इस पेज पर आप कूलाम का नियम, परिभाषा एवं इसकी सीमाएं और अनुप्रयोग की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं।
पिछले पेज पर हमने ओम का नियम की जानकारी शेयर की हैं यदि आपने अभी उस आर्टिकल को नहीं पढ़ा तो उसे भी जरूर पढ़िए।
चलिए आज इस आर्टिकल में हम कूलाम क्या है और कूलाम के नियम की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
कूलाम के नियम की परिभाषा
कूलाम का नियम हमें बताता है की अगर दो स्थिर बिंदु आवेश एक दूसरे से कुछ दूरी पर रखे है तो उनके बीच कितना बल लग रहा है।
इस नियम के अनुसार “दो स्थिर बिंदु आवेशों के मध्य लगने वाला बल उन आवेशों के परिमाणों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
एक कूलाम्ब आवेश की वह मात्रा है जो 1 एम्पीयर धारा 1 सेकण्ड तक प्रवाहित करने पर प्राप्त होती है।
1C = 1A.1s
एक कूलाम्ब आवेश की वह मात्रा है जो 1 मीटर दूरी पर रखे समान आवेश को 9×10⁹ न्यूटन बल से प्रतिकर्षित करे।
कूलाम का नियम
क्या आप जानते हैं कि दुनिया का अस्तित्व मुख्य रूप से आकर्षण और प्रतिकर्षण की शक्ति के कारण है?
यह मुख्य रूप से कोणों के बीच आकर्षण और प्रतिकर्षण के कारण है कि पर्यावरण एक अच्छी तरह से संतुलित रूप में रहता है। इस सिद्धांत का ऐसा ही एक व्यावहारिक अनुप्रयोग कूलाम का नियम है।
1784 में एक फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी चार्ल्स-अगस्टिन डी कूलम्ब ने दो बिंदु आवेशों के बीच बल को मापा और वह इस सिद्धांत के साथ आए कि बल आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
उन्होंने यह भी पाया कि यह बल आवेशों (केवल परिमाण) के गुणनफल के समानुपाती होता है।
हम इसे निम्नलिखित स्पष्टीकरण के साथ दिखा सकते हैं।
मान लीजिए कि दो आवेश q₁ और q₂ हैं। आवेशों के बीच की दूरी ‘r’ है, और उनके बीच आकर्षण/प्रतिकर्षण बल ‘F’ है।
फिर,
F समानुपाती q₁q₂
या, F समानुपाती 1/r²
F = q₁q₂ /r²
F = Kq₁q₂ /r²
यहां k एक नियतांक है। जिसे परावैद्युतांक कहते हैं। इसका मान 9 × 109 होता है। इसका मात्रक न्यूटन-मीटर2/कूलाम2 होता है।
Note – छात्र ध्यान दें कि कहीं-कहीं k नियतांक के स्थान पर भी प्रयोग किया जाता है। जिसका मान 9 × 109 ही होता है इसलिए आपको जो अच्छा लगे आप उसको प्रयोग कर सकते हैं दोनों ही ठीक हैं।
इस सिद्धांत के अनुसार समान आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं और विपरीत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
इसका अर्थ है कि एक ही चिन्ह के आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षण बल से धक्का देंगे जबकि विपरीत चिन्ह वाले आवेश एक दूसरे को आकर्षक बल से खींचेंगे।
कूलाम के नियम के अनुप्रयोग
कूलम्ब के नियम के निम्नलिखित उपयोग हैं।
- इसका उपयोग दो आवेशों के बीच बल की गणना के लिए किया जा सकता हैं।
- इसका उपयोग दो आवेशों के बीच की दूरी की गणना करने के लिए किया जा सकता है।
- इसका उपयोग किसी भी इकाई के चार्ज की गणना के लिए किया जा सकता है ।
कूलाम के नियम की सीमाएं
कूलम्ब का नियम कुछ मान्यताओं के तहत लिया गया है और इसे अन्य सामान्य सूत्रों की तरह स्वतंत्र रूप से उपयोग नहीं किया जा सकता है। कूलम्ब का नियम निम्नलिखित बिंदुओं तक सीमित है।
- यदि आवेश स्थिर हैं तो हम सूत्र का उपयोग कर सकते हैं।
- कूलम्ब का नियम 10⁻¹⁵ मीटर से कम दूरी के लिए मान्य नहीं है।
- कूलम्ब का नियम प्रतिलोम वर्ग नियम का पालन करता है।
- यह केवल रेस्ट पर पॉइंट चार्ज के लिए लागू होता है।
- यह तभी मान्य होता है जब कण के बीच विलायक के अणु दोनों आवेशों से पर्याप्त रूप से बड़े हों।
FAQ
Ans. एक कूलम्ब का आवेश एक सेकंड के समय में निरंतर परिमाण के विद्युत प्रवाह द्वारा ले जाने वाले आवेश के बराबर होता है। इसे इलेक्ट्रॉन के6.24 × 1018 आवेश के उत्पाद के रूप में परिभाषित किया गया है।
Ans. C
Ans. चार्ल्स ऑगस्टिन डी कूलम्ब Charles Augustin de Coulomb एक फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी थे, जिन्हें कूलम्ब का नियम (Coulomb’s Law), आकर्षण और प्रतिकर्षण के इलेक्ट्रोस्टैटिक बल (electrostatic force of attraction और repulsion) जैसे खोजों के लिए जाना जाता हैं।
Ans. कूलम्ब (C) विद्युत आवेश का SI मात्रक है।
उम्मीद हैं आपको कूलाम का नियम की जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आयी हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें धन्यवाद।