विद्युत धारा की परिभाषा, सूत्र, SI मात्रक, प्रकार, प्रभाव और उपयोग

नमस्कार दोस्तों, आज के इस पेज पर हम विद्युत धारा की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं।

पिछले पेज पर हमने तरंगदैर्ध्य की जानकारी शेयर की हैं तो उस आर्टिकल को भी पढ़े।

चलिए आज हम विद्युत धारा की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

विद्युत धारा की परिभाषा

किसी भी चालक या सर्किट में आवेश (Charge) के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। विद्युत धारा को I से दर्शाते है।

विद्युत धारा जिसे बोल चाल की भाषा में बिजली कहा जाता है का हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे घरों में बल्ब एवं ट्यूब बिजली से चलते हैं। पंखे, पंप और अनेक प्रकार की मशीनें बिजली की मदद से ही चलते हैं।

किसी चालक पदार्थ में जब विद्युत आवेशों का प्रवाह होता है तो उसे विद्युत धारा कहते हैं। विद्युत धारा की दिशा धन आवेश की गति की दिशा की ओर मानी जाती है। इसका SI मात्रक एम्पियर होता है और यह एक अदिश राशि है।

विद्युत धारा का सूत्र

विद्युत धारा (I) = आवेश (Q) / समय (T)
या
I = Q/T
I = lt

विद्युत धारा का मात्रक और विमीय सूत्र

S.I. पद्धति में विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर है।
विद्युत धारा का विमीय सूत्र – [A]
1 एम्पियर धारा की परिभाषा
यदि Q = 1 कूलॉम
t = 1 सेकण्ड
तब सूत्र I = Q/t से,
I = 1 कूलॉम/ 1 सेकण्ड
I = 1 एम्पियर

एक कुलाम आवेश में इलेक्ट्रॉन की संख्या हम जानते है कि q = ne

तब अतः जब 1sec में 6.25×10¹⁸ इलेक्ट्रॉन का प्रवाह होता है तो विधुत धारा का मान एक एम्पियर होगा।

विद्युत धारा के प्रकार

विद्युत धारा मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं।

  • दिष्ट धारा
  • प्रत्यावर्ती धारा 

1. दिष्ट धारा

यदि किसी परिपथ में धारा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता रहता है तो हम इसे दिष्ट धारा कहते हैं। दिष्ट धारा को संक्षेप में D.C. कहते हैं।

2. प्रत्यावर्ती धारा

यदि किसी परिपथ में धारा का प्रवाह एकांतर क्रम में समानांतर रूप से आगे और पीछे होता हो तो, ऐसी धारा प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है। प्रत्यावर्ती धारा को संक्षेप में A.C. कहते हैं।

चालक तथा विद्युत रोधी

पदार्थ मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

1. चालक :- ऐसे पदार्थ जिनसे विद्युत आवेश एक भाग से दूसरे भाग तक आसानी से चला जाता है, चालक कहे जाते हैं।

उदाहरण :- मनुष्य तथा जानवर का शरीर, धातु इत्यादि।

2. विद्युत रोधी :- ऐसे पदार्थ जिनसे विद्युत आवेश एक भाग से दूसरे भाग तक आसानी से नहीं जाता है, विद्युतरोधी कहे जाते हैं।

उदाहरण :- कांच, सूखी लकड़ी, प्लास्टिक इत्यादि।

विद्युत विभव

इकाई धन आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में जो कार्य करना पड़ता है, उसे विद्युत विभव कहते हैं। विद्युत विभव का SI मात्रक जूल प्रति कूलाम्ब होता है, जिसे वोल्ट भी कहते हैं। विभव अदिश राशि है।

विभवांतर

एक कूलंब धनात्मक आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य को उन बिंदुओं के मध्य विभवांतर कहते हैं। विभवांतर का SI मात्रक भी वोल्ट होता है तथा यह भी एक अदिश राशि है।

ओम का नियम

धारा और विभवांतर के बीच संबंध की खोज सबसे पहले जर्मनी के वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम ने की। इस संबंध को पूरी तरह से बताने के लिए ओम ने जिस नियम का प्रतिपादन किया उसे ही ओम का नियम कहते हैं।

इस नियम के अनुसार “यदि ताप का मान निश्चित हो तो किसी चालक तार में प्रवाहित होने वाली धारा उसके विभांतर के समानुपाती होती है।

यदि चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V हो और उसमें प्रवाहित धारा I हो तो, ओम के नियम से –

V = IR, जहां R एक नियतांक है जिसे चालक प्रतिरोध कहते हैं।

प्रतिरोध क्या है

किसी चालक पदार्थ का वह गुण जो उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है।

जब किसी चालक पदार्थ में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो उस चालक पदार्थ में गतिशील इलेक्ट्रॉन अपने मार्ग में आने वाले इलेक्ट्रॉनों, परमाणुओं और आयनाे से टकराते रहते हैं, इसी कारण प्रतिरोध की उत्पत्ति होती है।

यदि किसी चालक पदार्थ के सिरों के बीच का विभवांतर V वोल्ट एवं उस में प्रवाहित धारा I एम्पियर हो तो, 

प्रतिरोध (Resistance) = विभावांतर/धारा 

या R = V/I

प्रतिरोध का SI मात्रक ओम होता है।

विद्युत धारा के प्रभाव

प्रवाहमान विद्युत धारा के मुख्यत: निम्नलिखित प्रभाव होते हैं।

  1. चुंबकीय प्रभाव
  2. उष्मीय प्रभाव
  3. रासायनिक प्रभाव
  4. प्रकाशीय प्रभाव

1. चुंबकीय प्रभाव

जब भी किसी चालक से विद्युत धारा का प्रवाह होता है तो चालक के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इसे ही विद्युत का चुंबकीय प्रभाव कहते हैं।

2. उष्मीय प्रभाव

चालक का प्रतिरोध धारा बहने में रुकावट डालता है, जिससे गतिशील इलेक्ट्रॉन निरंतर चालक के परमाणु से टकराते रहते हैं।

इस प्रक्रिया में चालक का ताप बढ़ जाता है। चालक के ताप बढ़ने की इस घटना को विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहते हैं।

3. रासायनिक प्रभाव

शुद्ध जल विद्युत का कुचालक होता है लेकिन जब जल में किसी धातु के लवण, अम्ल तथा क्षार घुले रहते हैं तो ऐसा घोल विद्युत का सुचालक करता है।

जब किसी लवण, अम्ल अथवा क्षार घुले जलीय घोल में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसका विद्युत अपघटन हो जाता है। इस घटना को विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव कहते हैं।

4. प्रकाशीय प्रभाव

जब कोई पदार्थ किसी विद्युत चुम्बकीय विकिरण से ऊर्जा अवशोषित करने के बाद इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करता है तो इसे  विद्युत का प्रकाशीय प्रभाव कहते हैं। 

विद्युत धारा अथवा बिजली के उपयोग

बिना बिजली के दुनिया की कल्पना करना इन दिनों बहुत मुश्किल है। स्टडी लैम्प जैसी छोटी-छोटी चीजों से लेकर प्लेन जैसी बड़ी चीजों को संचालित करने के लिए बिजली की जरूरत होती है। 

यहां दैनिक आधार पर बिजली के कुछ सबसे उल्लेखनीय उपयोगों का उल्लेख किया गया है।

1. मनोरंजन में बिजली का उपयोग

आज मनोरंजन के आधुनिक साधन Mp3 प्लेयर से संगीत सुनना, टेलीविजन देखना, DVD या VCR में फिल्में चलाना इत्यादि डिवाइस बिजली से चलते हैं।

2. स्वास्थ्य सेवा में बिजली का उपयोग

सर्जिकल ऑपरेशन बिजली के बिना शुरू नहीं होंगे। उदाहरण के लिए, डॉक्टरों को एक मरीज पर ऑपरेशन के दौरान प्रकाश की आवश्यकता होती है और बिजली के बिना, प्रकाश काम नहीं करेगा, और ऑपरेशन घातक साबित हो सकता है।

3. इंजीनियरिंग में बिजली का उपयोग

लोगों की सुविधा के लिए भवनों के निर्माण में हर कदम पर बिजली की आवश्यकता होती है। घरों का निर्माण, गेट और खिड़कियां बनाना, वेल्डिंग के लिए मशीनों को संचालित करने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है।

4. परिवहन और संचार में बिजली का उपयोग

दुनिया के किसी दूसरे कोने से दूसरे जगहों पर पहुंचना या संचार करना बिजली के कारण ही संभव है। एयरलाइन यात्रा के दौरान बिजली का न होना खतरनाक हो सकता है।

5. बाहर बिजली का उपयोग

सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइट बिजली का उपयोग करती है। यहां तक कि ठंडे क्षेत्रों में पानी को गर्म करने के लिए पूल को भी बिजली की आवश्यकता होती है। घास काटने के लिए प्रयोग किया जाने वाला लॉन मूवर बिजली का उपयोग करता है। 

6. घर में बिजली का उपयोग

टोस्टर से लेकर रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव, वॉशिंग मशीन, डिशवॉशर, इलेक्ट्रिकल चिमनी और कई अन्य उपकरण दिन-प्रतिदिन के कामों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। इनके उपयोग के लिए बिजली आवश्यक हैं।

7. व्यावसायिक स्थानों में बिजली का उपयोग

विभिन्न सामग्रियों के उत्पादन के लिए कारखाने में भारी मशीनरी का उपयोग किया जाता है जो हमेशा बिजली से चलती है। 

8. ऑफिस में बिजली का उपयोग

हम उन दफ्तरों में काम पर जाते हैं जिनमें ज्यादातर चीजें बिजली से चलती हैं। लाइट, लिफ्ट, AC, कॉफी मशीन, आईडी कार्ड रीडर, बायोमेट्रिक स्कैनर और अन्य सभी चीजों के लिए बिजली की आवश्यकता होती है।

9. ईंधन के रूप में बिजली का उपयोग

आज कार और बाइक जैसे जीवाश्म ईंधन पर चलने वाली चीजें अब इस तरह से बनाई गई हैं कि यह बिजली (जैसे सौर ऊर्जा से चलने वाली) से चलती है, जो भविष्य में और अधिक सुविधाजनक होगी।

10. अंतरिक्ष में बिजली के उपयोग

अंतरिक्ष अभियानों के लिए पृथ्वी से भेजे जाने वाले उपग्रह और प्रोब बिजली से चलते हैं। बिजली एक जनरेटर की मदद से उत्पन्न होती है या बैटरी चालित होती है।

चांद पर इंसानों की लैंडिंग के लिए अपोलो मिशन, बिजली के इस्तेमाल के बिना संभव नहीं था।

उम्मीद हैं आपको विद्युत धारा की जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आयी हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें धन्यवाद।

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