इस पेज पर आप हिंदी विषय के अध्याय काव्य शास्त्र की जानकारी पढ़ेंगे।
पिछली पोस्ट में हम हिन्दी व्याकरण के अध्याय अलंकार की जानकारी शेयर कर चुके है उसे जरूर पढ़े।
चलिए काव्य शास्त्र की जानकारी को पढ़कर समझते है।
काव्य शास्त्र किसे कहते है
काव्य और साहित्य के दर्शन को करने वाले काव्य के विज्ञान को काव्य शास्त्र कहते है। काव्य शास्त्र के पुराने नाम अलंकार शास्त्र और साहित्य शास्त्र है।
विकिपीडिया के अनुसार “काव्य शास्त्र, काव्य और साहित्य का दर्शन तथा विज्ञान है। यह काव्य कृतियों के विश्लेषण के आधार पर समय-समय पर उद्भावित सिद्धान्तों की ज्ञान राशि है।”
काव्य शास्त्र को समझने के लिए काव्य शास्त्र के मुख्य बिंदुओं को समझना होता है।
काव्य शास्त्र के मुख्य 5 बिन्दु हैं।
- काव्य की परिभाषा
- काव्य के भेद
- काव्य के गुण
- काव्य के अंग
- काव्य की शब्द शक्ति
काव्य शास्त्र की परिभाषा विभिन्न आचार्यों के द्वारा अलग-अलग तरीके से परिभाषित की गई।
आचार्य विश्वनाथ के अनुसार :- “रसात्मक वाक्यम काव्यम” – अर्थात रसयुक्त वाक्य को ही काव्य कहा गया।
पंडित जगन्नाथ के अनुसार :- “रामरणीयार्थ प्रतिपादक शब्दक काव्यम” – अर्थात रमणीय शब्दों का अर्थ बताने वाले शब्द काव्य कहलाते हैं।
आचार्य भमाह के अनुसार :- “शब्दर्शों सहितों काव्यम” -अर्थात शब्द और उसके अर्थ के सममिश्रण को काव्य कहा गया।
आचार्य रुद्रट के अनुसार :- “ननु शब्दर्शों काव्यम” – अर्थात अर्थ के लघु समन्वयन को काव्य कहा गया।
आचार्य मम्मट के अनुसार :- “तद्रदोष शब्दर्शों गुणवाल कृति पुन क्वापि” अर्थात दोष रहित गुण सहित और कहीं-कहीं अलंकार विहीन शब्दों को काव्य कहा जाता हैं।
काव्य के प्रकार
काव्य के 2 प्रकार होते हैं
- सामान्य दृष्टि के आधार पर
- रचना के आधार पर
सामान्य दृष्टि के आधार पर काव्य
सामान्य दृष्टि के आधार पर काव्य के 2 प्रकार होते हैं।
- दृश्य काव्य
- श्रव्य काव्य
1. द्रव्य काव्य
जिस काव्य में भावों का चमत्कार संकेतों, अभिनय आदि के द्वारा प्रदर्शित होते हैं। और इन भावों से आनंद की अनुभूति होती हैं उनके मिश्रण को ही दृश्य काव्य कहा जाता हैं। संस्कृत में इसे रूपक कहा जाता हैं।
उदाहरण :-
- महाराणा प्रताप
- स्कन्दगुप्त
- सत्य हरिचन्द्र
2. श्रव्य काव्य
जिस काव्य में आनंद को सुनकर या पढ़कर प्राप्त किया जा सकता हैं वहाँ पर श्रव्य काव्य होता हैं।
उदाहरण :-
- रामचरित्र मानस (तुलसीदास)
- कामायनी (जय शंकर प्रसाद)
रचना के आधार पर काव्य
रचना के आधार पर काव्य 3 प्रकार होते हैं।
1. पद्य काव्य
वह काव्य रचना जिसमें रस, छंद, अलंकार, के अलावा यदि, गति, लय, आदि का समावेश होता हैं, और यहाँ से आनंद युक्त भाव उत्पन्न होते हैं तो इसे पद्य काव्य कहाँ जाता हैं।
पद्य काव्य 2 प्रकार के होते हैं।
प्रबंध काव्य :- वह काव्य रचना जो किसी कथा पर आधारित हो और समस्त योजना लोग नायक को केंद्र मानकर बनाई जाती हैं और यह क्रम पूर्ण वक (एक घटना के बाद दूसरी घटना) चलती रहती हैं।
उदाहरण :-
- रामचरित्र मानस
- कामायनी
प्रबंध काव्य के 3 प्रकार होते हैं।
- महाकाव्य
- खण्डकाव्य
- अशाव्यगतियाँ
महाकाव्य :- महा काव्य किसी विशेष लोग नायक पर आधारित रचना होती हैं इसकी जीवन की समस्त घटनाओं का क्रमबद्ध समावेश महाकाव्य में होता हैं जबकि खण्ड काव्य में नहीं।
- महाकाव्य सर्ग और सोपानों में विभाजित होता हैं।
- इसमें अधिकतम 8 सर्ग हो सकते हैं।
- महाकाव्य का नायक महान चरित्र का होना चाहिए।
- महाकाव्य मुख्य रुप से पद्य के साथ-साथ गद्य में भी होता हैं।
- महाकाव्य में रस, छंद, अंलकारों का नियमानुसार उल्लेखनीय समावेश होता हैं।
- एक घटना के समाप्त होने पर आने वाली दूसरी घटना रस, छन्द एवं अंलकारों के परिवर्तन होने के संकेत देती हैं।
उदाहरण :-
- रामचरित्रमानस।
- रघुवंशनम।
- सुदमाचरित्र।
- कुमार संभव।
खण्डकाव्य :- खण्ड काव्य महाकाव्य की अपेक्षा छोटी रचना होती हैं। जो कि किसी विशेष लोग के सम्पूर्ण जीवन में से किसी एक विशेष घटना पर आधारित होती हैं।
खण्ड काव्य सर्ग और सोपानों में विभाजित नहीं होता हैं खंड काव्य का नायक महान चरित्र वाला होना अनिवार्य नहीं हैं।खण्डकाव्य में सभी रसों का समावेश होना अनिवार्य नहीं हैं। और इसमें छंद और अलंकारों का क्रम का निश्चित समावेश नहीं होता हैं।
उदाहरण :-
- मेघदूतम।
- ऋतु संहार।
असाव्यगतिया :- वह काव्य रचना जिसमें किसी मानव सहित या प्रकृति का यथार्थ – सत्य घटनाओं का उल्लेख किया जाता है असाव्यगतिया कहलाती हैं। इनमें वीर, करुण और ओजगुणों आदि का स्पष्ट समावेश होता हैं।
उदाहरण :-
- सुभ्रदाकुमारी चौहान।
- झांसी की रानी।
मुक्तक काव्य :- वे काव्य रचना जिसमें रस, छंद, अंलकार, भावों का क्रम बद्व समावेश नहीं होता अर्थात यह काव्य रचना के प्रत्येक छन्द स्वतंत्र रूप में अपना अलग भाव प्रकट करते हैं।
उदाहरण :-
- मीरा के दोहे।
- रहीम के दोहे।
- सूरदास के दोहे।
- कबीर के दोहे।
मुक्तक काव्य के 2 प्रकार होते हैं।
- गीति काव्य
- पाठ्य काव्य
गीति काव्य :- जो काव्य गाये जा सकते हैं गीति काव्य कहलाते हैं और जो काव्य मुक्त हो गीति काव्य कहलाते हैं।
पाठ्य काव्य :- जिस काव्य रचना को पढ़ा जा सकता हैं पाठ्य काव्य कहलाते हैं।
2. गद्य काव्य
वह काव्य रचना जिसको लय, तुक के आधार पर गायन नहीं किया जा सकता हैंं। यह काव्य रचना एक सम्पूर्ण भाव को प्रधान करने वाली होती हैं।
इसमें भी प्रत्येक छन्द एक स्वतंत्र रूप में होता हैं किंतु रस और अंलकार पद्य के भांति ही होते हैं तो इसे ही गद्य काव्य कहा जाता हैं।
3. चम्पू काव्य
वह काव्य रचना जिसमें अधिकांश गद्य के माध्यम से किसी अर्थ पूर्ण विषय की काव्यात्मक विवरण होता हैं उसे चम्पू काव्य कहा जाता हैं। इसमें एक ही अर्थ एक ही केंद्रीय भाव का उल्लेख होता हैं।
उदाहरण :-
- साहित्य देवता – माखनलाल चतुर्वेदी।
- विश्वधर्म – श्री वियोगी हरि।
- साधना – श्री राय कृष्ण दस।
- प्रवाल – श्री राय कृष्ण दास।
काव्य के गुण
काव्यगुण के 3 प्रकार होते हैं
1. ओज गुण
जिस गुण के कारण काव्य श्रोता पाठ्य के मन में (समस्त अस्तित्व में) नवीन स्फूर्ति साहस, शौर्य, पराक्रम, उत्साह, वलिदान, नवीन, आदि के भाव प्रकट करता हैं वहां ओज गुण होता हैं इसमें कठिन संयुक्ताक्षर का उपयोग होता हैं। सयुक्ताक्षर 4 होते हैं:- (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र)
इसमें वीर, रौद्व, भयानक, आदि रसों का समावेश होता हैं।
उदाहरण :-
1. छोड़ देंगे मार्ग तेरा, विहन बाधा सहनकर। (विहन संयुक्ताक्षर हैं)!
काल अभिनन्दन करेगा, आज तेरा समय सादर!!
2. महलों ने दी आर्ग, झोपड़ियों में ज्वाला सलगाई थी!
यह स्वतंत्रता की चिंगारी, अंतर मन में आई थी!!
2. माधुर्य गुण
जिस काव्य को पढ़ने से हृदय में आनंद के भाव उत्पन्न होते है उस काव्य गुण को माधुर्य गुण कहा जाता हैं इसमें सरल एवं छोटी-छोटी शब्दावलियों का उपयोग होता हैं कठिन सयुक्ताक्षर का नहीं इसमें मुख्य रूप से अनुनाशिको वर्णों का उपयोग होता हैं इसमें मुख्य रूप से श्रृंगार हास और शांत रसों का समावेश होता हैं।
उदाहरण :-
1. बसों मेरे नैनन में नन्दलाल,
मोहिनी सूरत सांवरी सूरत,
नैना वने रसाल।
2. छाया करती रहे सदा, तुझ पर सुहाग की छाछ। सुख-दुख ग्रीवा के नीचे हो प्रीतम की वाह।।
3. प्रसाद गुण
वह काव्य गुण जिसमें भावार्थ सरलता या आसानी से प्राप्त होते हैं, और इसमें सरल और सुबोध अक्षरों का उपयोग किया जाता हैं यह गुण लगभग सभी रसों में होता हैं।
उदाहरण :- उठो लाल अब आँखे खोलो पानी लाई हूँ।
मुँह धो लो बीती रात कमल दल फुले उनके ऊपर भाँवरें झूले।।
काव्य के अंग
काव्य के अंग 3 प्रकार होते हैं।
1. रस
रस शब्द का अर्थ आनंद होता हैं अर्थात वाक्य को सुनने, पढ़ने, या देखने से होने वाले सुख की अनुभूति को रस कहते है।
रस के चार अंग होते है।
- अनुभव
- विभाव
- संचारी भाव
- स्थायीभाव
रस के 11 प्रकार होते है।
- श्रृंगार रस
- करुण रस
- हास्य रस
- रौद रस
- वीर रस
- अदुभत रस
- वात्सल्य रस
- वीभत्स रस
- भयानक रस
- शांत रस
- भक्ति रस
2. छंद
छंद शब्द का निर्माण चंद धातु से हुआ है जिसका मतलब खुशी प्रदान करना होता है। हिंदी साहित्य में मात्राओं की गिनती, अक्षरों की गिनती, यति, और अक्षरों की गति से की गयी रचना को छंद कहते है।
छन्द के अंग :
- मात्रा
- यति
- गति
- तुक
- गण
छन्द के प्रकार :
- मात्रिक छंद
- वर्णिक छंद
- वर्णिक वृत छंद
- मुक्त छंद
3. अलंकार
काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहा जाता हैं इसका शाब्दिक अर्थ होता आभूषण।
अलंकार मुख्यतः 3 प्रकार के होते है।
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
- उभयालंकार
काव्य शब्द शक्ति
शब्दों में उनके विशेष अर्थ को बतलाने की शक्ति होती हैं अर्थात शब्द के अर्थ का बोध कराने वाली शक्ति को शब्द शक्ति कहा गया इसे संक्षेप में वृत्ति, व्यापार, शक्ति भी कहा जाता हैं।
शब्द शक्ति के 3 प्रकार होते हैं।
1. अविधा शब्द शक्ति
जिस शक्ति के माध्यम से शब्द का साक्षात एवं सांकेतिक अर्थ का बोध होता हैं वहां पर पर अविधा शब्द शक्ति होती हैं।
उदाहरण :- निराला की प्रारंभिक पंक्तियां।
2. व्यंजना शब्द शक्ति
अविधा और लक्षणा के असमर्थ हो जाने पर जिस शक्ति के माध्यम से शब्द के अर्थ का बोध होता हैं उसे व्यंजना शब्द शक्ति कहा जाता हैं।
इसमें दैनिक जीवन से सामेकित घटनाओं के माध्यम से किसी कार्य को सम्पन्न शुरू करने आदि का सांकेतिक भाव उत्पन्न होता हैं।
उदाहरण :- सूर्यास्त हो गया।
3. लक्षणा शब्द शक्ति
इस शब्द शक्ति में अविधा असमर्थ होती हैं। किन्तु उल्लेखित वस्तु या पदार्थों के गुण या लक्षण के आधार पर शब्दों के अर्थ का बोध होता हैं।
वहां पर लक्षणा शब्द शक्ति होती हैं। इनमें मुख्यार्थ का अभाव होता हैं अतः इनके अर्थ में अनिश्चितता का बोध होता हैं।
उदाहरण :- नौ दो ग्यारह होना।
आशा है काव्य शास्त्र की जानकारी आपको पसंद आएगी।
काव्य शास्त्र से सम्बंधित किसी भी प्रश्न के लिए कमेंट करें।
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Welcome
its really helpful for students who have interest about the Hindi poetry ..
Thank you for your valuable feedback