इस पेज पर आप सामान्य ज्ञान के अध्याय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की समस्त जानकारी विस्तार पूर्वक पढ़ेंगे जो सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
पिछले आर्टिकल में हमने सामान्य ज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय भारत की नदियों की समस्त जानकारी शेयर की हैं उसे जरूरी पढ़िए।
तो चलिए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जानकारी को पढ़कर समझते है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
1. 1857 का प्रथम स्वतंत्रता आन्दोलन
भारत में अंग्रेजी हुकुमत को अब राजनैतिक हस्तक्षेप करते हुये 100 वर्ष वितीत हो चुके थे। ऐसे में भारतीय उनके जुल्मों के काफी तंगा चुके थे।
इस बीच काफी छोटे आन्दोलन बीच-बीच होते रहे लेकिन जरुरत थी एक बडे़ आन्दोलन की जिससे अंग्रेजों को भारत से हटाने की पृष्ठ भूमि तैयार हो सके।
किसान, मजदूर, सैनिक अन्य सभी वर्ग अंग्रेजों के दुरव्यहार से परेशान होकर एक नई रणनीति बनाई गई जिसमें सभी ने अंग्रेजो के खिलाफ एक बड़ा आन्दोलन करने की पृष्ठभूमि उत्तर भारत में तैयार की गई। जिसमें इसका प्रतीक कमल, तथा रोटी को बनाया गया, व इस आन्दोलन का तय समय 31 मई केे बाद शुरु करने के लिये रखा गया।
इस प्रकार की रणनीति इसलिए बनाई गयी क्योंकि भारतीय जानते थे कि इन दिनों अंग्रेज अपनी जगह बदलकर जम्मू एंव श्रीनगर में जा बसते थे। ऐसे में उनकी शक्ति कमजोर पड़ जाती क्योंकि यह मौसम उनके प्रतिकूल था।
योजना से पहले ही शुरु हो गया आन्दोलन
इस आन्दोलन के पहले एक स्थानीय आन्दोलन 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी ( मेरठ ) से शुरु हुई।
इसकी मुख्य वजह चर्बी वाले कारतूस के मुद्दे पर मंगल पाण्डे ने बैरकपुर में विन्द्रोह आरम्भ किया।
10 मई , 1857 को मेरठ से दिल्ली पँहुची आन्दोलनकारीयों की पैदल टुकड़ी ने इस क्रान्ति की शुरुआत की।
1857 की क्रान्ति के केन्द्र व नेता
केन्द्र | भारतीय लीडर | विद्रोह की तिथि | विद्रोह दबाने वाला | व्रिदोह दबाने की तिथि |
---|---|---|---|---|
दल्ली | बख्त खाँ (सैन्य नेतृत्व) | 11, 12 मई 1857 | निकल्सन एवं हड़सन | 21 सितम्बर 1857ई0 |
कानपुर | नाना साहब, तात्याँ टोपे | 5 जून 1857 ई0 | कैम्पबेल | 6 सितम्बर 1857 ई0 |
लखनऊ | बेगम हजरत महल | 4 जून 1857 ई0 | कैम्पबेल | मार्च 1858 ई0 |
झाँसी | रानी लक्ष्मीबाई | जून, 1857 ई0 | ह्यूरोज | 3 अप्रैल 1858 ई0 |
इलाहाबाद | लियाकत अली | 1857 | कर्नल नील | 1858 ई0 |
जगदीशपुर | कुँवर सिंह | अगस्त 1857 ई0 | विलियम टेलर, आयर | 1858 ई0 |
फैजाबाद | मौलवी अहमदुल्ला | 1857 | – | 1858 ई0 |
फतेहपुर | अजीमुल्ला | 1857 | जनरल रेनर्ड | 1858 ई0 |
बरेली | खान बहादुर खाँ | 1857 | 1858 ई0 |
2. 1858 का भारत सरकार अधिनियम
- इस बिल के अनुसार भारत का प्रशासन कंपनी से छीन कर सीधा ब्रिटिश क्राउन को सौंप दिया गया।
- अब भारत का गर्वनर जनरल अब भारत का वायसराय कहा जाने लगा।
- सभी अधिकार भारत सचिव को सौंप दिये गये।
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन – 1885ई0
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एक रिटायर्ड अंग्रेज अधिकारी ए0ओ0 ह्यूम ने 1885 में की उस समय भारत का वायसराय लार्ड डफरिन था।
- भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस की पहली बैठक का आयोजन बम्बई आधुनिक मुम्बई में किया गया। इस अधिवेशन में काग्रेंस के प्रथम अध्यक्ष कें रुप में व्योमेश चन्द्र बनर्जी को चुना गय़ा।
4. बंगाल विभाजन – 1905ई0
- भारत के हिन्दू – मूस्लिम एकता तथा भारत के सबसे बड़े राज्य बंगाल उस समय बंगाल प्रान्त में आधुनिक बिहार, उड़ीसा, असम, बांग्लादेश आदि शामिल थे यह भारत का सबसे बड़ा प्रान्त था। भारत की एक- तिहाई आबादी बंगाल में समाहित थी।
- जिसको लार्ड कर्जन ने राष्ट्रीय एकता को विघटित करने के लिये बंगाल विभाजन का फैसला लिया। तथा 20 जुलाई 1905ई0 को बंगाल विभाजन की घोषणा भी करदी गई। जो 16 अगस्त 1905 से प्रभावी हुई।
- इस अवसर पर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाल को सर्मपित एक गाना लिखा जिसके बोल थे आमार सोनार बांग्ला…… जो आज बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान है।
5. मुस्लिम लीग की स्थापना – 1906ई0
- मुस्लिम लीग की स्थापना नवाब सलीमुल्ला के नेतृत्व में 30 दिसम्बर 1906ई0 को ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना हूई।
- मुस्लिम लीग के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता मुश्ताक हुसैन ने की।
- मुसलमानों क पृथक निर्वाचन मण्डल की माँग मुस्लिम लीग द्वारा की गई।
6. दिल्ली दरबार – 1911ई0
सन् 1911ई0 में एक भव्य दरबार को आयोजन किया गया जिसमें इंगलैण्ड के तत्कालीन सम्राट जार्ज पंचम व उनकी पत्नी मैरी ने शिरकत की।
इस आयोजन प्रमुख कारण बंगाल विभाजन से रुष्ट लोगों मनाने के लिये बंगाल विभाजन को रद्द करने का फैसला लिया गया तथा बंगाल को पूर्वत स्थिति में लाने का एलान किया गया।
साथ ही भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरित करने की घोषणा की गई क्योंकि अंग्रेजो का यह मानना था। कि भारत पर शासन करने के लिये राजधानी केन्द्र में होना जरुरी है।
7. होमरुल आन्दोलन – 1916 ई0
बाल गंगाधर ने होमरुल आन्दोलन का गठन सन् 1916ई0 में गठन किया।
एनी बेसेन्ट नें सितम्बर 1916 में होमरुल की स्थापना अड्यार में की।
इसके प्रथम सचिव जाँर्ज अरुण्डेल थे।
8. चम्पारण विद्रोह – 1917 ई0
बिहार में स्थित चम्पारण स्थान में अंग्रेजो द्वारा जबरन किसानों से नील की खेती तिनकठिया पद्रति से कराई जाती थी।
किसानों पर किये जा रहे अत्याचार पर महात्मा गाँधीजी ने आवाज उठाई तथा यही से महात्मा गाँधी का प्रवेश भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में प्रांरभ हुआ था।
9. अहमदाबाद व खेड़ा सत्याग्रह –1918 ई0
अहमदाबाद (गुजरात) में मील मजदूर जो हड़ताल पर थे उनके लिये महात्मा गाँधीजी ने अनशन कर वहाँ अपना प्रतिनिधित्व दिखाया और साथ ही खेड़ा सत्याग्रह में भी ऐसा हुआ।
10. राँलेट एक्ट – 1919 ई0
सन् 1919ई0 में अंग्रेजो ने भारत की क्रान्तकारी घटनाओं पर ब्रेक लगाने के लिये एक नया कानून रोलेट एक्ट पारित किया गया।
जिसे काला कानून भी करार दिया गया इस कानून में किसी भी व्यक्ति को संग्दिध बताकर बिना सबूत, बिना वकील, बिना चशमदीद 24 घंटे के लिये जेल बन्द किया जा सकता था।
11. जलियाँवाला बाग हत्याकांड – 1919 ई0
13 अप्रैल 1919ई0 को एक सत्याग्रह का आयोजन अमृतसर में स्थित जलियाँवाला बाग में सैफुद्दीन किचलू व डाँ0 सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में किया गया जिसमें सभी रोलेक्ट एक्ट की घोर निन्दा कर रहे थे तथा तभी जनरल डायर ने सीधे भीड़ पर गोलीयाँ चलाने के आदेश दे दिये।
तथा ऐसे में लोग उस में स्थित एक बड़े कुये में जान बचाने के लिए कुद गये इसमें करीब 800 लोग मारे गये जो कि बहुत बड़ी छति थी। जिसके बाद रविन्द्रनाथ टैगोर ने नाइट हुड तथा महात्मा गाँधी जी ने केसर-ए-हिन्द की उपाधि त्याग दी।
12. खिलाफत आन्दोलन – 1920 ई0
- नवम्बर 1919ई0 में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया।
- इस आन्दोलन का नेतृत्व मुहम्मद अली और शौकत अली द्वारा किया गया।
- इस आन्दोलन की मुख्य वजह अंग्रेजो द्वारा तुर्की के खलीफा का पद समाप्त करने के लिये वहाँ अपना प्रभुत्व बढा रहे थे। जिससे मुस्लिमान इनके खिलाफ हो गये तथा उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ खिलाफत आन्दोलन चलाने की रास्ता प्रदस्त किया।
- 31 अगस्त 1920ई0 को खिलाफत दिवस मनाया गया।
- महात्मा गाँधी ने इस आन्दोलन का सर्मथन किया।
13. असहयोग आन्दोलन – 1920 ई0
- इस आन्दोलन का उदेश्य यह था। कि अंग्रेजी हुकुमत का किसी प्रकार सहयोग न किया जाये यानि में हम बिना हिंसा किये अंग्रेजी हुकुमत पर दबाव बनाने के लिये यह आन्दोलन चलाया गया ।
- इस आन्दोलन में शिक्षण संस्थाओं तथा न्यायालयों का बहिष्कार किया गया।
- अगस्त 1920ई0 में गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की।
- यह आन्दोलन काफी अच्छा चल रहा था। तभी गोरखपुर स्थित चौरी –चौरा पुलिस चौकी पर 5 फरवरी 1922ई0 को प्रदर्शनकारीयों की भीड़ ने 22 पुलिस जवानों को थाने में अन्दर जिन्दा जला दिया।
- इस घटना से आहत होकर महात्मा गाँधीजी ने 12 फरवरी 1922ई0 को इस आन्दोलन को वापस ले लिया।
14. साइमन कमीशन – 1927 ई0
- ब्रिटिश सरकार ने सर जाँन साइमन के नेतृत्व में 7 सदस्यों वाले आयोग की स्थापना की जिसमें सभी 7 अंग्रेज थे। तथा किसी भी भारतीय को इसमें शामिल नहीं किया गया। 3 फरवरी 1928 को यह कमीशन बम्बई आया।
- इस आयोग का कार्य इस बात की सिफारिश करना था कि भारत के संवैधानिक विकास का स्वरुप कैसा हो
- इस का विरोध इस आयोग में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं करने की वजह से काफी बड़े स्तर पर हुआ। आयोग के विरोध के दौरान लाहौर में लाला लाजपत राय की मृत्यु सर पर साड़र्स द्वारा लाठी मारने से हो गई।
15. नेहरु रिपोर्ट – 1928 ई0
- 11 मई 1928ई0 को पण्डित मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में भारतीय संविधान के प्रारुप को तैयार करने के लिये 8 सदस्यीय समिति गठित की गई।
- इस समिति नें अगस्त 1928ई0 में सविधान का प्रारुप तैयार किया ।
- इस प्रारुप को नेहरु रिपोर्ट कहते हैं।
16. पूर्ण स्वराज की घोषणा (लाहौर अधिवेशन) – 1929 ई0
दिसम्बर 1929ई0 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में हुआ। इस अधिवेशन की अध्यता पं0 जवाहर लाल नेहरु ने की इस अधिवेशन के दौरान 31 दिसम्बर 1929 की रात को रावी नदी के तट पर सभी ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई। तथा इस दिन को हर वर्ष 26 जनवरी को मनाने का फैसला किया गया।
17. सविनय अवज्ञा आन्दोलन -1930 ई0
- महात्मा गांधी ने इरविन के समक्ष 13 जनवरी, 1930 को 11 सूत्रीय प्रस्ताव रखा।
- जब महात्मा गाँधी के इन विचारों पर कोई विचार नहीं किया गया। तब उन्होने सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया।
- इस आन्दोलन में 12 मार्च 1930ई0 को गाँधीजी ने 79 स्वंयसेवकों के साथ साबरमती आश्रम से 322 कि0मी0 दाण्डी तक मार्च किया गया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने गाँधीजी की इस यात्रा की तुलना नेपोलियन के एल्बा से पेरिस यात्रा से की।
18. प्रथम गोलमेज सम्मेलन – 1930 से 31 ई0
- यह सम्मेलन 12 नवम्बर, 1930 से 13 जनवरी 1931 तक लन्दन में आयोजित किया गया।
- यह सम्मेलन क्रांगेस के वहिष्कार के कारण समाप्त हो गया।
19. दितीय गोलमेज सम्मेलन – 1931 ई0
- यह सम्मेलन 7 सितम्बर, 1931ई0 से 1 दिसम्बर, 1931 तक लन्दन में हुआ, जिसमें कांग्रेस ने भाग लिया।
- यह सम्मेलन साम्प्रदायिक समस्या पर विचार के कारण असफल रहा। लन्दन से वापस आकर गाँधी ने फिर से सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रांरम्भ कर दिया।
20. तृतीय गोलमेज सम्मेलन – 1932 ई0
- इसका आयोजन नवम्बर 1932ई0 से आरम्भ हुआ इसमें कांग्रेस ने भाग नहीं लिया।
- तीनों गोलमेज सम्मेलनों के दौरान इंग्लैण्ड का प्रंधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड था।
21. अगस्त प्रस्ताव – 1940 ई0
- अगस्त प्रस्ताव में भारत के लिये डोमिनियन स्टेट्स को मुख्य लक्ष्य माना गया। युध्द के पश्चात् संविधान सभा के गठन का लक्ष्य रखा गया।
- क्रांगेस द्वारा इस प्रस्ताव को अस्वीकरा कर दिया गया।
22. क्रिप्स मिशन – 1942 ई0
- डोमिनियन स्टेट्स के साथ भारतीय संघ की स्थापना क्रिप्स मिशन में प्रस्तावित थी।
- युध्द के पश्चात् प्रान्तीय विधानसभाओं द्वारा संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव करने की बात की गई।
23. भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 ई0
- 8 अगस्त 1942ई0 को बम्बई में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की एक बैठक में भारत छोड़ो आन्दोलन प्रस्ताव रखा गया तथा इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया।
- इसमें गाँधी ने इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिये करो या मरो का नारा दिया ।
- 9 अगस्त को इसका प्रभाव दिखना प्रारम्भ हो गया। तथा सभी प्रमुख कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी हुई।
- मुस्लिम लीग ने भारत छोड़ो आन्दोलन का विरोध किया। तथा 23 मार्च 1943 को पाकिस्तान दिवस मनाया गया।
24. राजगोपालाचारी फाँर्मूला – 1944 ई0
इस फाँर्मूला के अनुसार – मुस्लीम लीग को भारतीय स्वतन्त्रतां आन्दोलन का समर्थन करने को कहा गया। देश के विभाजन की स्थिति में रक्षा, वाणिज्य, एवं दूरसंचार का संचालन एक ही केन्द्र से किया जाये।
25. वेवेल योजना (शिमला सम्मेलन 1945 ई0)
- इस योजना में एक प्रकार से भारतीयों को मनाने का प्रयास किया गया। तथा यह कहा गया कि गर्वनर- जनरल एंव कमाण्डर-इन-चीफ को छोड़कर गर्वनर- जनरल की कार्यकारिणी के सभी सदस्य भारतीय होगें।
- परिषद् में हिन्दु एवं मुसलमानों की संख्या बराबर रखें जाने की बात की गई।
- मुस्लिम लीग ने शर्त रखी कि परिषद् के सभी मुस्लिमों सदस्यों का मनोनयन यह खुद करेंगी।
26. कैबिनेट मिशन – 1946 ई0
- प्रान्तीय विधानसभाओं में संविधान सभा के सदस्यों का चयन। रक्षा, विदेश मामले एवं सचार के लिए एक सामान्य केन्द्र की व्यवस्था।
- देशी रियासते, उत्तराधिकारी सरकार या ब्रिटिश सरकार से समझौता करने हेतू स्वतन्त्र।
- जून, 1946 में लीग तथा कांग्रेस दोनो ने कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार्य कर लिया गया। मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त 1946ई0 को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाने की घोषणा की।
- फरवरी 1947ई0 में काग्रेंस के सदस्यों ने मुस्लिम लीग के सदस्यों को अन्तरिम सरकार से निष्कासित करने की माँग की, लीग ने संविधान सभा को भंग करने की माँग उठाई।
27. एटली घोषणा
इस घोषणा में 30 जून, 1948 तक सत्ता- हस्तान्तरण करने की बात की गई।
सत्ता हस्तान्तरण या तो एक सामान्य केन्द्र द्वारा या कुछ क्षेत्रों में प्रान्तीय सरकारों को गठित करने की घोषणा द्वारा हुई।
28. माउण्टबेटन योजना
22 मार्च 1947ई0 को भारत के अन्तिम ब्रिटिश वायसराय माउन्टबेटन भारत आये। जून 1947ई0 में माउण्टबेटन द्वरा एक योजना की घोषणा की गई।
माउण्टबेटन योजना के तहत भारतीय विधेयक ब्रिटिश संसद में 4 जुलाई 1947 को पास किया गया। जिसे 18 जुलाई 1947 को स्वीकृति मिल पाई इसके तहत भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वंतन्त्रत राष्ट्र घोषित कर दिया गया।
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