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IP Address क्या है अपना आईपी एड्रेस कैसे पता करें

IP Address

इस पेज पर आप IP Address की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं।

पिछले पेज पर हमने Yahoo की पोस्ट शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े।

चलिए आज हम IP Address की जानकारी को विस्तार से समझ लेते हैं।

IP Address क्या है

IP Address नियमों का एक समूह होता है जो कंप्यूटर को एक दूसरे के साथ इंटरनेट पर Communicate करने के लिए अनुमति देता है।

यह एक यूनिक एड्रेस होता है जो इंटरनेट पर किसी डिवाइस की पहचान करता है। यह इंटरनेट या नेटवर्क के माध्यम से भेजे गए डेटा के Format को नियंत्रित करने वाले नियमों का समूह होता है।

कंप्यूटर को नेटवर्क के जरिए चाहे कोई भी काम हम करवा ले जैसे ईमेल भेजना, नेटफ्लिक्स देखना, सोशल मीडिया का उपयोग करना इत्यादि। इन सभी कार्यों में अलग-अलग कंप्यूटर एक दूसरे के साथ संचार करते हैं।

फिर चाहे वह कंप्यूटर किसी भी देश में हो, किसी भी कंपनी का हो और उसमें चाहे कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया हो, कंप्यूटर प्रोटोकॉल की मदद से एक दूसरे से संचार कर पाते हैं जो IP Address के कारण ही Possible हो पाता है।

IP address की size 32 bit होती है। एक IP Address दो भागों में बंटा होता है। पहला भाग में Network ID होती हैं जिससे ये पहचान किया जाता है की Host का Network क्या है। दूसरा Part Host ID होता है जिससे Host को Uniquely Identify किया जाता है।

IPV4 Addressing में 32 Bit Addresses Assign किये जाते है। इस तरह के IP address में 8 bits के चार Octet होते है।

IP Address का Full Form क्या है

IP Address का Full Form :- “Internet Protocol Address” होता हैं।

IP Address के प्रकार

IP Address के मुख्य दो प्रकार होते हैं।

Public IP Addresses :- पब्लिक IP एड्रेस जो हमें ISP (Internet Service Provide) द्वारा मिलता है जिसे हम इंटरनेट से कनेक्ट हो पाते है। 

यही Main Address होता है जिसका उपयोग कर के घरों और Offices में Internet का उपयोग किया जाता है। 

2. Private IP Addresses :- हर एक डिवाइस को एक Unique Private IP मिली है जिसका उपयोग करके Local Network में Connected सारे Devices, Internet का यूज़ कर रहे है।

Private IP के भी दो प्रकार होते है।

1. Dynamic IP Addresses :- यह एक अस्थायी IP Address होता है जो हर समय बदलता है। जब भी डिवाइस नेटवर्क से Disconnect हो के फिर से Connect होता है। Dynamic IP डिवाइस को तब मिलती है जब राउटर पर DHCP Configure हो।

2. Static IP Addresses :- जब भी किसी कम्प्यूटर को Manual IP दीं जाती है तो वह Static IP होता है जो खुद नहीं बदल सकता जब तक उसे Admin Change ना करे।

Static IP Addresses का उपयोग हम छोटे network में करते है जहाँ Devices कम होते है। जैसे की Cybercafe या किसी अन्य Recharge Shop में।

IP Address काम कैसे करता है?

IP Address

IP Address का प्रयोग डेटा को सुरक्षित ढंग से भेजने के लिए किया जाता है। इन प्रोटोकॉल के जरिए कोई भी सूचना इंटरनेट में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचती है। 

जब हम अपने कंप्यूटर से कोई डाटा अपलोड या फिर डाउनलोड कर रहे होते हैं तो इस प्रक्रिया को IP के माध्यम से कंट्रोल किया जाता है, क्योंकि जब कोई फाइल इंटरनेट से डाउनलोड या अपलोड होती है तो यह प्रक्रिया एक पैकेट के रूप में होती है। 

उन पैकेज पर डाटा का समूह होता है और TCP केवल इन पैकेज को हमारे कंप्यूटर में डाउनलोड और अपलोड होते समय उसे कंट्रोल करते है।

IP दो कंप्यूटर के बीच सूचना को भेजता है और संचार की सुविधा उपलब्ध करवाता है। यह प्रोटोकॉल इंटरनेट पर डाटा को सुरक्षित रखते हुए उस डाटा को उसके निश्चित स्थान तक पहुंचाता है।

यह प्रोटोकॉल दो भागों में बांटे गए हैं, पहला भाग TCP है जिसका काम डाटा को छोटे-छोटे भागों में बांटने का होता है, जो इंटरनेट पर डाटा ट्रांसफर करने में प्रयोग किया जाता है। यह किसी फाइल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में भी मदद करता है।

दूसरा भाग IP है जो TCP के द्वारा छोटे-छोटे भागों में बांटे गए पैकेज को उसके Destination Point तक पहुंचाता है। जिससे इंटरनेट और नेटवर्क के बीच में कम्युनिकेशन स्थापित हो जाता है।

इन दोनों प्रोटोकॉल में बिना इंटरनेट के संचार संभव नहीं है। यह प्रोटोकॉल इंटरनेट से जुड़े हुए प्रत्येक कंप्यूटर में प्रयोग किया जाता है चाहे वह लैपटॉप हो, पर्सनल कंप्यूटर है या सुपर कंप्यूटर। यह सभी में समान रूप से लागू होता है और इंटरनेट से जुड़े हुए प्रत्येक नेटवर्क में प्रयोग किया जाता है। 

Classes of IP Address             

 IPV4 Addresses को कई Classes में Divide किया गया है। IP address किस Class का है ये आप IP Address के First Octet की Range देख कर बता सकते है। आइये इन Classes के बारे में Detail में जानते है।

Class A

Class A की Network Range 1 से 127 होती है और इस Class का Default Subnet Mask 255.0.0.0 होता है। इसका मतलब ये हुआ की इस Class के IP Addresses सिर्फ First Octet ही Network को Show करता है और बाकी के 3 Octets Hosts को Show करते है। इस क्लास में 127 Network होते है और हर Network में 16777214 Hosts होते है।

Class B

Class B की Network Range 128 से 191 होती है। इस Class के IP Addresses का Default Subnet Mask 255.255.0.0 होता है। इस Class के IP Addresses में पहले 2 Octet Network को Represent करते है और आखिरी 2 Octet Hosts को Define करते है। इस क्लास में 16384 Networks होते है और 65534 Hosts हर Network में होते है।

Class C

Class C की Network Range 192 से 223 होती है। इस Class के IP Addresses का Default Subnet Mask 255.255.255.0 होता है। इस Class के IP Addresses में पहले 3 Octet Network को Represent करते है और आखिरी एक Octet Hosts को Represent करता है। इस class में 2097152 Network होते है और 254 Hosts हर Network में होते है।

Class D

 Class D के Network Multicast के लिए Reserved होते है। इस Class के Addresses का कोई Subnet Mask नहीं होता है।

Class E

इस IP Address की Range – 240.0.0.1 से लेकर 254.255.255.254 तक होती है। यह भविष्य में उपयोग की जाने वाली तकनीक है जिस पर Research तथा Development कार्य किया जा रहा है।

IP Version 

IP Address के दो Version है।

IPV4

Internet Protocol Version 4 किसी भी Network में Hosts के लिए Logical Address (IP Address) Assign करने का Standard Protocol होता है। अभी आप इसी Protocol का उपयोग कर रहे है।

यह Protocol इस दुनिया में Available जितने भी Devices है उनको Unique Address Provide करने में अभी तो सक्षम है लेकिन कुछ सालों बाद नहीं होगा। इसलिए इसका Advanced Version IPV6 Introduce किया गया। IPV4 में IP Address 32 bits का होता है। इसे 8 Bits के 4 Blocks में दर्शाया जाता है।  

IPV6

IPV6 का पुरा नाम Internet Protocol Version 6 है। यह Internet Protocol का सबसे latest Version है।

यह IETF (Internet Engineering Task Force) द्वारा बनाया गया है। IPV4 को 80 के दशक में बनाया गया था। तब से लेकर अब तक Internet की दुनिया में बहुत ज्यादा बदलाव आ गए है। शुरुआत में Internet कुछ Limited Organizations तक ही सिमित था लेकिन अब यह पूरी दुनिया में फैल चूका है।

यह IPV4 का Upgraded Version है और इसे भविष्य में IPV4 को Replace करने के लिए बनाया गया है। इस समय यह IPV4 के साथ ही मिलकर काम करता है। यदि आप अपने Computer में Network Center खोले तो दोनों Protocols को एक साथ काम करते हुए देख सकते है। 

IPV6 Addresses को लिखने के लिए आप Shorthand Expressions भी यूज़ कर सकते है। 

2d12:1ba8:3c4d:21d3:0:0:3214:ab65

यँहा पर जिन Groups में Zero है उन Groups को Single Zero द्वारा Represent किया गया है। आप ऐसा सभी ऐसे Groups के साथ कर सकते है जिनमें सभी Zero’s हो। जब ऐसे दो Groups जिनमें सभी Zero है एक साथ आते है तो आप उनको Double Colon से भी Replace कर सकते है जैसा की निचे दिया गया है। 

2d12:1ba8:3c4d:21d3::3214:ab65

आईपी एड्रेस ​​की सीमाएं

किसी भी Data को Source से Destination तक Deliver करने के लिए Internet Protocol द्वारा पूरा प्रयास किया जाता है। लेकिन Internet Protocol में ऐसी कुछ Limitations है जिससे इसकी Performance कम हो जाती है। इनके बारे में नीचे दिया जा रहा है।

No Error Reporting :– यदि किसी Error की वजह से कोई Packet Router द्वारा Discard हो जाए तो इसके लिए Internet Protocol में ऐसा कोई Mechanism नहीं है जिससे की Sender को इस Error के बारे में Report किया जा सके। कुछ Common Errors के उदाहरण निचे दिए जा रहे है।

No Communication :– कई बार ऐसा हो सकता है की एक Device को दूसरे Device से Communicate करने की आवश्यकता हो तो ऐसी Situation के लिए भी Internet Protocol में ऐसा कोई Mechanism नहीं है जिससे Devices आपस में Communicate कर सके। जिनमें Devices को Communication की आवश्यकता होती है ऐसी कुछ Common Situations के बारे में निचे दिया जा रहा है।

Internet Protocol की इन कमियों को दूर करने के लिए ICMP (Internet Control Message Protocol) को Design किया गया है। ICMP और IP दोनों एक साथ काम करते है। ICMP IP का Supporting Protocol है। ICMP में Message Mechanism होता है जिससे Hosts को Error और Status के बारे में Notify किया जाता है।

TCP क्या है

TCP (Transmission Control Protocol) एक Transport Layer Connection Oriented Protocol है। यह Protocol Reliable Delivery Provide करता है। TCP और Internet Protocol मिलकर Internet Protocol Suit बनाते है।

IP Protocol Suite

किसी नेटवर्क का सबसे महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल IP होता है जो बहुत सारे प्रोटोकॉल से मिलकर बना होता है। इसलिए इसे IP प्रोटोकोल सूट या IP Reference Model कहा जाता है। 

इस मॉडल में 4 Layers होते हैं जो प्रोटोकॉल के काम को पूरा करने में मदद करते हैं। इन सभी लेयर्स का काम एक दूसरे से बिल्कुल अलग होता है। इन लेअर्स के नाम निम्नलिखित हैं।

1. Application layer

यह लेयर IP प्रोटोकोल मॉडल के सबसे ऊपर वाला लेयर है। यह कंप्यूटर एप्लीकेशन को नेटवर्क सर्विस उपलब्ध करवाने में मदद करता है।

यह लेयर यूजर को कम्युनिकेशन के लिए इंटरफेस उपलब्ध करवाता है। जिसमें यूजर अपने विभिन्न एप्लीकेशन जैसे कि ब्राउज़र आदि के साथ कार्य करता है।

इस लेयर का काम ट्रांसपोर्ट लेयर को डाटा भेजना और उससे डाटा को रिसीव करना होता है। यह लेयर बहुत सारे प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करता है।

जैसे :- http, DNS, FTP.

2. Transport layer

यह लेयर डाटा के ट्रांसमिशन के लिए जिम्मेदार होती है। इसका कार्य नेटवर्क के विभिन्न होस्ट कंप्यूटर के बीच कम्युनिकेशन को निर्धारित करना होता है।

ट्रांसपोर्ट लेयर में Error Checking और Flow Control भी होता है ताकि दो कम्युनिकेशन के बीच में कोई भी डाटा अपने सही रिसीवर और Sender तक पहुंच सके।

इस लेयर में दो मुख्य प्रोटोकॉल कार्य करते हैं।

3. Internet Layer

यह लेयर नेटवर्क में कनेक्शनलेस कम्युनिकेशन उपलब्ध करवाते हैं। इसका कार्य अलग-अलग नेटवर्क या होस्ट को कम्युनिकेशन के लिए आपस में कनेक्ट करना होता है। नेटवर्क में पैकेज के Movement को कंट्रोल करना भी इसी लेयर का कार्य होता है। 

इसमें ट्रांसपोर्ट लेयर से छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में सूचना को प्राप्त कर डाटा को IP Datagram के रूप में पैकेज किया जाता है। यह Data Source तथा Destination IP Address को Contain किए रहते हैं जिससे कि डाटा को आसानी से सेंड तथा रिसीव किया जा सके।

इस लेयर में कुछ मुख्य प्रोटोकॉल होते हैं जो निम्नलिखित है।

4. Network Access Layer

यह लेयर IP मॉडल के सबसे नीचे वाली लेयर है। नेटवर्क एक्सेस लेयर यह बताती है कि किस प्रकार डाटा नेटवर्क में Send होता है।

इस लेयर में किसी न किसी नेटवर्किंग डिवाइस जैसे कि WiFi, Bluetooth इत्यादि का उपयोग होता है जो विभिन्न कंप्यूटर को सर्वर से कनेक्ट करने का कार्य करता है।

इस तरह से IP के द्वारा डाटा को इन चार Layers के मदद से कम्युनिकेशन स्थापित कर। Sender से Receiver तक और रिसीवर से सेंडर तक Information पहुंचाने के कार्य को पूरा करता है।

Subnet Mask क्या है

जैसा की मैने आपको पहले बताया की IP Address का एक Part तो Network को बताता है और दूसरा Part Host को बताता है।

Subnet Mask यही बताने के लिए होता है की पुरे IP Address का कौन सा Part Network को Represent करता है और कौन सा Host को Represent करता है।

हर IP Address के साथ उसका Subnet Mask जुड़ा होता है। जिसे देख कर बताया जा सकता है की IP Address किस Network और किस Host का है।

Subnet Mask के बारे में पढ़ने से पहले आप Decimal To Binary और Binary To Decimal Conversion जरूर सिख ले।

Example :-

IP  Address   :     192  .  10    .  2  .  1

Subnet mask :     255  .  255  .  0  .  0

IP (Binary)     :   11000000 :  00001010 : 00000010 : 00000001

Subnet mask  :    11111111 : 11111111 : 00000000 : 00000000

ऊपर दिए हुए Example को देखिये IP Address के साथ Subnet Mask दिया गया है। Subnet Mask में 255 का मतलब होता है Network Octet और 0 का मतलब होता Host Octet है।

इस Example में 192.10 तो Network Portion है जो Network को Represent करता है। और 2.1 Host Portion है जो Host को Represent करता है।

यदि आप Binary Form देखेंगे तो Network Portion 1 से Represent किया जाता है और Host Portion 0 से Represent किया जाता है।

अपने कम्प्युटर या मोबाईल फोन का आईपी एड्रेस कैसे पता करें

हमने अब तक IP Address को समझा है। और जाना है कि IP Address क्यों महत्वपूर्ण होता है। अब सवाल आता है कि हम अपने कम्प्युटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन का आईपी ऐड्रेस किस प्रकार पता कर सकते हैं।

चलिए हम आपको Step by Step तरीका बताते है कि कैसे आप अपने किसी भी डिवाईस के आई पी एड्रेस की जानकारी पता कर सकते है।

हम आपको IP Address पता करने के दो आसान तरीके बता रहे है।

1. इंटरनेट सर्च द्वारा आई पी एड्रेस का पता कैसे लगाते है

Step #1. सबसे पहले आप जिस डिवाईस का IP Address जानना चाहते है। उस डिवाईस में किसी भी एक वेब ब्राउजर को खोल लीजिए। हम यहाँ अपने कम्प्युटर का आई पी एड्रेस पता कर रहे है।  

Step #2. अब ब्राउजर के सर्च बॉक्स में what is my ip लिखिए और एंटर दबा दीजिए. ऐसा करते ही आपके डिवाईस का आई पी एड्रेस आ जाएगा।

यदि आप अपने मोबाईल फोन का आई पी एड्रेस जानना चाहते है तो उसके लिए भी यही प्रोसेस अपना सकते है।

2. Windows Command Prompt द्वारा IP Address पता करना

Step #1. सबसे पहले Windows Start Button पर क्लिक कीजिए और सर्च बॉक्स में cmd टाईप कीजिए।

Step #2. ऐसा करते ही Command Prompt आपके सामने आ जाएगा। अब cmd Icon पर माउस Arrow ले जाए और इसके ऊपर Right-Click कीजिए और Run as Administrator को सेलेक्ट कीजिए।

Step #3. अब आपके सामने Windows Command Prompt Open हो जाएगा. अब आप इसमें की-बोर्ड की सहायता से ipconfig टाईप कीजिए। यहाँ एक बात का ध्यान रखे कि जैसा हमने लिखा है। आप भी हूँ-ब-हूँ लिखे। नही तो परिणाम बदल सकता है।

Step #4. Ipconfig टाईप करने के बाद Enter दबा दीजिए. आपके सामने Windows PC का IP Address आ जाएगा. जो IPv4 के सामने दिखाई देगा।   

इस तरह आप किसी भी डिवाईस का IP Address पता कर सकते है। और जान सकते है कि मेरे कम्प्युटर या लैप्टॉप का IP Address क्या है? और इसे किस नाम से पहचाना जाता है।

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आशा हैं आपको IP Address की जानकारी पसंद आयी होगी।

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यदि आप आईपी एड्रेस से सम्बंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो कमेंट में पूछ सकते हैं।

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