भारत में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जोकि एक बहुत बड़ी समस्या है इसलिए समस्त प्रकार की परीक्षाओ में बेरोजगारी के बारे में कुछ न कुछ जरूर पूछा लिया जाता है।
यदि आप स्कूल या विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते है तो आपके लिए तो बेरोजगारी का निबंध जरूर आना चाहिए क्योकि यह अत्यधिक महत्वपूर्ण विषय है।
इसलिए इस पेज पर आप बेरोजगारी पर निबंध को पढ़ेंगे और बेरोज गारी से संबधित समस्त जानकारी को विस्तार से समझेंगे ताकि इससे संबंधित सभी प्रश्नो के जवाब और बेरजोगरी पर निबंध आप परीक्षाओ में आसानी से लिख पाए।
पिछली पोस्ट पर हम विज्ञान के चमत्कार का निबंध भी शेयर कर चुके है उसे भी जरूर पढ़े।
तो चलिए शुरू करते है बेरोजगारी पर निबंध की जानकारी को पढ़ना।
बेरोजगारी पर निबंध
प्रस्तावना
बेरोजगारी तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति काम करने योग्य हो और काम करने की इच्छा भी रखे किन्तु उसे काम का अवसर प्राप्त न हो तो वह बेरोजगार कहलाता हैं। आज हमारे देश मे लाखो नौजवान बेरोजगार है।
शिक्षा समापन के बाद वे दर-दर नौकरी के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। नौकरी सीमित हैं और नौकरी पाने वालो की संख्या असीमित हैं। भारत में बेरोजगारी की स्थिति भारत में बेरोजगारी और अल्प रोजगार की अधिकता एवं गंभीर सामाजिक समस्या है।
2011 की जनगणना के आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि युवा आबादी का 20 प्रतिशत जिसमें 4.7 करोड़ पुरूष और 2.6 करोड़ महिलाएं पूर्ण रूप से बेरोजगार हैं। यह युवा 25 से 29 वर्ष की आयु समूह से संबंधित हैं। यहि कारण है कि जब कोई सरकारी नौकरी निकलती है तो आवेदको की संख्या पद से कई गुना हजारों-लाखों मे होती हैं।
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बेरोजगारी कितने प्रकार की होती है?
बेरोजगारी मुख्यतः चार प्रकार की होती है जोकि निम्नानुसार है।
1. संरचनात्मक बेरोजगारी
जब देश पूंजी के साधन सीमित होते है और रोजगार की इच्छा रखने वाले लोगो की संख्या अधिक होती जाती है तो कुछ लोग रोजगार के बिना ही रह जाते है इसे संरचनात्मक बेरोजगारी कहा जाता है।
2. घर्षणात्मक बेरोजगारी
इस प्रकार की बेरोजगारी श्रम की मांग एवं पूर्ति की शक्तियों मे परिवर्तन के कारण होती है।
“अकुलाती है प्यास धरा की घिरती जब दारिद्रय दुपहरीछलनी हो जाता नभ का उर, छाती जब अँधियारी गहरी।”
3. शिक्षित बेरोजगारी
शिक्षित बेरोज गारी उसे कहते है जब किसी के पास काम करने की योग्यता की शिक्षा होने के बाद भी रोजगार न मिले। मतलव शिक्षित लोगो को उनकी योग्यता के अनुरूप कोई काम न मिले।
4. मौसमी बेरोजगारी
भारतीय समाज में परंपरागत तरीके से कृषि करने वालो के लिए वर्ष मे 7 या 8 माह ही काम होता है इसी तरह कृषि उत्पादन से जुड़े उधोग के संचालन को हम देखे तो स्थित स्पष्ट हो जाती हैं जैसे-शक्कर मिल मे लगे श्रमिकों को गन्ना की उपलब्धता होने पर ही कार्य मिलता हैं।
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बेरोजगारी के मुख्य कारण
आज देश के अधिकांश नवयुवक शारीरिक श्रम से बचने का प्रयास करता हैं।
आज हर छात्र शिक्षा समाप्त कर नौकरी प्राप्त करना चाहता हैं।
नौकरी कम तथा नौकरी पाने के इच्छुक नौजवानों की संख्या अधिक है। इस दशा मे बेकारी का बढ़ना स्वाभाविक हैं।
2001 से 2011 के दौरान 15 से 24 वर्ष के युवाओं की आबादी मे दोगुनी से ज्यादा वृध्दि हुई है।
जनगणन 2011 के आँकड़ों के अनुसार देश की आबादी के 11 प्रतिशत यानी 12 करोड़ लोगो को रोजगार की तलाश है।
तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या भारत मे बेरोजगारी का प्रमुख कारण हैं वर्तमान शिक्षा प्रणाली भी दोषपूर्ण है।
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बेरोजगारी को दूर करने के उपाय
बेरोज गारी को दूर करने के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए है। बेरोजगारी की समस्या का निकारण होना परमावश्यक है।
इस सम्बन्ध मे देश के नौजवानों में श्रम करने की भावना जागृत होनी चाहिए शारीरिक श्रम के प्रति उनमे सर्वदा सच्चा भाव होना चाहिए।
बढ़ती हुई जनसंख्या पर तत्क्षण रोक लगाना जरूरी है शिक्षा रोजगारपरक हो, योजनाएं मंगलकारी तथा सुविचारित होनी चाहिए शिक्षा प्रणाली मे समय के अनुरूप परिवर्तन होना चाहिए।
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उपसंहार
बेरोज गारी को दूर करना देश का सबसे प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए।
जब तक देश की जनसंख्या पेट की ज्वाला से दग्ध होती रहेगी, तब तक देश की शक्ति का प्रयोग रचनात्मक कार्यों मे कदापि नही हो सकता।
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यह निबन्ध Kailash Education के Founder, Kailash Meena जी के द्वारा लिखी गयी है यदि आपको यह पसंद आयी है तो इनके ब्लॉग पर ऐसे अच्छी जानकारी जरूर पढ़े।
बेरोजगारी से संबंधित कोई भी प्रश्न है तो Comment में जरूर पूछे।
sir aap hindi me likhne ke baad english me likha kare plzz sir
Hello Nitesh Patel,
Hum Log English me bhi likhte hai.
Lekin English ke liye dusre Blogs hai.
Amazing Post ???
Thank you
Sahee
🙂