सूक्ष्मदर्शी क्या हैं इसके प्रकार, भाग और प्रयोग

इस पेज पर आप विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय सूक्ष्मदर्शी क्या हैं इसके प्रकार, कार्य और लाभ की समस्त जानकारी को पढेंगे क्योकि यह परीक्षाओं के साथ-साथ दैनिक जीवन के लिए बहुत आवश्यक है।

पिछले पेज पर हमने विज्ञान के अध्याय मानव श्वसन तंत्र की जानकारी शेयर की है तो उसे भी जरूर पढ़े। चलिए अब सूक्ष्मदर्शी की जानकारी को पढ़कर समझते है।

सूक्ष्मदर्शी क्या हैं

शब्दों से ही स्पष्ट है सूक्ष्म + दर्शी = छोटी वस्तुओ को देखने वाला यंत्र

सूक्ष्मदर्शी का उपयोग अत्यंत छोटी वस्तुओ (जिन्हे हम साधारण आँखों से नहीं देख सकते) को देखने के लिए किया जाता है।

सुक्ष्मदर्शी विज्ञान की एक शाखा होती हैं जिसमें सूक्ष्मदर्शी के द्वारा सूक्ष्म व अतीसूक्ष्म जीवों को बड़ा करके देखा जाता हैं।

ऐसे जीवों को साधारण आखों से देखना सम्भव नहीं है इसमें प्रकाश के परावर्तन, प्रकाश के अपवर्तन, विवर्तन और विद्युत चुम्बकीय विकिरण का प्रयोग होता है।

विश्व में रोगों के नियंत्रण और नई औषधियों की खोज के लिए माइक्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है, सूक्ष्मदर्शन की तीन प्रचलित शाखाओं में ऑप्टिकल, इलेक्ट्रॉन एवं स्कैनिंग प्रोब सूक्ष्मदर्शन आते हैं।

सूक्ष्मदर्शी का इतिहास

सूक्ष्मदर्शी का इतिहास करीब 400 वर्ष पुराना है इसकी खोज नीदरलैंन्ड में हुई थी। प्रकाश के परावर्तन, अपवर्तन और रेखीय संचरण के नियम ग्रीक दार्शनिकों को ईसा से कुछ शताब्दियों पूर्व से ही ज्ञात थे पर आपतन कोण और अपवर्तन कोण के ज्या के नियम का आविष्कार 17 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक नहीं हुआ था।

हालैंड के स्नेल और फ्रांस के देकार्त (1551-1650 ई0) ने अलग-अलग इसका आविष्कार किया। 1000 ई0 के लगभग अरब ज्योतिषविंद अल्हैजैन ने परावर्तन और अपवर्तन के नियमों को सूत्रबद्ध किया पर ये ज्या में नहीं थे, जबकि लंब दूरी में थे।

ऐसा कहा जाता है कि उसके पास एक बड़ा लेंस था। सूक्ष्मदर्शी का सूत्रपात यहीं से होता है। सूक्ष्मदर्शी निर्माण का श्रेय एक वनस्पतिज्ञ जेकारियोस जोनमिड्स को है। हाइगेंज के अनुसार आविष्कार का श्रेय कॉर्नीलियस ड्रेबल को है।

सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार

माइक्रोस्कोप का आरम्भ 17 वीं शताब्दी के आरम्भ से माना जाता हैं इस समय वैज्ञानिकों और अभियांत्रिकों ने भौतिकी में लेंस की खोज की थी लेंस के आविष्कार के बाद ही वस्तुओं को अपने मूल रूप में देखना सम्भव हुआ।

सबसे पहले सन 1610 में इटली के वैज्ञानिक गैलीलियो ने सरल सूक्ष्मदर्शी बनाया उसके बाद नीदरलैंड में पढ़ने में पढ़ने के लिए आतिशी शीशा बनाने वाले दो व्यक्तियों जिसके नाम “हैंस लिपरशे” और “जैकैरियस जैनसन” हैं इन दोनों ने मिलकर सूक्ष्मदर्शी तैयार किए इन्हें ही टेलिस्कोप का आविष्कारक माना जाता हैं।

सबसे पहले दृष्टि संबंधी सूक्ष्मदर्शन (Optical Microscope) का आविष्कार हुआ इसे प्रकाश सूक्ष्मदशर्न (Light Microscope) भी कहाँ जाता हैं, जीव-जंतुओं के अंगों को देखने में इसका प्रयोग होता हैं।

सूक्ष्मदर्शी के प्रकार

सूक्ष्मदर्शी दो प्रकार के होते है।

1. सरल सूक्ष्मदर्शी (Simple Microscope)

सरल सूक्ष्मदर्शी यंत्र एक ऐसा यंत्र है जिसकी सहायता से किसी भी सूक्ष्म वस्तू का प्रतिबिम्ब बड़े आकार में देखा जाता है। इसके द्वारा सूक्ष्म वस्तु का आभासी, बड़ा, तथा सीधा प्रतिबिम्ब नेत्र से स्पष्ट दूरी पर बनता है।

यह कम फोकस दूरी का उत्तल लेंस होता है जाे कि हैण्डलयुक्त फ्रेम में कसा होता है इसे आवर्धक लेन्स भी कहते हैं। इसका अविष्कार जेड जाँनसन ने 1590 में किया था।

सरल सूक्ष्मदर्शी के गुण

  1. घड़ी साज इसकी सहायता से घड़ी के सूक्ष्म पुर्जौ को देखकर उनकी मरमम्त करते हैं।
  2. प्रयोगशाला में इसका प्रयोग वर्नियर एवं स्कूगेज में पैमाने को पढ़ने के लिए किया जाता है।

2. संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Joint Microscope)

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी द्वारा अत्याधिक छोटी वस्तु का बडा प्रतिबिम्ब उतरा जा सकता है।

इनकी आवर्धन क्षमता, सरल सूक्ष्मदर्शी से बहुत अधिक होती है।

सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता 400 – 600 से 2 हजार गुना बढ़ा कर करती है।

सूक्ष्मदर्शी के अन्य प्रकार

सुक्ष्मदर्शी यंत्रों को मुख्यतः निम्न श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

3. इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी यंत्र (Electron Microscope)

 इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी की खोज बीसवी शताब्दी में हुई थी। जो कि सबसे पहले विद्युत चुंबकीय लेंस से विकसित किया गया था। उस समय का यह पहला सूक्ष्मदर्शी यंत्र था जोकि ऑप्टिकल सूक्ष्मदर्शी क्षमताओं को अधिक विस्तार से उस नमूने की जांच कर सकता था।

यह  सूक्ष्मदर्शी अति सूक्ष्म वस्तुओं का 100000 गुना बड़ा प्रतिबिम्ब बनाती है। 1926 में पहली विद्युत चुम्बकीय लेंस का अविष्कार हंस बुश ने किया था। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का उपयोग औद्योगिक उद्देश्य के लिए किया जाता है।

जिससे कि नए उत्पादों को विकसित किया जा सके इसका उपयोग कार्बनिक पदार्थों की विशेषता विशेषण के लिए भी किया जाता है।

इसके अतिरिक्त यह तेल और गैस की खोज और जैसे निष्कर्ष से जुड़े जोखिम को कम करने में मदद करता है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का उपयोग फॉरेंसिक विज्ञान में भी कर सकते हैं।

इसका मूल विचार बहुत ही सरल है इसको साधारण रूप से चार भागो में विभाजित किया है

  • प्रकाश का स्रोत
  • नमूना
  • लेंस जो नमूने को बड़ा बनाता है
  • हम जो नमूना देखते हैं उसकी सबसे बड़ी छवि यानी की विस्तृत छवि

इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के प्रकार

  • स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
  • ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
  • प्रतिबिंब इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी

(a). स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी :- स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (SEM) एक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप है। यह सूक्ष्मदर्शी TEM की तुलना में कम आवर्धन देता है। SEM सूक्ष्मजीवों और अन्य वस्तुओं के 3D इमेज को देखने की अनुमति देता है। 

(b). ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी :-  इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का पुराना रूप ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (TEM) है। 

4. प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी (Optical Microscope)

यह सबसे पुराने सुक्ष्मदर्शी हैं, यह सूक्ष्मदर्शी वह सूक्ष्म दर्शी हैं जोकि दृश्य प्रकाश का उपयोग करके लेंस के जरिए  छोटी वस्तु की बड़ी इमेज बनाते हैं।

इस सूक्ष्मदर्शी का अविष्कार 17 वी शताब्दी मैं हुआ था प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी यंत्र दो प्रकार के होते हैं।

  • प्रतिबिंब आधारित यंत्र
  • विश्लेषण आधारित यंत्र

5. परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र (Atomic Force Microscope)

परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र जिसे क्रमवीक्षण बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र भी कहा जाता है, एक अति-विभेदनशील यंत्र है, जो नैनोमीटर के अंशों से भी सूक्ष्म स्तर तक दिखा सकता है, जो कि प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शीओं की तुलना में 1000 गुना बेहतर हैं।

प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी उनकी विवर्तन सीमा से सीमित हो जाते हैं। इन्हे अगुआ किया गर्ड बिन्निग और हैन्रिक रोह्रर के बनाये अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र (STM) नें, जिसके लिये उन्हे 1986 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

6. घर्षणबल सूक्ष्मदर्शी यंत्र

इस तकनीक में एक नुकीली वस्तु का नोक किसी तल पर सरकाया जाता है। तब इसमें लगने वाले पाशर्व बलों को रिकाँर्ड कर लिया जाता है।

दो सूक्ष्म तलो के बीच स्लाइडिंग के बीच लगने वाले पाशर्व बल के मापन पर आधारित है।

7. अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र

यह सूक्ष्मदर्शी यंत्र प्रमात्रा टनलिंग के सिद्धांत पर आधारित है आणविक स्तर पर सतहो को देखने के लिए अवलोकन टंनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र एक शक्तिशाली तकनीक है।

इस यंत्र से ना सिर्फ अतिनिर्वात परीस्थितियो में बल्कि खुली हवा तथा द्रव व गैस के वातावरण में भी आसानी से काम किया जा सकता है।

सूक्ष्मदर्शी के भाग

सूक्ष्मदर्शी के तीन संरचनात्मक भाग होते हैं : शीर्ष, आधार और भुजा।

1. शीर्ष :- इसे सूक्ष्मदर्शी के शरीर के रूप में भी जाना जाता है। यह माइक्रोस्कोप के ऊपरी भाग में ऑप्टिकल भाग को कहा जाता है।

2. आधार :- यह सूक्ष्मदर्शी के सपोर्टर के रूप में कार्य करता है। इसके ऊपर माइक्रोस्कोप के अन्य भाग जुड़े होते हैं।

3. आर्म्स :- यह आधार, शीर्ष और ऐपिस ट्यूब को माइक्रोस्कोप के आधार से जोड़ने वाला हिस्सा है। यह सूक्ष्मदर्शी के शीर्ष को सहारा देता है और सूक्ष्मदर्शी को ले जाते समय भी इसका उपयोग किया जाता है। 

माइक्रोस्कोप के ऑप्टिकल भाग का उपयोग स्लाइड पर रखे सैंपल की छवि को देखने, बड़ा करने और बनाने के लिए किया जाता है। इन भागों में शामिल हैं।

4. नेत्रिका (Eyepiece) :- नेत्रिका वह हिस्सा है जिसका उपयोग माइक्रोस्कोप के माध्यम से सैंपल को देखने के लिए किया जाता है। यह सूक्ष्मदर्शी के शीर्ष पर पाया जाता है। इसका स्टैंडर्ड आवर्धन 10x है जिसमें वैकल्पिक ऐपिस 5X – 30X से बढ़ाई गई है।

5. ऐपिस ट्यूब :- यह ऐपिस होल्डर है इसे बॉडी ट्यूब भी कहते हैं। यह नेत्रिका को लेंस के ठीक ऊपर रखता है। कुछ सूक्ष्मदर्शी जैसे दूरबीन में, ऐपिस ट्यूब लचीली होती है लेकिन एककोशिकीय सूक्ष्मदर्शी में यह लचीले नहीं होते हैं।

6. ऑब्जेक्टिव लेंस :- यह सैंपल देखने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रमुख लेंस हैं। इनके पास 40x – 100X की आवर्धन शक्ति होती है। एक सूक्ष्मदर्शी पर लगभग 1 – 4 वस्तुनिष्ठ लेंस लगे होते हैं। प्रत्येक लेंस की अपनी आवर्धन शक्ति होती है।

7. नोज पीस :- इसे रिवाल्विंग बुर्ज के नाम से भी जाना जाता है। माइक्रस्कॉप का यह भाग धातु का बना होता है जिसमे तीन से चार छिद्र होते हैं। यह बॉडी ट्यूब के नीचे वाले भाग से जुड़ा रहता हैं।

8. एडजस्टमेंट स्क्रू :- यह माइक्रोस्कोप में लगे स्क्रू होते हैं जिनका इस्तेमाल माइक्रोस्कोप को फोकस करने के लिए और इधर उधर घूमने में किया जाता है। एडजस्टमेंट स्क्रू दो तरह के होते हैं।

9. स्टेज :- यह वह भाग है जिस पर सैंपल को देखने के लिए रखा जाता है। 

10. एपर्चर :- यह सूक्ष्मदर्शी में एक प्रकार का छेद होता है, जिसके माध्यम से स्रोत से प्रकाश माइक्रोस्कोप तक पहुंचता है।

11. कंडेंसर :- यह मिरर और स्टेज के पास लगा होता है। यह concave lens का बना होता है और इसे ऊपर नीचे किया जा सकता हैं। इसके द्वारा आने वाली लाइट को केंद्रित किया जाता हैं।

12. डायाफ्राम :- यह कंडेंसर के नीचे लगा होता है और इसका उपयोग लाइट को कम या ज्यादा करने के लिए किए जाता हैं।

सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग 

नीचे माइक्रोस्कोप के उपयोग दिए गए हैं।

1. परजीवी, बैक्टीरिया का पता लगाने में रक्त के सैंपल की बड़ी इमेज प्राप्त करके बीमारियों की जांच करने में माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है।

2. वैज्ञानिक सूक्ष्मदर्शी का उपयोग सूक्ष्मजीवों, कोशिकाओं, क्रिस्टलीय संरचनाओं और आणविक संरचनाओं के अध्ययन के लिए करते हैं।

यौगिक सूक्ष्मदर्शी का उपयोग निम्नलिखित सैंपल की जांच में करने के लिए किया जाता है।

  • रक्त कोशिका
  • गाल की कोशिकाएं
  • परजीवी
  • जीवाणु
  • शैवाल
  • ऊतक
  • मूत्र के नमूने 
  • कीटाणुओं का पता लगाना
  • अपराध के मामलों का पता लगाना
  • सूक्ष्मजीवों की खोज

फोरेंसिक में आपराधिक विज्ञान, फोरेंसिक महामारी विज्ञान, फोरेंसिक नृविज्ञान और फोरेंसिक विकृति विज्ञान का अध्ययन करने के लिए एक माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है।

हर क्राइम सीन में अपराधी अपने सारे सबूत मिटा देते हैं। इसलिए फॉरेंसिक में एक माइक्रोस्कोप डॉक्टरों को मौत का कारण जानने के लिए अंगों, हड्डियों और शरीर के अन्य हिस्सों की जांच करने में मदद करता है।

सूक्ष्मदर्शी का रखरखाव

मासूक्ष्मदर्शी के रखरखाव के निम्नलिखित टिप्स हैं।

  • माइक्रोस्कोप को Soft Cotton से साफ करना चाहिए।
  • Eyepiece को सॉफ्ट कॉटन और टिश्यू पेपर से साफ करना चाहिए।
  • माइक्रोस्कोप को Alcohol से भीगे कपड़े से साफ करना चाहिए।
  • माइक्रोस्कोप का उपयोग न होने पर उसे ढक करके रखना चाहिए।
  • माइक्रोस्कोप को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए हमेशा एक हाथ से माइक्रोस्कोप के बेस अर्थात आधार और दूसरे हाथ से शीर्ष को पकड़ना चाहिए 

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