SSD क्या है इसके प्रकार, उपयोग, लाभ और हानि

इस आर्टिकल में हमने कंप्यूटर विषय के महत्वपूर्ण अध्याय SSD की समस्त जानकारी शेयर की है।

यदि आप कंप्यूटर का उपयोग करते हैं तो आपने SSD के बारे में जरूर सुना होगा। पिछले कुछ वर्षों में SSD ने बड़े पैमाने पर HDD का स्थान ले लिया है इसलिए आपको SSD की समस्त जानकारी ज्ञात होना आवश्यक है।

चलिए SSD की जानकारी को पढ़कर समझते है।

SSD क्या है

SSD का पूरा नाम Solid State Drive है यह कंप्यूटर के लिए एक स्टोरेज डिवाइस है जो HDD की तरह बड़ी मात्रा में डेटा को स्टोर करती है। 

SSD में HDD या Floppy disk की तरह डाटा को Read/Write करने के लिए कोई भी Spinning Parts नहीं होते हैं।

Solid State Drive में डाटा को स्टोर करने के लिए एक प्रकार की Flash Memory (NAND Chip) का प्रयोग होता है। SSD, HDD की तुलना में अधिक तेज होती है और कम पावर का उपयोग करती है।

SSD

यह डाटा को Persistent Store करने के लिए Integrated Circuit Assembly का उपयोग करता है। इसे कभी-कभी Solid State Device या Solid State Disk भी कहा जाता है।

SSD, HDD की तुलना में अधिक तेज होती है और कम पावर का उपयोग करती है। जहां HDD कंप्यूटर को Boot-up करने के लिए 40 Seconds का समय लेती है वही SSD मात्र 10 Seconds का समय लेती है। इसका मूल्य भी HDD की तुलना में काफी ज्यादा होता है।

SSD का इतिहास

SSD जिनका हम आज उपयोग करते हैं। यह 1970 के दशक में शुरू हुए थे। शुरुआत में SSD ने सूचनाओं को स्टोर करने के लिए Core और DRAM Technology का उपयोग किया। 

पहला Semiconductor Storage SSD Storage Tek STC 4305 था जो 1978 में जारी किया गया था। यह 45 MB डाटा स्टोर करने में सक्षम था और इसकी लागत $400,000 थी। बाद में SanDisk ने 1998 में PATA Interface के साथ पहला SSD जारी किया।

Solid State Drive के पार्ट्स

  1. Device Driver : इसे एक विशेष ऑपरेटिंग सिस्टम और फाइल सिस्टम के तहत Processor को चलाने के लिए OEM द्वारा बनाया गया है।
  2. SSD Controller : इसे Processor के रूप में भी जाना जाता है। इसमें ऐसे Electronics शामिल होते है जो Flash Memory Components को एसएसडी इनपुट आउटपुट Interface से जोड़ते हैं।
  3. Buffer/Cache Components : यह High Speed RAM है जिसका इस्तेमाल Speed Matching और Data Throughput बढ़ाने के लिए किया जाता है।

Solid State Drive काम कैसे करता है

जैसा कि हम जानते हैं कि हार्ड डिस्क में एक Magnetic Disk होती है जिसके घूमने की वजह से हार्ड डिस्क में डाटा Transfer और Access हो पाता है।

हार्ड डिस्क की तरह SSD का उपयोग बड़ी मात्रा में डाटा को स्टोर करने के लिए ही किया जाता है लेकिन SSD में कोई हिलता हुआ भाग नहीं होता है। 

यह Flash Drive के समान होता है। इसके सभी काम Semiconductor Chip द्वारा किए जाते हैं। यह RAM की तरह ही काम करता है। एक Spinning Platter में डाटा पढ़ने और लिखने के बजाय एसएसडी, Flash Memory Chip पर डाटा को स्टोर करता है।

इस तरह SSD निश्चित रूप से USB Flash Drive या स्मार्टफोन या टैबलेट में मिलने वाली मेमोरी से अलग नहीं है। Memory Chip के अलावा SSD में एक Controller Chip भी होता है।

यह जानने के लिए जिम्मेदार होता है कि डिवाइस पर डाटा कहां स्टोर है। यह उस डाटा को Nanosecond में पा सकता है। जो एसएसडी को बहुत तेज स्टोरेज डिवाइस बनाता है।

Solid State Drive के प्रकार

Solid State Drive को Connectivity और Speed के हिसाब से अलग-अलग भागों में बांटा गया है। जो इस प्रकार है।

1. SATA

SATA एसएसडी का पूरा नाम Serial Advanced Technology Attachment है। इस तरह की SSD दिखने में एक लैपटॉप की हार्ड ड्राइव की तरह होती है जो Hard Disk की तरह SATA Connector को सपोर्ट करती है। यह SSD का सबसे Simple Form Factor है जिसे आप देखकर ही पहचान सकते हैं। 

सबसे पहले मार्केट में इसी तरह की एसएसडी आई थी और अभी भी चलती है। इस तरह की Solid State Drive को आजकल चलने वाले किसी भी PC में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी गति 4Gbit/s या लगभग 600 MB प्रति सेकंड होती है। 

2. mSATA

mSATA SSD का पूरा नाम Micro Serial Advanced Technology Attachment SSD है। यह नॉर्मल SATA SSD से Connectivity और Form Factor दोनों में अलग होती है। यह सामान्य Solid State Drive से साइज में काफी छोटी और दिखने में काफी अलग होती है। 

यह एक तरह से सामान्य RAM Stick की तरह दिखाई देती है और इसकी Connectivity की बात करे तो इसे हर PC में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

इसका इस्तेमाल करने के लिए आपके PC में mSATA पोर्ट का होना बहुत जरूरी है। इस तरह की SSDs लैपटॉप में इस्तेमाल की जाती है।

3. M.2

इस तरह की एसएसडी दिखने में तो mSATA की तरह ही होती है लेकिन यह इसका Updated Version है। जो mSATA से फास्ट तो है ही लेकिन छोटी होने के बावजूद भी यह दोनों तरह की Connectivity को सपोर्ट करती है।

यानी इसे आप नॉर्मल SATA Cable से भी कनेक्ट कर सकते है और mSATA से भी कनेक्ट कर सकते हैं। 

4. SSHD

SSHD को पूरी तरह से एसएसडी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह Solid State Drive और Hard Disk Drive दोनों को मिलाकर बनाई जाती है।

इसमें कुछ मेमोरी एसएसडी की होती है और कुछ Hard Disk की होती है। यह Hard Disk और एसएसडी दोनों के बीच की चीज होती है। इसे आमतौर पर आजकल के Laptops में इस्तेमाल किया जाता है।

SSD के उपयोग

Solid State Drive एक प्रकार का सेकेंडरी स्टोरेज है इसलिए इसका उपयोग Personal Data जैसे फोटो, वीडियो, संगीत और फाइल को स्टोर करने के लिए किया जाता है।

एक कंप्यूटर में SSD, Operating System और Framework को भी स्टोर करता है जो सिस्टम को Boot करने और Operate करने की अनुमति देते हैं।

एसएसडी पर आप उसी डेटा को स्टोर कर सकते हैं जो आप HDD पर कर सकते हैं लेकिन डाटा स्टोर करने के तरीके अलग-अलग होते हैं।

बड़ी मात्रा में डाटा के साथ काम करने वाली कंपनियां अक्सर एसएसडी पर भरोसा करती है। क्योंकि इसमें डाटा को Access करने की गति और File Transfer की गति अधिक होती है।

Enterprises Server को अपने Client के PC को ठीक से सेवा देने के लिए तेजी से पढ़ने और लिखने के लिए एसएसडी की आवश्यकता होती है।

Solid State Drive के लाभ

  • हार्ड ड्राइव का जीवन काल SSD की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत कम होता है क्योंकि SSD में Moving Parts नहीं लगे होते हैं।
  • यह हार्ड ड्राइव की तुलना में अधिक विश्वसनीय और Shock Resistance होते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप अपना लैपटॉप गिरा देते है और उसमें Solid State Drive लगा हुआ है तो आपकी स्क्रीन शायद Solid State Drive से पहले टूट जाएगी।
  • SSD स्टोरेज में औसत System Boot-up गति 10-13 सेकंड है जबकि HDD स्टोरेज वाले सिस्टम के लिए Boot-up समय 30-40 सेकंड है। जो कम से कम 3 गुना धीमा है।
  • Solid State Drive में पढ़ने और लिखने की गति कई अधिक होती है जिसका मतलब यह है कि डेटा का अपलोड और डाउनलोड बहुत तेजी से होता है।
  • यह कम से कम 200 MB प्रति सेकेंड की दर से Read और Write करती है। SSD के Access Speed 35 से 100 Microsecond है जो HDD का 100 गुना है।
  • SSD की फाइल खोलने की गति HDD की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत तेज होती है।
  • HDD SSD की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक बिजली खींचते हैं। जो बैटरी लाइफ के साथ-साथ बिजली के बिलों पर भी प्रभाव डालता है। 
  • चुकी SSD में हल्के Components होते हैं इसलिए इन्हें कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है।
  • SSD को सेट करना आसान है और इसके लिए किसी भी खास Experience की आवश्यकता नहीं है।
  • Solid State Drive में कोई हिलने-डुलने वाले Parts नहीं होते हैं जिसके कारण यह कम गर्मी उत्पन्न करता है।

SSD के नुकसान

  • SSD का उपयोग करने का पहला नुकसान यह है कि इसका अधिक दाम है। HDD की तुलना में SSD की कीमत दोगुने से अधिक है।
  • Solid State Drive में स्टोरेज क्षमत सीमित होती है। इसकी बेस स्टोरेज क्षमता 128GB है। जैसे-जैसे SSD इस की स्टोरेज क्षमता बढ़ती जाती है, इस डिवाइस का मूल्य भी बढ़ता जाता है।
  • SSD बाजार में कम मात्रा में मिलते हैं। HDD की तुलना में एसएसडी को खोजने में मुश्किल होती है। 
  • Solid State Drive में उपयोग की जाने वाली Flash Memory कुछ निश्चित संख्या में लिखने तक सीमित होती है। SSD डाटा को लिखने के लिए एक प्रक्रिया का उपयोग करता है जिसे राइट साइकिल कहा जाता है।
  • SSD पर डाटा हटाने के बाद इसे पुनः प्राप्त करना लगभग असंभव है। भले ही यह डाटा सुरक्षा के मामले में फायदेमंद हो सकता है लेकिन अगर उचित बैकअप नहीं बनाया गया तो इससे गंभीर समस्या हो सकती है। 

यदि आप जोखिम उठाने को तैयार हैं तो आप Solid State Drive का लाभ उठा सकते हैं। एसएसडी

आशा है Solid State Drive की जानकारी आपको पसंद आयी होगी।

Solid State Drive से संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए कमेंट करे।

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