इसमें पित्त एकत्रित एवं गाढ़ा होता है।
दाई और बायीं हिपेटिक डक्ट मिलकर कॉमन हिपेटिक डक्ट बनाती हैं जो पीछे सिस्टिक डक्ट पित्ताशय से निकलकर मिल जाती हैं।
सिस्टिक डक्ट और कॉमन हिपेटिक डक्ट आपस में मिलकर बाइल डक्ट बनाती हैं बाइल डक्ट पीछे की ओर पैंक्रियाटिक डक्ट से मिलकर हिपैटापैंक्रियाटिक एमपुला बनाती हैं।
यह एमपुला ड्यूओडीनम में खुलता हैं एमपुला की ओपनिंग ओडाई के स्फिंकटर द्वारा नियंत्रित होती हैं यकृत की आधारभूत संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई हिपेटिक लोब्यूल होती हैं।
यकृत के कार्य
- यकृत मुख्य ऊष्मा उत्पादन करने वाला अंग हैं।
- लसीका के निर्माण का प्रमुख केंद यकृत हैं।
- ग्लूकोज से बनने वाले ग्लाइकोजन को संग्रहित करना।
- ग्लाइकोजन की आवश्यकता होने पर ग्लूकोस में परिवर्तित होकर रक्तधारा में प्रवाहित हो जाता है।
- पचे हुए भोजन से वसाओं और प्रोटीनों को संसिधत करने में मदद करना।
- रक्त का थक्का बनाने के लिये आवशक प्रोटीन को बनाना।
- भ्रुणिय अवस्था में या गर्वावस्था में यह रक्त (Blood) बनाने का काम भी करता है।
- पित्त लवण और पित्त वर्णक का स्रवण करता है।
- रक्त से रक्तिम-पित्तवर्णकता को अलग करता है।
- गैलेक्टोज को ग्लूकोज में परिवर्तित करता है।
- कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को वसा में परिवर्तित करता है।
- एंटीबॉडी और प्रतिजन का निर्माण करता है।
- विटामिन B12 के संचय के लिए यकृत अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- शरीर में विटामिन B12 लाल रक्ताणुओं के पर्याप्त निर्माण के लिए अति आवश्यक होता हैं।
- यकृत में कैरोटिनॉइड पिंग्मेंट से विटामिन A का निर्माण होता हैं इसके अलावा वसा में घुलनशील विटामिन A, D, E, K होते हैं।
- विटामिन k कुछ भोज्य पदार्थों में उपस्थित रहता है और बैक्टीरिया द्वारा आंतों में भी बनता है इसे प्रोथ्रोम्बिन बनाने के लिए यकृत में शोषित होना पड़ता है।
- यकृत हमारे शरीर में ग्लाईकोजन, आयरन, वसा, विटामिन ए व डी का भण्डारण भी करता है।
- शरीर से औषधियों, विषों, भारी धातुओं तथा टिन और पारद आदि को बाहर निकालने में सहायक है।
- विषहरण (Detoxification) डीटॉक्सीफिकेशन इसका अर्थ हैं शरीर के आन्तरिक तंत्र को भोजन में मौजूद विषैले और हानिकारक रसायनों से मुक्त करना।
- भ्रूण में Liver RBC का निर्माण करता हैं वयस्क में यह आयरन, कॉपर और विटामिन B12 (एंटी एनिमिक फैक्टर) को संचित रखता हैं और RBC और हीमोग्लोबिन निर्माण में सहायक करता हैं।
यकृत की खराबी से होने वाले रोग
- ऑटो इम्यून डिस आर्डर (Autoimmune Disorder) : यह रोग मानव शरीर के तंत्रिका तंत्र, कोशिकाओं और ऊतकों को नुकसान पहुँचाता हैं जिससे लीवर पर असर पढ़ता हैं और उसके काम करने की क्षमता कम हो जाती हैं।
- फैटी लीवर (Fatty Liver) : जब लीवर में वसा एवं अधिक फैट जमा हो जाता हैं तो लीवर फैटी हो जाता हैं जिसे फैटी लीवर रोग कहते हैं।
- लीवर फेलियर (Liver Failure) : जब लीवर से संबंधित कोई बीमारी लम्बे समय से हो और ठीक नहीं हो रही हो लीवर काम करना बंद देता हैं जिसे लीवर फेलियर कहते हैं।
- लिंब्र सिरोसिस (Lib Cirrhosis) : लिंब्र सिरोसिस रोग शरीर में धीरे-धीरे बढ़ता हैं इसमें लीवर सिकुड़ने लगता हैं जिससे लीवर का लचीलापन खो कर कठोर हो जाता हैं।
- लीवर कैंसर (Liver Cancer) : लीवर का कैंसर बहुत सामान्य होता हैं क्योंकि शरीर के विभिन्न अंगों का बहुधा Liver में फैल जाता हैं इस प्रकार लीवर में द्वितीयक कैंसर हो जाता हैं, Liver का प्राम्भिक कार्सीनोमा (Heptoma) कहते हैं, सिरोसिस से पीड़ित रोगियों में इसके पैदा होने की संभावना होती हैं।
- हेपाटो – एन्सेफैलोपैथी (Hepato – Encephalopathy) : सिरोसिस में Liver अमोनिया को यूरिया में चयापचय करने में असमर्थ हो जाती हैं जिसके कारण ब्लड में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती हैं तथा अमोनिया CNS (Central Nervous System) के लिए जहरीला होता हैं अतः केंद्रीय स्नायुतंत्र के कार्य में बाधा उत्पन्न हो जाती हैं जिसे हेपाटो – एन्सेफैलोपैथी कहते हैं।
यकृत से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु
- यकृत का वजन 1.5 से 2 किलोग्राम का होता हैं।
- इसका PH मान 7.5 होता हैं।
- यकृत आंशिक रूप से ताँबा, और लोहा को संचित रखता हैं।
- जहर/विष देकर मारे गए व्यक्ति की पहचान Liver के द्वारा ही की जाती हैं।
- यकृत द्वारा ही पित्त स्त्रावित होता हैं यह पित्त आँत में उपस्थित एंजाइम की क्रिया को तीव्र कर देता हैं।
- यकृत प्रोटीन की अधिकतम मात्रा को कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित कर देता हैं।
- फाइब्रिनोजेन नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत से ही होता हैं जो रक्त के थक्का बनने में मदद करता हैं।
- हिपैरिन नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत के द्वारा ही होता हैं जो शरीर के अंदर रक्त को जमने से रोकता हैं।
- मृत RBC को नष्ट यकृत के द्वारा ही किया जाता हैं।
- यकृत शरीर के ताप को बनाए रखने में मदद करता हैं।
- भोजन में जहर देकर मारे गए व्यक्ति की मृत्यु के कारणों की जाँच में यकृत एक महत्वपूर्ण सुराग होता हैं।
यकृत से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
प्रश्न1. Liver का वजन कितना होता हैं?
उत्तर:- 1.5 से 2 किलोग्राम
प्रश्न2. Liver का PH मान कितना होता हैं?
उत्तर:- 7.5
प्रश्न3. मृत RBC को नष्ट किसके द्वारा किया जाता हैं
उत्तर:- Liver
प्रश्न4. Liver का एकत्रीकरण कहाँ होता हैं?
उत्तर:- पित्ताशय
प्रश्न5. Liver अतिरिक्त वसा को किस में परिवर्तित करता हैं?
उत्तर:- प्रोटीन
प्रश्न6. मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि कौन सी हैं?
उत्तर:- Liver
प्रश्न7. जहर/विष देकर मारे गए व्यक्ति की पहचान किसके द्वारा की जाती हैं?
उत्तर:- Liver
प्रश्न8. मानव शरीर की सबसे व्यस्त ग्रंथि कौन सी हैं?
उत्तर:- Liver
प्रश्न9. फाइब्रिनोजेन नामक प्रोटीन का उत्पादन कहाँ से होता हैं?
उत्तर:- Liver
प्रश्न10. Liver आंशिक रूप से किस से संचित रहता हैं?
उत्तर:- ताँबा और लोहा
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आशा हैं यकृत की जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आप इसको पढ़कर समस्त जानकारी को समझ पाए होंगे।
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