दुनिया में टेक्नोलॉजी बहुत बढ़ गयी है और निरंतर बढ़ती जा रही है और इसी टेक्नोलॉजी ने हमे ATM नाम की एक मशीन दी है जिसका उपयोग लगभग समस्त शहरो में पूरे विश्वास के साथ हो रहा है।
लेकिन फिर भी अभी भी इंडिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनको एटीएम के बारे में पूरी जानकारी पता नहीं हैं और वह एटीएम का यूज करना भी नहीं जानते और इसी वजह से एटीएम का उपयोग करने से डरते है।
कुछ लोग तो यह सोचते है कि एटीएम सुरक्षित नहीं है इसलिए इस आर्टिकल में हमने ATM से संबंधित लगभग समस्त जानकरी दी हुई है जिसको पढ़कर एटीएम से संबंधित सभी बातो को समझ जाएंगे।
ATM क्या हैं
जब मैं छोटा था तो सोचता था की ATM का मतलब ANY TIME MONEY है जिसका मतलब होता है कभी भी पैसा!
लेकिन जब मैं बड़ा हुआ तो पता चला कि मैं गलत था क्योकि ATM का Full form Automatic Teller Machine है।
Automatic टेलर मशीन को हिंदी में हम स्वचलित गणक मशीन कहते है जिसका मतलब यह होता है कि यह मशीन अपने अनुसार गणना करती है।
मतलब हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार यह मशीन स्वतः गणना करने में सक्षम है।
ATM मशीन में दो तरह की Device लगी होती है।
इनपुट डिवाइस : जो एटीएम मशीन को निर्देश देने में मदद करती है।
आउटपुट डिवाइस : जो मशीन के द्वारा किये गए कार्य हो दिखने में मदद करती है।
अब बात आती है कि कौन सी इनपुट डिवाइस होती है और कौनसी आउटपुट डिवाइस होती है।
एटीएम में निम्न इनपुट डिवाइस लगी होती है।
- Card Reader
- Keypad
- Touch Screen
इन डिवाइस का काम मशीन को निर्देश देने के लिए किया जाता है जिसमे कार्ड रीडर का काम ग्राहक के कार्ड को पढ़कर उसके कहते की जानकारी को पहचानना होता है कीपैड और Touch Screen का काम लोगो के द्वारा दिए गए निर्देशों को मशीन तक पहुंचना होता है।
एटीएम में निम्न आउटपुट डिवाइस होती है।
मशीन में Cash Depositor का काम पैसे को मशीन में रखने के लिए होता है।
Monitor का कार्य उपयोगकर्ता को निर्देश दिखने और परिणाम प्रदर्शित करने के लिए होता है।
Printer का कार्य उपयोगकर्ता के द्वारा किये गए कार्य का परिणाम लिखित रूप में प्रिंट करके प्रदान करना है।
Speaker का कार्य मशीन द्वारा किये जा रहे कार्यो को उपयोगकर्ता तक आवाज के माध्यम से पहुंचना है।
जैसे की हम सभी जानते है की ATM मशीन का उपयोग करने के लिए ATM कार्ड की जरूरत होती है।
ATM का इतिहास
एटीएम का आविष्कार सन 1960 में जॉन शेफर्ड बरोंन (John Shepherd Barron) ने किया था।
ATM को हिंदी में स्वचालित गणक मशीन कहा जाता हैं। ATM को Automatic Banking Machine Cash Point, Bankomat भी कहाँ जाता हैं।
27 जून, 1967 में लंदन के बार्कले बैंक ने आधुनिक ATM का प्रयोग किया था आधुनिक ATM से पहले 1960 के दशक में ATM को बैकोग्राम नाम से जाना जाता था।
लोग कहते हैं कि लंदन में इसका सबसे पहले इस्तेमाल हुआ था ATM के आविष्कार का श्रेय जॉन शेफर्ड बैरन को दिया जाता हैं।
श्रेय जॉन शेफर्ड बैरन का जन्म व्रिटिश कालीन भारत में 23 जून 1925 को मेघालय के शिलांग में हुआ था।
जॉन शेफर्ड बैरन की इच्छा थी कि एटीएम का पिन 6 Digit का रखा जाए लेकिन उनकी पत्नी ने उन से बोला कि 6 डिजिट ज्यादा हैं लोग 6 अंको का पिन याद नहीं रख पाएंगे। उन्होंने पत्नि की बात को ध्यान में रखते हुए एटीएम पिन 4 डिजिट का बनाया और आजकल चार डिजिट का एटीएम पिन चल रहा हैं।
सन 1987 में भारत में पहली बार एटीएम की सुविधाएँ शुरू हुई थी भारत में पहला एटीएम हाँग काँग एंड शंघाई बैंकिंग कार्पोरेशन (एचएसबीसी) ने मुंबई में लगाया था।
आज के युग में एटीएम का उपयोग हर एक इंसान कर रहा हैं। ATM की जरूरत पश्चिम देशों को तब पड़ी जब उन लोगों को या वित्तीय संस्थाओं को कैश देने वाले कर्मचारियों की वेतन बढ़ाने वाली परेशानियों का सामना करना पड़ा।
जब ATM का Idea इसके आविष्कारक के मन में आया तो उन्हें बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा था एटीएम का आविष्कार होने के बाद बैंक के बहुत से काम ATM के द्वारा सम्भव हो पाए।
ATM से Self Service के बहुत से काम खुद से किए जाते हैं इसके लिए बैंक कर्मचारी के ऊपर निर्भर नहीं होना पड़ता हैं।
एटीएम कार्ड की जानकारी
एटीएम कार्ड के प्लास्टिक का कार्ड है जिसमें मैगनेटिक चिप लगी होती है और कुछ विशेष नंबर लिखे होते है जिससे ग्राहक एक कार्ड की पहचान होने के साथ-साथ इन नंबर के द्वारा लेनदेन भी सम्भव होता है।
एटीएम कार्ड में आने 14 या 16 अंकों का नंबर होता है जिसे हम कार्ड नंबर भी बोलते है।
उसके नीचे एटीएम के मालिक का नाम और कार्ड की वैधता की जानकारी भी लिखी होती है।
कार्ड के पीछे के हिस्से में एक मैगनेटिक चिप लगी होती है जो मशीन को ग्राहक के खाते की जानकारी देती है और उसके नीचे एटीएम कार्ड का तीन अंको CVV कोड लिखा होता है।
जिसमे कुछ विशेष Coding होती है जिसको ग्राहक के कहते के साथ जोड़ दिया जाता है जिसके कारण एक एटीएम कार्ड से सिर्फ एक ही खाते के साथ लेनदेन किया जा सकता है एक खाते के दो एटीएम हो सकते है लेकिन दो खातों का एक एटीएम नहीं हो सकता है।
भारत में पहली बार 1987 में एटीएम बनाया गया था और इसे पहली बार एटीएम हॉगकॉग एन्ड शंघाई बैकिंग कॉर्पोरेशन ने मुंबई में चलाया था।
एटीएम कार्ड प्लास्टिक का बना होता हैं एटीएम कार्ड और एटीएम मशीन के माध्यम से हम दुनिया में कही भी अपने खाते से पैसे निकाल सकते है।
तो यदि अब आप कही भी जाते है तो आपको साथ में सिर्फ एटीएम कार्ड ले जाने की जरूरत होती है पैसे ले जाने की कोई जरूरत नहीं हैं क्योंकि हम अपने एटीएम के माध्यम से कही भी पैसे निकाल सकते हैं।
हम कोई सामान खरीदते हैं तो हम अपने एटीएम के माध्यम से पैसे दे सकते हैं। और भारत में अनेकों दुकानें अब एटीएम से पैसे स्वीकार करने लगी है।
एटीएम कार्ड की विशेषताएँ
- एटीएम कार्ड में काले रंग का Magnetic Strip लगा होता हैं।
- Magnetic Strip में कार्ड से संबंधित समस्त जानकारी होती हैं।
- मशीन में ATM Card डालने पर मशीन इसमें निहित सभी डेटा पढ़ लेती हैं और आगे की कार्यवाही पूरी करती हैं।
- ATM मशीन को इलेक्ट्रॉनिक डेटा मशीन कहाँ जाता हैं।
- ATM Card के अलावा चिप आधारित एटीएम भी मौजूद हैं।
- चिप वाले ATM Magnetic Strip वाले एटीएम कार्ड से अधिक सुरक्षित और महंगे होते हैं।
एटीएम के फायदे
जैसे की हम सभी जानते है ATM आज के समय में लगभग सभी घरो में है जिसका कारण इसके लाभ है जो निम्नानुसार है।
- एटीएम की मदद से आप किसी भी समय अपने पैसे को निकाल सकते है।
- ATM का उपयोग करने से पैसे निकालने के लिए लम्बी लाइन में लगने की जरूरत नहीं होती है
- सभी तरह के ऑनलाइन भुगतान भी ATM की मदद से आसान हो गए है।
- ATM की मदद से किसी भी समय एक बैंक खाते के पैसे को दूसरे के खाते में भेजा जा सकता है।
- एटीएम कार्ड की मदद से आसानी से बैंक खाते में पैसे जमा भी किये जा सकते है।
- अब आपको पैसे साथ में लेकर घूमने की जरूरत नहीं होती है जिसकी वजह से चोरी या गिरने का डर लगभग खत्म हो गया है।
- यदि धोखे से आपका ATM खो जाए तो कोई टेंशन की बात नहीं हैं क्योंकि उसका पिन सिर्फ आपके पास रहता हैं आपके एटीएम से कोई पैसे नहीं निकाल सकता।
एटीएम का उपयोग
जिस तरह सभी उपयोगी वस्तुओं का कोई न कोई नुकसान जरूर होता है उसी तरह एटीएम उपयोग करने से भी कुछ हानियों का सामना करना पढ़ सकता है जो निम्नानुसार है।
- एटीएम का पिन किसी को पता चलने पर वह आपके पैसे आसानी से चोरी कर सकता है।
- अशिक्षित लोगो के लिए एटीएम का उपयोग करना कठिन कार्य है।
ATM के लिए जरूरी सावधानियाँ
यदि आप एटीएम का उपयोग शुरू करने की सोच रहे है या पहले से एटीएम का उपयोग करते है निम्न सावधानियों जरूर रखें।
- एटीएम का पिन अपने दोस्त, रिश्तेदारों, यहाँ तक की परिवार के सदस्यों को भी ना बताये।
- ऑनलाइन भुगतान करते समय ध्यान जरूर दे की पैसे एक ही बार ट्रांसफर किये जाये।
- किसी भी व्यक्ति या बैंक के कर्मचारी को भी एटीएम कार्ड की कोई जानकारी दे।
- अपने एटीएम कार्ड का पिन याद रखे और कहीं पर लिखकर न रखे।
दोस्तों आशा करती हूं कि आपको ATM की यह जानकारी वाली पोस्ट जरूर ही पसंद आई होगी।
तो मुझे कमेंट कर के जरूर बताएं मुझे आपकी कमेंट का इंतजार रहेगा और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर कीजिए ताकि एटीएम के बारे में अधिक से अधिक लोग जानकारी को समझ पाए।
Thenks for information Sir
Always Welcome
सर एटीएम को प्लास्टिक मनी भी कहते हैं क्या ?
Hello Sanjay,
ATM Money ko Plastic Money nahi kaha jata.
Jb aap paise ka upyog sirf online trasaction ke liye kar skte hai aur cash nhi nikal skte to Money ko plastic money kaha jata hai.
Debit card and credit card ko plastic money kaha jata hai
Ji, Thank you for the information.
Aapne bahut achche jankari diya hai brother.