Mutual Fund क्या है इसके फायदे और नुकसान

लोग शेयर मार्केट और Mutual Fund को एक ही समझते हैं और इनमें इन्वेस्ट करने से डरते हैं। वैसे तो यह दोनों ही बाजार का हिस्सा है पर इन में बहुत अंतर है और म्यूच्यूअल फंड्स, शेयर मार्केट की तुलना में बहुत सुरक्षित इन्वेस्टमेंट है इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम म्यूच्यूअल फण्ड की जानकारी को पढ़कर समझेंगे।

यदि आप शेयर मार्किट की जानकारी समझना चाहते है तो शेयर मार्केटिंग के आर्टिकल को जरूर पढ़े।

Mutual Fund क्या है

Mutual Fund एक प्रकार का सामूहिक निवेश होता है जिसमे बहुत सारे लोगों के पैसों से बना एक फंड होता है और एक अनुभवी फंड मैनेजर नियुक्त होता है जो फंड के पैसों को निवेश करता है।

फंड के पैसों से ज्यादा लाभ कमाने के लिए एक जगह इन्वेस्ट ना करके थोड़ा-थोड़ा पैसा अलग-अलग जगह इन्वेस्ट करता है।

Mutual Fund को हिंदी में पारस्परिक निधि भी कहते हैं।

फंड मैनेजर फंड के निवेशकों को निर्धारित करता है और लाभ और हानि का हिसाब रखता है इस प्रकार फायदे या नुकसान को निवेशकों में बाट दिया जाता है।

आपको बता दें कि म्युचुअल फंड स्कीम का संचालन AMC अर्थात Asset Management Company द्वारा किया जाता है। आसान शब्दों में ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी को Fund House भी कहा जाता है यह कंपनी लोगों का पैसा एकत्रित करके म्यूच्यूअल फंड चलाती है। 

म्यूच्यूअल फंड या ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी भारत सरकार की संस्था Securities and Exchange Board of India (SEBI) के अंतर्गत रजिस्टर्ड होती है।

भारत में बाजार को नियंत्रित करने और निवेश किए गए पैसों को सुरक्षित रखने का काम SEBI द्वारा किया जाता है।

UTL AMC भारत की सबसे पुरानी म्युचुअल फंड कंपनी है म्यूच्यूअल फंड कंपनी सभी निवेशकों के निवेश की गई राशि को लेकर इकट्ठा करती है और उनसे कुछ सुविधा शुल्क भी लेती है फिर इस राशि को उनके लिए बाजार में निवेश करती है।

इनमें निवेश करने का फायदा यह है कि निवेशकों को इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं होती कि आप कौन सा शेयर खरीदे या बेचे, क्योंकि यह चिंता फंड मैनेजर की होती है। वही निवेशक के निवेश की गई राशि का रखरखाव करने वाला होता है।

भारत में Mutual Fund का इतिहास

Unit Trust Of India (UTI) भारत में साल 1963 में स्थापित पहला Mutual Fund था।

1990 के दशक की शुरुआत में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और संस्थानों को म्युचुअल फंड स्थापित करने की अनुमति दी।

साल 1992 में भारतीय प्रतिभूति (Indian Security) और Exchange Board SEBI Act लागू किया गया था। SEBI का उद्देश्य है कि प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और प्रतिभूति बाजार के विकास को बढ़ावा देना।

जहां तक म्यूच्यूअल फंड का सवाल है SEBI निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए अलग-अलग नीतियां बनाता है और म्यूचुअल फंड को नियंत्रित करता है। SEBI ने 1993 में म्यूचुअल फंड के लिए नियम अधिसूचित (Notified) किया।

इसके बाद निजी क्षेत्र की संस्थाओं द्वारा Sponsored म्युचुअल फंड को पूंजी बाजार में निवेश करने की अनुमति दी गई।  1996 में नियमों को पूरी तरह से संशोधित (Revised) किया गया था और उसके बाद भी उसे समय-समय पर संशोधित किया गया है। SEBI ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए समय-समय पर म्यूच्यूअल फंड के लिए दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। 

Mutual Fund के प्रकार

म्यूच्यूअल फंड को संरचना और Asset के आधार पर दो प्रकार से बांटा गया है।

संरचना के आधार पर Mutual Fund के प्रकार

1. Open Ended Fund 

Open Ended Mutual Fund में एक निवेशक किसी भी समय निवेश कर सकता है और पैसों को बाहर निकाल सकता है इसकी कोई निश्चित अवधि नहीं होती है। यह फंड निवेशकों द्वारा काफी पसंद किया जाता है।

2. Close Ended Fund

जिन योजनाओं की अवधि निर्धारित होती है वह Close Ended Fund कहलाती है। इसमें एक निवेशक केवल प्रारंभिक अवधि के दौरान निवेश कर सकता है जिसे New Fund Offer या NFO के रूप में जाना जाता है। इस तरह के फंड शेयर मार्केट और ट्रेडिंग में शामिल किए जाते हैं।

3. Interval Funds

इसमें ओपन एंडेड फंड और क्लोज एंडेड फंड दोनों की सुविधा होती है। यह निवेशकों को पूर्व निर्धारित अंतराल पर फंड्स का कारोबार करने की अनुमति प्रदान करता है तथा उस निर्धारित अवधि पर फंड्स की ट्रेडिंग की जा सकती है।

Asset के आधार पर Mutual Fund के प्रकार

1. Debt Fund 

यह फंड ज्यादातर धन को ऋण (Loan) में निवेश करते हैं। इस तरह के फंड में निवेशको का जोखिम बहुत कम होता है। यह फंड निश्चित रिटर्न प्रदान करते हैं अगर आप स्थिर आय चाहते हैं तो यह फंड आपके लिए सही हैं।

2. Liquid Mutual Fund

यह आसान Liquid Finance रक्षा और साधारण आय के मकसद वाली योजनाएं होती है। यह फंड Short Term Date Instrument जैसे कि ट्रेजरी बिल, जमा प्रमाण पत्र और इंटर बैंक कॉल मनी आदि में निवेश करते हैं जिससे निवेशकों को कम समय में उचित रिटर्न मिल सके। 

इन योजनाओं से होने वाली आय में उतार-चढ़ाव होता रहता है क्योंकि यह बाजार में प्रचलित ब्याज दरों (Interest Rate Deposit) से सीधे संबंधित होते हैं। यह भी निवेश करने के लिए एक सुरक्षित विकल्प है। 

3. Equity Fund

Equity Fund का उद्देश्य मध्यम से लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि प्रदान करना है। अगर आप ज्यादा समय के लिए लाभ पाना चाहते हैं तो इक्विटी फंड आपके लिए सही है। यह फंड शेयर मार्केट में निवेश करते हैं इस तरह के फंड में जोखिम शामिल होता है पर इनसे होने वाला मुनाफा भी बाकी फंड के मुकाबले अधिक होता है।

इक्विटी फंड को तीन भागों में बांटा जा सकता है

Sector Specific Fund: यह म्यूच्यूअल फंड किसी खास सेक्टर में निवेश करते हैं। यह बुनियादी ढांचे, बैंकिंग, Mining आदि जैसे क्षेत्र या Mid Cap और Small Cap या Large Cap Segment जैसे sectors हो सकते हैं। यह उन निवेशकों के लिए सही है जो उच्च जोखिम लेने की और उच्च रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं।

Index Fund: यह फंड उन निवेशकों के लिए है जो इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं लेकिन साथ ही फंड मैनेजर पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं। इंडेक्स फंड उनके द्वारा दर्शाए गए इंडेक्स के Base पर रिटर्न का वादा करते हैं।

Tax Saving Fund इस प्रकार की योजना में 3 साल की Lock In Period होती है। योजना में निवेश Tax Act 1961 की धारा 80C के तहत Tax Deduction के लिए Eligible है

4. Balanced Mutual Fund

जैसा कि नाम से पता चलता है इस तरह के फंड स्कीम में इक्विटी फंड और Debt फंड का मिलाजुला फायदा मिलता है। इस प्रकार के म्यूच्यूअल फंड में जमा हुए फंड को इक्विटी और Debt दोनों जगहों पर निवेश किया जाता है। 

इस योजना का मकसद अपने Earned Income या Capital लाभ के एक भाग को कुछ समय के लिए बाट कर विकास और नियमित आय दोनों प्रदान करना है। यह आमतौर पर इक्विटी और Debt Instrument में 40-60% निवेश करते हैं। शेयर बाजारों में शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण ही यह फंड प्रभावित होते हैं। 

5. Hybrid Or Monthly Income Plans

यह फंड Balanced Fund के समान होते हैं लेकिन बैलेंस फंड की तुलना में Equity Assets का अनुपात कम होता है। इसलिए इन्हें Marginal Equity Fund भी कहा जाता है। यह उन निवेशकों के लिए अधिक उपयुक्त है जो Retired हो चुके हैैं।

6. Gilt Fund

यह ऐसे फंड होते हैं जो केवल सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में निवेश करते हैं। यह उन निवेशकों द्वारा ज्यादा पसंद किए जाते हैं जो जोखिम से बचना चाहते हैं और अपने निवेश से जुड़ा कोई क्रेडिट जोखिम नहीं चाहते हैं।

7. Income Fund

इनकम फंड का उद्देश्य निवेशकों को नियमित और स्थिर आय प्रदान करना है। ऐसी योजनाएं आम तौर पर निश्चित आय प्रतिभूतियों जैसे Corporate, Devencher, सरकारी प्रतिभूतियों और मुद्रा बाजार के साधनों में निवेश करती है। 

ऐसे फंड इक्विटी योजनाओं की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं। इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव के कारण यह फंड प्रभावित नहीं होते हैं। हालांकि ऐसे फंड में Capital Appreciation के अवसर की सीमित होते हैं।

Mutual Fund निवेश के सामान्य शब्द

NFO:

NFO का पूरा नाम न्यू फंड ऑफर होता है। यह AMC द्वारा म्यूच्यूअल फंड स्कीम की यूनिट खरीदने के लिए New Fund Offering के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द है।

SIP:

म्यूच्यूअल फंड SIP के माध्यम से आपको Either Investment करने का विकल्प देता है। उदाहरण के लिए अगर रवि किसी म्युचुअल फंड स्कीम में ₹60,000 रुपए का निवेश करना चाहता है और उसके पास Either Investment उपलब्ध नहीं है तो वह हर महीने ₹5000 की SIP का विकल्प चुन सकता है।

NAV:

NAV का पूरा नाम Net Asset Value होता है। यह म्यूचुअल फंड की प्रत्येक इकाई (Per Unit) की कीमत होती है। NFO के दौरान जब म्यूच्यूअल फंड योजना शुरू की जाती है तो इसकी कीमत Face Value पर होती है। बाद में यह फंड के Performance के आधार पर बढ़ या गिर सकता है।

Sales Price:

यदि म्यूच्यूअल फंड योजना एक ओपन एंडेड योजना है तो Sales Price Unit Holder को यूनिट की बिक्री के लिए प्रति यूनिट चार्ज किया गया मूल्य होता है।

Load:

यह म्यूचुअल फंड द्वारा लगाया गया NAV का प्रतिशत होता है। भारत में जब कोई निवेशक म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदता है तो उस पर कोई Entry Load नहीं होता है। हालांकि कुछ मामलों में Exit Load या Back End Load लागू होता है। यह निवेशक द्वारा भुगतान किया जाने वाला शुल्क है।

Portfolio:

Portfolio एक म्यूच्यूअल फंड योजना द्वारा किए गए सभी निवेशकों और नकद में रखी गई राशि को दर्शाता है।

AUM:

यह म्यूचुअल फंड द्वारा Managed सभी निवेशकों का Total Value होता है। यह Scheme Level या Plan Level पर हो सकता है।

STP:

STP का पूरा नाम Systematic Transfer Plan होता है। इसका इस्तेमाल स्थिर बाजारों में धीरे-धीरे निवेश की छोटी मात्रा को चुनते हुए दिन या महीने में एक स्कीम से म्यूच्यूअल फंड की दूसरी स्कीम में ट्रांसफर या स्विच करने के लिए किया जाता है।

SWP:

SWP का पूरा नाम Systematic Withdrawal Plan होता है। इसके तहत निवेशक को इस योजना से समय-समय पर Preset Cash प्राप्त होता है।

Redemption : Redemption एक म्यूच्यूअल फंड द्वारा यूनिट को वापस खरीदने या रद्द करने के लिए होता है।

Sell Price : यह वह मूल्य होता है जिस पर आप योजना में निवेश करते हैं इसे प्रस्ताव मूल्य (Proposal Price) भी कहा जाता है।

Mutual Fund कैसे चुने

निवेश के रूप में म्यूच्यूअल फंड के अनेक फायदे हैं यह Traditional Investment की तुलना में अधिक रिटर्न प्रदान करता है। आप बहुत कम राशि के साथ बिना किसी परेशानी के शुरुआत कर सकते हैं।

जब भी म्यूचुअल फंड के चुनाव की बात आती है तो हम अक्सर एक तरह की प्रक्रिया अपनाते हैं। निवेशक म्यूचुअल फंड के बारे में कही सुनी बातों पर ज्यादा विश्वास करते हैं। ज्यादातर लोग दोस्तों, संबंधियों की सलाह या विज्ञापनों पर भरोसा करते हैं।

इसलिए हमें निवेश से पहले कुछ मूलभूत जानकारियां प्राप्त कर लेनी चाहिए। म्यूचुअल फंड निवेश से जुड़ी जानकारियां…..

ज्यादातर म्यूच्यूअल फंड निवेशक अधिक NAV पर उपलब्ध फंडों की अपेक्षा कम NAV पर उपलब्ध फंड को अहमियत देते हैं। NAVका मतलब फंड का प्रति यूनिट वैल्यू होता है और यह स्कीम के Performance को दर्शाता है।

Open Ended Scheme में NAV की घोषणा आमतौर पर दैनिक आधार पर और Close Ended Scheme में सप्ताहिक आधार पर की जाती है। इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूच्यूअल फंड का चुनाव करते समय NAV की तुलना बहुत ही Irrelevant बात हो गई है।

कम NAV वाले फंड निवेशक को भावनात्मक रूप से अच्छा जरूर महसूस कराते हैं लेकिन हकीकत में इसका कोई Justification नहीं होता। फंड का NAV ऊंचा है या कम इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।

सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आपकी निवेश अवधि कितनी है और इससे प्राप्त होने वाला रिटर्न कितना होगा?

इसलिए किसी भी निवेशक को मुख्यतः स्कीम के पिछले प्रदर्शन, सेवा की गुणवत्ता, Administrative Manager आदि के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए।

म्यूच्यूअल फंड कैसे स्थापित किया जाता है

एक म्यूच्यूअल फंड एक Trust के रूप में स्थापित किया जाता है। जिसमें एक Sponsor Trustee AMC और संरक्षक (Custodian) होता है। Trust एक Sponsor द्वारा स्थापित किया जाता है जो एक कंपनी के Promoter की तरह होता है।

उदाहरण के लिए मान लीजिए आप और आपके पांच मित्रों के पास ₹50,000 हैं। जिनको आप शेयर बाजार में लगाना चाहते हैं लेकिन आपको शेयर बाजार के बारे में कोई जानकारी नहीं है और ना ही इतना समय कि आप अपने व्यापार या नौकरी से समय निकालकर इस पर नजर रख सकें।

तो आप किसी पहचान वाले आदमी से संपर्क करेंगे जो शेयर बाजार में निवेश करता हो। जो किसी संस्था को पैसा दे दे और आपकी तरफ से शेयर बाजार में निवेश करें। आप सभी अपना अपना पैसा मिला कर एक साथ एक जगह निवेश करेंगे और किसी भी एक व्यक्ति जो इस बारे में जानकारी रखता हो उस पर निवेश की देखरेख करने की जिम्मेदारी हो।

ऐसे ही म्यूच्यूअल फंड होते हैं जिसमें आप अपना निवेश म्यूच्यूअल फंड मैनेजमेंट कंपनी को दे देते हैं। आपके पैसे की देखभाल पेशेवर फंड मैनेजर करते हैं जो शेयर बाजार की बारीकियों को अच्छी तरह से समझते हैं। 

इस पूरी प्रक्रिया में म्यूचुअल फंड कंपनियां अनेक प्रकार की स्कीम लाती है। हर स्कीम में लगाई जाने वाली पूंजी को छोटे-छोटे बराबर हिस्सों में शेयर की तरह बांट दिया जाता है। निवेशक अपने अपने हिस्से के हकदार होते हैं जिन्हें यूनिट कहा जाता है।

Mutual Fund के लाभ

म्यूच्यूअल फंड आपको कई तरह के लाभ प्राप्त करने में मदद करते है जो निम्नलिखित हैं:

Business Management

म्यूचुअल फंड में निवेश का एक और बड़ा लाभ यह है कि यह आपके निवेश के लिए Expert Professional प्रदान करता है। ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी Fund Manager प्रदान करती है जो आप के समय को बचाता है और आपके निवेश की लगातार निगरानी करता है। इसलिए आपको म्यूच्यूअल फंड के साथ बाजार के उतार-चढ़ाव के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती।

Liquidity

म्यूच्यूअल फंड्स की Liquidity का मतलब होता है व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी समय म्युचुअल फंड से अपना पैसा निकाल सकता है। म्यूच्यूअल फंड्स के मामले में Liquidity का स्तर अधिक होता है।

Variety

म्यूच्यूअल फंड पैसों को अलग-अलग जगहों पर निवेश करते हैं जिससे निवेशकों को अधिक सुरक्षा मिलती है। अच्छे फंड में न केवल दूसरी कंपनी बल्कि दूसरे सेक्टर या अलग साइज की कंपनी में भी निवेश किया जा सकता है।

Options

म्यूचुअल फंड में आज हर तरह के व्यक्ति के लिए कुछ ना कुछ है। आप किसी भी तरह के निवेश की इच्छा रखते हो तो आपके लिए कोई ना कोई मैचुअल फंड जरूर होगा जो आपकी जरूरत को पूरा करता हो। 

म्यूचुअल फंड में ज्यादा Returns की चाह रखने वालों के लिए ज्यादा Returns वाले, अधिकतम सुरक्षित निवेश की इच्छा रखने वालों के लिए अधिकतम सुरक्षित फंड से लेकर हर तरह के फंड्स मौजूद है।

Facility

आप जितनी आसानी से म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं उतनी आसानी से ही आप इस फंड से पैसे भी निकाल सकते हैं। निवेश करने के लिए आपको एक Form भरना होता है जो कि आप ऑफलाइन या ऑनलाइन दोनों जगह पर कहीं भी भर सकते हैं। म्यूचुअल फंड में ज्यादा विकल्प होने के साथ-साथ सुविधाएं भी हैं।

Cheap

बड़ी कंपनियों के शेयर की कीमत काफी ज्यादा होती है जो आम आदमी के बजट में नहीं आती। जबकि म्यूच्यूअल फंड में बहुत सारे लोगों का पैसा एक साथ होता है तो आपके पैसे से बड़ी कंपनियों में भी निवेश किया जा सकता है। इसलिए म्यूच्यूअल फंड छोटे निवेशकों के जरिए बड़ी कंपनी में निवेश करने का एक रास्ता है।

Mutual Fund के नुकसान

म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिटर्न की गारंटी नहीं होती है। आपका प्रत्येक शेयर जोखिम लेकर आता है कुछ साधनों में जोखिम अधिक होता है जबकि कुछ में कम। म्युचुअल फंड के Returns शेयर बाजार के Performance से जुड़े होते हैं। अगर इक्विटी म्यूचुअल फंड में आपका निवेश लंबे समय तक बना रहता है तो जोखिम की संभावना कम हो जाती है।

Mutual Fund और Share Market में अंतर

म्यूच्यूअल फंड और शेयर बाजार में कई अंतर है दोनों प्रकार के निवेश के अपने अलग-अलग फायदे और नुकसान हैं।

Mutual Fund Share Market
शेयर बाजार में निवेश करने का मतलब है कि आप सीधे इक्विटी बाजार में निवेश कर रहे हैं। म्युचुअल फंड निवेश का मतलब है कि एक प्रोफेशनल फंड मैनेजर आपके लिए इक्विटी फंड या Debt फंड में निवेश कर रहा है।
शेयर बाजार में Fixed Investment के लिए कोई विकल्प नहीं है क्योंकि कीमतें नियमित रूप से घटती है आपको कीमतों की लगातार निगरानी करनी होती है। म्यूचुअल फंड में आप Fixed Monthly Systematic Investment Plan में निवेश कर सकते हैं।
शेयर बाजार में Direct Investment किया जाता है। म्युचुअल फंड में Indirect Investment होता है।
शेयर बाजार में आप एक समय में केवल एक शेयर खरीद सकते हैं। म्यूच्यूअल फंड में आपके पास एक बार के निवेश के साथ अलग-अलग पोर्टफोलियो हो सकता है।
शेयर बाजार में आपको ब्रोकरेज शुल्क और अन्य लेनदेन का शुल्क देना होता है। म्यूचुअल फंड में आपको Fund Manager Charge और Fast Redemption आदि का भुगतान करना होता है।
शेयर बाजार में आप जल्दी रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। मैचुअल फंड में लंबी अवधि में ही अच्छे रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं आमतौर पर 5 साल के बाद।
शेयर बाजार में लंबे समय का रिटर्न 14% से 16% तक हो सकता है। म्यूचुअल फंड में 8% तक का औसत रिटर्न होता है।
शेयर बाजार जोखिम से भरा निवेश बाजार होता है। म्यूचुअल फंड में कम जोखिम होता है।
क्या NRI म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं?

हां NRI भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैैं। इस बारे में कुछ शर्तें होती हैं। म्यूच्यूअल फंड स्कीम में निवेश करने के लिए Foreign Exchange Management Act के प्रावधानों/नियमों को पूरा करना होता है।

किसी योजना का शुद्ध संपत्ति मूल्य (NAV) क्या है?

Mutual Fund निवेशकों से लिए गए धन को प्रतिभूति बाजारों में निवेश करते हैं। सरल शब्दों में नेट ऐसेट वैल्यू योजना द्वारा धारित प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य है। चुकी प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य हर दिन बदलता है इसलिए किसी योजना का NAV भी दिन-प्रतिदिन बदलता रहता है।

Debt या Equity Oriented Scheme में कितना निवेश करना चाहिए?

एक निवेशक को किसी भी स्कीम में निवेश करने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति (Financial Status) को ध्यान में रखना चाहिए। जैसा कि आपको बताया गया है योजनाएं विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों में निवेश करती है और विभिन्न रिटर्न और जोखिम प्रदान करती है इसलिए निवेश करने से पहले वित्तीय विशेषज्ञों (Financial Specialist) से भी सलाह ले।

Mutual Fund में निवेश करने के बाद निवेशक को Certificate या Account Statement कब मिलता है?

Mutual Fund योजना में निवेश करने के बाद 6 सप्ताह के भीतर Certificate या Account Statement मिल जाता है। क्लोज एंडेड योजनाओं के मामले में निवेशक को या तो Demat Account Statement या Unit Certificate मिलता है क्योंकि इनका Stock Exchange में कारोबार होता है।

उम्मीद हैं आपको Mutual Fund की जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें धन्यवाद।

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