हेलो दोस्तो अगर आप कोशिका की समस्त जानकारी जानना चाहते हैं। तो आप सही पेज पर आये हैं क्योकि इस पोस्ट में हमने कोशिका से जुड़ी समस्त जानकारी शेयर की हैं।
कोशिकाए किस लिए आवश्यक होती हैं कोशिका जीव-जंतुओ के लिए क्यों आवश्यक होती हैं कोशिका का जीव के शरीर मे क्या कार्य रहता हैं ये शरीर मे कैसे बनती हैं। इन सब की जानकारी को जानेंगे।
कोशिका क्या हैं
कोशिका जीवन की आधारभूत संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई हैं। पृथ्वी पर रहने वाले छोटे-छोटे जीव जंतुओ से लेकर बड़े-बड़े जीव जंतु सभी कोशिकाओ से मिलकर बनते हैं कोशिकाओं के अंदर ही वह सारी क्रियाए होती हैं जो एक जीव को जीवन देने के लिए बहुत ही आवश्यक होती हैं
कोशिका के खोजकर्ता
सबसे पहले सन 1665 में रॉबर्ट हुक ने कोशिका की खोज की थी। ये एक अंग्रेज वैज्ञानिक हैं इन्होंने ने कोशिका की खोज की थी इन्होने एक मरी कोशिका की खोज और उनका अध्ययन सूक्ष्मदर्शी की अविष्कार के बाद ही संभव हो पाया हैं।
सन 1674 में ल्यूवेन हॉक नामक डच वैज्ञानिक ने भी कोशिका की खोज की थी। इन्होंने माइक्रोस्कोप में आजाद कोशिका जैसे बैक्टीरिया, लाल रक्त कणिकाओं, एंव शुक्राणु इत्यादि की खोज की थीं।
सन 1831 में सबसे पहले पादप कोशिकाओं में केन्द्रक देखा था। तथा जे.ई. पर्किंजे नामक वैज्ञानिक ने 1939 में कोशिका द्रव का नाम प्रोटोप्लास्ट रख दिया था।
सन 1866 में हैकल नामक वैज्ञानिक ने यह सिद्ध किया की केन्द्रक के अंदर आनुवंशिक लक्षण होते हैं।
कोशिका की संरचना
कोशिका का आकार बहुत ही जटिल होता हैं। कोशिकाओं में अनेक प्रकार की संरचना पाई जाती हैं कोशिकाए जीवित होती हैं। तथा वे सभी कार्य करती हैं।
जैसे जीवित प्राणी करते हैं इसका आकार बहुत ही छोटा तथा और आकृति गोलाकार, बहुभुजीय विभिन्न प्रकार की होती है।
1. कोशिका झिल्ली
यह कोशिका झिल्ली एक अर्द्ध पारगम्य सजीव झिल्ली होती हैं। जो प्रत्येक सजीव कोशिका के जीव द्रव को घेर कर रखने का काम करती हैं ऐसी कोशिकाओं को कोशिका झिल्ली कहते हैं।
इस झिल्ली का निर्माण तीन परतो के मिलकर बना होता हैं। जिसमे से सबसे बाहर की परते ओर अंदर की परते प्रोटीन के द्वारा तथा बीच वाली परत का निर्माण लिपिड या वसा के द्वारा होता हैं।
2. कोशिका भित्ती
यह केवल पादप कोशिका में पाई जाती है तथा सेलुलोज की बनी होती हैं यह पादप कोशिका की सबसे बाहरी कठोर, मजबूत, मोटी तथा छेद वाली, पारगम्य तथा निर्जीव आवरण की होती हैं इन्हें कोशिका भित्ति कहते हैं।
कोशिका भित्ति का निर्माण कोशिका विभाजन की अंत्यावस्था के समय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका की छोटी छोटी नलिकाओं के माध्यम से होता हैं कोशिका भित्ति पादपों में उपस्थित ओर जन्तुओ में अनुपस्थित होते हैं।
3. जीव द्रव
कोशिका झिल्ली के अंदर सम्पूर्ण पदार्थों को जीव द्रव कहते हैं तथा जीव द्रव सभी कोशिकाओं में पाया जाता हैं ये रवेदार ,जेलीनुमा, अर्द्ध परत पदार्थ हैं यह चिपचिपा तथा पारदर्शी होता हैं।
जीव में सम्पन्न होने वाली सभी जैविक क्रियाए जीव द्रव में सम्पन्न होती हैं इसलिए जीवद्रव्य को जीवन का भैतिक आधार माना जाता हैं।
जीवद्रव्य के भौतिक गुण
जीव द्रव के गुण निम्नलिखित हैं।
(a). भौतिक गुण :- जीव द्रव रंगहीन अर्धपारदर्शक तथा अर्ध तरल पदार्थ होता हैं जीवद्रव्य में 60-70 % जल पाया जाता हैं।
जिसमें अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ मिले रहते हैं जीवद्रव्य में विभिन्न पदार्थ अणु व आयरन के रूप में मिले रहते हैं इनके मिश्रण को क्रिस्टलीय घोल कहते हैं।
(b). रासायनिक गुण :- जीवद्रव्य के जटिल मिश्रण में लगभग 30 तत्व जिनमे मुख्य रूप से आक्सीजन कार्बन हाइड्रोजन तथा नाइट्रोजन 62%, 20%,10 के अनुपात में होता हैं।
4. माइट्रोकाण्डिया
मैट्रोकोंडिया की खोज अल्टमैंन ने की थी। इसको विज्ञान की भाषा में सूत्र कणिका कहते हैं जब हम सास लेते हैं तो हमारे शरीर मे ऑक्सीजन ग्रहण होता हैं और यह ऑक्सीजन कोशिका के अंग माइट्रोकाण्डिया में एक चैन रिएक्शन करता हैं जिसे क्रेब्स चक्र कहते हैं।
इस चक्र के द्वारा हमारे शरीर मे ATP का निर्माण होता हैं जिसमे 38 ATP मिलकर एक ग्लूकोज का निर्माण होता हैं तथा ऐसी ग्लूकोन से ऊर्जा प्राप्त होती हैं ।
5. गॉल्जिकय
इसकी खोज कैमिला गाल्जी ने की थी और इन्ही के नाम पर कोशिका के इस अंग का नाम गॉल्जिकय रखा गया ।यह शरीर मे परिवहन का कार्य करता हैं।
यह भोजन और ऊर्जा को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुचाता रहता हूं अतः गॉल्जिकय कोशिका में यातायात सहायक होता हैं इसे विज्ञान की भाषा मे गालजीबोडी भी कहा जाता हैं।
लवक
लवक तीन प्रकार के होते हैं।
(a). वर्णी लवक :- ये रंगीन लवक होते हैं ये पौधों के रंगीन भागो में पाए जाते हैं जैसे पुष्प बीज इत्यादि में पाए जाते हैं ।परागण के लिए कीटों को आकर्षित करते हैं वर्णी लवक कहलाते हैं।
(b). हरित लवक :- हरित लवक ये केवल प्रकाश संश्लेषित पादप कोशिकाओं में ही पाये जाते हैं क्योंकि ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का केन्र्द होते हैं।
(c). अवर्णी लवक :- ये रंगहीन लवक होते हैं और सूर्य के प्रकाश से वंचित पादप के अंगों जैसे जड़, भूमिगत तना आदि में पाए जाते हैं वसा और प्रोटीन के रूप में भोजन का संचय करते हैं।
केन्द्रक
कोशिका के बीच मे एक केन्द्रक होता हैं। जो सभी कोशिकीय क्रियाओ का नियंत्रण केंद्र होता हैं तथा केन्द्रक में केंर्दिका ओर क्रोमोटीन होते हैं।
यह क्रोमोटीन कोशिका विभाजन के समय क्रोमोसोम में बदल जाता हैं क्रोमोसोम में बहुत से जिन होते हैं कोशिका में केन्द्रक की खोज राबर्ट ब्राउन ने सन 1831 में की थी।
- केन्द्रक कोशिका की रक्षा करता हैं तथा कोशिका विभाजन में भाग लेता हैं।
- केन्द्रक के भीतर गाढ़ा अर्ध तरल द्रव भरा रहता हैं जिसे केन्र्दक द्रव्य कहते हैं।
- केन्द्रीक में आरएनए का संश्लेषण होता हैं।
- केन्द्रक प्रोटीन और डीएनए का बना होता हैं।
- डीएनए आनुवंशिक लक्षणो को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने का कार्य करते हैं।
कोशिका के कार्य
- यह अनुवांशिक लक्षणो को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतर करने का कार्य करती हैं केन्द्रक।
- यह शरीर की वर्द्धि के लिए उत्तरदायी होती हैं।
- ये कोशिका विभाजन के लिए जिम्मेदार होता हैं।
- प्लाज्मा झिल्ली कोशिका के अंदर के अभी भागो को घेरे रहती हूं।
- यह कोशिकाओं को एक निश्चित आकार बनाए रखने में सहायता करती हैं।
कोशिका के प्रकार
कोशिका को दो भागों में बाटाँ गया हैं।
1. प्रोकैरियोटिक कोशिका
ऐसी कोशिकाये जिसमे केन्द्रक झिल्ली नहीं होती हैं तथा वास्तविक केन्द्रक अनुपस्तिथ होता हैं ऐसी कोशिकाओं को प्रोकैरियोटिक कोशिका कहा जाता हैं।
प्रोकैरियोटिक कोशिका के लक्षण
- प्रोकैरियोटिक कोशिका एककोशिकये होते हैं।
- इनका आकर 1 um से 10 um होता हैं।
- इनमे केन्द्रक और केन्द्रक झिल्ली नही पाई जाती हैं।
- राइबोसोम छोटे होते हैं तथा जीवद्रव्य में बिखरे होते हैं।
- इसमे केवल एक ही क्रोमोसोम पाया जाता हैं।
2. यूकैरियोटिक कोशिका
ऐसी कोशिका जिसमे केन्द्रक पूर्णरूप से विकसित होता हैं। एवं केन्द्रीय झिल्ली से धीरे होते हैं ऐसी कोशिकाओं को यूकैरियोटिक कोशिका कहा जाता हैं।
बैक्टीरिया और हरित शैवाल को छोड़ के सभी जीवधारियों की कोशिकाएं यूकैरियोटिक कोशिका कहते हैं।
यूकैरियोटिक कोशिका के लक्षण
- यूकैरियोटिक कोशिका में एक ही कोशिका होती हैं ।
- इसमे केलव एक कोशिका झिल्ली उपस्तिथि होती हैं।
- इसमे केन्द्रक ओर केन्द्रक झिल्ली नही पाई जाती हैं।
- राइबोसोम छोटे होते हैं एंव जीवद्रव्य में बिखरे होते हैं।
- इसमें एक ही क्रोमोसोम होता है।
यूकैरियोटिक कोशिका ओर प्रोकैरियोटिक कोशिका में अंतर
प्रोकैरियोटिक कोशिका | यूकैरियोटिक कोशिका |
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प्रोकैरियोटिक कोशिका छोटे आकार की होती हैं। | यूकैरियोटिक कोशिका बड़े आकार की होती हैं। |
इनमे केन्द्रक पूर्ण विकसित नही होता हैं। | इसमे पूर्ण विकसित केन्द्रक पाया जाता हैं। |
माइट्रोकोंण्डिया नही होता हैं। | मैट्रोकोडिया पाया जाता हैं। |
गॉल्जिकाय नही होता हैं। | गॉल्जिकय पाया जाता हैं। |
सेंट्ट्रोरोसोम नही होता हैं। | सेंटरोसोमम पाया जाता हैं। |
पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अन्तर
पादप कोशिका | जंतु कोशिका |
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पादप कोशिका में कोशिका भित्ति उपस्थित होती हैं। | जंतु कोशिका में कोशिका भित्ति अनुउपस्तिथ होती हैं। |
पादप कोशिका में रसधानी बड़ी होती हैं। | जंतु कोशिका में रसधानी छोटी या अनुउपस्तिथ होती हैं। |
पादप कोशिका में पोषण स्वपोषी होता हैं। | जंतु कोशिका में पोषण परपोषी होता हैं। |
पादप कोशिका में तारककाय अनुउपस्तिथ होता हैं। | जंतु कोशिका में तारककाय उपस्थित होता हैं। |
पादप कोशिका में भोजन संचय को स्टार्च के रूप में होता हैं। | जंतु कोशिका में भोजन संचय को ग्लाइकोजन के रूप में होता हैं। |
कोशिका के अंगों के नाम
- प्लाज्मा झिल्ली
- कोशिका द्रव
- केन्द्रक
- नाभिकीय अम्ल
- अन्तर्पद्र्व जालिका
- माइटोकॉन्ड्रिया
- हरित लवक
- रिक्तिकए
- कोशिका भित्ति
- राइबोसोम
- लाइसोसोम
- गोलगी
कोशिकांग के नाम
- केन्र्दका
- आन्तर्द्रवजालिक
- राइबोसोम
- लाइसोसोम
- गॉल्जिकय
- सूत्र कणिका
- रासायनिक ऊर्जा
- रसधानी
मानव शरीर में कोशिकाए
सभी जीवित प्राणी कोशिका से बने होते हैं ।तथा उनमें से कुछ प्राणी एक कोशिकाओं के बने होते हैं और कुछ प्राणी कई कोशिका के बने होते हैं मानव शरीर मे लगभग 60-90 ट्रिलियन कोशिका से बने होते हैं।
T कोशिकाए
टी कोशिका एक प्रमुख लसिका (लिम्फोसाइट) कोशिका हैं लिम्फोसाइट या लसिकाकोशिक एक प्रकार की स्वेत रक्त कोशिका हैं।
टी कोशिका अपने निर्माण के बाद बाल्यग्रन्थि या थाइमस ग्रन्थि में चली जाती हैं। वहीं पर इसका विकास होता हैं। इसलिए इसके नाम से टी अक्षर जुड़ा हैं ये कोशिकाये बहुत से रोगों से शरीर की रक्षा करती हैं।
B कोशिकाए
एक सफेद रक्त कोशिका जो अस्थि मज्जा से आती हैं प्रतिरक्षा प्रणाली के हिस्से के रुप में बी कोशिकाए एंटीबॉडी बनाती हैं और यह रोगों से लड़ने में मदद करती हैं जिससे बी कोशिका कहते हैं तथा इनको लिम्फोसाइट भी कहते हैं।
T कोशिका ओर B कोशिका में अंतर
T कोशिका | B कोशिका |
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टी कोशिकाए अस्थि मज्जा में उत्पन्न होती हैं तथा थाइमस में पूरी तरह बन जाती हैं। | बी कोशिका हड्डी के तीर में उतपन्न होती हैं और वही पूरी तरह बन जाती हैं। |
टी कोशिकाए का जीवनकाल ज्यादा होता हैं। | बो कोशिका का जीवन काल काम होता हैं। |
टी कोशिका सतह प्रतिजनों नही होते हैं। | बी कोशिका सतह प्रतिजन होते हैं। |
टी कोशिकाए रक्त में उपस्थित कुल लिम्फोसाइटो में से 80प्रतिशत पर कब्जा कर लेती हैं। | बी कोशिका रक्त में उपस्थित कुल लिम्फोसाइट 20%का हिस्से पर कब्जा कर लेती हैं। |
टी कोशिमाओ के पास T cell रिसेप्टरहै। जिसे TCR के नाम से भी जाना जाता हैं। | बी कोशिकाए के पास B cell रिसेप्टर हैं जिसे BCR के रूप में जाना जाता हैं। |
कोशिका से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
Ans. मानव शरीर की सबसे छोटी कोशिका शुक्राणु होती हैं। यह एक नर जनन कोशिका हैं।
Ans. मानव शरीर की सबसे बड़ी कोशिका तंत्रिका कोशिका हैं।
Ans. मानव शरीर की सबसे लंबी कोशिका न्यूरॉन कोशिका हैं न्यूरॉन का कार्य सूचना को एक कोशिका से दूसरी में बदलना हैं।
Ans. सबसे छोटी जीवित कोशिका कवक द्रव होती हैं।
Ans. एक जीव में केवल एक कोशिका होती हैं उसे एक कोशी जीव कहते हैं।
Ans. जिन जीव में अकेला कोशिकाये होती हैं बहु कोशिका कहलाती हैं।
Ans. केन्द्रक के चारो ओर एक दोहरी परत होती हैं जिसे केन्र्दक कहते हैं।
Ans. जिन जीवों की कोशिकाओ में केन्द्रक झिल्ली होती हैं उसे यूकैरियोटिक कहते हैं।
Ans. जिन जीवों की कोशिका में केन्द्रक झिल्ली नही होती हैं उसे प्रोकैरियोटिक कहते हैं।
Ans. रॉबर्ट ब्राउन ने केन्द्रक की खोज सन 1831 में खोज की थी।
Ans. कोशिका का बिजलीघर माइट्रोकुण्डिया को कहा जाता हैं।
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उम्मीद हैं आपको कोशिका की जानकारी पसंद आयी होगीं।
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