दैनिक जीवन में मुहावरों का उपयोग करके भाषा शैली को एक उच्च स्तर पर ले जा सकते है और परीक्षाओं की दृष्टि से भी मुहावरे महत्वपूर्ण है इसलिए इस पेज पर हमने मुहावरे की परिभाषा, हिंदी मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग आदि की जानकारी शेयर की है।
पिछली पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण के महतवपूर्ण अध्याय पर्यायवाची शब्दों की जानकारी शेयर की हुई है वह जरूर पढ़े।
तो चलिए हिंदी मुहावरे की परिभाषा, अर्थ और वाक्य में प्रयोग की सामान्य जानकारी से शुरू करते है।
मुहावरा किसे कहते है
मुहावरे अरबी भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ अभ्यास करना होता है “जो शब्द अपने साधारण अर्थ को छोड़ कर विशेष अर्थ को व्यक्त करते है हिंदी मे ऐसे वाक्यांश को मुहावरा कहा जाता हैं।”
मुहावरे किसी भाषा विशेष में प्रचलित उस अभिव्यक्तिक इकाई को कहते हैं जिसका प्रयोग प्रत्यक्षार्थ से अलग रूढ़ लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है।
मुहावरे को अंग्रेजी में Idioms कहते है।
मुहावरे को वाक्य में प्रयोग करने के सामान्य नियम निम्न लिखित हैं।
- सर्वप्रथम मुहावरे का अर्थ जानना आवश्यक होता है।
- इसके बाद एक सार्थक वाक्य का निर्माण करेंगे।
- वाक्य इस प्रकार होना चाहिये जो मुहावरे के अर्थ को व्यक्त करता हो।
- वाक्य प्रयोग मे मुहावरे का अर्थ नही लिखा जाता बल्कि मुहावरे को ही वाक्य प्रयोग में लिखा जाता है।
उदाहरण:-
यदि हम ‘नौ दो ग्यारह होना ‘मुहावरे’ का वाक्य प्रयोग करेंगे तो सबसे पहले उसके अर्थ पर ध्यान देंगे।
नौ दो ग्यारह होना, मुहावरे का अर्थ भाग जाना है और इस मुहावरे का वाक्य प्रयोग इस प्रकार करेंगे कि भाग जाना अर्थ न लिख कर नौ दो ग्यारह लिखेंगे।
जैसे : पुलिस को देख कर चोर नौ दो ग्यारह हो गये।
हिंदी मुहावरे के अर्थ और वाक्य में प्रयोग
नीचे कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य में प्रयोग दिए गए है।
“अ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि भष्ट होना
विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की पत्नी का अपहरण किया।
अंक भरना – स्नेह से लिपटा लेना
माँ ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया।
अंग टूटना – थकान का दर्द
इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – स्वयं अपनी प्रशंसा करना
अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।
अक्ल चरने जाना – समझ का अभाव होना
इतना सी बीत भी समझ नहीं सके क्या अक्ल चरने गई है।
अपने पैरों पर खड़ा होना – स्वालंबी होना
युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।
अक्ल का दुश्मन – मूर्ख
राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते, लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।
अपना उल्लू सीधा करना – मतलब निकालना
आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।
अंगारों पर लेटना – दुःख सहना
वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा। मैं जीवन भर अंगारों पर लोटता रहा हूँ।
अँगूठा दिखाना – समय पर धोखा देना
अपना काम तो निकाल लिया, पर जब मुझे जरूरत पड़ी, तब अँगूठा दिखा दिया। भला, यह भी कोई मित्र का लक्षण है।
अँचरा पसारना – माँगना, याचना करना
प्रयोग – हे देवी मैया, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो, माँ।
अण्टी मारना – चाल चलना
प्रयोग – ऐसी अण्टीमारो कि बच्चू चारों खाने चित गिरें।
अण्ड-बण्ड कहना – भला-बुरा या अण्ट- सण्ट कहना
प्रयोग – क्या अण्ड-बण्ड कहे जा रहे हो। वह सुन लेगा, तो कचूमर ही निकाल छोड़ेगा।
अन्धाधुन्ध लुटाना – बिना विचारे व्यय
प्रयोग – अपनी कमाई भी कोई अन्धाधुन्ध लुटाता है।
अन्धा बनना – आगे-पीछे कुछ न देखना
प्रयोग – धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती।
अन्धा बनाना – धोखा देना
मायामृग ने रामजी तक को अन्धा बनाया था। इस माया के पीछे मौजीलाल अन्धे बने तो क्या।
अन्धा होना – विवेकभ्रष्ट होना
अन्धे हो गये हो क्या, जवान बेटे के सामने यह क्या जो-सो बके जा रहे हो
अन्धे की लकड़ी – एक ही सहारा
भाई, अब तो यही एक बेटा बचा, जो मुझे अन्धे की लकड़ी है। इसे परदेश न जाने दूँगा।
अन्धेरखाता – अन्याय
मुँहमाँगा दो, फिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।
अन्धेर नगरी – जहाँ धांधली का बोलबाला हो
इकत्री का सिक्का था, तो चाय इकत्री में मिलती थी, दस पैसे का निकला, तो दस पैसे में मिलने लगी। यह बाजार नहीं, अन्धेरनगरी ही है।
अकेला दम – अकेला
प्रयोग – मेरा क्या अकेला दम हूँ जिधर सींग समायेगा चल दूँगा।
अक्ल की दुम – अपने को बड़ा होशियार लगानेवाला
दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहीं, मगर अक्ल की दुम साइन्स का पण्डित बनता है।
अगले जमाने का आदमी – सीधा-सादा, ईमानदार
आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है।
अढाई दिन की हुकूमत – कुछ दिनों की शानोशौकत
जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।
अत्र-जल उठना – रहने का संयोग न होना, मरना
मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अत्र-जल उठ गया है, जो सबसे बिगाड़ किये रहते हो।
अत्र-जल करना – जलपान, नाराजगी आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण
भाई, बहुत दिनों पर आये हो। अत्र-जल तो करते जाओ।
अत्र लगना – स्वस्थ रहना
उसे ससुराल का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया।
अपना किया पाना – कर्म का फल भोगना
बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपना किया पाओ। झखते क्या हो ?
अपना-सा मुँह लेकर रह जाना – शर्मिन्दा होना
आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना – स्वार्थी होना, अलग रहना
यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उत्रति होने से रही।
अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना – संकट मोल लेना
उससे तकरार कर तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है।
अब-तब करना – बहाना करना
कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।
अब-तब होना – परेशान करना या मरने के करीब होना
दवा देने से क्या वह तो अब-तब हो रहा है।
अंग-अंग ढीला होना – अत्यधिक थक जाना
विवाह के अवसर पर दिन भर मेहमानों के स्वागत में लगे रहने से मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा हैं।
अंगारे उगलना – कठोर और कड़वी बातें कहना
मित्र अवश्य कोई बात होगी बिना बात कोई क्यों अंगारे उगलेगा।
अंगारों पर लोटना – ईर्ष्या से व्याकुल होना
मेरे सुख को देखकर रामू अंगारों पर लोटता हैं।
अँगुली उठाना – किसी के चरित्र या ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना
मित्र हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे कोई हम पर अँगुली उठाए।
अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ना – थोड़ा पाकर अधिक पाने की कोशिश करना
जब भिखारी एक रुपया देने के बाद और रुपए मांगने लगा तो मैंने उससे कहा- अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ते हो, जाओ यहाँ से।
अँगूठा छाप – अनपढ़
रामेश्वर अँगूठा छाप हैं, परंतु अब वह पढ़ना चाहता हैं।
अंगूर खट्टे होना – कोई वस्तु न मिलने पर उससे विरक्त होना
जब लोमड़ी को अंगूर नहीं मिले तो वह कहने लगी कि अंगूर खट्टे हैं।
अंजर-पंजर ढीला होना – शरीर शिथिल होना या बहुत थक जाना
दिन-भर भागते-भागते आज तो मेरा अंजर-पंजर ढीलाहो गया।
अंडे सेना – घर से बाहर न निकलना; घर में ही बैठे रहना
रामू की पत्नी ने कहा कि कुछ काम करो, अंडे सेने से काम नहीं चलेगा।
अंतड़ियों के बल खोलना – बहुत दिनों के बाद भरपेट भोजन करना
आज पंडित जी का न्योता हैं, आज वे अपनी अंतड़ियों के बल खोल देंगे।
अंतड़ियों में बल पड़ना – पेट में दर्द होना
दावत में खाना अधिक खाकर मेरी तो अंतड़ियों में बल पड़ गए।
अंतिम घड़ी आना – मौत निकट आना
शायद रामू की दादी की अंतिम घड़ी आ गई हैं। वह पंद्रह दिन से बिस्तर पर पड़ी हैं।
अंधा बनना – ध्यान न देना
अरे मित्र तुम तो जान-बुझकर अंधे बन रहे हो- सब जानते हैं कि रामू पैसे वापस नहीं करता, फिर भी तुमने उसे पैसे उधार दे दिए।
अंधे के हाथ बटेर लगना – अनाड़ी आदमी को सफलता प्राप्त होना
रामू मात्र आठवीं पास हैं, फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई। इसी को कहते हैं- अंधे के हाथ बटेर लगना।
अंधे को दो आँखें मिलना – मनोरथ सिद्ध होना
एम.ए., बी.एड. करते ही प्रेम की नौकरी लग गई। उसे और क्या चाहिए- अंधे को दो आँखें मिल गई।
अंधेर मचना – अत्याचार करना
औरंगजेब ने अपने शासनकाल में बहुत अंधेर मचाया था।
अक्ल का अंधा – मूर्ख व्यक्ति
वह अक्ल का अंधा नहीं, जैसा कि आप समझते हैं।
अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना – हर वक्त मूर्खता का काम करना
रमेश तो हर वक्त अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता हैं- चीनी लेने भेजा था, नमक लेकर आ गया।
अक्ल घास चरने जाना – वक्त पर बुद्धि का काम न करना
अरे मित्र लगता हैं, तुम्हारी अक्ल घास चरने गई हैं तभी तो तुमने सरकारी नौकरी छोड़ दी।
अक्ल ठिकाने लगना – गलती समझ में आना
जब तक उस चोर को पुलिस के हवाले नहीं करोगे, उसकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी।
अगर-मगर करना – तर्क करना या टालमटोल करना
ज्यादा अगर-मगर करो तो जाओ यहाँ से; हमें तुम्हारे जैसा नौकर नहीं चाहिए।
अपना सिक्का जमाना – अपनी धाक या प्रभुत्व जमाना
रामू ने कुछ ही दिनों में अपने मोहल्ले में अपना सिक्का जमा लिया हैं।
अपना सिर ओखली में देना – जान-बूझकर संकट मोल लेना
खटारा स्कूटर खरीदकर मोहन ने अपना सिर ओखली में दे दिया हैं।
अपनी खाल में मस्त रहना – अपने आप में संतुष्ट रहना
वह तो अपनी खाल में मस्त रहता हैं, उसे किसी से कोई मतलब नहीं हैं।
अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना
मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है।
अंगारों पर पैर रखना – अपने को खतरे में डालना, इतराना
भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश की रक्षा करते है।
अक्ल के घोड़े दौड़ाना – कल्पनाएँ करना
वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।
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काव्य शास्त्र किसे कहते है
“आ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
आँख भर आना – आँसू आना
बेटी की विदाई पर माँ की आखें भर आयी।
आँखों में बसना – हृदय में समाना
वह इतना सुंदर है की उसका रूप मेरी आखों में बस गया है।
आँखे खुलना – सचेत होना
ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है।
आँख का तारा – बहुत प्यारा
आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है।
आँखे दिखाना – बहुत क्रोध करना
राम से मैंने सच बातें कह दी, तो वह मुझे आँख दिखाने लगा।
आँच न आने देना – जरा भी कष्ट या दोष न आने देना
तुम निश्र्चिन्त रहो तुम पर आँच न आने दूँगा।
आस्तीन का साँप – कपटी मित्र
उससे सावधान रहो। आस्तीन का साँप है वह।
आसमान टूट पड़ना – गजब का संकट पड़ना
पाँच लोगों को खिलाने-पिलाने में ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि तुम सारा घर सिर पर उठाये हो
आकाश-पाताल एक करना – अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना
सूरज ने इंजीनियर पास करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।
आँचल पसारना – प्रार्थना करना या किसी से कुछ माँगना
मैं ईश्वर से आँचल पसारकर यही माँगता हूँ कि तुम कक्षा में उत्तीर्ण हो जाओ।
आँतें बुलबुलाना – बहुत भूख लगना
मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया, मेरी आँतें कुलबुला रही हैं।
आँतों में बल पड़ना – पेट में दर्द होना
रात की पूड़ियाँ खाकर मेरी आँतों में बल पड़ गए।
आँधी के आम होना – बहुत सस्ता होना
आजकल तो आलू आँधी के आम हो रहे हैं, जितने चाहो, ले लो।
आँसू पीना या पीकर रहना – दुःख या कष्ट में भी शांत रहना
जब राकेश कक्षा में फेल हो गया तो वह आँसू पीकर रह गया।
आकाश का फूल होना – अप्राप्य वस्तु
आजकल दिल्ली में घर खरीदना तो आकाश का फूल हो रहा हैं।
आकाश के तारे तोड़ लाना – असंभव कार्य करना
श्याम हमेशा आकाश के तारे तोड़ने की बात करता हैं।
आग उगलना – कड़वी बातें कहना
रमेश तो हमेशा आग उगलता रहता हैं।
आकाश से बातें करना – अत्यधिक ऊँचा होना
मुंबई की इमारतें तो आकाश से बातें करती हैं।
आग बबूला होना – अति क्रुद्ध होना
राधा जरा-सी बात पर आग बबूला हो गई।
आग पर लोटना – ईर्ष्या से जलना
मेरी कार खरीदने की बात सुनकर रामू आग पर लोटने लगा।
आग में घी डालना – क्रोध को और भड़काना
आपसी लड़ाई में अनुपम के आँसुओं ने आग में घी डाल दिया
आग लगने पर कुआँ खोदना – विपत्ति आने पर/ऐन मौके पर प्रयास करना
मित्र, पहले से कुछ करो। आग लगने पर कुआँ खोदना ठीक नहीं।
आग लगाकर तमाशा देखना – दूसरों में झगड़ा कराके अलग हो जाना
वह तो आग लगाकर तमाशा देखने वाला हैं, वह तुम्हारी क्या मदद करेगा।
आटे-दाल का भाव मालूम होना – दुनियादारी का ज्ञान होना या कटु परिस्थिति का अनुभव होना
जब पिता की मृत्यु हो गई तो राकेश को आटे-दाल का भाव मालूम हो गया।
आग से खेलना – खतरनाक काम करना
मित्र, तस्करी करना बंद कर दो, तुम क्यों आग से खेल रहे हो।
आग हो जाना – अत्यन्त क्रोधित हो जाना
सुनिल के स्वभाव से सब परिचित हैं, वह एक ही पल में आग हो जाता हैं।
आगा-पीछा न सोचना – कार्य करते समय हानि-लाभ के बारे में न सोचना
कुणाल कुछ भी करने से पहले आगा-पीछा नहीं सोचता।
आज-कल करना – टालमटोल करना
राजू कह रहा था कि उसके दफ्तर में कोई काम नहीं करता, सब आज-कल करते हैं।
आटे के साथ घुन पिसना – अपराधी के साथ निर्दोष को भी सजा मिलना
राघव तो जुआरियों के पास केवल खड़ा हुआ था, पुलिस उसे भी पकड़कर ले गई। इसे ही कहते हैं- आटे के साथ घुन पिसना।
आधा तीतर आधा बटेर – बेमेल वस्तुएँ
राजू तो आधा तीतर, आधा बटेर हैं- हिंदुस्तानी धोती-कुर्ते के साथ सिर पर अंग्रेजी टोप पहनता हैं।
आसमान पर उड़ना – थोड़ा पैसा पाकर इतराना
उसकी 10 हजार की लॉटरी क्या खुल गई, वह तो आसमान पर उड़ रहा हैं।
आसमान पर चढ़ना – बहुत अभिमान करना
आजकल मदन का मिजाज आसमान पर चढ़ा हुआ दिखाई देता हैं।
आसमान पर थूकना – किसी महान् व्यक्ति को बुरा-भला कहना
नेताजी सुभाषचंद्र बोस एक महान् देशभक्त थे उनके बारे में कुछ कहना-आसमान पर थूकने जैसा हैं।
आसमान पर मिजाज होना – अत्यधिक अभिमान होना
सरकारी नौकरी लगने के बाद उसका आसमान पर मिजाज हो गया हैं।
आसमान सिर पर उठाना – अत्यधिक ऊधम मचाना
इस बच्चे ने तो आसमान सिर पर उठा लिया हैं, इसे ले जाओ यहाँ से।
आसमान सिर पर टूटना – बहुत मुसीबत आना
पिता के मरते ही राजू के सिर पर आसमान टूट पड़ा।
आसमान से गिरे, खजूर में अटके – एक परेशानी से निकलकर दूसरी परेशानी में आना
अध्यापक की मदद से राजू गणित में तो पास हो गया, परंतु विज्ञान में उसकी कम्पार्टमेंट आ गई। इसी को कहते हैं आसमान से गिरे, खजूर में अटके।
आस्तीन चढ़ाना – लड़ने को तैयार होना
मुन्ना हर वक्त आस्तीन चढ़ाकर रखता हैं।
आँधी के आम – बिना परिश्रम के मिली वस्तु
आँधी के आमों की तरह से मिली दौलत बहुत दिनों तक नहीं रुकती।
आखिरी साँसें गिनना – मरणासन्न होना
मदन की माँ आखिरी साँस ले रही है, सभी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है।
“इ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
इंद्र की परी – बहुत सुन्दर स्त्री
राधा तो इंद्र की परी हैं, वह तो विश्व सुन्दरी बनेगी।
इज्जत उतारना – अपमानित करना
जब चीनी लेकर पैसे नहीं दिए तो दुकानदार ने ग्राहक की इज्जत उतार दी।
इज्जत मिट्टी में मिलाना – प्रतिष्ठा या सम्मान नष्ट करना
रामू की शराब की आदत ने उसके परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी हैं।
इधर-उधर की लगाना या इधर की उधर लगाना – चुगली करना
मित्र, इधर-उधर की लगाना छोड़ दो, बुरी बात हैं।
इधर-उधर की हाँकना – बेकार की बातें करना या गप मारना
वह हमेशा इधर-उधर की हाँकता रहता हैं, कभी बैठकर पढ़ता नहीं।
इस हाथ देना, उस हाथ लेना – तुरन्त फल मिलना
रामदीन तो इस हाथ दे, उस हाथ ले में विश्वास करता हैं।
इंतकाल होना – मर जाना
पिता के इंतकाल के बाद सारे घर की जिम्मेदारी अब फारुख के कंधों पर ही है।
इशारे पर नाचना – वश में हो जाना
जो व्यक्ति अपनी पत्नी के इशारे पर नाचता है वह अपने माँ-बाप की कहाँ सुनेगा।
“ई” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
ईंट से ईंट बजाना – युद्धात्मक विनाश लाना
शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ी, मगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी।
ईंट का जबाब पत्थर से देना – जबरदस्त बदला लेना
भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा।
ईद का चाँद होना – बहुत दिनों बाद दिखाई देना
तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते, तुम्हे देखने को तरस गया, ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो।
ईमान बेचना – बेईमानी करना
मित्र ईमान बेचने से कुछ नहीं होगा, परिश्रम करके खाओ।
“उ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
उड़ती चिड़िया को पहचानना – मन की या रहस्य की बात तुरंत जानना
कोई मुझे धोखा नही दे सकता। मै उड़ती चिड़िया पहचान लेता हुँ।
उन्नीस बीस का अंतर होना – थोड़ा-सा अन्तर
रामू और मोहन की सूरत में बस उन्नीस-बीस का अन्तर हैं।
उलटी गंगा बहाना – अनहोनी या लीक से हटकर बात करना
अमित हमेशा उल्टी गंगा बहाता हैं कह रहा था कि वह हाथों के बल चलकर स्कूल जाएगा।
उँगली उठाना – बदनाम करना या दोषारोपण करना
किसी पर खाहमखाह उँगली उठाना गलत हैं।
उड़ जाना – खर्च हो जाना
अरे मित्र महीना पूरा होने से पहले ही सारा वेतन उड़ जाता हैं।
उड़ती खबर – अफवाह
मित्र, ये तो उड़ती खबर हैं। प्रधानमंत्री को कुछ नहीं हुआ।
उड़न-छू हो जाना – गायब हो जाना
जो भी हाथ लगा, चोर वही लेकर उड़न-छूहो गया।
उबल पड़ना – एकाएक क्रोधित होना
दादी माँ से सब बच्चे डरते हैं, पता नहीं वे कब उबल पड़ें।
उलटी माला फेरना – बुराई या अनिष्ट चाहना
जब आयुष को रमेश ने चाँटा मारा तो वह उल्टी माला फेरने लगा।
उलटी-सीधी जड़ना – झूठी शिकायत करना
उल्टी-सीधी जड़ना तो माया की आदत हैं।
उलटी-सीधी सुनाना – डाँटना-फटकारना
जब माला ने दादी का कहना नहीं माना तो वे उसे उल्टी-सीधी सुनाने लगीं।
उलटे छुरे से मूँड़ना – ठगना
प्रयाग में पण्डे और रिक्शा वाले गरीब ग्रामीणों को उल्टे छुरे से मूँड़ देते हैं।
उलटे पाँव लौटना – बिना रुके, तुरंत वापस लौट जाना
मनीष के घर पर ताला लगा था इसलिए मैं उलटे पाँव लौट आया।
उल्लू बनाना – बेवकूफ बनाना
कल एक साधु, ममता को उल्लू बनाकर उससे रुपए ले गया।
उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ सिद्ध करना
मुझे ज्ञात हैं, तुम यहाँ अपना उल्लू सीधा करने आए हो।
उँगलियों पर नचाना – वश में करना
इब्राहीम की पत्नी तो उसे अपनी उँगलियों पर नचाती है।
उगल देना – भेद प्रकट कर देना
जब पुलिस के डंडे पड़े तो उस चोर ने सब कुछ सच-सच उगल दिया।
उठ जाना – मर जाना
जो भले लोग होते हैं उनके उठ जाने के बाद भी दुनिया उन्हें याद करती है।
“ऊ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
ऊँच-नीच समझाना – भलाई-बुराई के बारे में बताना
माँ ने पुत्री ममता को ऊँच-नीच समझाकर ही पिकनिक पर जाने दिया।
ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना – बेमेल काम करना
कम उम्र की लड़की का अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ विवाह करना ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना हैं।
ऊँट के मुँह में जीरा – अधिक आवश्यकता वाले के लिए थोड़ा सामान
पेटू रामदीन के लिए दो रोटी तो ऊँट के मुँह में जीरा हैं।
ऊल-जलूल बकना – अंट-शंट बोलना
वह तो यूँ ही ऊल-जलूल बकता रहता हैं, उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं देता।
ऊसर में बीज बोना या डालना – व्यर्थ कार्य करना
मैंने कौशिक से कहा कि अपने घर में दुकान खोलना तो ऊसर में बीज डालना हैं, कोई और स्थान देखो।
ऊँचा सुनना – कुछ बहरा होना
जरा जोर से बोलिए, मेरे पिताजी थोड़ा ऊँचा सुनते हैं।
ऊँच-नीच समझना – भलाई-बुराई की समझ होना
दूसरों को राय देने से पहले तुम्हें ऊँच-नीच समझ लेनी चाहिए।
ऊपरी मन से कहना/करना – दिखावे के लिए कहना/करना
वह हमेशा ऊपरी मन से खाना खाने के लिए पूछती थी और मैं हमेशा मना कर देता था।
“ए” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
एक आँख से सबको देखना – सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना
अध्यापक विद्यालय में सब बच्चों को एक आँख से देखते हैं
एँड़ी-चोटी का पसीना एक करना – खूब परिश्रम करना
दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सीमा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।
एक और एक ग्यारह होना – आपस में संगठित होकर शक्तिशाली होना
राजू और रामू पुनः मित्रता करके एक और एक ग्यारह हो गए हैं।
एक तीर से दो शिकार करना – एक साधन से दो काम करना
रवि एक तीर से दो शिकार करने में माहिर हैं।
एक से इक्कीस होना – उन्नति करना
सेठ जी की दुकान चल पड़ी हैं, अब तो शीघ्र ही एक से इक्कीस हो जाएँगे।
एक ही थैली के चट्टे-बट्टे – एक जैसे स्वभाव के लोग
उस कक्षा में तो सब बच्चे एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं- सबके सब ऊधम मचाने वाले।
एक ही नाव में सवार होना – एक जैसी परिस्थिति में होना
देखते हैं आतंकवादी क्या करते हैं – इस होटल में हम सब एक ही नाव में सवार हैं। अब जो होगा, सबके साथ होगा।
“ओ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
ओखली में सिर देना – जान-बूझकर परेशानी में फँसना
कल बदमाशों से उलझकर केशव ने ओखली में सिर दे दिया।
ओर छोर न मिलना – रहस्य का पता न चलना
रोहन विचित्र आदमी हैं, उसकी योजनाओं का कुछ ओर-छोर नहीं मिलता।
“औ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
औने के पौने करना – खरीद-फरोख्त में पैसे बचाना या चुराना
अभिषेक बहुत सीधा लड़का हैं, वह औने-पौने करना नहीं जानता।
औने-पौने निकालना या बेचना – कोई वस्तु बहुत कम पैसों में बेचना
वह अपना मकान औने-पौने में निकाल रहा हैं, पर कोई ग्राहक नहीं मिल रहा।
और का और होना – विशिष्ट परिवर्तन होना
घर में सौतेली माँ के आते ही अनिल के पिताजी और के और हो गए।
“क” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
कागजी घोड़े दौड़ाना – केवल लिखा-पढ़ी करना, पर कुछ काम की बात न होना
आजकल सरकारी दफ्तर में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ते है; होता कुछ नही।
कान देना – ध्यान देना
पिता की बातों पर कण दिया करो।
कान खोलना – सावधान होना
कान खोलकर सुन लो तिम्हें जुआ नही खेलना है।
कमर कसना – तैयार होना
शत्रुओं से लड़ने के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए
कबाब होना – क्रोध या ईर्ष्या से जलना
मेरी सच्ची बात सुनकर राकेश कबाब हो गया।
कबाब में हड्डी होना – सुख-शांति में बाधा होना
देखो मित्र, तुम दोनों बात करो, मैं यहाँ बैठकर कबाब में हड्डी नहीं बनूँगा।
कमर सीधी करना – आराम करना, लेटना
मैं अभी चलता हूँ, जरा कमर सीधी कर लूँ।
कलेजा फटना – बहुत दुःख होना
उस हृदय-विदारक दुर्घटना से मेरा तो कलेजा फट गया।
कलेजे का टुकड़ा – अत्यन्त प्यारा या पुत्र
रामू तो अपनी दादी का कलेजे का टुकड़ा हैं।
कलेजे में आग लगना – ईर्ष्या होना
अपने पड़ोसी की ख़ुशी देखकर शीतल के कलेजे में आग लग गई
“खा” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
ख़ाक छानना – भटकना
नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा।
खून-पसीना एक करना – अधिक परिश्रम करना
खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है।
खून खौलना – क्रोधित होना
झूठ बातें सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है।
खून का प्यासा – जानी दुश्मन होना
उसकी क्या बात कर रहे हो, वह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है।
खाक में मिलना – सब कुछ नष्ट हो जाना
बाढ़ आने पर उसका सब कुछ खाक में मिल गया।
खाने को दौड़ना – बहुत क्रोध में होना
मैं अपने ताऊजी के पास नहीं जाऊँगा, वे तो हर किसी को खाने को दौड़ते हैं।
खिचड़ी पकाना – गुप्त बात या कोई षड्यंत्र करना
छात्रों को खिचड़ी पकाते देख अध्यापक ने उन्हें डाँट दिया।
खून-पसीना एक करना – बहुत कठिन परिश्रम करना
रामू खून-पसीना एक करके दो पैसे कमाता हैं।
“ग” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
गले का हार होना – बहुत प्यारा
लक्ष्मण राम के गले का हर थे।
गर्दन पर सवार होना – पीछा ना छोड़ना
जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।
गागर में सागर भरना – एक रंग -ढंग पर न रहना
उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
गिरगिट की तरह रंग बदलना – बातें बदलना
गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा।
गाल बजाना – डींग हाँकना
जो करता है, वही जानता है। गाल बजानेवाले क्या जानें ?
गिन-गिनकर पैर रखना – सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना
माना कि थक गये हो, मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं
गुस्सा पीना – क्रोध दबाना
गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता।
गुड़ गोबर करना – बनाया काम बिगाड़ना
वीरू ने जरा-सा बोलकर सब गुड़-गोबर कर दिया।
गंगा नहाना – अपना कर्तव्य पूरा करके निश्चिन्त होना
रमेश अपनी बेटी की शादी करके गंगा नहा गए।
गजब ढाना (कमाल करना)-
लता मंगेशकर ने तो गायकी में गजब ढा दिया हैं।
गधा बनाना – मूर्ख बनाना
अप्रैल फूल डे वाले दिन मैंने रामू को खूब गधा बनाया।
गधे को बाप बनाना – काम निकालने के लिए मूर्ख की खुशामद करना
रामू गधे को बाप बनाना अच्छी तरह जानता हैं।
“घ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
घर का न घाट का – कहीं का नहीं
कोई काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जिये।
घाव पर नमक छिड़कना – दुःख में दुःख देना
राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
घोड़े बेचकर सोना – बेफिक्र होना
बेटी तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ।
घड़ो पानी पड़ जाना – अत्यन्त लज्जित होना
वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।
घी के दीए जलाना – अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता
जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या है घी के दीये जलाओ।
घर बसाना – विवाह करना
उसने घर क्या बसाया बाहर निकलता ही नहीं।
घर का बोझ उठाना – घर का खर्च चलाना या देखभाल करना
बचपन में ही अपने पिता के मरने के बाद राकेश घर का बोझ उठा रहा है।
घर का नाम डुबोना – परिवार या कुल को कलंकित करना
रामू ने चोरी के जुर्म में जेल जाकर घर का नाम डुबो दिया।
घर घाट एक करना – कठिन परिश्रम करना
नौकरी के लिए संजय ने घर घाट एक कर दिया।
घर फूँककर तमाशा देखना – अपना घर स्वयं उजाड़ना या अपना नुकसान खुद करना
जुए में सब कुछ बर्बाद करके राजू अब घर फूँक के तमाशा देख रहा है।
घर में आग लगाना – परिवार में झगड़ा कराना
वह तो सबके घर में आग लगाता फिरता हैं इसलिए उसे कोई अपने पास नहीं बैठने देता।
घर में भुंजी भाँग न होना – बहुत गरीब होना
रामू के घर में भुंजी भाँग नहीं हैं और बातें करता है नवाबों की।
घाव पर मरहम लगाना – सांत्वना या तसल्ली देना
दादी पहले तो मारती है, फिर घाव पर मरहम लगाती है।
घाव हरा होना – भूला हुआ दुःख पुनः याद आना
राजा ने अपने मित्र के मरने की खबर सुनी तो उसके अपने घाव हरे हो गए।
घास खोदना – तुच्छ काम करना
अच्छी नौकरी छोड़ के राजू अब घास खोद रहा है।
घास न डालना – सहायता न करना या बात तक न करना
मैनेजर बनने के बाद राजू अब मुझे घास नहीं डालता।
घी-दूध की नदियाँ बहना – समृद्ध होना
श्रीकृष्ण के युग में हमारे देश में घी-दूध की नदियाँ बहती थीं।
घुटने टेकना – हार या पराजय स्वीकार करना
संजू इतनी जल्दी घुटने टेकने वाला नहीं है, वह अंतिम साँस तक प्रयास करेगा।
घोड़े पर सवार होना – वापस जाने की जल्दी में होना
अरे मित्र, तुम तो सदैव घोड़े पर सवार होकर आते हो, जरा हमारे पास भी बैठो।
घोलकर पी जाना – कंठस्थ याद करना
रामू दसवीं में गणित को घोलकर पी गया था तब उसके 90 प्रतिशत अंक आए हैं।
घुट-घुट कर मरना – असहय कष्ट सहते हुए मरना
गरीबों पर अत्याचार करने वाले घुट-घुट कर मरेंगे।
“च” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
चल बसना – मर जाना
बेचारे का बेटा भरी जवानी में चल बसा।
चार चाँद लगाना – चौगुनी शोभा देना
निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाता है।
चिकना घड़ा होना – बेशर्म होना
तुम ऐसा चिकना घड़ा हो तुम्हारे ऊपर कहने सुनने का कोई असर नहीं पड़ता।
चिराग तले अँधेरा – पण्डित के घर में घोर मूर्खता आचरण
पण्डितजी स्वयं तो बड़े विद्वान है, किन्तु उनके लड़के को चिराग तले अँधेरा ही जानो।
चैन की बंशी बजाना – मौज करना
आजकल राम चैन की बंशी बजा रहा है।
चार दिन की चाँदनी – थोड़े दिन का सुख
राजा बलि का सारा बल भी जब चार दिन की चाँदनी ही रहा तो तुम किस खेत की मूली हो।
चींटी के पर लगना या जमना – विनाश के लक्षण प्रकट होना
इसे चींटी के पर जमना ही कहेंगे कि अवतारी राम से रावण बुरी तरह पेश आया।
चाँद पर थूकना – व्यर्थ निन्दा या सम्माननीय का अनादर करना
जिस भलेमानस ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, उसे ही तुम बुरा-भला कह रहे हो, चाँद पर भी थूका जाता है।
चाँदी काटना – खूब आमदनी करना
कार्यालय में बाबू लोग खूब चाँदी काट रहे है।
चकमा देना – धोखा देना
वह बदमाश मुझे धोखा देकर भाग गया।
चक्कर में आना – फंदे में फँसना
मुझसे गलती हो गई जो मैं उस ठग के चक्कर में फँस गया।
चना-चबैना – रूखा-सूखा भोजन
आजकल रामू चना-चबैना खाकर गुजारा कर रहा हैं।
चरणों की धूल – तुच्छ व्यक्ति
हे प्रभु मैं तो आपके चरणों की धूल हूँ, मुझ पर दया करो।
चस्का लगना – बुरी आदत
धीरू को धूम्रपान का बहुत बुरा चस्का लग गया है।
चाँद का टुकड़ा – बहुत सुन्दर
रामू का पुत्र तो चाँद का टुकड़ा है, वह उसे प्रतिदिन काला टीका लगाता है।
चाँदी ही चाँदी होना – खूब धन लाभ होना
अरे मित्र! यदि तुम्हारी ये दुकान चल गई तो चाँदी ही चाँदी हो जाएगी।
चाट पड़ना – आदत पड़ना
रानी को तो चाट पड़ गई है, वह बार-बार पैसा उधार माँगने आ जाती है।
चादर देखकर पाँव पसारना – आमदनी के अनुसार खर्च करना
पिताजी ने मुझसे कहा कि आदमी को चादर देखकर पाँव पसारने चाहिए, वरना उसे पछताना पड़ता है।
चादर के बाहर पैर पसारना – आय से अधिक व्यय करना
जो लोग चादर के बाहर पैर पसारते हैं हमेशा तंगी का ही अनुभव करते रहते हैं।
चार सौ बीस – कपटी एवं धूर्त व्यक्ति
मुन्ना चार सौ बीस है, इसलिए सब उससे दूर रहते हैं।
चूहे-बिल्ली का बैर – स्वाभाविक विरोध
राम और मोहन में तो चूहे-बिल्ली का बैर है। दोनों भाई हर समय झगड़ते रहते हैं।
चेहरे का रंग उड़ना – निराश होना
जब रानी को परीक्षा में फेल होने की सूचना मिली तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।
चेहरा खिलना – खुश होना
जब अमित दसवीं में उत्तीर्ण हो गया तो उसका चेहरा खिल गया।
चेहरा तमतमाना – बहुत क्रोध आना
जब बच्चे कक्षा में शोर मचाते हैं तो अध्यापक का चेहरा तमतमा जाता हैं।
चोटी और एड़ी का पसीना एक करना – खूब परिश्रम करना
मुकेश ने नौकरी के लिए चोटी और एड़ी का पसीना एक कर दिया हैं।
“छ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
छक्के छूटना – बुरी तरह पराजित होना
महाराजकुमार विजयनगरम की विकेट-कीपरी में अच्छे-अच्छे बॉलर के छक्के छूट चुके है।
छप्पर फाडकर देना – बिना मेहनत का अधिक धन पाना
ईश्वर जिसको देता है उसे छप्पर फाड़कर देता है।
छाती पर पत्थर रखना – कठोर ह्रदय
उसने छाती पर पत्थर रखकर अपने पुत्र को विदेश भेजा था।
छाती पर सवार होना – आ जाना
अभी वह बात कर रही थी कि बच्चे उसके छाती पर सवार हो गए।
छक्के छुड़ाना – हौसला पस्त करना या हराना
शिवाजी ने युद्ध में मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे।
छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या से हृदय जलना
जब पड़ोसी ने नई कार ली तो शेखर की छाती पर साँप लोट गया।
छोटा मुँह बड़ी बात – अपनी हैसियत से बढ़कर बोलना।
आजकल लोगों को छोटा मुँह बड़ी बात करने की आदत सी हो गयी है।
छत्तीस का आँकड़ा – घोर विरोध
मुझमें और मेरे मित्र में आजकल छत्तीस का आँकड़ा है।
छाती पीटना – मातम मनाना
अपने किसी संबंधी की मृत्यु पर मेरे पड़ोसी छाती पीट रहे थे।
छाती जलना – ईर्ष्या होना
जब भवेश दसवीं में फर्स्ट क्लास आया तो उसके विरोधियों की छाती जल गई।
छाती फूलना – गर्व होना
जब मैंने एम.ए. कर लिया तो मेरे अध्यापक की छाती फूल गई।
छाती सुलगना – ईर्ष्या होना
किसी को सुखी देखकर मेहता जी की तो छाती सुलग उठती है।
छुट्टी पाना – झंझट या अपने कर्तव्य से मुक्ति पाना
रामपाल जी अपनी इकलौती बेटी का विवाह करके छुट्टी पा गए।
छू हो जाना या छूमंतर हो जाना – चले जाना या गायब हो जाना
अरे, विकास अभी तो यही था, अभी कहाँ छूमंतर हो गया।
छोटा मुँह बड़ी बात – हेसियत से अधिक बात करना
अध्यापक ने विद्यार्थियों को समझाया कि हमें कभी छोटे मुँह बड़ी बात नहीं करनी चाहिए, वरना पछताना पड़ेगा।
छी छी करना – घृणा प्रकट करना
तुम्हारे काले कारनामों के कारण सब लोग तुम्हारे लिए छी छी कर रहे हैं।
“ज” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
जलती आग में घी डालना – क्रोध बढ़ाना
बहन ने भाई की शिकायत करके जलती आग में भी डाल दिया।
जमीन आसमान एक करना – बहुत प्रयास करना
मै शहर में अच्छा मकान लेने के लिए जमीन आसमान एक कर दे रहा हूँ परन्तु सफलता नहीं मिल रही है।
जान पर खेलना – साहसिक कार्य
हम जान पर खेलकर भी अपने देश की रक्षा करेंगे।
जूती चाटना – खुशामद करना, चापलूसी करना
संजीव ने अफसरों की जूतियाँ चाटकर ही अपने बेटे की नौकरी लगवाई है।
जहर उगलना – कड़वी बातें कहना या भला-बुरा कहना
पता नहीं क्या बात हुई, आज राजू अपने मित्र के खिलाफ जहर उगल रहा था।
जान खाना – तंग करना
अरे भाई! क्यों जान खा रहे हो? तुम्हें देने के लिए मेरे पास एक भी पैसा नहीं है।
जख्म पर नमक छिड़कना – दुःखी या परेशान को और परेशान करना
जब सोहन भिखारी को बुरा-भला कहने लगा तो मैंने कहा कि हमें किसी के जख्म पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए।
जख्म हरा हो जाना – पुराने दुःख या कष्ट भरे दिन याद आना
प्रयोग – जब भी मैं गंगा स्नान के लिए जाता हूँ तो मेरा जख्म हरा हो जाता है, क्योंकि गंगा नदी में मेरा मित्र डूबकर मर गया था।
जबान चलाना – अनुचित शब्द कहना
सीमा बहुत जबान चलाती है उससे कौन बात करेगा।
जबान देना – वायदा करना
प्रयोग – अध्यापक ने विद्यार्थियों से कहा कि अच्छा आदमी वही होता है जो जबान देकर निभाता है।
जबान बन्द करना – तर्क-वितर्क में पराजित करना
रामधारी वकील ने अदालत में विपक्षी पार्टी के वकील की जबान बन्द कर दी।
जबान में ताला लगाना – चुप रहने पर विवश करना
सरकार जब भी चाहे पत्रकारों की जबान में ताला लगा सकती है।
जबानी जमा-खर्च करना – मौखिक कार्यवाही करना
मित्र, अब जबानी जमा-खर्च करने से कुछ नहीं होगा। कुछ ठोस कार्यवाही करो।
जमीन पर पाँव न पड़ना – अत्यधिक खुश होना
रानी दसवीं में उत्तीर्ण हो गई है तो आज उसके जमीन पर पाँव नहीं पड़ रहे हैं।
जहर का घूँट पीना – कड़वी बात सुनकर चुप रह जाना
सबके सामने अपमानित होकर रानी जहर का घूँट पीकर रह गई।
जहर की गाँठ – बुरा या दुष्ट व्यक्ति
अखिल जहर की गाँठ है, उससे मित्रता करना बेकार है।
जान न्योछावर करना – बलिदान करना
हमारे सैनिक देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर देते हैं।
जान हथेली पर लेना – जान की परवाह न करना
सीमा पर सैनिक जान हथेली पर लेकर चलते हैं और देश की रक्षा करते हैं।
जी खट्टा होना – मन में वैराग पैदा होना
मेरे दादाजी का तो शहर से जी खट्टा हो गया है। वे अब गाँव में ही रहते हैं।
“झ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
झक मारना – विवश होना
दूसरा कोई साधन नहीं हैै। झक मारकर तुम्हे साइकिल से जाना पड़ेगा।
झण्डा गाड़ना/झण्डा फहराना – अपना आधिपत्य स्थापित करना
अंग्रेजों ने झाँसी की रानी को परास्त करने के पश्चात् भारत में अपना झण्डा गाड़ दिया था।
झण्डी दिखाना – स्वीकृति देना
साहब के झण्डी दिखाने के बाद ही क्लर्क बाबू ने लालू का काम किया।
झख मारना – बेकार का काम करना
आजकल बेरोजगारी में राजू झख मार रहा है।
झाँसा देना – धोखा देना
विपिन को उसके सगे भाई ने ही झाँसा दे दिया।
झाँसे में आना – धोखे में आना
वह बहुत होशियार है, फिर भी झाँसे में आ गया।
झाड़ू फेरना – बर्बाद करना
प्रेम ने अपने पिताजी की सारी दौलत पर झाड़ू फेर दी।
झूठ का पुतला – बहुत झूठा व्यक्ति
वीरू तो झूठ का पुतला है तभी कोई उसकी बात का विश्वास नहीं करता।
“ट” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
टाँग अड़ाना – अड़चन डालना
हर बात में टाँग ही अड़ाते हो या कुछ आता भी है तुम्हे ?
टका सा जबाब देना – साफ़ इनकार करना
मै नौकरी के लिए मैनेज़र से मिला लेकिन उन्होंने टका सा जबाब दे दिया।
टस से मस न होना – कुछ भी प्रभाव न पड़ना
दवा लाने के लिए मै घंटों से कह रहा हूँ, परन्तु आप आप टस से मस नहीं हो रहे हैं।
टोपी उछालना – निरादर करना
जब पुत्री के विवाह में दहेज नहीं दिया तो लड़के वालों ने रमेश की टोपी उछाल दी।
टके सेर मिलना – बहुत सस्ता मिलना
आजकल आलू टके सेर मिल रहे हैं।
टर-टर करना – बकवास करना/व्यर्थ में बोलते रहना
सुनील तो हर वक्त टर-टर करता रहता है। कौन सुनेगा उसकी बात?
टाँग खींचना – किसी के बनते हुए काम में बाधा डालना
रमेश ने मेरी टाँग खींच दी, वरना मैं मैनेजर बन जाता।
टेढ़ी खीर – अत्यन्त कठिन कार्य
आई.ए.एस. पास करना टेढ़ी खीर है।
टक्कर खाना – बराबरी करना
जो धूर्त हैं उनसे टक्कर लेने से क्या लाभ।
टालमटोल करना – बहाना बनाना
प्रयोग – मैंने उनसे पूछा, ‘टालमटोल मत कीजिए। साफ बताइए, आप मेरी मदद करेंगे या नहीं?’
“ठ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
ठन-ठन गोपाल – खाली जेब अथवा अत्यन्त गरीब
सुमेर तो ठन-ठन गोपाल है, वह चंदा कहाँ से देगा?
ठंडा करना – क्रोध शान्त करना
महेश ने समझा-बुझाकर दादाजी को ठंडा कर दिया।
ठंडा पड़ना – मर जाना
वह साईकिल से गिरते ही ठंडा पड़ गया।
ठिकाने लगाना – मार डालना
अपहरणकर्ताओं ने भवन के बेटे को ठिकाने लगा ही दिया।
ठेंगा दिखाना – इनकार करना
वक्त आने पर मेरे मित्र ने मुझे ठेंगा दिखा दिया।
ठोकरें खाना – कष्ट या दुःख सहना
दुनियाभर की ठोकरें खाकर गोपाल ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है।
ठाट-बाट से रहना – शानौशौकत से रहना
वे जिस ठाट-बाट से रहते हैं, उसकी बराबरी शायद ही कोई कर सके।
ठिकाने की बात कहना – समझदारी की बात कहना
जो लोग ठिकाने की बात कहते हैं लोग उन पर अवश्य यकीन करते हैं।
“ड” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
डकार जाना – हड़प जाना
सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया।
डींग मारना या हाँकना – शेखी मारना
जब देखो, मोहन डींगें मारता रहता है ‘मैंने ये किया, मैंने वो किया’।
डेढ़/ढाई चावल की खिचड़ी पकाना – सबसे अलग काम करना
सुधीर अपनी डेढ़ चावल बनी खिचड़ी अलग पकाता है।
डंका पीटना – प्रचार करना
प्रयोग – अनिल ने झूठा डंका पीट दिया कि उसकी लॉटरी खुल गई है।
डंके की चोट पर – खुल्लमखुल्ला
शेरसिंह जो भी काम करता है, डंके की चोट पर करता है।
डोंड़ी पीटना – मुनादी या ऐलान करना
बीरबल की विद्वता को देखकर अकबर ने डोंड़ी पीट दी थी कि वह राज दरबार के नवरत्नों में से एक है।
डूब मरना – बहुत लज्जित होना
इस तरह की बातें मेरे लिए डूब मरने के समान हैं।
डूबती नैया को पार लगाना – संकट से छुड़ाना
ईश्वर की कृपा होगी तभी तुम्हारी डूबती नैया पार लगेगी।
डेरा डालना – निवास करना
साधु ने मंदिर में जाकर अपना डेरा डाल दिया।
“ढ़” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
ढील देना – छूट देना
दादी माँ कहती हैं कि बच्चों को अधिक ढील नहीं देनी चाहिए।
ढेर हो जाना – गिरकर मर जाना
कल पुलिस की मुठभेड़ में दो बदमाश ढेर हो गए।
ढोल पीटना – सबसे बताना
अरे, कोई इस रानी को कुछ मत बताना, वरना ये ढोल पीट देगी।
ढलती-फिरती छाया – भाग्य का खेल या फेर
कल वह गरीब था, आज अमीर है- सब ढलती-फिरती छाया है।
ढल जाना – कमजोर हो जाना, वृद्धावस्था की ओर जान
बीमारी के कारण उसका सारा शरीर ढल गया है।
ढिंढोरा पीटना – घोषणा करना
केवल ढिंढोरा पीटने से काम नहीं बनता। काम बनाने के लिए लोगों का विश्वास जीतना जरूरी है।
ढोंग रचना – पाखंड करना
ढोंग रचने वाले साधुओं से मुझे सख्त नफ़रत है।
“त” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
तूती बोलना – बोलबाला होना
आजकल तो राहुल गाँधी की तूती बोल रही है।
तारे गिनना – चिंता के कारण रात में नींद न आना
अपने पुत्र की चिन्ता में पिता रात भर तारे गिनते रहे।
तिल का ताड़ बनाना – छोटी-सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना
शांति तो तिल का ताड़ बनाने में माहिर है।
तीन तेरह करना – नष्ट करना, तितर बितर करना
जरा-से झगड़े ने दोनों भाइयों को तीन तेरह कर दिया।
तलवार सिर पर लटकना – खतरा होना
आजकल रामू के मैनेजर से उसकी कहासुनी हो गई है इसलिए तलवार उसके सिर पर लटकी हुई है।
ताक में बैठना – मौके की तलाश में रहना
सुधीर बहुत दिनों से ताक में बैठा था कि उसे मैं कब अकेला मिलूँ और वो मुझे पीटे।
तारीफ के पुल बाँधना – अधिक प्रशंसा या तारीफ करना
राकेश जब फर्स्ट क्लास पास हुआ तो सभी ने उसकी तारीफ के पुल बाँध दिए।
तिनके का सहारा – थोड़ी-सी मदद
मैंने मोहित की जब सौ रुपए की मदद की तो उसने कहा कि डूबते को तिनके का सहारा बहुत होता है।
तीर मार लेना – कोई बड़ा काम कर लेना
इंजीनियर बनकर आयुष ने तीर मार लिया है।
तेल निकालना – खूब कस कर काम लेना
प्राइवेट फर्म तो कर्मचारी का तेल निकाल लेती है। तभी विकास को नौकरी करना पसंद नहीं है।
323. तोता पालना – किसी बुरी आदत को न छोड़ना
केशव ने तंबाकू खाने का तोता पाल लिया है। बहुत मना किया, मानता ही नहीं है।
तरस खाना – दया करना
ठंड में काँपते हुए उस भिखारी पर तरस खाकर मैंने अपना कंबल उसी को दे दिया।
तिल-तिल करके मरना – धीरे-धीरे मृत्यु के मुख में जाना
बेटे के गम में उसने बिस्तर पकड़ लिया है और अब तिल-तिल करके मर रही है।
तू-तू मैं-मैं होना – आपस में कहा-सुनी होना
कल रमेश और उसकी पत्नी के बीच तू-तू मैं-मैं हो गई।
तेल निकालना – खूब कसकर काम लेना
जमींदार मजदूरों का तेल निकाल लेते थे।
तौल-तौल कर मुँह से शब्द निकालना – बहुत सोच-विचार कर बोलना
शालिनी बहुत विवेकशील है वह तौल-तौलकर मुँह से शब्द निकालती है।
“त्र” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
त्राहि-त्राहि करना – विपत्ति या कठिनाई के समय रक्षा या शरण के लिए प्रार्थना करना
आग लगने पर बच्चे का उपाय न देखकर लोग त्राहि-त्राहि करने लगे।
त्रिशुंक होना – बीच में रहना, न इधर का होना, न उधर का
केशव न तो अभी तक आया और न ही फोन किया। समारोह में जाना है या नहीं कुछ भी नहीं पता। मैं तो त्रिशुंक हो गया हूँ।
“थ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
थूक कर चाटना – कह कर मुकर जाना
कल मुन्ना थूक कर चाट गया अब उस पर कोई विश्वास नहीं करेगा।
थाली का बैंगन होना – ऐसा आदमी जिसका कोई सिद्धान्त न हो
आजकल के नए-नए नेता तो थाली के बैंगन हैं।
थाह मिलना या लगना – भेद खुलना
अब वैज्ञानिकों ने थाह लगा ली है कि मंगल ग्रह पर भी पानी है।
थुक्का फजीहत होना – अपमान होना
कुमार थुक्का फजीहत होने से पहले ही चला गया।
थुड़ी-थुड़ी होना – बदनामी होना
बच्चों को बेवजह पीटने पर अध्यापक की हर जगह थुड़ी-थुड़ी हो रही है।
थक कर चूर होना – बहुत थक जाना
मई की धूप में चार कि० मी० की पैदल यात्रा करने के कारण मैं तो थककर चूर हो गया हूँ।
“द” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
दम टूटना – मर जाना
शेर ने एक ही गोली में दम तोड़ दिया।
दिन दूना रात चौगुना – तेजी से तरक्की करना
रामदास अपने व्यापार में दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है।
दौड़-धूप करना – बड़ी कोशिश करना
कौन बाप अपनी बेटी के ब्याह के लिए दौड़-धूप नहीं करता।
दाँत पीसना – बहुत क्रोधित होना
रमेश तो बात-बात पर दाँत पीसने लगता है।
दाँत खट्टे करना – परास्त करना, हराना
महाभारत में पांडवों ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
दाँतों तले उँगली दबाना – दंग रह जाना
जब एक गरीब छात्र ने आई.ए.एस. पास कर ली तो सब दाँतों तले उँगली दबाने लगे।
दिन पलटना – अच्छे दिन आना
नौकरी लगने के बाद अब शम्भू के दिन पलट गए हैं।
दिन-रात एक करना – कठिन श्रम करना
मोहन ने दसवीं पास करने के लिए दिन-रात एक कर दिया था।
दिल की दिल में रह जाना – मनोकामना पूरी न होना
जिस लड़की से वह विवाह करना चाहता था उससे कह ही नहीं पाया और इस तरह से दिल की दिल में ही रह गई।
दिल के अरमान निकलना – इच्छा पूरी होना
जब मेरे दिल के अरमान निकलेंगे तब मुझे तसल्ली मिलेगी।
दिल्ली दूर होना – लक्ष्य दूर होना
अभी तो मोहन ने सिर्फ दसवीं पास की है। उसे डॉक्टर बनना है तो अभी दिल्ली दूर है।
दूध की नदियाँ बहना – धन-दौलत से पूर्ण होना
कृष्ण के युग में मथुरा में दूध की नदियाँ बहती थीं।
दाल रोटी चलना – जीवन निर्वाह होना
इतनी तनख्वाह मिल जाती है कि किसी तरह दाल-रोटी चल जाती है।
देखते रह जाना – दंग रह जाना
इतने छोटे बच्चे के करतब लोग देखते रह गए।
“ध” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
धज्जियाँ उड़ाना – किसी के दोषों को चुन-चुनकर गिनाना
उसने उनलोगों की धज्जियाँ उड़ाना शुरू किया कि वे वहाँ से भाग खड़े हुए।
धूप में बाल सफेद करना – बिना अनुभव के जीवन का बहुत बड़ा भाग बिता देना
रामू काका ने धूप में बाल सफेद नहीं किए हैं, उन्हें बहुत अनुभव है।
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का – जिसका कहीं ठिकाना न हो, निरर्थक व्यक्ति
जब से रामू की नौकरी छूटी है, उसकी दशा धोबी का कुत्ता घर न घाट का जैसी है।
धीरज बँधाना – सांत्वना देना
सब लोगों ने धीरज बँधाने की कोशिश की पर उसके आँसू न थमे।
धोखा देना – ठगना
चोर पुलिस को धोखा देकर भाग गया।
धूल चाटना – खुशामद करना
पहले तो बहुत अकड़ रहे थे। जब पता चला कि मदन मंत्री का बेटा है तो लगे उसकी धूल चाटने।
ध्यान से उतरना – भूलना
मैंने गाड़ी की चाबी कहाँ रख दी है यह मेरे ध्यान से उतर गया है।
धरना देना – अड़कर बैठना
सत्याग्रही मंत्री की कोठी के सामने धरना दे रहे है।
धोती ढीली होना – डर जाना
मास्टर साहब के आते ही लड़के की धोती ढीली हो गयी।
धक्का देना – अपमान करना
तुम मुझे धक्का दो और मैं तुम्हारी आरती उतारूँ- ऐसा क्या संभव है ?
“न” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
नौ-दो ग्यारह होना – भाग जाना
बिल्ली को देखकर चूहे नौ दो ग्यारह हो गए।
न घर का रहना न घाट का – दोनों तरफ से उपेक्षित होना
पढ़ाई छोड़ कर रोहन घर का रहा न घाट का, अब वह पछताता है।
नमक हलाल करना – उपकार का बदला उतारना
कुत्ते ने मालिक के लिए अपनी जान दे कर अपना नमक हलाल कर दिया।
नमक का हक अदा करना – बदला/ऋण चुकाना
यदि आप मेरी मदद करेंगे तो जीवन भर मैं आपके नमक का हक अदा करता रहूँगा।
नमक-मिर्च लगाना – बढ़ा-चढ़ाकर कहना
मेरे भाई ने नमक-मिर्च लगाकर मेरी शिकायत पिता जी से कर डाली।
नयनों का तारा – अत्यन्त प्रिय व्यक्ति या वस्तु
पिंटू अपने माता-पिता के नयनों का तारा है।
नस-नस ढीली होना – बहुत थक जाना
दिन-भर घर का काम करके माँ की नस-नस ढीली हो जाती है।
नस-नस पहचानना – भलीभाँति अच्छी तरह जानना
माता-पिता अपने बच्चों की नस-नस पहचानते हैं।
नाक में दम करना – बहुत परेशान करना
इस बच्चे ने तो नाक में दम कर दिया है। कितना ऊधम करता है ये!
नाक ऊँची रखना – सम्मान या प्रतिष्ठा रखना
शांति हमेशा अपनी नाक ऊँची रखती है।
नाक रखना – इज्जत रखना
आई० ए० एस० की परीक्षा में प्रथम आकर मेरी बेटी ने मेरी नाक रख ली।
नाम उछालना – बदनामी करना
छात्रों ने बेमतलब ही संस्कृति के आचार्य जी का नाम उछाल दिया कि ये बच्चों को मारते हैं।
नाम डुबोना – प्रतिष्ठा, मर्यादा आदि खोना
सीमा ने घर से भाग कर अपने माँ-बाप का नाम डुबो दिया।
नाव या नैया पार लगाना – सफलता या सिद्धि प्रदान करना
ईश्वर सदा मेहनती व्यक्ति की नाव/नैया पार लगाता है।
न लेना न देना – कोई संबंध न रखना
रोहन का अपनी पत्नी से न लेना है न देना। दोनों अलग हो गए हैं।
नखरे उठाना – खुशामद करना
मैं किसी के नखरे नहीं उठा सकता। जो मुझे उचित लगेगा वही करूँगा।
नजर अंदाज करना – उपेक्षा करना
धनवान बच्चों के सामने गरीब बच्चों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
नजर उतारना – बुरी दृष्टि के प्रभाव को मंत्र आदि युक्ति से दूर करना
लगता है तुम्हें लोगों की नजर लग जाती है इसलिए जल्दी-जल्दी बीमार पड़ जाती हो। इस बार किसी साधु-संत से नजर उतरवा लो।
नजर बचाकर – चुपके से
माता-पिता की नजर बचाकर वह सिनेमा देखने आई थी।
नजर से गिरना – प्रतिष्ठा कम करना
जो लोग अपने बड़ों की नजर में गिर जाते हैं उनको कोई नहीं पूछता।
नसीब फूटना – भाग्य का प्रतिकूल होना
हमारे तो नसीब फूटे थे जो इस शहर में आकर बसे।
नाक के नीचे – बहुत निकट
आपकी नाक के नीचे आपका नौकर चोरी करता रहा और आपको तब पता चला जब उसने सारा खजाना खाली कर दिया।
“प” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
पेट काटना – अपने भोजन तक में बचत
अपना पेट काटकर वह अपने छोटे भाई को पढ़ा रहा है।
पानी उतारना – इज्जत लेना
भरी सभा में द्रोपदी को पानी उतारने की कोशिश की गयी।
पेट में चूहे कूदना – जोर की भूख
पेट में चूहे कूद रहे है। पहले कुछ खा लूँ, तब तुम्हारी सुनूँगा।
पहाड़ टूट पड़ना – भारी विपत्ति आना
उस बेचारे पर तो दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा।
पट्टी पढ़ाना – बुरी राय देना
तुमने मेरे बेटे को कैसी पट्टी पढ़ाई कि वह घर जाता ही नहीं ?
पाँचों उँगलियाँ घी में होना – पूरे लाभ में
पिछड़े देशों में उद्योगियों और मेहनतकशों की हालत पतली रहती है तथा दलालों, कमीशन एजेण्टों और नौकरशाहों की ही पाँचों उँगलियाँ घी में रहता हैं।
पगड़ी रखना – इज्जत बचाना
हल्दीघाटी में झाला सरदार ने राजपूतों की पगड़ी रख ली।
पानी-पानी होना – अधिक लज्जित होना
जब धीरज की चोरी पकड़ी गई तो वह पानी-पानी हो गया।
पत्ता कटना – नौकरी छूटना
मंदी के दौर में मेरी कंपनी में दस लोगों का पत्ता कट गया।
पर्दाफाश होना – भेद खुलना
रामू ने बहुत छिपाया, पर कल उसका पर्दाफाश हो ही गया।
पाँव तले से धरती खिसकना – अत्यधिक घबरा जाना
बस में जेब कटने पर मेरे पाँव तले से धरती खिसक गई।
पारा चढ़ना – क्रोधित होना
मेरे दादाजी का जरा-सी बात में पारा चढ़ आता है।
“फ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
फूलना-फलना – धनवान या कुलवान होना
मेरा आशीर्वाद है सदा फूलो-फलो।
फटे में पाँव देना – दूसरे की विपत्ति अपने ऊपर लेना
शर्मा जी की फटे में पाँव देने की आदत है।
फल चखना – कुपरिणाम भुगतना
वह जैसा कर्म करेगा, वैसा फल चखेगा।
फुलझड़ी छोड़ना – कटाक्ष करना
गुप्ता जी तो कोई न कोई फुलझड़ी छोड़ते ही रहते हैं।
फूट डालना – मतभेद पैदा करना
अंग्रेजों ने फूट डाल कर भारत पर राज किया था।
फूला न समाना – अत्यन्त आनन्दित होना
जब रवि कक्षा 10 में पास हो गया तो वह फूला नहीं समाया।
फूंक-फूंक कर कदम रखना – सोच-समझकर काम करना
एक बार नुकसान उठा लिया अब तो फूंक-फूंक कर कदम रखो।
फूटी आँखों न सुहाना – तनिक भी अच्छा न लगना
झूठ बोलने वाले लोग मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते।
फटे हाल होना – बहुत गरीब होना
जो बेचारा खुद फटे हाल है वह दूसरों की क्या मदद करेगा।
फूँक निकल जाना – भयभीत होना
बहुत बढ़-चढ़ कर बोल रहा था। जैसे ही प्रधानाचार्य आए उसकी फूँक निकल गई।
फूट-फूट कर रोना – बहुत रोना
परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने की खबर सुनकर वह फूट-फूट कर रोने लगी।
“ब” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
बीड़ा उठाना – दायित्व लेना
गांधजी ने भारत को आजाद करने का बीड़ा उठाया था।
बाजी ले जाना या मारना – जीतना
देखें, दौड़ में कौन बाजी ले जाता या मारता है।
बेसिर-पैर की बात करना – व्यर्थ की बात करना
वह तो जब भी देखो बेसिर-पैर की बात करता है।
बगलें झाँकना – उत्तर न दे सकना
अध्यापक के सवाल पर राजू बगलें झाँकने लगा।
बाग-बाग होना – बहुत खुश होना
जब राम अपनी कक्षा में फर्स्ट आया तो उसके माता-पिता का दिल बाग-बाग हो गया।
बोलबाला होना – ख्याति होना
शहर में सेठ रामचंदानी का बहुत बोलबाला है।
बात खुलना – रहस्य खुलना
कल सबके सामने रमेश की बात खुल गई।
बात बनाना – झूठ बोलना
मोहन अब बात बनाना भी सीख गया है।
बुद्धि पर पत्थर पड़ना – अक्ल काम न करना
आज उसकी बुद्धि पर पत्थर पड़ गए तभी तो उसने 10 लाख का मकान 2 लाख में बेच दिया।
बिन बेपेंदी का लौटा – किसी की तरफ न टिकने वाला
वह नेता तो बेपेंदी का लौटा है- कभी इस पार्टी में तो कभी उस पार्टी में चला जाता है।
बाएं हाथ का खेल – बहुत सुगम कार्य
रामू ने कहा कि कबड्डी में जीतना तो उसके बाएं हाथ का खेल है।
बुढ़ापे की लाठी – बुढ़ापे का सहारा
रामदीन का बेटा उसके बुढ़ापे का लाठी था, वह भी विदेश चला गया।
बहती गंगा में हाथ धोना – समय का लाभ उठाना
हर आदमी बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है चाहें उसमें क्षमता हो या न हो।
बलि जाना – न्योछावर होना
मीरा कृष्ण के हर रूप पर बलि जाती थी।
बात का बतंगड़ बनाना – छोटी-सी बात को बहुत बढ़ा देना
बात का बतंगड़ मत बनाओ और इस किस्से को यहीं समाप्त करो।
“भ” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
भीगी बिल्ली होना – डर से दबना
प्रयोग – वह अपने शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है।
भंडा फूटना – पोल खुलना
भंडा फूटने के डर से रवि मीटिंग से उठ कर चला गया।
भंडा फोड़ना – पोल खोलना
जरा-सी कहासुनी पर महेश ने रवि का भंडा फोड़ दिया।
भगवान को प्यारे हो जाना – मर जाना
सोनू के नानाजी कल भगवान को प्यारे हो गए।
भांजी मारना – किसी के बनते काम को बिगाड़ना
प्रयोग – रामू के विवाह में उसके ताऊ ने भांजी मार दी।
भैंस के आगे बीन बजाना – वज्र मूर्ख के सामने बुद्धिमानी की बातें करना
राजू को कोई बात समझाना तो भैंस के आगे बीन बजाना है।
भौंहे टेढ़ी करना – क्रोध आना
पिताजी की जरा भौंहे टेढ़ी करते ही पिंटू चुप हो गया।
भाड़े का टट्टू – किराए का आदमी
इस तरह के काम भाड़े के टट्टुओं से नहीं होते। खुद मेहनत करनी पड़ती है।
भूत चढ़ना या सवार होना – किसी काम में पूरी तरह लग जाना
उस पर आजकल परीक्षा का भूत सवार है। दिन रात पढ़ने में ही लगी रहती है।
भूत उतरना – क्रोध शांत होना
उससे कुछ मत कहो। जब भूत उतर जाएगा तब खुद ही शांत हो जाएगा।
भूत बनकर लगना – जी-जान से लगना
वह तो मेरे पीछे भूत बनकर लग गया है, छोड़ने का नाम ही नहीं लेता।
भोग लगाना – देवता/ईश्वर को नैवेद्य चढ़ाना
मैं पहले ठाकुरजी को भोग लगाऊँगा तब नाश्ता करूँगा।
“म” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
मुँह धो रखना – आशा न रखना
यह चीज अब मिलने को नही मुँह धो रखिए।
मुँह में पानी आना – लालच होना
मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया।
मुँह बंद कर देना – शांत कराना
तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो
मुँह काला होना – अपमानित होना
उसका मुँह काला हो गया अब वह किसी को क्या मुँह दिखाएगा।
मस्तक ऊँचा करना – प्रतिष्ठा बढ़ाना
डॉक्टरी पास करके रवि ने अपने माँ-बाप का मस्तक ऊँचा कर दिया।
महाभारत मचाना – खूब लड़ाई-झगड़ा करना
सोनू और मोनू दोनों बहन-भाई सुबह से महाभारत मचा रहे हैं।
मिट्टी डालना – किसी के दोष को छिपाना
बच्चों की गलतियों पर मिट्टी नहीं डालनी चाहिए।
मुँह पर ताला लगना – चुप रहने के लिए विवश होना
कक्षा में अध्यापक के आने पर सब छात्रों के मुँह पर ताला लग जाता है।
मुँह लगाना – बहुत स्वतंत्रता देना
ऐसे घटिया लोगों को मैं मुँह नहीं लगाता।
मूँछ नीची होना – लज्जित होना
जब नौकर ने टका-सा जवाब दे दिया तो ठाकुर साहब की मूँछ नीची हो गई।
मन उड़ा-उड़ा सा रहना – मन स्थिर न रहना
पति के आने के इंतजार में मधु का मन आजकल उड़ा-उड़ा सा रहता है।
मजा चखाना – गलती की सजा देना
जो कुछ तुमने किया है उसका तुम्हें मजा चखाकर रहूँगा।
मन की मन में रह जाना – इच्छा पूरी न होना
बेटी के विवाह में लड़के वालों से अनबन हो गई इसलिए कुछ भी ठीक से न हो पाया।
मार-मार कर चमड़ी उधेड़ देना – बहुत पीटना
पुलिस वाले ने उस चोर को मार-मार कर उसकी चमड़ी उधेड़ दी।
“य” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
यमपुर पहुँचाना – मार डालना
पुलिस ने चोर को मारमार कर यमपुर पहुँचा दिया।
युक्ति लड़ाना – उपाय करना
अशोक हमेशा पैसा कमाने की युक्ति लड़ाता रहता।
यश गाना – प्रशंसा करना
यदि आप देश के लिए अच्छे काम करेंगे तो लोग आपका यश गाएँगे।
यारी गाँठना – मित्रता करना
पुलिस वालों से यारी गाँठना उसे महँगा पड़ा।
यश मिलना – सम्मान मिलना
देखते है इस चुनाव में किसे यश मिलता है।
युगांतर उपस्थित करना- किसी पुरानी प्रथा को हटाकर उसके स्थान पर नई प्रथा चलाना
“र” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
रंग जमना – धाक जमना
तुम्हारा तो कल खूब रंग जमा।
रंग बदलना – परिवर्तन होना
जमाने का रंग बदल गया है।
रंग चढ़ना – प्रभावित होना
रामू पर दिल्ली के रहन-सहन का रंग चढ़ गया है। अब तो वह कान में मोबाइल लगाए फिरता है।
रात-दिन एक करना – निरन्तर कठिन परिश्रम करना
परीक्षा में पास होने के लिए सुरेश ने रात-दिन एक कर दी।
रास्ता नापना – चले जाना
तुम अपना रास्ता नापो। यहाँ तुम्हारी दाल नहीं गलेगी।
रोजी चलना – जीविका का निर्वाह होना
इस महँगाई में रोजी चलना भी दूभर हो गया है।
रोटियाँ तोड़ना – किसी के यहाँ उसकी कृपा पर जीवन वसर करना
कब तक ससुराल में मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ते रहोगे जाकर कहीं काम-धंधे की तलाश क्यों नहीं करते।
राग-रंग में रहना – ऐश में रहना
इन दिनों राजनीतिज्ञ ही राग-रंग में रहते हैं।
“ल” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
लोहे के चने चबाना – कठिनाई झेलना
भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।
लकीर का फकीर होना – पुरानी प्रथा पर ही चलना
यह अबतक लकीर के फकीर ही है। टेबुल पर नही, चौके में ही खायेंगे।
लाल-पीला होना – नाराज होना
राजू के कक्षा में शोर मचाने पर अध्यापक लाल-पीले हो गए।
लंबी-चौड़ी हाँकना – गप्प मारना
मोहन कक्षा में लंबी-चौड़ी हाँक रहा था तभी अध्यापक आ गए और वह खामोश हो गया।
लगाम ढीली करना – सख्ती न करना/नियमों में नर्मी बरतना
जरा-सी लगाम ढीली करने से मेरी कंपनी का कोई भी कर्मचारी अब समय पर नहीं आता।
लज्जा या शर्म से पानी-पानी होना – बहुत लज्जित होना
अपनी गलती पर पंडित जी लज्जा से पानी-पानी हो गए।
लौ लगना – धुन लगना, प्रेम होना
मधुरिमा को तो पढ़ाई की लौ लग गई है। दिन रात पढ़ने में ही लगी रहती है।
लकड़ी होना – अत्यन्त दुर्बल होना
बीमारी में बिट्टू लकड़ी हो गया है।
लोहा लेना – सामना करना
1857 के संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लिया।
लगन लगना – प्रेम/भक्ति होना
ईश्वर में जब लगन लग जाती है तो सारा संसार मिथ्या लगने लगता है।
“व” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
वक्त पड़ना – मुसीबत आना
वक्त पड़ने पर ही मित्र की पहचान होती है।
वज्र टूटना – भारी विपत्ति आना
रामू के पिताजी के मरने के पश्चात् उस पर वज्र टूट पड़ा।
विष घोलना – किसी के मन में शक या ईर्ष्या पैदा करना
राजू ने बनी-बनाई बात में विष घोल दिया।
विष उगलना – कड़वी बात कहना
कालू हमेशा राजू के खिलाफ विष उगलता रहता है।
वेद वाक्य – सौ प्रतिशत सत्य
हमारे शिक्षक की कही हर बात वेद वाक्य है।
“श” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
शैेतान की खाला – बहुत ही दुष्ट स्त्री
शांति तो शैेतान की खाला है।
शंख के शंख रहना – मूर्ख के मूर्ख बने रहना
शंभू तो शंख का शंख ही रहा।
शक़्कर से मुँह भरना – खुशखबरी सुनाने वाले को मिठाई खिलाना
रमेश ने दसवीं पास होने पर अपने मित्रों का शक़्कर से मुँह भर दिया।
शहद लगाकर चाटना – निरर्थक वस्तुओं को सँभाल कर रखना
अब इन दस्तावेजों को वापस क्यों नहीं कर देते क्या शहद लगाकर इनको चाटोगे।
शामत आना – बुरा समय आना
सब ठीक ठाक चल रहा था। न जाने कहाँ से शामत आ गई और सब बर्बाद हो गई।
“स” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
सर्द हो जाना – डरना, मरना
बड़ा साहसी बनता था, पर भूत का नाम सुनते ही सर्द हो गया।
सरकारी मेहमान – कैदी
मुन्ना झूठे आरोप में ही सरकारी मेहमान बन गया।
साँप लोटना – ईर्ष्या आदि के कारण अत्यन्त दुःखी होना
राजू की सरकारी नौकरी लग गई तो पड़ोसी के साँप लोट गया।
सिर ऊँचा उठाना – इज्जत से खड़ा होना
अपनी ईमानदारी के कारण मुन्ना समाज में आज सिर ऊँचा उठाए खड़ा है।
सिर पर पाँव रख कर भागना – बहुत तेजी से भाग जाना
पुलिस को देख कर डाकू सिर पर पाँव रख कर भाग गए।
सिर पर आ जाना – बहुत नजदीक होना
परीक्षा मेरे सिर पर आ गयी है, अब मुझे खूब पढ़ना चाहिए।
साँप सूँघ जाना – हक्का बक्का रह जाना
बहुत गुंडागर्दी कर रहे थे, अब थानेदार साहब को देखकर क्यों साँप सूँघ गया?
सुईं का भाला बनाना – छोटी-सी बात को बढ़ाना
इस मामले को यहीं समाप्त करो। इतनी-सी बात का सुईं का भाला मत बनाओ।
सितारा चमकना या बुलंद होना – सौभाग्य के दिन आना
इन दिनों इंदिराजी का सितारा चमक रहा है, बुलंद है।
सुबह का चिराग होना – समाप्ति पर आना
वह बहुत दिनों से बीमार है। उसे सुबह का चिराग ही समझो।
“ह” शब्द से शुरू होने वाले मुहावरे
हाथ पैर मारना – काफी प्रयास
राम कितना मेहनत क्या फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ।
हाथ मलना – पछताना
समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ ?
हवा उड़ना – खबर या अफवाह फैलाना
एक बार हमारे गाँव में हवा उड़ी थी कि एक पहुँचे हुए महात्मा आए हैं, जो कि सच थी।
हवा बिगड़ना – पहले की सी धाक या मर्यादा न रह जाना
आजकल पुराने रईसों की हवा बिगड़ गई है।
हाथ पर हाथ धरे बैठना – कुछ कामकाज न करना
हाथ भर का कलेजा होना – बहुत खुश होना
अच्छी नौकरी मिलने से राम का हाथ भर का कलेजा हो गया है।
हाथ पैर फूल जाना – बहुत ज्यादा काम पढ़ जाना।
किचिन में थोड़ा-सा काम क्या बढ़ जाता है, मेरी पत्नी के तो हाथ-पैर फूल जाते हैं।
हाथपाई होना – मारपीट होना
मेरी क्लास के दो बच्चों में आज हाथपाई हो गई और दोनों को चोट लग गई।
हुक्का पानी बंद करना – जाति से बाहर कर देना
रमाकांत की बेटी ने अंतर्जातीय विवाह किया तो सारे गाँव के लोगों ने उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया।
हौसला बढ़ाना – हिम्मत बढ़ाना
अध्यापकों को चाहिए कि वे बच्चों का हौसला बढ़ाते रहें तभी बच्चे कुछ अच्छा कर पाएँगे।
शरीर के अंगो से संबंधित मुहावरे
नीचे हमने लगभग सभी तरह के अंगो से संबंधित मुहावरे और उनके अर्थ दिए है
“आँख”
आँख या आँखों का तेल निकालना – महीन काम करना जिससे आँखों पर बहुत जोर पड़े
दिन भर सुई में धागा पिरोते-पिरोते मेरी आँखों आँखों का तेल निकल गया।
आँख-कान खुले रखना – बहुत सर्तक रहना
आजकल तो हमें हर जगह अपने आँख-कान खुले रखने चाहिए, वरना कोई भी दुर्घटना घट सकती हैं।
आँख का पानी गिरना या आँख का पानी मर जाना – निर्लज्ज होना
राजू की आँख का पानी मर गया हैं, वह तो अपने पिता के सामने भी बीड़ी पीता हैं।
आँखों की पट्टी खुलना – भ्रम दूर होना
प्रेम के आँख की पट्टी तब खुली जब ठग उसे ठगकर चला गया।
आँखें निकालना – क्रोधपूर्वक देखना
अरे मित्र! फूल मत तोड़ो, माली आँखें निकाल रहा हैं।
आँखें नीची होना – लज्जित होना
जब पुत्र चोरी के जुर्म में पकड़ा गया तो पिता की आँखें नीची हो गई।
आँखें फाड़ कर देखना – आश्चर्य से देखना
अरे मित्र! आँखें फाड़कर क्या देख रहे हो, ये तुम्हारा ही घर हैं।
आँखें बंद होना – मर जाना
थोड़ी-सी बीमारी के बाद ही उसकी आँखें बन्द हो गई।
आँखें बिछाना – प्रेम से स्वागत करना
प्रयोग – जब प्रधानमंत्री आए तो स्कूल में सबने आँखें बिछा दीं।
आँखें खुलना – होश आना, सावधान होना
जनजागरण से हमारे शासकों की आँखें अब खुलने लगी हैं।
आँखें चार होना – आमने-सामने होना
जब आँखें चार होती है, मुहब्बत हो ही जाती है।
आँखें मूँदना – मर जाना
आज सबेरे उसके पिता ने आँखें मूँद ली।
आँखें चुराना – नजर बचाना, अपने को छिपाना
मुझे देखते ही वह आँखें चुराने लगा।
आँखों में गड़ना – किसी वस्तु को पाने की उत्कट लालसा
उसकी कलम मेरी आँखों में गड़ गयी है।
आँख मारना – इशारा करना
उसने आँख मारकर मुझे बुलाया।
आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
वह बड़ों-बड़ों की आँखों में धूल झोंक सकता है।
आँखें बिछाना – प्रेम से स्वागत करना
मैंने उनके लिए अपनी आँखें बिछा दीं।
आँखें आना – आँखों में लाली/सूजन आ जाना
मेरी आँखें आ गई हैं इसलिए मैंने काला चश्मा लगा रखा है।
“अँगूठा”
अँगूठा चूमना – खुशामद करना
साहित्यिक भी जब शासकों का अँगूठा चूमते हैं, तो बड़ा दुःख होता है।
अँगूठा दिखाना – मौके पर धोखा देना
चालबाजों से बचकर रहो, वे अँगूठा दिखाना खूब जानते हैं।
अँगूठे पर मारना – परवाह न करना
तुम्हारे जैसे कितनों को मैं अँगूठे पर मारता हूँ।
“ऊँगली”
पाँचों उँगलियाँ घी में होना – मौज-मस्ती में रहन
वह तिकड़मी सरकारी ठीकेदार हुआ कि पाँचों उँगलियाँ घी में।
“कान”
कान खोलना – सावधान करना
मैंने उसके कान खोल दिये। अब वह किसी के चक्कर में नहीं आयेगा।
कान खड़े होना – होशियार होना
दुश्मनों के रंग-ढंग देखकर मेरे कान खड़े हो गये।
कान फूंकना – दीक्षा देना, बहकाना
मोहन के कान सोहन ने फूंके थे, फिर उसने किसी की कुछ न सुनी।
कान लगाना – ध्यान देना
उसकी बातें कान लगाने योग्य हैं।
कान भरना – पीठ-पीछे शिकायत करना
तुम बराबर मेरे खिलाफ अफसर के कान भरते हो।
कान में तेल डालना – कुछ न सुनना
मैं कहते-कहते थक गया, पर ये कान में तेल डाले बैठे हैं।
कान काटना – बढ़कर काम करना
उसे छोटा न समझो, भाषण देने में तो वह बड़े-बड़ों के कान काटता है।
“कलेजा”
कलेजा ठंढा होना – डाह पूरा होने पर संतोष
कुणाल के अंधा भिखारी होने पर उसका कलेजा ठंडा हुआ।
कलेजा फटना – ईर्ष्या होना
मुझे क्या सरकारी नौकरी मिल गयी कि मेरे एक घरवारी सहयोगी का कलेजा ही फटने लगा।
कलेजा मुँह को आना – अत्यंत आतुरता
उसकी बीमारी देखकर कलेजा मुँह को आता है।
कलेजे पर पत्थर रखना – दिल मजबूत करना
छोटे भाई विभीषण की दगाबाजी पर रावण ने कलेजे पर पत्थर रख लिया इसके सिवा उसके पास चारा ही क्या था।
कलेजा चीरकर दिखाना – पूर्ण विश्र्वास दिलाना
तुम्हीं मेरे सब कुछ हो, यह मैं कलेजा चीरकर दिखा सकता हूँ।
“नाक”
नाक कट जाना – प्रतिष्ठा नष्ट होना
पुत्र के कुकर्म से पिता की नाक कट गयी।
नाक काटना – बदनाम करना
भरी सभा में उसने मेरी नाक काट ली।
नाक-भौं चढ़ाना – क्रोध अथवा घृणा करना
प्रयोग – तुम ज्यादा नाक-भौं चढ़ाओगे, तो ठीक न होगा।
नाक में दम करना – परेशान करना
शहर में कुछ गुण्डों ने लोगों की नाक में दम कर रखा है।
नाक रगड़ना – दीनतापूर्वक प्रार्थना करना
उसने मालिक के सामने बहुत नाक रगड़ी, पर सुनवाई न हुई।
नाक पर मक्खी न बैठने देना – निर्दोष बचे रहना
उसने कभी नाक पर मक्खी बैठने ही न दी।
नाक पर गुस्सा – तुरन्त क्रोध
गुस्सा तो उसकी नाक पर रहता है।
नाक रखना – प्रतिष्ठा रखना
क्रिकेट में जय ने कॉमर्स कॉलेज की नाक रख ली।
नाक-भौं सिकोड़ना – घृणा करना, सहन न कर पाना
वह तो मुझे देखते ही नाक-भौं सिकोड़ने लगता है।
नाक-कान काटना – बहुत अधिक अपमानित करना
उन्होंने अपने मित्रों के अपमान के बदले अपनी चतुराई से कितने ही सामंतों के सरे-दरबार नाक-कान काटे।
नाक ऊँची होना – प्रतिष्ठा बढ़ना
पिछले टेस्ट-क्रिकेट में जीत के कारण हमारी नाक ऊँची हो गयी।
नाक रहना – इज्जत बचना
भीम ने दुश्शासन को पछाड़कर द्रौपदी की नाक रख ली।
“मुँह”
मुँह छिपाना – लज्जित होना
वह मुझसे मुँह छिपाये बैठा है।
मुँह पकड़ना – बोलने से रोकना
लोकतन्त्र में कोई किसी का मुँह नहीं पकड़ सकता।
मुँह उतरना – उदास होना
परीक्षा में असफल होने पर श्याम का मुँह उतर आया।
मुँह फुलाना – अप्रसन्नता या असंतुष्ट होकर रूठ कर बैठना
शांति सुबह से ही अपना मुँह फुलाए घूम रही है।
मुँह सिलना – चुप रहना
मैंने तो अपना मुँह सिल लिया है। तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे विरुद्ध कुछ नहीं बोलूँगा।
मुँहतोड़ जबाब देना – ऐसा उत्तर देना कि दूसरा कुछ बोल ही न सके
मैंने ऐसा मुँहतोड़ जबाब दिया कि सबकी बोलती बंद हो गई।
मुँह निकल आना – कमजोरी के कारण चेहरा उतर जाना
एक सप्ताह की बीमारी में ही उसका मुँह निकल आया है।
मुँह में खून लगना – अनुचित लाभ की आदत पड़ना
इस थानेदार के मुँह में खून लग गया है बेचारे गरीब सब्जी वालों से भी हफ़्ता-वसूली करता है।
मुँह में पानी आना – लालच होना
मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया।
“दाँत”
दाँत दिखाना – खीस काढ़ना
खुद ही देर की और अब दाँत दिखाते हो।
दाँत गिनना – उम्र पता लगाना
कुछ लोग ऐसे है कि उनपर वृद्धावस्था का असर ही नहीं होता। ऐसे लोगों के दाँत गिनना आसान नहीं।
दाँत काटी रोटी होना – अत्यन्त घनिष्ठता होना या मित्रता होना
आजकल राम और श्याम की दाँत काटी रोटी है।
दाँत खट्टे करना – परास्त करना, हराना
महाभारत में पांडवों ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
दाँतों तले उँगली दबाना – दंग रह जाना
जब एक गरीब छात्र ने आई.ए.एस. पास कर ली तो सब दाँतों तले उँगली दबाने लगे।
“बात”
बात की बात में – अति शीघ्र
बात की बात में वह चलता बना।
बात चलाना – चर्चा चलाना
कृपया मेरी बेटी के ब्याह की बात चलाइएगा
“गर्दन”
गर्दन उठाना – प्रतिवाद करना
सत्तारूढ़ सरकार के विरोध में गर्दन उठाना टेढ़ी खीर है।
गर्दन पर सवार होना – पीछा न छोड़ना
जब देखो, तब मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।
“सिर”
सिर उठाना – विरोध में खड़ा होना
देखता हूँ मेरे सामने कौन सिर उठाता है
सिर पर सवार होना – पीछे पड़ना
तुम कब तक मेरे सिर पर सवार रहोगे।
सिर पीटना – शोक करना
चोर उस बेचारे की पाई-पाई ले गये। सिर पीटकर रह गया वह।
सिर पर भूत सवार होना – एक ही रट लगाना, धुन सवार होना
मालूम होता है कि घनश्याम के सिर पर भूत सवार हो गया है, जो वह जी-जान से इस काम में लगा है।
सिर फिर जाना – पागल हो जाना
धन पाकर उसका सिर फिर गया है।
सिर ऊँचा उठाना – इज्जत से खड़ा होना
अपनी ईमानदारी के कारण मुन्ना समाज में आज सिर ऊँचा उठाए खड़ा है।
सिर सफेद होना – बुढ़ापा होना
अब नरेश का सिर सफेद हो गया है।
सिर नीचा करना – इज्जत बढ़ाना
रमानाथ के अकेले बेटे ने अपने पिता का सिर ऊँचा कर दिया।
सिर चढ़ना – अशिष्ट या उदंड होना
प्रयोग – आपके बच्चे बहुत सिर चढ़ गए हैं। किसी की सुनते तक नहीं।
“हाथ”
हाथ मलना – पछताना
समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ ?
हाथ देना – सहायता करना
आपके हाथ दिये बिना यह काम न होगा।
हाथ भर का कलेजा होना – बहुत खुश होना
अच्छी नौकरी मिलने से राम का हाथ भर का कलेजा हो गया है।
हाथ साफ करना – चोरी करना
बस की भीड़ में मेरी जेब पर किसी ने हाथ साफ कर दिया।
हाथ पर हाथ धरे बैठना – बेकार बैठे रहना
हाथ पर हाथ धरे बैठने से सफलता पाँव नहीं चूमती।
हाथ मलना – पछताना
काम बिगड़ जाने पर हाथ मलने से क्या फायदा।
हाथ उठाना – पीटना
बच्चों पर ज्यादा हाथ उठाओगे तो वे शोख हो जाएँगे।
“कमर”
कमर कसना – दृढ़ निश्र्चय करना
विजय चाहते हो, तो युद्ध के लिए कमर कस लो।
कमर सीधी करना – परिश्रम के बाद विश्राम
अभी तो टेस्ट परीक्षा समाप्त हुई है; जरा कमर सीधी करने दो, फिर पढ़ाई चलेगी।
“घुटना”
घुटना टेकना – हार मानना
वीर बराबर बात पर हथियार टेक सकते है, घुटने नहीं।
“गाल”
गाल फुलाना – रूठना
कैकेयी ने गाल फुला लिया, तो दशरथ परेशान हो गये।
गाल बजाना – डींग हाँकना
किसके आगे गाल बजा रहे हो ? आखिर मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ, बीस वर्ष बड़ा। मुझसे तुम्हारा कुछ छुपा भी है क्या ?
“चेहरा”
चेहरा उतरना – चेहरे पर रौनक न रहना
जाली सर्टिफिकेट का भेद खुलते ही बेचारे डॉक्टर का चेहरा उतर गया।
चेहरा बिगाड़ना – बहुत पीटना
फिर बदमाशी की, तो चेहरा बिगाड़ दूँगा।
“जबान”
जबान देना – वचन देना
मैंने उसे जबान दी है, अतः होस्टल छोड़ने पर अपनी चौकी उसे ही दूँगा।
जबान खींचना – उद्दंड बोली के लिए दंड देना
बकवास किया, तो जबान खींच लूँगा।
जबान चलाना – अनुचित शब्द निकालना
यदि जबान चलाओगे, तो जबान खींच लूँगा।
“दिमाग”
दिमाग खाना या चाटना – अपनी गर्ज व्यर्थ बके जाना
आजकल अधिकांश लोग दिमाग चाटनेवाले होते हैं। न खुद कुछ समझने को तैयार और न किसी को कुछ समझने देने को तैयार।
दिमाग चढ़ना या आसमान पर होना – बहुत अधिक घमंड होना
रावण ने शिव को साधा क्या, उसका दिमाग आसमान पर हो गया।
“दिल”
दिल कड़ा करना – हिम्मत बाँधना, साहस करना
भाई विपत्ति किसपर नहीं आती है। दिल कड़ा करो।
दिल का गवाही देना – मन में किसी बात की संभावना या औचित्य का निश्र्चय होना
जब दिल गवाही न दे, तो औरों की सलाह पर न चलो।
दिल जमना – चित्त लगना
इन दिनों किसी काम में मेरा दिल जमता ही नहीं।
दिल बुझना – चित्त में किसी प्रकार की उत्साह या उमंग न रह जाना
जिन्दगी में उसकी इतनी हार हुई कि उसका दिल ही बुझ गया।
दिल से दूर करना – भुला देना, विस्मरण
वे तुम्हारी नजरों से दूर क्या हुए, दिल से दूर कर दिये गये।
दिल चुराना – मन मोह लेना
पहली मुलाकात ही में मेहरुत्रिसा ने सलीम का दिल चुरा लिया।
दिल देना – प्रेम करना
जिसने दिल दिया, उसने दर्द लिया।
दिल दरिया होना – उदार होना
जो कोई उनके दरवाजे पर आता है खाली हाथ नहीं लौटता। क्यों न ऐसा हो, उनका दिल दरिया जो ठहरा।
“नजर”
नजर आना – दिखाई देना
क्या बात है कि हजरत नजर ही नहीं आते ?
नजर रखना – ध्यान रखना
भाई इस गरीब लड़के पर नजर रखा करो।
नजर चुराना – आँख बचाना
प्रयोग – आखिर आप हमसे नजर चुराकर कहाँ जाएँगे
नजर से गिरना – ह्रदय से दूर होना
बेईमान आदमी तो नजर से गिर ही जाता है।
नजर पर चढ़ना – पसंद आ जाना
यह घड़ी मेरी नजर पर चढ़ गयी है।
“पलक”
पलक लगना – सो जाना
आदमी जो ठहरा, सारे दिन और सारी रात कैसे जागता; तीन बजे सुबह तो पलक लग ही गयी।
पलक-पाँवड़े बिछाना – अत्यंत आदर से स्वागत करना
शबरी राम के लिए न मालूम कब से पलक-पाँवड़े बिछाये थी।
“पाँव”
पाँव उखड़ जाना – पराजित होना
थानेश्र्वर की लड़ाई में पृथ्वीराज की सेना के पाँव उखड़ गये।
पाँव चूमना – पूजा करना, खुशामद करना
आज यदि परमवीर अब्दुल हमीद यहाँ होते, तो हम सभी उनके पाँव चूमते।
पाँव भारी होना – गर्भवती होना
जब राजा ने सुना कि रानी के पाँव भारी हुए तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा।
पाँव खींचना – रुकावट डालना
आजकल पाँव बढ़ानेवाले दो-चार होते हैं, तो पाँव खींचनेवाले दस-बीस।
पाँव फिसलना – गलती होना
जवानी में तो बहुतों के पाँव फिसल जाते हैं।
“बाल”
बाल-बाल बचना – साफ बच जाना
इस रेल-दुर्घटना में वह बाल-बाल बच गया।
बाल की खाल निकालना – व्यर्थ टीका-टिप्पणी करना
कुछ लोग कुछ करते हैं, तो कुछ लोग केवल बाल की खाल ही निकालते रहते हैं।
बाल बाँका न करना – हानि न पहुँचा पाना
बाल न बाँका करि सकै, जो जग बैरी होय।
अंक संबंधी मुहावरे
तीन-तेरह होना – तितर-बितर होना
माधो के मरते ही उसके सारे लड़के तीन-तेरह हो गये।
नौ-दौ ग्यारह होना – भाग जाना
आज उसे बहुत मार पड़ती, खैरियत हुई कि वह नौ-दो ग्यारह हो गया था।
उन्नीस-बीस का अंतर होना – थोड़े का फर्क
प्रयोग – उन दोनों लड़कों की प्रतिभा में उन्नीस-बीस का अंतर है।
डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना – अलग रहना
डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाने से कोई सामाजिक कार्य नहीं हो सकता।
रंग संबंधी मुहावरे
लाल-पीला होना – क्रुद्ध होना
भाई मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा जो लाल-पीले हो रहे हो।
स्याह होना – उदास होना
डाँट पड़ते ही बेचारा स्याह हो गया।
धनुष तोड़ना – अत्यंत कठिन कार्य करना
देखें इस मुक्ति आंदोलन का धनुष कौन तोड़ता है ?
विभीषण बनना – देशद्रोही बनना
विभीषण बनना देश-प्रेमियों को शोभा नहीं देता।
महाभारत मचना – झगड़ा होना
आज दोनों दलों में महाभारत मच गया।
लक्ष्मी नारायण करना – भोग लगाना
पंडितजी ने जब लक्ष्मी नारायण किया, तो हमलोगों को प्रसाद मिला।
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Aapki ki length bahut jyada hai. Please chhoti post likhiye.
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पूछ होना मुहावरे का अर्थ
Sinhasan hilna muhavre
ka Arth
“हरशाणा” मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग क्या है
बांस के बगीचे में डोम की लाश मुहावरे का अर्थ क्या है
अर्थ बताओ =
नाटक करणा –