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पिछले पेज पर हमने बौने ग्रह की जानकारी शेयर की हैं तो उस आर्टिकल को भी पढ़े। चलिए आज इस पेज क्षुद्र ग्रह की जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
क्षुद्र ग्रह क्या हैं
मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के मध्य कुछ छोटे-छोटे आकाशीय पिंड होते हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं, उन्हें क्षुद्र ग्रह कहा जाता है। खगोल शास्त्रियों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है।

क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है तो पृथ्वी पर विशाल गर्त बनता है। महाराष्ट्र में लोनार झील ऐसा ही एक गर्त है। फोर वेस्टा एकमात्र ऐसा क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
प्रेक्षणों के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि अनेक क्षुद्र ग्रह निकेल, आयरन, कोबाल्ट और प्लैटिनम के विशाल भंडारों से भरे हुए हैं।
जॉन एस लेविस ने अपनी पुस्तक माइनिंग द स्काई बताया है कि एक किलोमीटर व्यास के एक क्षुद्र ग्रह का भार लगभग 2 बिलियन टन है और हमारे सौरतंत्र में इस तरह के लगभग 10 लाख क्षुद्रग्रह है।
लेविस के अनुसार प्रत्येक क्षुद्रग्रह में लगभग 30 मिलियन टन निकेल, 1.5 मिलियन कोबाल्ट और 7,500 टन प्लैटिनम हो सकता है।
पृथ्वी के निकट हजारों क्षुद्र ग्रह है जिनके पृथ्वी से टकराने की आशंका है। ऐसा ही एक क्षुद्र ग्रह एपोफिस है जो 2036 ई० में पृथ्वी के निकट से गुजरेगा।
प्रमुख क्षुद्र ग्रह तथा उनका व्यास
क्षुद्र ग्रह के नाम | संख्या | व्यास | दूरी (खगोलीय इकाई में) |
पलास | 2 | 583 km | 2.77 |
वेस्टा | 4 | 555 km | 2.36 |
हाइजिया | 10 | 443 km | 3.13 |
इंट्राम्निया | 704 | 338 km | 3.05 |
डेविडा | 511 | 335 km | 3.18 |
साइबेले | 65 | 311 km | 3.09 |
यूरोपा | 52 | 291 km | 3.09 |
पेशेंटा | 451 | 281 km | 3.06 |
युक्रोसाइने | 31 | 270 km | 3.14 |
क्षुद्रग्रहों का वर्गीकरण
संरचना के आधार पर, क्षुद्रग्रहों को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
1. C क्षुद्रग्रह :- क्षुद्रग्रह का सबसे आम प्रकार C-प्रकार (चोंड्राइट) क्षुद्रग्रह है। इस प्रकार के क्षुद्रग्रह मिट्टी और सिलिकेट चट्टानो से बने होते हैं। यह सौरमंडल गहरे रंग की दिखती हैं।
2. S क्षुद्रग्रह :- पथरीले क्षुद्रग्रह या S-प्रकार के क्षुद्रग्रह सिलिकेट और निकल-लौह से बने होते हैं।
3. M क्षुद्रग्रह :- धातु या M-प्रकार के क्षुद्रग्रह मुख्य रूप से निकल-लौह से बने होते हैं। यह सूर्य से बहुत दूर स्थित होते हैं।
क्षुद्रग्रह और धूमकेतु के बीच अंतर
क्षुद्र ग्रह | धूमकेतु |
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क्षुद्रग्रहों की एक अण्डाकार कक्षा होती हैं। | धूमकेतु की एक विलक्षण कक्षा होती है। |
यह धातुओं और चट्टानों से बना होता है। | यह चट्टानों, हाइड्रोकार्बन और बर्फ से बना होता हैं। |
कक्षीय अवधि 1 से 100 वर्ष होती है। | कक्षीय अवधि 75 से 100,000 वर्ष से अधिक होती है। |
आकार में 1 से 100 किलोमीटर से बड़ा होता हैं। | आकार में 1 से 10 किलोमीटर बड़ा होता हैं। |
FAQ
Ans. क्षुद्रग्रह खगोलीय पिंड होते है जो ब्रह्माण्ड में विचरण करते रहते है।
Ans. इनकी संख्या लगभग 50,000 है।
Ans. मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट में, बड़ी संख्या में क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच, सूर्य से लगभग 2 से 4 AU के बीच स्थित हैं
Ans. सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह सेरेस (Ceres) है, जिसका व्यास 1,083 किलोमीटर है।
Ans. जब क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो उन्हें उल्का (meteors) कहा जाता है। लेकिन अगर कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर ज़मीन से टकराता है तो उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं।
Ans. बुध ग्रह
Ans. एक सामान्य कारण बड़े ग्रहों या अन्य खगोलीय पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव है, जो क्षुद्रग्रहों के प्रक्षेपवक्र को बदल सकता है और उन्हें हमारे ग्रह के साथ टकराव के रास्ते पर भेज सकता है।
Ans. अधिकांश क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट में रहते हैं।
Ans. समान्यतः क्षुद्रग्रह खनिज और चट्टानों के बने होते है ।
Ans. 1 किमी (0.62 मील) व्यास वाले क्षुद्रग्रह औसतन हर 500,000 वर्ष में पृथ्वी से टकराते हैं। बड़ी टक्करें – 5 किमी (3 मील) की वस्तुओं के साथ – लगभग हर बीस मिलियन वर्ष में एक बार होती हैं।
उम्मीद हैं आपको क्षुद्रग्रह की जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आयी हो तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।