इस आर्टिकल में आप गणित विषय के महत्वपूर्ण अध्याय पूर्ण संख्या की जानकारी को पढ़कर समझेंगे।
पिछले आर्टिकल में हम पूर्णांक संख्याओ की जानकारी शेयर कर चुके है उसे जरूर पढ़े।
चलिए इस पेज पर पूर्ण संख्याओं की परिभाषा, गुणधर्म और उदाहरण की जानकारी पढ़ते हैं।
पूर्ण संख्या क्या है
0 से अनन्त तक की सभी धनात्मक प्राकृतिक संख्याओं को पूर्ण संख्याएँ कहते हैं।
उदाहरण :- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 ……………………….∞
पूर्ण संख्याओं को अंग्रेजी में “Whole Numbers” कहाँ जाता हैं।
Note:-
- सभी प्राकृतिक संख्या पूर्ण संख्या होती हैं। लेकिन सभी पूर्ण संख्याएँ प्राकृतिक संख्याएँ नहीं होती।
- प्राकृतिक संख्याएँ शून्य के साथ मिलकर पूर्ण संख्याओं का संग्रह बनाती हैं।
- संख्या रेखा पर दाई ओर चलने पर संगत योग प्राप्त होता है जबकि बाई ओर चलने पर संगत व्यवकलन प्राप्त होता है।
पूर्ण संख्या के गुणधर्म
पूर्ण संख्या के गुणधर्म निम्नानुसार है।
1. पूर्ण संख्या का संवृत गुण
- पूर्ण संख्याएँ योग तथा गुणन के अंतगर्त संवृत होती है।
- किन्ही दो पूर्ण संख्याओं को जोड़ने या गुणा करने पर एक पूर्ण संख्याएँ प्राप्त होती हैं।
उदाहरण :-
4 + 5 = 9 , 6 x 9 = 54
अतः 9, 54 एक पूर्ण संख्या है।
2. योग का क्रमविनिमेय नियम
- पूर्ण संख्याएँ योग में क्रमविनिमेय नियम का पालन करती है।
- किन्ही 2 या 2 से अधिक पूर्ण संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ने पर एकसमान उत्तर प्राप्त होता है।
उदाहरण :-
- 1+2+3+4 = 10
- 2+4+1+3 = 10
3. गुणन का क्रमविनिमेय नियम
- पूर्ण संख्याएँ गुणन में क्रमविनिमेय नियम का पालन करती है।
- किन्ही 2 या 2 से अधिक पूर्ण संख्याओं को किसी भी क्रम में गुना करने पर एकसमान उत्तर ही प्राप्त होता है।
उदाहरण :-
- 5 × 6 = 30
- 6 × 5 = 30
4. योग का साहचर्य नियम
सभी पूर्ण संख्याएँ योग में साहचर्य नियम का पालन करती है।
5. गुणन का साहचर्य नियम
सभी पूर्ण संख्याएँ गुणन साहचर्य नियम का पालन करती है।
6. पूर्ण संख्याओं के लिए योग पर गुणन का वितरण होता है।
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