महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment in Hindi

21वीं शदी में महिला सशक्तिकरण एक खास चर्चा का विषय है लोग महिला सशक्तिकरण के बारे में बड़ी-बड़ी बाते करते हैं मगर जब खुद के परिवार से जुड़ी किसी महिला के लिए फैसले लेने की बात आती है तो वह कतराते दिखाई देते हैं। ऐसा होने का मुख्य कारण उन्हें महिला सशक्तिकरण की कम समझ और सशक्तिकरण का अर्धज्ञान है।

प्रस्तावना

इस लेख में हम आपको महिला सशक्तिकरण पर निबंध के माध्यम से समाज में महिलाओं की स्थिति, उनके अधिकारों से अवगत कराने का प्रयास कर रहे हैं।

आशा करता हूँ महिला सशक्तिकरण जैसे विषय में आपके ज्ञान को और व्यापक रूप देगा। 

सशक्तिकरण क्या है

सशक्तिकरण से तात्पर्य है किसी व्यक्ति विशेष को इतना काबिल व योग्य बनाया जाये की वह अपने जीवन से जुड़े फैसले स्वयं ही ले सके। उसके द्वारा लिए गए फैसले में उस व्यक्ति को सपोर्ट किया जाये। 

महिला सशक्तिकरण का अर्थ

आदि काल से ही महिलाओं को हमारे समाज में देवी का रूप माना जाता रहा है और शायद इसीलिए हमारे ग्रंथों में भी लिखा गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:” अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है।

हमारे समाज में, स्त्री से ही मानव जाती का अस्तित्व माना गया है। महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत इसी स्त्री को,सृजन की शक्ति और देवी को आर्थिक, सामाजिक, न्यायिक, विचार, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता देना , समानता और योग्यता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है। 

सामान्य तौर पर महिला सशक्तिकरण का अर्थ यह होता है की महिला को सामाजिक और आर्थिक रूप से इस योग्य और निर्भर बनाना ताकि वे अपने फैसले स्वयं ले सकें ,उन्हें रोजगार, शिक्षा में बराबरी के मौके मिल सके। राजनैतिक न्याय, विचार, सम्मान ,विश्वास और अवसरो में समानता मिलना ही महिला सशक्तिकरण है।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

महिलाओं के बारे में ग्रंथों में देवी का दर्जा देने के बावजूद भी हमारे समाज में एक महिला को अपने फैसले खुद लेने के लिए भी लड़ना पड़ता है। महिला सशतीकरण की आवश्यकता आज कल इसलिए बढ़ गई है क्युकी महिलाओं का अधिकार और उनका सम्मान कही खो सा गया है।

जहाँ प्राचीन काल जहाँ महिलाओं को ज्यादा सम्मान दिया जाता था उसकी अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान में कमी आई है। जो सम्मान और अधिकार एक महिला को प्राचीन काल में दिया जाता था वह घट कर शून्य हो गया है।

महिलाओं को उनके अधिकारी से वंचित रखा जाता है और यदि कोई महिला अपने हक के लिए बोलती है तो वह आज के समाज के लिए चरित्रहीन मानी जाती है या फिर उनके परिवार और उनकी परवरिश पर ही ऊँगली उठा दी जाती है।

निम्नलिखित बिंदुओं से हम समझ सकते हैं की महिला सशक्तिकरण की आवयश्कता क्यों है।

  • शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं को पुरषों से बोहोत पीछे रखा जाता है , भारत में पुरषों की शिक्षा दर 81.3 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं की शिक्षा दर मात्र 60.6 प्रतिशत ही है।
  • सरकार के महिला सशक्तिकरण के इतने योजनाओं के चलने के बावजूद भी आज भी ऐसी बहुत सी महिलाएं है जिनसे घरों में ही घर के कामों के लिए ही सिर्फ रखा है , मानो महिला कोई वस्तु हो ।
  • प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और भारत एक पुरुषप्रधान समाज रहा है । महिलाओं के अधिकारों का हनन हुआ ,उनके अपने परिवार और समाज द्वारा उनपर हिंसा हुई और भेदभाव भी किया जाता रहा है
  • आज भी सेहरी इलाकों में जहाँ महिलाएं ज्यादा आत्मनिर्भर हैं, अपनी पसंद की नौकरियां कर रहीं हैं वही ग्रामीण इलाकों में 90 प्रतिशत महिलाएं आज भी कृषि पर आधारित हैं। 
  • भारतीय समाज में महिलाओं  के साथ होने वाले अपराध और घरेलु हिंसा महिला सशक्तिकरण की जरूरत को और बढ़ाता है। 
  • भारत जैसे विकाशील देश जिसमें जनसंख्या की 50 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है ,उस देश में महिला सशक्तिकरण की आवयश्कता और भी बढ़ जाती है। 

महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने  के लिए कई योजनाएं को भी चलाया गया है। इनमें से कई सारी योजनाएँ रोजगार, कृषि और स्वास्थ्य जैसी चीजों से सम्बंधित होती हैं।

इन योजनाओं का गठन भारतीय महिलाओं के परिस्थिति को देखते हुए किया गया है ताकि समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सके। इनमें से कुछ मुख्य योजनाएँ निम्न है।

  1. मनरेगा
  2. सर्व शिक्षा अभियान, 
  3. जननी सुरक्षा योजना (मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए चलायी जाने वाली योजना) 

इसके अलावा भी बहुत सारे योजनाएं महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा चलाई गई है जैसे:–

  1. बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना 
  2. महिला हेल्पलाइन योजना 
  3. महिला शक्ति केंद्र 
  4. उज्जवला योजना
  5. सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप) 
  6. पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 

इसके आलावा महिलाओं कानूनी रूप से मदद करने और महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन देने के लिए संसद ने भी कुछ अधिनियम भी जारी किए है।

जैसे :-

  1. अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956
  2. दहेज रोक अधिनियम 1961
  3. एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976
  4. मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987
  5. लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994
  6. बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006
  7. कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013

महिलाओं के सशक्तिकरण में पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है।

उपसंहार

भारत एक विकाशील देश है और आज के समय में जिस प्रकार से भारत विश्व पटल पर अग्रसर होरहा है और अपनी आर्थिक तरक्की में सबसे तेजी से बढ़ता जा रहा है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

हमें महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है क्योंकि इसी के द्वारा ही देश में लैंगिग समानता और आर्थिक तरक्की को प्राप्त किया जा सकता है।

आशा  करता हूँ आप सभी को आज का हमारा लेख “महिला सशक्तिकरण पर निबंध” जरूर पसंद आया होगा और आपको समाज में महिलों की स्तिथि, महिलाओं के अधिकार और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के पीछे अपने विचार में परिवर्तन लाने का विचार जरूर आया होगा।

यदि आपको यह लेख अच्छा लगा है तो कृपया से शेयर जरूर करें ताकि और भी लोग “महिला सशक्तिकरण ” को समझ सकें जिससे एक अच्छे समाज की नीव और मजबूत बन सके।

यह आर्टिकल Jankari4U.in  के फाउंडर अमनेन्द्र सिंह के द्वारा लिखा गया है। आम आदमी के दैनिक जीवन से जुड़े विषय जैसे इन्वेस्टमेंट और फाइनेंस, हेल्थ टिप्स की बेहतरीन जानकारी आसान भाषा में पढ़ने के लिए उनके ब्लॉग Jankari4u.in पर एक बार जरूर विजिट करें।

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