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बल की परिभाषा, इकाई, प्रकार, सूत्र और उदाहरण

BAL KISE KAHTE HAI

इस पेज पर आप विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय बल की परिभाषा, प्रकार, विमीय सूत्र, मात्रक और उदाहरण को पढ़ेंगे क्योकि बल की जानकारी परीक्षाओ के साथ-साथ सामान्य जिंदगी के लिए महत्वपूर्ण है।

यदि आपके पास समय कम है तो आप बल के नोट्स को PDF Format में डाउनलोड कर सकते है।

चलिए बल की जानकारी को पढ़कर समझते है।

बल किसे कहते है

बल वह बाह्य कारक हैं जो किसी वस्तु की प्रारंभिक अवस्था में परिवर्तन करता हैं या परिवर्तन करने की चेष्टा करता हैं।

दूसरे शब्दों में बल वह कारक होता है जो किसी भी रुकी हुई अथवा थमी हुई वस्तु में परिवर्तन ला सकता है।

जब कोई वस्तु किसी भी सीधे रास्ते पर चल रही होती है तो उसे रोकने के लिए या उसकी गति को और तेज करने के लिए जिस कारक का उपयोग किया जाता है उसे ही बल कहते है।

बल एक सदिश राशि है, इसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।

बल का विमीय सूत्र

बल का विमाय सूत्र = [M L T⁻²] होता हैं।

बल का मात्रक

बल का S.I मात्रक न्यूटन (N) है।

बल के प्रकार

बल मुख्यतः चार प्रकार के होते है।

1. घर्षण बल (Friction force)

यह वह बल है जो किसी वस्तु की गति की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता है यह दो सतहों के बीच कार्य करता है।

उदाहरण :-

घर्षण बल को कम करना (Reducing the friction force)

घर्षण बल को कम करने के लिए हम निम्न चीजों का उपयोग करते हैं।

2. अभिकेन्द्रीय बल (Centripetal force)

जब कोई वस्तु वृतीय पथ पर गति करता है तो उसके केंद्र से उस पर एक बल लगता है जो उसे प्रत्येक बिंदु पर केंद्र की ओर खींचता है। इस बल को अभिकेन्द्रीय बल कहते है।

जैसे: सूर्य के चारो ओर पृथ्वी की गति।

3. चुम्बकीय बल (Magnetic force)

चुम्बक द्वारा किसी चुम्बकीय धातु पर लगाया गया बल चुम्बकीय बल कहलाता है अथवा विद्युत चुम्बक द्वारा अपने चारों फैले चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय धातु द्वारा बल का अनुभव करना।

4. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force)

दो पिंडो के बीच लगने वाले बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है।

जैसे :- पृथ्वी और सूर्य के बीच लगने वाला बल।

प्रबलता के आधार पर बल

बल की प्रबलता के आधार पर बल दो प्रकार के होते है।

1. संतुलित बल (balanced force)

यदि कोई भी वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का परिणामी बल शून्य हो तो उस वस्तु पर लगने वाले सभी संतुलित बल कहलाते हैं।

2. असंतुलित बल (unbalanced force)

असंतुलित बल वह बल होता है जिसमे प्रस्ताव होता है जैसे की किसी रस्सी को दोनों तरफ से खींचा जाए और वह एक तरफ के लोगो को दूसरी तरफ ले आए।

यदि हम संतुलित बलों से शुरू करें और तब उनमें किसी एक बल को बढ़ा या घटा दे तो परिणामी बल शून्य नहीं रह जायेगा और वस्तु उस बढ़े हुए बल की दिशा में गति करना प्रारम्भ कर देगी।

अथार्थ उसमे त्वरण उत्पन्न हो जायेगा। इस स्तिथि में बल असंतुलित हो जायेगा जिसे असंतुलित बल कहा जायेगा।

उदाहरण :-

जरूर पढ़िए

आशा है बल की परिभाषा, विमीय सूत्र, मात्रक और उदाहरण की यह जानकारी आपको पसंद आएगी।

बल से संबंधित किसी भी तरह के प्रश्न के लिए कमेंट करे।

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