नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम शांत रस की जानकारी पढ़ने वाले हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।
पिछले पेज पर हमने अद्भुत रस की जानकारी शेयर की थी तो उस आर्टिकल को भी पढ़े। चलिए आज हम इस पेज पर शांत रस की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
भक्ति रस किसे कहते हैं
काव्य में जब ईश्वर की महिमा का उल्लेख हो या उसे सुन कर जब ईश्वरीय समर्पण की अनुभूति हो तो उस अनुभूति को भक्ति रस कहते हैं।
जब काव्य में किसी ईश्वरीय चमत्कार या कृपा वर्णन के कारण जब रोम-रोम में ईश्वर से जुड़ाव व ईश्वर को समर्पित करने की अनुभूति या आनंद उपजता है तो यही आनंद भक्ति रस है।
भक्ति रस का काव्य के सभी नौ रसों में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। वात्सल्य रस, वीर रस, श्रृंगार रस तथा रौद्र रस ही प्रमुख रस हैं तथा भयानक, वात्सल्य, शांत, करुण, भक्ति, हास्य रसों की उत्पत्ति इन्हीं प्रमुख चार रसों से हुई है।
भक्ति रस को ईश्वर प्रेम की अनुभूति के लिए जाना जाता है। भक्ति रस का स्थाई भाव है देव रति या भगवन विषयक रति। अर्थात काव्य सुनते या पढ़ते समय जब कहीं ईश्वरीय प्रेम भाव की अनुभूति होती है तो वहां भक्ति रस होता है।
‘भक्ति रस’ प्रधान काव्य की विषयवस्तु में देव महिमा, भगवान के प्रति समर्पण, देवताओं कि स्वरूप व वेश भूषा का वर्णन, भगवान के पराक्रम व उनकी शक्ति का वर्णन आदि सम्मिलित होता है।
भक्ति रस के अवयव
रस का नाम | भक्ति रस |
स्थायी भाव | देव रति या ईश्वर विषयक रति। |
आलम्बन (विभाव) | खुशबू ईश्वर, साधू-संत, पथ-प्रदर्शक, माता-पिता, गोरु आदि। |
उद्दीपन (विभाव) | अपूर्व ईश्वर का नाम, ईश्वर के स्वरुप का वर्णन, भजन, कीर्तन, ईश्वरीय, चमत्कार, ईश्वर की कृपा, ईश्वर की महिमा, ईश्वरीय साहित्य आदि। |
अनुभाव | आँखें बंद कर लेना, आँखें नाम हो जाना, प्रसन्नता होना, समर्पित होना, देह को ढीला छोड़ देना आदि। |
संचारी भाव | प्रसन्नता, निश्चिंतता, अलौकिकता से जुड़ाव आदि। |
भक्ति रस के उदाहरण
1. प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी गंध अंग-अंग समाही।
2. राम जपु, राम जपु, राम जपु, बावरे।
वाल्मिकी भए ब्रम्ह समाना।।
3. ना किछु किया न करि सक्या, ना करण जोग सरीर।
जो किछु किया सो हरि किया, ताथै भया कबीर कबीर।
4. राम-नाम छाड़ि जो भरोसो करै और रे।
तुलसी परोसो त्यागि माँगै कूर कौन रे।।
5. रामनाम गति, रामनाम गति, रामनाम गति अनुरागी।
ह्वै गए, हैं जे होहिंगे, तेई त्रिभुवन गनियत बड़भागी।।
6. मेरे तो गिरधर गोपाला, दूसरो ना कोई।
जाके सर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।।
7. जब-जब होइ धरम की हानी।
बाहिं असुर अधम अभिमानी।।
तब-तब प्रभु धरि मनुज सरीरा।
हरहिं कृपा निधि सज्जन पीरा।।
8. भक्ति रस की परिभाषा एवं उदाहरण
एक भरोसे एक बल, एक आस विश्वास,
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।
9. पायो जी मैंने, राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु,
किरपा करि अपनायो।
पायो जी मैंने, राम रतन धन पायो।
10. दुलहिनि गावहु मंगलचार
मोरे घर आए हो राजा राम भरतार ।।
तन रत करि मैं मन रत करिहौं पंच तत्व बाराती।
रामदेव मोरे पाहुन आए मैं जोवन मैमाती।।
11. जल में कुम्भ, कुम्भ में जल है, बाहर भीतर पानी
फूटा कुम्भ, जल जलही समाया, इहे तथ्य कथ्यो ज्ञायनी।
12. जमकरि मुँह तरहरि पर्यो, इहि धरहरि चित लाउ।
विषय तृषा परिहरि अजौं, नरहरि के गुन गाउ।।
13. यह घर है प्रेम का खाला का घर नाहीं
सीस उतारी भुई धरो फिर पैठो घर माहि।
14. उलट नाम जपत जग जाना
वल्मीक भए ब्रह्म समाना।
15. राम तुम्हारे इसी धाम में
नाम-रूप-गुण-लीला-लाभ।।
16. एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास।
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।
17. राम सौं बड़ो है कौन मोसो कौन छोटो?
राम सौं खरो है कौन मोसो कौन खोटो?
18. जाउँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे।
काको नाम पतित पावन जग, केहि अति दीन पियारे।
कौने देव बराइ बिरद हित हटि-हठि अधम उधारे।
देव, दनुज, मुनि, नाग, मनुज सब माया विवस बिचारे।
तिनके हाथ दास तुलसी प्रभु, कहा अपनपौ हारे।
FAQ
Ans. भक्ति रस के जन्मदाता कवि विद्यापति थे।
Ans. भक्ति रस का स्थायी भाव ईश्वर विषयक रति है।
Ans. भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी है।
Ans. भक्ति का दूसरा नाम है भरोसा
Ans. भक्तिन पाठ संस्मरण रेखाचित्र की लेखिका महादेवी वर्मा है।
Ans. ‘भक्ति’ शब्द संस्कृत के ‘भुज’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है ज्ञान ।
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