नाटक किसे कहते हैं नाटक का विकास, प्रकार, तत्व और कार्य

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चलिए आज हम नाटक की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

नाटक किसे कहते हैं

साहित्य में, नाटक गद्य या पद्य के लिखित संवाद होते हैं, जिन्हें मंच पर दर्शाया जाता हैं। नाटक काल्पनिक या वास्तविक घटनाओं से प्रेरित होते हैं। नाटक लिखने वाले को रचनाकार कहा जाता हैं। नाटक दृश्य काव्य के अंतर्गत आते हैं।

हिंदी नाटक का विकास

अध्ययन की दृष्टि से हिन्दी नाटक के विकास को चार कालों में बाँटा जा सकता है।

  1. भारतेन्दुयुगीन नाटक 1850 से 1900 ई० 
  2. द्विवेदी युगीन नाटक 1901 से 1920 ई०
  3. प्रसाद युगीन नाटक 1921 से 1936 ई०
  4. प्रसादोत्तर युगीन नाटक 1937 से अब तक

1. भारतेन्दुयुगीन नाटक (1850 से 1900 ई०)

हिन्दी में नाटक का प्रवर्तन भारतेन्दु द्वारा हुआ है। भारतेन्दु देश की सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक दुर्दशा से दुःखी थे। इसलिए उन्होंने साहित्य के माध्यम से समाज को सुधारने का प्रयत्न किया जिसमें नाटक सबसे अधिक प्रभावी सिद्ध हुआ।

सन् 1853 में नवाब वाजिद अली शाह के दरबार में ‘इन्द्रसभा नाटक हुआ था। यह उर्दू शैली में लिखा गया है और इसी को हिन्दी का पहला नाटक माना जाता है। 

2. द्विवेदी युगीन नाटक ( 1901 से 1920 ई०)

भारतेन्दु के बाद नाटक का जो दूसरा उत्थान हुआ, उसके प्रमुख प्रेरणा केन्द्र महावीर प्रसाद द्विवेदी थे। इस युग अधिकतर नाटक अनुवाद किए हुए होते थे।

3. प्रसाद युगीन नाटक ( 1921 से 1936 ई०)

जयशंकर प्रसाद ने सन् 1910 से नाटक लिखना प्रारम्भ किया था। प्रसाद जी ने लगभग एक दर्जन नाटक लिखकर हिन्दी नाट्य साहित्य को समृद्धि प्रदान की।

4. प्रसादोत्तर युगीन नाटक 1937 से अब तक

जयशंकर प्रसाद के बाद अनेक रूपों में नाटक सामने आए। कुछ नाटक प्रेम प्रधान है, कुछ पौराणिक विषयों को आधार बनाकर लिखे गये हैं और कुछ सामाजिक कुरीतियों से सम्बन्धित हैं।

नाटक के प्रकार

नाटक को उनके कार्यों के अनुसार विभिन्न भागों में बांटा जाता हैं। कुछ लोकप्रिय प्रकार के नाटक निम्नलिखित हैं।

1. कॉमेडी 

कॉमेडी का उद्देश्य दर्शकों को हंसाना होता है। आमतौर पर ऐसे नाटकों में सुखद अंत होता है। कॉमेडी नाटक में अभिनेता व्यंग्यात्मक प्रदर्शन करते हैं।

कॉमेडी के भी कई प्रकार हैं। जैसे : रोमांटिक कॉमेडी, इमोशनल कॉमेडी आदि।

उदाहरण :- सीनफील्ड एक टेलीविजन शो हैं जिसको कॉमेडी माना जाता है। यह नाटक चार दोस्तों के जीवन और उनके साथ होने वाली हास्य स्थितियों को दर्शाता है।

2. त्रासदी (Tragedy)

Tragedy ड्रामा में आपदा और मानवीय पीड़ा जैसे गंभीर विषयों को गरिमापूर्ण तरीके से चित्रित किया जाता है। ऐसे नाटक में सुखद अंत बहुत कम ही देखने को मिलता हैं।

उदाहरण :- विलियम शेक्सपियर का प्रसिद्ध नाटक रोमियो एंड जूलियट एक ट्रेजेडी नाटक का उदाहरण है। इस नाटक में, दो छोटे बच्चे प्यार में पड़ जाते हैं और अपने परिवार के झगड़े के कारण अपने प्यार को अपने माता-पिता से छिपाते हैं। हालाँकि उनकी यह सोच कई लोगों की मौत का कारण बन जाती है।

3. तमाशा (Farce)

यह नाटक कॉमेडी ड्रामा का ही एक प्रकार है। ऐसे नाटकों में अभिनेता ओवरएक्ट करते हैं।

उदाहरण :- फिल्म डंब एंड डम्बर तमाशे का एक उदाहरण है। यह फिल्म एक खूबसूरत महिला को ब्रीफकेस वापस करने के मिशन पर दो कैरिकेचर की कहानी को दर्शाती है। पूरी फिल्म के दौरान दोनों का सामना कई हास्यास्पद स्थितियों से होता है।

4. मेलोड्रामा 

मेलोड्रामा एक भावनात्मक नाटक है। जिसमें हीरो, हीरोइन और खलनायक होता है। ऐसे नाटकों में संगीत भी शामिल होता है।

उदाहरण :- जीन कोक्ट्यू का पैरेंट्स टेरिबल्स एक मेलोड्रामा का एक उदाहरण है जिसमें धोखाधड़ी और आत्महत्या शामिल हैं।

5. ओपेरा

ओपेरा नाटक में संवाद, संगीत और नृत्य होते हैं। ऐसे नाटक में अभिनेता अपनी भावनाओं को संगीत द्वारा प्रदर्शित करता हैं।

उदाहरण :- एंड्रयू लॉयड वेबर की द फैंटम ऑफ द ओपेरा, ओपेरा नाटक का एक प्रसिद्ध उदाहरण है।

नाटक के तत्व

किसी भी नाटक में इन सात तत्वों का होना आवश्यक है।

  1. कथावस्तु
  2. पात्र का चरित्र चित्रण
  3. परिवेश
  4. भाषा और संवाद
  5. शैली
  6. अभिनेता
  7. उद्देश्य

नाटक का कार्य

  • नाटक दर्शकों के लिए मनोरंजन का कार्य करते हैं।
  • किसी कहानी को पढ़ना अच्छा अनुभव हो सकता है लेकिन उसी कहानी को यदि नाटक के रूप में प्रदर्शित किया जाए तो उसे भूलना आपके लिए मुश्किल हो जाता हैं।
  • नाटक समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शकों के सामने उपस्थित करता हैं।

उम्मीद हैं आपको नाटक की जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आयी हो, तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें धन्यवाद।

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