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चलिए आज हम मापन की परिभाषा, मापन पद्धतियां, प्रकार महत्व एवं विशेषताएँ की जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
मापन की परिभाषा
किसी भौतिक राशि का परिमाण संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है। मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है।
इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है।
क्लासमेयर एवं गुडविन के अनुसार – शैक्षिक मापन विद्यार्थी अधिगम, शिक्षण प्रभावशीलता या किसी अन्य शैक्षिक पक्ष की मात्रा, विस्तार और कोटि के निर्धारण से संबंधित है।
करलिंगर के अनुसार – मापन नियमानुसार वस्तुओं या घटनाओं को संख्या प्रदान करना है।
ब्रेडफील्ड तथा मोरेडॉक के अनुसार – मापन के द्वारा किसी तथ्य के विभिन्न आयामों को प्रतीक प्रदान करना ही मापन है।
ई.बी. वेस्ले के अनुसार – मापन मूल्यांकन का वह भाग है जो प्रतिशत, मात्रा, अंकों, मध्यमान तथा औसत आदि के द्वारा किया जाता है।
उदाहरण :- यदि किसी पेड़ की ऊंचाई 10 मीटर है तो हम उस पेड़ की ऊंचाई की तुलना एक मीटर से कर रहे होते हैं।
यहाँ मीटर एक मानक मात्रक है जो भौतिक राशि लम्बाई या दूरी के लिये प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार समय का मात्रक सेकण्ड, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम आदि हैं।
मापन का इतिहास
मनुष्य जीवन के लिए नाप तौल की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। यह कहना अत्यन्त कठिन है कि नाप तौल पद्धति का आविष्कार कब और कैसे हुआ होगा।
किन्तु अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ ही साथ आपसी लेन-देन की परम्परा आरम्भ हुई होगी और इस लेन-देन के लिए उसे नाप तौल की आवश्यकता पड़ी होगी।
प्रागैतिहासिक काल से ही मनुष्य नाप तौल पद्धतियों का प्रयोग करता रहा है।
मापन के मात्रक शायद मानव द्वारा आविष्कृत सबसे पुरानी चीजों में से हैं क्योंकि आदिम समाज को भी विभिन्न कामों के लिये (कामचलाऊ) मापन की जरूरत पड़ती थी।
मापन के इकाइयों की पद्धतियाँ
अन्तरराष्ट्रीय पद्धति (SI) के 7 मूल मात्रक होते हैं। तीर यह इंगित कर रहा है कि उन मात्रकों के बीच सम्बन्ध है।
वैज्ञानिक जगत् में माप के कार्यों के लिये आम तौर पर दो प्रकार की इकाइयों की पद्धति उपयोग में लाई जाती है।
- ब्रिटिश पद्धति
- फ्रेंच पद्धति या मीटरी पद्धति
1. ब्रिटिश पद्धति
इसे ‘फुट पाउंड सेकंड पद्धति’ (F. P. S. System) भी कहा जाता है। इस पद्धति में लंबाई को फुट में, भार को पाउंड में तथा समय को सेकंड में व्यक्त किया जाता है।
यह प्रणाली खास तौर पर उन देशों में प्रचलित है, जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अंग रह चुके थे। इसे विशेष रूप से ब्रिटिश इंजीनियर, या ब्रिटेन में प्रशिक्षित इंजीनियर, तथा ऋतु-विज्ञान-विशेषज्ञ उपयोग में लाते हैं; लेकिन इसका स्थान मीटरी प्रणाली लेती जा रही है।
2. फ्रेंच पद्धति
इसे मीटरी पद्धति, अथवा ‘सेंटीमीटर ग्राम सेकंड पद्धति’ (C. G. S. System) भी कहते हैं। इस पद्धति को संसार भर में वैज्ञानिक कार्यों में उपयोग में लाया जाता है। इसमें लंबाई को सेंटीमीटर में, भार का ग्राम में तथा समय को एक सेकंड में माप जाता है।
मीटरी पद्धति ही परिवर्तित परिवर्धित करके मीटर-किलोग्राम-सेकेण्ड पद्धति बनी जो पुनः परिवर्धित होकर अन्तरराष्ट्रीय इकाई प्रणाली (S I) बनी।
लंबाई की इकाइयाँ
मीटरी प्रणाली में लंबाई की मानक इकाई को मीटर कहते हैं। प्रारंभ में जनतंत्रीय फ्रेंच कानून के अनुसार इसे उत्तरी ध्रुव से विषुवत् रेखा तक पैरिस से गुजरती हुई याम्योत्तर (meridian) की सीध में मापी गई दूरी के ¹⁄₁₀₇ वें हिस्सें के बराबर माना गया था।
लेकिन आजकल जो मानक माना गया है वह पैरिस के निकट सेव्र (Severes) में रखे प्लैटिनम-इरीडियम मिश्रधातु के एक डंडे के सिरों पर बने दो चिह्नों के बीच की दूरी है, जब डंडा शून्य डिग्री सेंटीग्रेड पर होता है। इसे मानक मीटर कहा जाता है।
लंबाई की मीटरी मापें
10 मिलीमीटर | 1 सेंटीमीटर (सेंमी॰) |
10 सेंटीमीटर | 1 डेसिमीटर (डेसिमी॰) |
10 डेसिमीटर | 1 मीटर (मी॰) |
10 मीटर | 1 डेकामीटर (डेकामी॰) |
10 डेकामीटर | 1 हेक्टोमीटर (हेमी॰) |
10 हेक्टोमीटर | 1 किलोमीटर (किमी॰) |
लंबाई की ब्रिटिश मापें
12 लाइन | 1 इंच |
12 इंच | 1 फुट |
3 फुट | 1 गज |
220 गज | 1 फर्लांग |
8 फर्लांग | 1,760 गज = 1 मील |
6 फुट | 1 फैदम |
5 1/2 गज | 1 पोल |
4 पोल | 1 चेन |
10 चेन | 1 फर्लांग |
3 मील | 1 लीग |
1.15 मील | 1 समुद्री या भौगोलिक मील |
इस सारणी से विदित होता है कि 1 मिलीमीटर = 0.1 सेंटीमीटर = 0.01 डेसिमीटर = 0.001 मीटर।
अतएव मीटरी प्रणाली में इकाइयों को केवल दशमलव के स्थानांतरण करने से ही बदला जा सकता है, जो अत्यंत सुविधाजनक है। इस प्रकार यह स्पष्ट है मीटरी प्रणाली अत्यंत सुविधाजनक पद्धति है।
खगोल विज्ञान (astronomy) में दूरी मापने के उपयोग में आनेवाली इकाई को प्रकाश वर्ष की संज्ञा दी गई है। प्रकाश एक वर्ष में जितनी दूरी तय करता है उसी को खगोल विज्ञान में सुविधा के हेतु दूरी की इकाई माना गया है।
अत: 1 प्रकाशवर्ष = 9.45 x 1015 मीटर
ब्रिटिश प्रणाली, अर्थात् फुट पाउंड सेकंड पद्धति में, लंबाई की मानक इकाई ब्रिटिश राजकीय गज है। यह लंदन के राजकोष कार्यालय में रखे 62 डिग्री फारेनहाईट ताप पर काँस्य के डंडे पर स्थित स्वर्ण-डाटों पर बनी हुई रेखाओं के बीच की दूरी है।
लंबाई की सब मापों की तुलना से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि सब पद्धतियों में मीटरी प्रणाली सबसे अधिक सुविधाजनक तथा वैज्ञानिक है।
भारत सरकार ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए, सारे देश में मीटरी प्रणाली के उपयोग के लिये कानून बना दिया है। दोनो पद्धतियों में लंबाई की इकाइयों में ये संबंध हैं।
1 इंच | 2.54 सेंटीमीटर |
1 मीटर | 39.37 इंच |
1 किलोमीटर | 0.621 मील |
द्रव्यमान की इकाइयाँ
मीटरी पद्धति में द्रव्यमान की इकाई को ग्राम (किलोग्राम का हजारवाँ भाग) कहते हैं और एक ग्राम का भार 4 डिग्री से 0 ताप के शुद्ध पानी के एक घन सेंटीमीटर (c.c.) के भार के बराबर होता है।
द्रव्यमान की मीटरी मापें
10 मिलीग्राम | 1 सेंटीग्राम |
10 सेंटीग्राम | 1 डेसिग्राम |
10 डेसिग्राम | 1 ग्राम |
10 ग्राम | 1 डेकाग्राम |
10 डेकाग्राम | 1 हेक्टोग्राम |
10 हेक्टोग्राम | 1 किलोग्राम |
10 किलोग्राम | 1 मिरियाग्राम |
40 किलोग्राम | 1 मण |
1000 किलोग्राम | 1 टन |
ब्रिटिश प्रणाली में द्रव्यमान की इकाई को पाउंड कहते हैं। यह एक प्लैटिनम के बेलन का भार है, जो लंदन के राजकीय कार्यालय में रखा है।
द्रव्यमान की ब्रिटिश ऐवॉर्डु पॉयज (Avoirdupois) मापें
27.32 ग्रेन | 1 ड्राम |
16 ड्राम | 1 ड्राम |
= 437 ½ ग्रेन
16 आउंस = 1 पाउंड
= 7,000 ग्रेन
20 हंड्रेडवेट | 1 टन |
4 क्वार्टर या 28 पाउंड | 1 क्वार्टर |
112 पाउंड | 1 लॉंग टन |
20 लॉइग हंड्रेडवेट | 1 लाङग टन |
द्रव्यमान की इकाइयों का दोनों पद्धतियों में एक संबंध पाया गया है जो इस प्रकार है।
1 ग्रेन | 0.0648 ग्राम |
1 ग्राम | 15.432 ग्रेन |
1 किलोग्राम | 2.2 पाउंड |
1 पाउंड | 453.59243 ग्राम या 0.4536 किलोग्राम |
मापन के क्षेत्र
- बुद्धि परीक्षण
- उपलब्धि परीक्षण
- अभिक्षमता परीक्षण
- रुचि परीक्षण
- व्यक्तित्व परीक्षा
मापन के स्तर कितने प्रकार के होते हैं
मापन की प्रविधि और शुद्धता के आधार पर इसे निम्न स्तरों में विभाजित किया गया है।
- शाब्दिक या नामित मापन स्तर
- क्रमित मापन स्तर
- आन्तरिक मापन स्तर
- आनुपातिक मापन स्तर
मापन के प्रकार
मापन के निम्नलिखित तीन प्रकार होते हैं।
- निरपेक्ष मापन (Absolute measurement)
- सामान्यीकृत मापन (Normative measurement)
- इप्सेप्टिव मापन (Ipsative measurement)
मापन का महत्व
1. जिसे मापा नहीं जा सकता उसे संख्याओं में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
2. बिना संख्यात्मक मान के विज्ञान या प्रौद्योगिकी नहीं हो सकती।
3. यदि किसी भौतिक राशि का नियन्त्रण करना है तो उसे मापे बिना सम्भव नहीं है।
4. बिना शुद्धता पूर्वक मापे, किसी राशि का शुद्धता पूर्वक नियन्त्रण भी नहीं हो सकता।
5. विभिन्न प्रक्रमों का उपयोग करके चीजों का उत्पादन किया जाता है।
6. इन प्रक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि उस प्रक्रिया में निहित भौतिक राशियों को कितनी शुद्धता से नियंत्रित किया गया था।
7. प्रकृति के रहस्यों को जानने के लिये भी मापन जरूरी है।
8. मापन करने से ही पता चलता है कि विभिन्न राशियों में क्या सम्बन्ध है।
9. इसी से नये नियम और सिद्धान्त दिये जाते हैं।
10. पदार्थों की उपयोगिता उनके गुण धर्मों पर आधारित है।
11. इसके लिये विभिन्न पदार्थों के गुण धर्म का विस्तार से ज्ञान होना जरूरी है।
12. इसके लिये मापन जरूरी है।
13. मापन का उपयोग इंजीनियरी, भौतिकी एवं अन्य विज्ञानों के अलावा मनोविज्ञान, स्वास्थ्य आदि में भी होने लगा है।
मापन की विशेषताएँ
- मापन एक संकुचित प्रक्रिया है।
- मापन के द्वारा एक निश्चित अंक की प्राप्ति की जा सकती है।
- मापन के माध्यम से किसी भी व्यक्ति की लंबाई, चौड़ाई, भार आदि का एक सांख्यिकी गणना की सहायता से/थर्मामीटर/स्केल की सहायता से मापन किया जा सकता है।
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