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प्रोटीन की परिभाषा, प्रकार, कार्य और लाभ

Protein

क्या आप प्रोटीन की जानकारी जानना चाहते हैं। तो आप सही पेज पर आये हैं इस पेज पर आपको प्रोटीन से सम्बंधित समस्त जानकारी आसानी से मिल जाएगी।

प्रोटीन एक ऐसा स्रोत है जो हमारे शरीर की वृद्धि और कोशिकाओं की सुरक्षा के लिए अति आवश्यक होता हैं जो हमारे शरीर को दूध, पनीर, सोयाबीन, अण्डा इत्यादि को खाने से प्राप्त होता हैं।

पिछले पेज पर हमने विटामिन की जानकारी शेयर की हैं तो उस आर्टिकल को भी पढ़े चलिए आज हम प्रोटीन की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

प्रोटीन क्या हैं

जे.बर्जेलियस के अनुसार प्रोटीन की परिभाषा – प्रोटीन एक कार्बनिक यौगिक हैं। जो एक अकेली रेखा से बना होता हैं इसमे एमिनो एसिड चेन की एक श्रंखला शामिल होती हैं।

प्रोटीन अमीनो अम्ल का बहुलक हैं जो पेप्टाइड बंधो के द्वारा श्रृखला से जुड़ी रहती हैं। अनेक पेप्टाइड बंध बनने के कारण प्रोटीन को पॉलीपेप्टाइड भी कहते हैं। अमीनो अम्लों की प्रकृति के आधार पर प्रोटीन दो प्रकार की होती हैं ।

1. विषम बहुलक प्रोटीन :- ऐसे प्रोटीन जो अलग-अलग अमीनो अम्ल के मिलने से बनते हैं विषम बहुलक प्रोटीन कहलाते हैं।

2. समबहुलक प्रोटीन :- यह प्रोटीन एक ही प्रकार के अमोनी अम्ल से बनते हैं समबहुलक प्रोटीन कहलाते हैं।

प्रोटीन के नाम 

प्रोटीन

सबसे ज्यादा प्रोटीन देने वाले पदार्थ के नाम निम्नलिखित हैं।

  1. अंडा 
  2. दही
  3. दूध
  4. नट्स और बीज
  5. पनीर
  6. चिकन
  7. मसूर की दाल
  8. बादाम
  9. ओट्स
  10. आलू

प्रोटीन के प्रकार 

प्रोटीन तीन प्रकार के होते हैं।

1. सरल प्रोटीन

ऐसे प्रोटीन जो सिर्फ अमीनो अम्ल से बने होते हैं सरल प्रोटीन कहलाते हैं।

उदाहरण :- ग्लोब्युमिन्स, अल्ब्यूमिन्स, इत्यादी सरल प्रोटीन हैं।  

2. संयुग्मी प्रोटीन

ऐसे प्रोटीन जो अमीनो अम्ल के साथ और अन्य पदार्थों के अणु के साथ भी शामिल होते हैं ऐसे प्रोटीन को संयुग्मी प्रोटीन कहते हैं। 

उदाहरण :- क्रोमोप्रोटींन, ग्लाइकोप्रोटीन, इत्यादि संयुग्मी प्रोटीन हैं।

3. व्युत्पन्न प्रोटीन

ऐसे प्रोटीन जो प्राकृतिक प्रोटीन से जलीय अपघटन द्वारा प्राप्त होते हैं उन्हें व्युत्पन्न प्रोटीन कहते हैं। 

उदाहरण :- पेप्टाइड, पेप्टोन, प्रोटीआन्स इत्यादि व्युत्पन्न प्रोटीन कहलाते हैं।

प्रोटीन के कार्य

प्रोटीन हमारे शरीर के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता हैं जो शरीर की प्रत्येक कोशिकाओ के प्रत्येक भाग में पाए जाते हैं।

ऐसे बहुत से प्रोटीन एन्जाइम होते हैं जो जैव रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं और चयापचय अर्थात हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन में से शरीर के आवश्यक तत्वों का चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मानव के शरीर के लिए प्रोटीन निम्न कार्यों के लिए उत्तरदायी होता हैं।  

प्रोटीन के कमी के लक्षण 

1. बेहतर स्वास्थ्य और सेहत के लिए भोजन करना ही कॉफी नही हैं। बल्कि उसमे पोषण होना भी बेहद जरूरी हैं।  

2. पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नही लेने से जोड़ो में मौजूद तरल पदार्थ का निर्माण धीरे धीरे कम होता हैं। जिससे लचीलापन भी कम हो जाता हैं और जोड़ों में अकड़न के साथ मासपेशियों में भी दर्द होने लगता हैं।

3. प्रोटीन की कमी से बार-बार बीमार पड़ना। शारीरिक दर्द की समस्या से गुजरना जैसे कई लक्षण नजर आते हैं।  

4. प्रोटीन की कमी से खून में सर्कार का स्तर कम होता हैं इसके साथ-साथ इसकी कमी के कारण बार-बार भूख भी लगती हैं जिससे वजन बढ़ता हैं।  

5. प्रोटीन की कमी से सफेद रक्त कोशिकाओ की संख्या कम होती जाती हैं और हीमोग्लोबिन भी कम होने लगता हैं इनके कारणों से आपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती जाती हैं।  

6. कैल्सियम की कमी के कारण नाखून बार बार टूटते ओर चटकते जाते हैं। जिससे  प्रोटीन की कमी के कारण नाखुनो की सुंदरता कम होतीं जाती हैं नाख़ूनो के अंदर की तरफ संक्रमण पनपने लगते हैं। जिससे नाखून काला और कमजोर दिखता हैं।  

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प्रोटीन से फायदे 

1. मांसपेशियों के लिए लाभदायक :- प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व लाभदायक होती  हैं। प्रोटीन हमारी मासपेशियों को मजबूत बना के रखती हैं। ये हमारे शरीर को मजबूत (तंदुरुस्त) बनाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।  

2. मजबूत हड्डिया :- हमारे शरीर मे एक कोलेजन नामक का एक प्रोटीन पाया जाता हैं। जो शरीर मे उपस्थित हड्डियों को मजबूत बनाता हैं। जो व्यक्ति मेहनत का काम करते हैं उनके लिए प्रोटीन लेना बहुत ही आवश्यक हैं। प्रोटीन लेने से शरीर स्वस्थ्य ओर मजबूत हड्डिया बना रहता हैं।

3. स्वस्थ बाल :- बालो को लम्बा काला घना करने के लिए अच्छा प्रोटीन लेना चाहिए जिससे आपके बालों की मजबूती बनी रहे। अगर आप अच्छा प्रोटीन नही लेते हैं तो बाल रूखे रहते हैं इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा प्रोटीन लेना जरुरी हैं।

4. ऊर्जा प्रदान करना :- प्रोटीन प्रतिदिन सही समय और सही मात्रा में लेना चाहिए जिससे शरीर में ऊर्जा बनी रहे।और हमारा शरीर मजबूत बना रहे।

जो लोग डाइट लेते हैं जिससे उनमें धीर-धीरे प्रोटीन की कमी होती हैं और ऊर्जा की कमी महसूस होती हैं और कुछ दिनों बाद उनकी तबियत खराब होने लगती हैं।

प्रोटीन के स्त्रोत 

1. पनीर :- दूध से बने सभी प्रकार के पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होते है। और ये हमारे शरीर मे कैल्शियम की कमी को पूरा करता हैं इसमे लगभग 50 ग्राम पनीर से 9 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होता है।

2. मूंगफली :- ये प्रोटीन से भरपूर होती हैं। इसमे सबसे ज्यादा प्रोटीन पाया जाता हैं सिर्फ 50 ग्राम मूंगफली में 13 ग्राम का प्रोटीन होता हैं।

3. काजू :- काजू खाने से बहुत से फायदे होते हैं काजू में सिर्फ 44 ग्राम फैट ओर 18 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होता हैं यह वजन बढ़ाने में बहुत ही सहयोगी होता हैं।

4. अंकुरित अनाज :- अंकुरित अनाज खाने से अच्छा प्रोटीन प्राप्त होता हैं।

5. मूंग की दाल :- मूंगफली में भरपूर प्रोटीन होता है इसमें फैट पाया जाता हैं यह बीमार व्यक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक होती हैं।  

6. चना :- चने को भिगोकर खाने से भरपूर प्रोटीन प्राप्त होती हैं। इसमे फ़ाइबर भी होता हैं।  

7. सोयाबीन :- सोयाबीन प्रोटीन का मुख्य स्रोत माना जाता हैं सोयाबीन विटामिन बी कॉप्लेक्स विटामिन-ई और खनिज पदार्थो से भरपूर होता हैं।

8. प्रोटीन पाउडर :- प्रोटीन पाउडर हमारी मासपेशियों के लिए बहुत ही जरुरतमंद और सेहत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं और खासकर उन लोगों के लिए जो जिम ओर डाइट करते हैं।

यह पाऊडर हमारी शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करता हैं। लेकिन ज्यादा प्रोटीन लेने से हमारे शरीर को नुकसान हो सकता हैं।

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प्रोटीन की संरचना

प्रोटीन की संरचना को चार भागों में बाटां गया हैं।

1. प्राथमिक

प्रोटीन की प्राथमिक संरचना की खोज “मिस्टर सेंगर” ने ‘इंसुलिन’ में खोजी थी इसमे केवल सहसंयोजी बांध होते हैं।

प्राथमिक संरचना में प्रोटीन में उपस्थित अलग-अलग प्रकार के एमिनो अम्ल, तथा उनकी संख्या एवं उनके जुड़ने का अनुक्रम व्यक्त किया जाता हैं।  

2. द्वितीयक

प्रोटीन की द्वितीयक संरचना अणु सर्पिलाकार कुंडलित (गोलाकार) होती हैं। तथा इसमें सहसंयोजक बांध एंव H-बंध उपस्थित होते हैं। द्वितियक संरचना में पेप्टाइड बांध के आधार पर दो अलग-अलग विन्यास होते हैं।  

3. तृतीयक

प्रोटीन की तृतीयक संरचना पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में सभी अमीनो अम्ल के तीसरी व्यवस्था को दर्शाती हैं।

4. चतुर्थ 

इस प्रोटीन में एक से ज्यादा पॉलीपेप्टाइड श्रंखला होती है। जो प्रोटीन चतुर्थ संरचना के रूप में होता हैं।

पॉलीपेप्टाइड श्रंखलाओं को सहसंयोजन बांध या असहयोजन आकर्षक जैसे हाइड्रोफोबिक आकर्षक तथा हाइड्रोजन बांध द्वारा एक साथ जोड़ा जाता हैं यह प्रोटीन की सबसे स्थायी संरचना हैं।  

वजन बढ़ाना :- ज्यादा तेल वाले पदार्थ खाने से शरीर मोटा हो जाता हैं। जिससे व्यक्ति डाइट करने लगते हैं लेकिन डाइट पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। और अधिक मात्रा में खाना खाने से हमारे अंदर फैट बढ़ना शुरू हो जाता हैं। ऐसे इसलिए होता हैं क्योंकि एमिनो एसिड जिनसे प्रोटीन बनता है वो फैटी एसिड में बदलना शुरू हो जाता हैं।

प्रोटीन का वर्गीकरण

1. तृतीय आकृति के आधार पर

रेशेदार प्रोटीन :- यह जल में अविलेय होती हैं। रेशेदार प्रोटीन की श्रंखला एक दूसरे के समांतर होती हैं। जिनके मध्य डाई सल्फाइड बंध और हाइड्रोजन बंध पाये जाते हैं।  

उदाहरण :- कैरोटीन – बल

2. गोलाकार प्रोटीन

यह जल में विलेय होता हैं गोलाकार प्रोटीन की श्रंखला कुण्डलित होकर गोलीय आकृति में बन जाती हैं।  

उदाहरण :- इंसुलिन 

3. रासायनिक संयोजन के आधार पर 

4. विशिष्ट भूमिका के आधार पर

1. प्रोटीन की कमी की जाँच :- प्रोटीन की कमी से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर भिन्न प्रकार के परीक्षण करते हैं। डॉक्टर लक्षणो की जानकारी को प्राप्त करने के लिए शारीरिक स्वस्थ्य से जुड़े प्रश्न पूछ सकते हैं।  

जैसे :- त्वचा परीक्षण, सूजन तथा अन्य लक्षणों की जांच करते हैं।  

2. रक्त परीक्षण :- खून की जाँच करने के लिए खून का चार से पांच बूंद खून लेते हैं खून में कुल प्रोटीन का एल्बुमिन, क्रिएटिनिन रक्त स्तर के अनुपात का पता किया जाता हैं। इन परिणामों के आधार पर प्रोटीन की कमी तथा इनके लक्षणों का पता लगाया जाता हैं।

3. मूत्र परीक्षण :- मूत्र परीक्षण की सहायता से प्रोटीन की कमी  के कारणों का पता लगाया जाता हैं मूत्र में प्रोटीन के उच्च स्तर आंत रोग,किडनी की विफलता से साथ साथ अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी प्रदान कर सकता हैं।  

4. प्रोटीन की कमी का इलाज:- प्रोटीन की कमी का इलाज करने के लिए डॉक्टर निम्न प्रकार के इलाज करते हैं।   

डॉक्टर लीवर ओर किडनी में हुये रोग की समस्या का इलाज करने के लिए डॉक्टर की निगरानी में बहुत से उपचार होती हैं।

प्रोटीन देने वाली दाल

दाल

1. अरहर की दाल :- सभी दालों में अरहर की दाल का सबसे पहला स्थान हैं। यह दाल बहुत ही पौष्टिक होती हैं वैसे तो ये दाल जल्दी पच जाती हैं। लेकिन इसका सेवन गैस और स्वास के रोगियों को कम करना चाहिए। 50 ग्राम की दाल में 11 ग्राम प्रोटीन होता हैं।

2. मूंग की दाल :- मूंग की दाल एक ही प्रकार की होती हैं लेकिन इस दाल को दो प्रकार का कर दिया जाता है हरि मूंग की दाल और पीली मूंग की दाल। इस दाल में प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा होती हैं यह दाल पकाने के साथ-साथ पाचन में भी आसान होती हैं।

3. चने की दाल :- इस दाल में प्रोटीन और फाइबर की सबसे ज्यादा मात्रा पाई जाती हैं। चना की दाल खाने का सबसे बड़ा फायदा यह हैं कि ये कोलस्ट्रोल को कम करती हैं।

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