बचत खाता (Saving Account) क्या है इसके प्रकार, लाभ और नुकसान

नमस्कार दोस्तों, इस पेज पर आप Saving Account से सम्बंधित समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

पिछले पेज पर हमने चालू खाते की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े।

चलिए इस पेज पर आप Saving Account की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

बचत खाता क्या है

बचत खाते का उपयोग अपनी मासिक आय में से बचत के पैसे रखने और पैसों के लेन-देन के लिए किया जाता हैं।

बचत खाता का हिंदी में मतलब बचत खाता होता है। बचत खाता वह खाता होता हैं जहां पर आप अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रख सकते है।

बचत खाते के प्रकार

लोगों की जरूरत के हिसाब से सेविंग अकाउंट भी अलग-अलग तरह के होते हैं। कामकाजी, बुजुर्गों, महिलाओं और यहां तक की बच्चों के लिए भी अलग तरह का सेविंग अकाउंट होते हैं।

इस तरह कुल मिलाकर 6 तरह के सेविंग अकाउंट होते हैं।

1. Regular Savings Account

Regular Savings Account कुछ बेसिक शर्तों पर खोला जाता है इस तरह के अकाउंट में किसी तय रकम का रेगुलर डिपॉजिट नहीं होता है। इसका इस्तेमाल एक सेफ हाउस की तरह होता है। जहां पर आप अपना पैसा सुरक्षित रख सकते हैं इसमें मिनिमम बैलेंस की शर्त भी होती है।

2. Salary Savings Account

Salary Savings Account कंपनियों की तरफ से उनके कर्मचारियों के लिए खोला जाता है इसका इस्तेमाल कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए होता है।

जब भी सैलरी देने का वक्त आता है, कंपनी के खाते से बैंक पैसा निकालकर कर्मचारियों के खाते में डाल दिया जाता हैं।

इस तरह के अकाउंट के लिए कोई मिनिमम बैलेंस की शर्त नहीं होती है अगर तीन महीने तक सैलरी नहीं आती है तो ये रेगुलर सेविंग अकाउंट में बदल जाता है।

3. Senior Citizens Savings Account

Senior Citizens Savings Account बिल्कुल रेगुलर सेविंग्स अकाउंट की तरह ही काम करता है। लेकिन रेगुलर के मुकाबले सीनियर सिटिजंस को ये ज्यादा ब्याज दरें ऑफर करते हैं।

इसलिए Senior Citizens को ये अकाउंट ही खुलवाना चाहिए क्योंकि इसमें ब्याज ज्यादा मिलता है।

ये Bank Account Senior Citizens की सेविंग स्कीम्स से भी लिंक रहता है। जिससे पेंशन फंड या रिटायरमेंट अकाउंट्स से फंड निकाला जाता है और जरूरतें पूरी की जाती हैं।

4. Minors Savings Account

Minors Savings Account बच्चों के लिए होता है। इसमें मिनिमम बैलेंस की कोई जरूरत नहीं होती हैं। ये सेविंग अकाउंट बच्चों की पढ़ाई के लिए उनकी बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए होता है।

बैंक अकाउंट को कानूनी गार्जियन की देखरेख में ही खोला और ऑपरेट किया जाता है। जब बच्चा 10 साल का हो जाता है तब वो अपना खाता खुद ऑपरेट कर सकता है। जब बच्चा 18 साल का होता है तो ये रेगुलर सेविंग अकाउंट में बदल जाता है।

5. Zero Balance Savings Account

इस तरह के अकाउंट में सेविंग और करेंट अकाउंट दोनों की खूबियां होती हैं। इसमें निकासी की एक सीमा होती है।

मतलब लिमिट से ज्यादा आप पैसा नहीं निकाल सकते हैं। लेकिन अगर बैलेंस कम होता है तो आप पर कोई पेनाल्टी भी नहीं लगती हैं।

Saving Account और Current Account में अंतर

बचत खाताचालू खाता
Saving Account लोगों को पैसे की बचत के लिए प्रोत्साहित करता है। Current Account व्यापार को सुचारू रूप से चलाने के काम आता है।
Saving Account निजी Transaction के लिए होते हैं। Current Account बिजनिस Account होता है।
सेविंग अकाउंट रेगुलर इनकम वाले लोगों के लिए अच्छा होता है जैसे वेतनभोगी कर्मचारी और दूसरे लोग आदि। करंट अकाउंट व्यापार के लिए डिजाइन किया गया है। दोनों अकाउंट में मिनिमम राशि नहीं रखने पर पेनल्टी लगती है लेकिन करंट अकाउंट में ज्यादा राशि रखनी होती है।
सेविंग अकाउंट में ट्रांजेक्शन की लिमिट होती है। करंट अकाउंट में ट्रांजेक्शन की कोई लिमिट नहीं होती है।
सेविंग अकाउंट पर 4 से 6 फीसदी ब्याज मिलता है। करंट अकाउंट पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।
सेविंग अकाउंट से उतना ही पैसा निकाला जा सकता है जितना अकउंट में होता है। करंट अकाउंट में ज्यादा पैसा निकालने की भी सुविधा होती है और फिर पैसा जमा कराने पर इसे ब्याज सहित एडजस्ट कर दिया जाता है।

बचत खाते के लाभ

1. सेविंग अकाउंट लेन-देन के काम आता हैं।

सेविंग्स अकाउंट में लोग अपनी बचत पूंजी जमा करते हैं। इस अकाउंट में आप अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से दूसरे शहर से पैसे जमा भी करवा सकते हैं और अपने परिजनों को इस अकाउंट की मदद से उनके खाते में पैसे जमा भी कर सकते हैं।

2. सेविंग अकाउंट बिल के भुगतान के काम आता हैं।

सेविंग्स अकाउंट से किसी बिल का भुगतान भी किया जा सकता है। इस खाते में तमाम तरह की सरकारी सब्सिडी भी आ सकती हैं और इससे तमाम तरह के भुगतानों के लिए Standing Instruction भी लगाया जा सकता है। ताकि ड्यू डेट पर अपने आप पैसे कट जाएं।

3. सेविंग्स अकाउंट कई तरह से भुगतान के लिए इस्तेमाल हो सकता हैं।

सेविंग्स अकाउंट से आप एटीएम, क्रेडिट कार्ड, चेक बुक और नेट बैकिंग के जरिए ट्रांजेक्शन कर सकते है। तमाम बैंकों के मोबाइल ऐप के जरिए भी सेंविग्स अकाउंट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

आप अपने सेविंग्स अकाउंट पर कितनी ट्रांजेक्शन करते हैं। यानी कितने भुगतान करते हैं और कहां-कहां से कितने रुपये सेविंग अकाउंट में लेते हैं। सभी जानकारी आपको स्टेटमेंट के जरिए मिलती रहती है।

4. सेविंग्स अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस भी रखना जरुरी होता हैं।

सेविंग्स अकाउंट भी अलग-अलग तरह के होते हैं और उसी आधार पर हर अकाउंट में कुछ न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी होता है।

हालांकि, कुछ सेविंग्स अकाउंट ऐसे भी होते हैं, जिनमें न्यूनतम बैलेंस रखने की बाध्यता नहीं होती है। जिन सेविंग्स अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी होता है, उसमें अगर न्यूनतम बैलेंस ना रखा जाए तो आपको कुछ जुर्माना देना पड़ता है।

5. सेविंग्स अकाउंट में जमा पैसों पर ब्याज मिलता हैं।

सेविंग्स अकाउंट में आप जो पैसे रखते हैं, उस पर आपको ब्याज भी मिलता है। यह ब्याज तिमाही, छमाही और सालाना तौर पर दिया जाता है।

अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग अवधि के लिए ब्याज भी अलग मिलता है। अभी ये 3-4 फीसदी के करीब है, जो अलग-अलग समय में बैंकों की तरफ से बदला जाता है।

सेविंग्स अकाउंट में ब्याज कम मिलता है, इसलिए अगर आप अधिक दिन तक पैसे अपने खाते में रखना चाहते हैं, तो उसका फिक्स्ड डिपॉजिट करवा कर अधिक ब्याज पा सकते हैं।

6. सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता हैं।

सबसे अहम बात ये है कि सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है। इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार अगर सेविंग्स अकाउंट से मिले ब्याज की रकम 10 हजार रुपये से अधिक होती है तो धारा 80 टीटीए के तहत आपको उस पर टैक्स देना होगा।

सीनियर सिटीजन के लिए ये सीमा 80TTB के तहत 50 हजार रुपये की है। टैक्स कितना लगेगा ये इस बात पर निर्भर करेगा कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं।

बचत खाते के नुकसान

1. सैलरी अकाउंट सेविंग अकाउंट में कन्वर्ट हो जाता हैं।

सैलरी अकाउंट में तीन महीने तक सैलरी नहीं आने से वह सेविंग अकाउंट में कन्वर्ट हो जाता है। सेविंग अकाउंट में तब्दील होने से खाते को लेकर बैंक के नियम बदल जाते हैं। फिर बैंक उसे सेविंग अकाउंट के रूप में ट्रीट करती हैं।

बैंक के नियम के मुताबिक सेविंग अकाउंट में एक न्यूनतम राशि मेनटेन करनी जरूरी है। अगर आप यह मेनटेन नहीं करते हैं तो आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है और आपके खाते में से जमा रकम से बैंक पैसा काट सकती हैं।

2. बेहतर ब्‍याज नहीं मि‍लेगा

एक से ज्यादा बैंकों में अकाउंट होने से आपको बड़ा नुकसान हो सकता है। अपने हर अकाउंट को मेनटेन करने के लिए उसमें राशि का एक तय अमाउंट रखना ही होता है। यानी एक से ज्‍यादा अकाउंट होने से आपका बड़ा अमाउंट तो बैंकों में ही फंस जाएगा।

उस राशि पर आपको ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 फीसदी ही सालाना रिटर्न मिलता है। वहीं अगर सेविंग अकाउंट में पैसे रखने के बजाए दूसरी योजनाओं में लगा दें तो आपको सालाना रिटर्न के तौर पर ज़्यादा ब्याज़ मिलेगा। ब्‍याज मि‍लेगा।

3. क्रेडिट स्कोर खराब होता हैं।

एक से ज्यादा निष्क्रिय खाते होने से आपके क्रेडिट स्कोर पर भी इसका खराब असर पड़ता है। आपके खाते में न्यूनतम बैलेंस मेनटेन नहीं होने से क्रेडिट स्कोर खराब होता है। इसलिए कभी भी निष्क्रिय खाते को हल्के में न लें और नौकरी छोड़ने के साथ ही उस खाते को बंद करा दें।

4. इनकम टैक्स फाइल करने में परेशानी होती हैं।

ज्यादा बैंकों में अकाउंट होने से टैक्स जमा करते समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कागजी कार्रवाई में भी अधिक परेशानियों का सामना करना पढ़ता हैं।

साथ ही इनकम टैक्स फाइल करते समय सभी बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां रखनी होती है। अक़्सर उनके स्टेटमेंट का रिकॉर्ड जुटाना काफी पेचीदा काम हो जाता है।

5. ये एक्स्ट्रा चार्जेज लगते हैं।

एक से ज्यादा अकाउंट होने से आपको सालाना मेंटनेंस फीस और सर्विस चार्ज देने होते हैं। क्रेडिट और डेबिट कार्ड के अलावा अन्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी बैंक आपसे पैसे चार्ज करता है। तो यहां भी आपको काफी पैसों का नुकसान उठाना पड़ता है।

6. फ्रॉड का खतरा

कई बैंकों में अकाउंट होना सुरक्षा के लिहाज से भी सही नहीं होता है। हर कोई अकाउंट का संचालन नेट बैंकिंग के जरिए करता है। ऐसे में सभी का पासवर्ड याद रखना बहुत ही मुश्किल काम होता है।

निष्क्रिय अकाउंट का इस्तेमाल नहीं करने से इसके साथ फ्रॉड या धोखाधड़ी होने का चांस बहुत अधिक होता है। क्योंकि आप लंबे समय तक इसका पासवर्ड नहीं बदलते हैं। इससे बचने के लिए Account को बंद कराएं और उसके नेट बैंकिंग को डिलीट जरूर कर दें।

FAQ

Q.1 बचत खाते का मतलब क्या होता है?

Ans. बचत खाते (सेविंग्स अकाउंट), खुदरा वित्तीय संस्थाओं द्वारा बनाये रखे जाने वाले खातों को कहते हैं जो ब्याज तो प्रदान करते हैं लेकिन जिन्हें सीधे तौर पर धन के रूप में (उदाहरण के लिए, एक चेक लिखकर) इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

Q.2 बचत खाता का अर्थ क्या है?

Ans. बचत खाते को किसी बैंक या वित्तीय संस्थान में रखे गए जमा खाते के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो ग्राहकों को ब्याज अर्जित करते हुए पैसे बचाने की अनुमति देता है। 

Q.3 चालू और बचत खाते में क्या अंतर है?

Ans. सेविंग्स अकाउंट एक ऐसा डिपॉजिट अकाउंट है जो सीमित लेनदेन की अनुमति देता है, जबकि एक करंट अकाउंट दैनिक लेनदेन के लिए होता हैं।

Q.4 बचत बैंक खाते की विशेषता क्या है?

Ans. इस बचत खाते में नियमित बचत खाते द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सुविधाएं एवं लाभ उपलब्ध हैं, केवल निकासी की संख्या की बाध्यता को छोड़कर।

Q.5 बचत खाते में कितना बैलेंस चाहिए?

Ans. सेमी अर्बन एरिया में ₹5,000 और ग्रामीण इलाके में ₹2,500 मिनिमम बैलेंस अनिवार्य है।

Q.6 बचत के तीन प्रकार कौन से हैं?


Ans. पारंपरिक, मुद्रा बाजार, और जमा प्रमाणपत्र ।

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