नमस्ते छात्रों आप लोग अच्छे होंगे और मन लगा कर पेपर की तैयारी कर रहे होंगे इस पेज पर मैंने भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय तंरग की परिभाषा, प्रकार और प्रश्न उत्तर आदि की जानकारी विस्तार पूर्वक दी है।
तरंगों से सम्बंधित एक प्रश्न परीक्षा में पूछ ही लिया जाता हैं जिसके बारे में बहुत से छात्रों को पता नहीं होता हैं और वो गलत उत्तर टिक कर देते हैं।
इस पोस्ट के पहले मैंने मात्रक से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक पब्लिस की थी आशा हैं कि आप लोगों ने वो पोस्ट पढ़ ली होगी यदि आपने अभी तक मात्रक वाली पोस्ट नहीं पढ़ी हैं तो उसे जरूर पढ़िए।
चलिए आज आप लोग तरंगों से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक पढ़िए
तंरग की परिभाषा
तरंग (wave) वह विक्षोभ है, जिसके माध्यम से उर्जा एक स्थान से दुसरे स्थान तक संचरण करती है।
विक्षोभों के प्रतिरूप या पैटर्न जो द्रव्य के वास्तविक भौतिक स्थानांतरण अथवा समूचे द्रव्य के प्रवाह के बिना ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति करते हैं तरंग कहलाते हैं।
तरंग के प्रकार
तंरगे दो प्रकार की होती हैं
- यांत्रिक तंरगे
- विघुत चुम्बकीय तंरगे
1. यांत्रिक तंरगे
वे तरंगे जिनको गति करने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती हैं अर्थात यह तरंगे (ठोस, द्रव एवं गैस) तीनों माध्यम में गति कर सकती हैं।
उदाहरण:- ध्वनि, जल की तरंगें, पराश्रव्य तरंगें, तनी हुई डोरी का कम्पन आदि।
यांत्रिक तरंगे दो प्रकार की होती हैं।
- अनुदैधर्य तंरगे
- अनुप्रस्थ तंरगे
(a) अनुदैर्ध्य तंरगे
जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा के समांतर होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैर्ध्य तरंग कहते है अर्थात यह तरंगे, तरंग के समांतर गति करती हैं।
उदाहरण:- ध्वनि तरंग – ध्वनि तरंग ध्वनि ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पंहुचाती हैं। ध्वनि की चाल सर्वाधिक ठोस पदार्थो में और सबसे कम गैसीय पदार्थों में होती हैं।
(b) अनुप्रस्थ तंरगे
वह तरंगे जो तरंग की दिशा के समांतर गति नहीं करती किन्तु यह तंरग की दिशा के लम्बबत गति करती हैं अनुप्रस्थ तरंगे कहलाती हैं।
उदाहरण:- प्रकाश तरंगे – प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा हैं जो विधुत चुम्बकीय तरंगों के रूप में संचालित होती हैं इसका ज्ञान हमे आँखों द्वारा प्राप्त होता हैं इसका तरंग दैर्ध्य 3,900 A° से 7,800 A° के बीच होता हैं।
2. विघुत चुम्बकीय तंरगे
विधुत चुम्बकीय तरंगों को गति करने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती इन तरंगों की चाल एवं व्यवहार प्रकाश तरंगों के समान हैं अर्थात तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं उन्हें विधुत चुम्बकीय या आयांत्रिक तरंग कहते हैं।
यह ठोस, द्रव्य और गैस माध्यमों के साथ-2 निर्वात में भी समान गति से गमन करती हैं। सभी विधुत चुम्बकीय तरंगे एक ही चाल से चलती हैं जो प्रकाश की चाल के बराबर होती हैं। सभी विधुत चुम्बकीय तरंगे फोटान की बनी होती हैं।
विघुत चुम्बकीय तंरगे 7 प्रकार की होती हैं।
- गामा किरणें
- X – किरणें
- पराबैंगनी किरणें
- दृश्य प्रकाश
- लघु रेडियों तरंगे
- दीर्ध रेडियों तंरगे
- अवरक्त प्रकाश
(a) गामा किरणें
- गामा किरणों के खोजकर्ता – बैकुरल
तरंगदैर्ध्य परिसर – 10^-14m से 10^-10m
तरंगदैर्ध्य की आवृत्ति – 10^20 सेे 10^18 तक
(b) X – किरणें
- X – किरणों के खोजकर्ता – रॉन्जन
तरंगदैर्ध्य परिसर – 10^-10m से 10^-8m तक
(c) पराबैंगनी किरणें
- पराबैंगनी किरणों के खोजकर्ता – रिटर
तरंगदैर्ध्य परिसर – 10^-8m से 10^-7m तक
आवृत्ति परिसर Hz – 10^16 से 10^14 तक
(d) दृश्य प्रकाश
- दृश्य प्रकाश किरणों के खोजकर्ता – न्यूटन
तरंगदैर्ध्य परिसर – 3.9 x 10^-7m से7.8 x10^-7m तक
आवृत्ति परिसर Hz – 10^14 से 10^12 तक
(e) लघु रेडियों तरंगे
- लघु रेडियों तरंगों के खोजकर्ता – हर्शेल
तरंगदैर्ध्य परिसर – 10^-3m से 1m तक
आवृत्ति परिसर Hz – 10^10 से 10^8 तक
(f) दीर्ध रेडियों तंरगे
- दीर्ध रेडियों तरंगों के खोजकर्ता – मारकोनी
तरंगदैर्ध्य परिसर – 1 m से 10^4 m तक
आवृत्ति परिसर Hz – 10^6 से 10^4 तक
नोट:- 10^-3 m से 10^-2m की तरंगें सूक्ष्म तरंगें कहलाती हैं।
(g) अवरक्त प्रकाश
- अवरक्त प्रकाश किरणों के खोजकर्ता – हरशैल
तरंगदैर्ध्य परिसर – 7.8 x 10^-7m से 10^-3m तक
आवृत्ति परिसर Hz – 10^12 से 10^10तक
विघुत चुंबकीय तरंगों के गुण
- यह उदासीन होती है
- ये अनुप्रस्थ होती है
- यह प्रकाश के वेग से गमन होती है
- इसके पास ऊर्जा एवं संवेग होता है
- यह अवधारणा मैक्सवेल के द्वारा प्रतिपादित की गई है।
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आशा करती हूं कि आपको HTIPS की यह तंरग की परिभाषा, प्रकार और प्रश्न उत्तर आदि से सम्बंधित पोस्ट पसंद आई होगी यदि आपको इस पोस्ट के अंतर्गत कुछ चीजें समझ नहीं आ रही हैं या तरंगों से सम्बंधित कोई प्रश्न हैं तो कमेंट या ईमेल के द्वारा जरूर पूछे धन्यवाद।
One thought on “तंरग की परिभाषा, प्रकार और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर आदि”
आपने अच्छे से समझाया है मुझे यह लेख बहुत अच्छा लगा है