इस पेज पर आप वसा की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।
पिछले पेज पर हमने हृदय की संरचना की जानकारी शेयर की हैं यदि आपने उस पोस्ट को नहीं पढ़ा तो उसे भी पढ़े।
चलिए वसा की परिभाषा, प्रकार, कार्य, स्त्रोत और वसा की कमी से होने वाले रोगों की समस्त जानकारी पढ़ना शुरू करते हैं।
वसा क्या हैं
वसा एक ऐसा पदार्थ हैं। जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता हैं। वसा शरीर की ऊर्जा को इक्ठ्ठा करने का तरीका हैं।
वसा ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं। वसा विटामिन को सोखने में सहायता करता हैं। यह प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के अलावा वसा तीसरा पोषक तत्व हैं।
वसा शरीर को क्रियाशील बनाये रखने में मदद करती हैं। वसा शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी हैं लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा होने पर ये नुकसानदायक हो सकता हैं। ये पेड़-पौधों और मांस से भी प्राप्त होता हैं।
एक स्वस्थ इंसान को कम से कम 100 ग्राम वसा का प्रयोग करना आवश्यक होता हैं तथा वसा को पचाने में बहुत समय लगता हैं। यह शरीर मे प्रोटीन को कम करने के लिए आवश्यक होता हैं।
यदि वसा शरीर में अधिक मात्रा में बढ़ रहा हैं तो यह सही नही हैं। वसा अधिक मात्रा में होना जानलेवा हो सकता हैं इस बात को सबसे ज्यादा ध्यान दे।
वसा की परिभाषा
वसा जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान में पाये जाने वाला एक फैटी एसिड हैं।
यह एक यौगिक मिश्रण होता हैं तथा यह भोजन में ओर जीव प्राणियों में पाये जाते हैं जो यौगिक कार्बन और हाइड्रोजन परमाणु से मिलकर बनते हैं वसा घुलनशील होते हैं।
जैवक सैल्वैंट्स और बड़े पैमाने पर अधुलनशील पानी के वसा होते हैं।
उदाहरण :- ट्राईग्लिसराइड्स, कोलेस्ट्रॉल, फास्फोलिपिड आदि शामिल होते हैं।
वसा के प्रकार
वसा के निम्न तीन प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं।
- संतृप्त वसा
- असंतृप्त वसा
- ट्रांसफैट वसा
1. संतृप्त वसा
संतृप्त वसा कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं। तथा इस वसा में फैटी एसिड का एकल बंध होता हैं।
संतृप्त वसाओं में हाइड्रोजन का कार्बन के साथ सबसे ज्यादा मात्रा में बंध होते हैं। डॉक्टर हमेशा कम मात्रा में संतृप्त वसा लेने की सलाह देते हैं।
संतृप्त वसा के स्त्रोत
- मछली
- अंडे का पीला वाला भाग
- दूध
- दही
- घी
2. असंतृप्त वसा
असंतृप्त वसा हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी हैं। ये हमारे शरीर मे होने वाले रोगों से बचाने में मदद करता हैं तथा ये कोलेस्ट्रॉल जैसे गंदे द्रव को काम करता हैं। जो कोलेस्ट्रॉल गंदा होता हैं उसे एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कहा जाता हैं।
ज्यादा एलडीएल कोलेस्ट्रॉल धमनियों को (ठोस) या कठोर करता हैं तथा रक्त चाप बढ़ता हैं इसलिये ये दिल (heart) का दौरा और स्ट्रोक के लिए दरवाजा खुलता हैं इसलिए ये दिल के दौर के लिए ओर स्ट्रोक के लिए बहुत ही जिम्मेदार रहता हैं।
असंतृप्त वसा के स्त्रोत
- सरसों का तेल
- काजू
- बादाम
- मुंगफली
- अनार
(a). पॉलीअनसेचुरेटेड :- ओमेगा 3 ओर 6 मछली और सोयाबीन के तेल में पाया जाता हैं।
(b). मोनोअनसेचुरेटेड :- ये काजू बादाम में पाया जाता हैं इनमे बीबी वसा होता हैं ।
3. ट्रांस वसा
ट्रांस वसा इन्हें खाने से हमारे शरीर मे बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती हैं तथा अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो जाती हैं। जिसके कारण हार्ट (दिल) की बीमारी हो सकती हैं।
वसा के स्त्रोत
बहुत से पदार्थ जो हमारे शरीर को वसा प्रदान करते हैं जो निम्नलिखित हैं ।
- अंडे
- दही
- घी
- दूध
- मांस
- नारियल का तेल
- पनीर
वसा के कार्य
वसा किस प्रकार हमारे बॉडी (शरीर)में कार्य करता हैं ।वसा के मुख्य पांच कार्य निम्नलिखित हैं।
- प्रोटीन की बचत :- भोजन में वसा की कमी होने पर ऊर्जा की आवश्यकता कार्बोज के द्वारा पूरी नही हो पाती हैं एवं प्रोटीन को अपना निर्माण कार्य छोड़ कर ऊर्जा की आवश्यकता वसा कार्बोज से पूरी हो जाती हैं |
- बॉडी टेम्प्रेचर :- हमारे शरीर मे त्वचा के नीचे वसा की एक परत पाई जाती हैं। जो हमारे शरीर के टेम्प्रेचर को एक सामान्य बनाये रखती हैं ये वसा हमारे टेम्प्रेचर को सर्दी और गर्मी में बॉडी के टेम्प्रेचर को सामान्य बनाये रखता हैं इसे बॉडी टेम्प्रेचर कहते हैं।
- भूख देर से लगना :- शरीर मे वसा कम होने के कारण पाचन क्रिया कम या देर से होती हैं जिससे भोजन शरीर में ज्यादा समय तक रहता हैं और तला हुआ भोजन अधिक समय तक रहता हैं जिससे भूख जल्दी नही लगती हैं।
- भोजन का भार :- वसा से भोजन का भार कम हो जाता हैं।
- नर्म अंगो का बचाव :- हमारे शरीर मे बहुत से नर्म यानी कोमल अंग पाये जाते हैं।
जैसे :- ह्रदय, तंत्रिका तंत्र, गुर्दे, आदि हैं वसा इन सब अंगों को बाहरी धक्कों से बचाते हैं।
- कार्बोहाइड्रेट की तरह वसा प्रोटीन को बचा कर रखता हैं।
वसा की कमी से होने वाले रोग
- वसा की कमी होने से मानव के शरीर का मांस धीरे-धीरे सूखता जाता हैं और बाद में मानव शरीर में सिर्फ हड्डियों का ढांचा मात्र बचता हैं।
- शरीर में वसा की मात्रा जितनी कम होती जाएगी शरीर के भार में उतनी ही कमी हो जाएगी।
- मानव के शरीर को यदि पर्याप्त मात्रा में पोषण नही मिल रहा हैं तो आपको बहुत जल्दी थकान होने लगेगी।
- यदि वसा की कमी ज्यादा होती हैं तो आपके बालों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता हैं। बाल को पर्याप्त मात्रा में फैट नही मिल पाता हैं तो बाल प्रतिदिन बहुत झड़ने लगेगें।
- वसा की कमी से आपके स्किन पर भी बहुत प्रभाव पड़ता हैं स्किन सूजने लगती हैं। चेहरे पर लाल-लाल दाने आने लगते हैं जिससे स्किन बहुत खराब लगने लगती हैं।
वसा की अधिकता से होने वाले रोग
- ह्रदय रोग :- संतृप्त वसा यदि शरीर मे ज्यादा होने लगे तो रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने लगती हैं ये कोलेस्ट्रॉल रक्त में धमनियों के अंदर जमने लगता हैं जिससे धमनिया धीरे-धीरे बंद होने लगती हैं।
जब रक्त का दवाब बढ़ता जाता हैं तो रक्त प्रभावित होता हैं तो रक्त में कोलेस्ट्रोल बढ़ने लगता हैं जिससे एथिरोस्क्लिरोसिस रोग हो जाता हैं।
- मोटापा का रोग :- अधिक वसा का सेवन करने से बॉडी में त्वचा में नीचे की तरफ वसा का जमाव होने लगता हैं जिससे शरीर धीरे-धीरे मोटा होने लगता हैं मोटापा अधिक होने पर गुर्दे ठीक तरह से काम नही कर पाते हैं।
वसा का इमल्सीकरण
वसा का इमल्सीकरण यकृत द्वारा बनाया गया पित्त रस हैं जो पित्ताशय में जा कर संचित होता हैं। जो वसा के बाहरी अणुओ को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ते रहता हैं जिसे वसा का इमल्सीकरण कहते हैं ।
वसा और कोलेस्ट्रॉल के बीच अंतर
वसा | कोलेस्ट्रॉल |
---|---|
वसा ग्लिसरॉल के फैटी एसिड एस्टर हैं। | कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का स्टेरोल हैं। |
वसा मुख्य रूप से आहार के माध्यम से शरीर के अंदर जाता हैं। | यकृत कोलेस्ट्रॉल को संश्लेषित करता हैं। |
वसा के दो प्रकार होते हैं पहला प्रकार संतृप्त वसा दूसरा प्रकार असंतृप्त हैं। | कोलेस्ट्रॉल को लिपोप्रोटीनके प्रकार के आधार पर वर्गीकरत किया जाता हैं। |
वसा ऊर्जा स्रोत के रूप में काम करता हैं। | कोलेस्ट्रॉल कोशिका झील्ली का एक घटक हैं यह स्टेरॉयड हार्मोन के संश्लेषण के लिए आग्रदूत के रूप में कार्य करता हैं। |
वसा की अधिक मात्रा होने पर मोटापा और कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता हैं। | कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा से ह्रदय रोग और मधुमेह रोग होता हैं। |
वसा के पादप स्त्रोत
- वसा में विटामिन A, विटामिन D, तथा विटामिन E होते हैं।
- जो व्यक्ति ज्यादा काम नही करते हैं उनको वसा का सेवन कम करना चाहिए।
- वनस्पति घी में ट्रांस फैटी एसिड होते हैं।
- वसा के कारण शरीर क्रियाशील बना रहता हैं।
- बच्चो को वसा अधिक देना चाहिए।
उम्मीद हैं आपको वसा की समस्त जानकारी पसंद आयी होगीं।
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